नमस्कार दोस्तों, मैं पंकज आज अपनी मां की चुदाई कहानी लेके आया हूं। मेरी उमर 19 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हूं। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी, पापा, और छोटा भाई रहते है। मेरे पापा दुकान करते है, और सुबह घर से जा कर रात को वापस आते है।
मम्मी मेरी कॉलेज में प्रोफेसर है। दिन में कॉलेज जाके पढ़ाती है, और शाम में स्कूल और कॉलेज के बच्चों की ट्यूशन लेती है। वो उसी कॉलेज में प्रोफेसर है जहां मैं पढ़ता हूं, वो अलग बात है कि वो दूसरे और तीसरे साल के स्टूडेंट्स को पढ़ाती है। उनका विषय बायलॉजी है।
मम्मी की उमर 43 साल है, और वो भारी शरीर की औरत है। लेकिन भार वहीं है जहां होना चाहिए, मतलब उनके चूचे और गांड मोटे है, और पेट ज्यादा बाहर नहीं है। सीधे-सीधे बोलूं, तो मम्मी ऐसी औरत है जिसको चोदने के सपने लड़के से लेके बुड्ढों तक देखते है।
रंग मम्मी का गोरा है, और फिगर 36-34-38 है। वो ज्यादातर साड़ी पहनती है, लेकिन घर में नाइटी पहनती है। जब कभी वो नाइटी के अंदर ब्रा नहीं पहनती है, तो मेरा भी ईमान डगमगा जाता है, और मैं भी मां का रिश्ता भूल कर उनके बारे में सोच कर मुठ मार लेता हूं। अब मैं आपको ये बताता हूं कि मम्मी किससे और कैसे चुदी।
जैसा कि मैंने आपको बताया कि मम्मी स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स को ट्यूशन भी पढ़ाती थी। काफी बच्चे आते थे मम्मी के पास। कुछ को मैं जानता था, और कुछ को नहीं। लेकिन एक लड़का था जो कि थर्ड ईयर में था, वो पिछले कुछ दिनों से मम्मी के पास ट्यूशन आने लगा था। क्योंकि मैं भी उसी कॉलेज में था, तो मैं उस लड़के को अच्छे से जानता था। मैं क्या, उसको पूरा कॉलेज जानता था।
उस लड़के का नाम अरुण था, और वो कॉलेज के गुंडों की गैंग का प्रधान था। दिखने में वो स्मार्ट था, और उसकी अच्छी खासी बॉडी बनी हुई थी। पढ़ने में भी वो अच्छा था, लेकिन उसका डर भी बहुत था। लड़कियां उस पर मरती थी, और जिस लड़की पर वो हाथ रखता था, वो लड़की उसके लंड पर लाज़मी चढ़ती थी।
जब मैंने उसको पहली बार हमारे घर पर ट्यूशन के लिए बैठे देखा, तो मुझे थोड़ी चिंता होने लगी। जहां तक मैं जानता था, वो काफी शौकीन मिज़ाज का था, और जैसा कि मैंने बताया कि मेरी मम्मी बहुत सेक्सी है, मुझे डर था कि कहीं वो मेरी मम्मी से दिल ना लगा बैठे।
अब मैं अक्सर उसकी हरकतों पर ध्यान रखता था कि वो मम्मी को किस नज़र से देख रहा होता था। मम्मी घर में बच्चों को पढ़ाते वक्त अक्सर नाइटी पहन लेती थी। उनको इतनी भी अकल नहीं थी, कि उनके चूचे उसमें से साफ दिखते थे। लेकिन मैं उनको कुछ कह भी नहीं सकता था। बेटा था ना, तो अपनी सीमा अच्छे से जानता था।
मैं देखता था कि अरुण भी मेरी मम्मी के चूचों को घूरता रहता था। जब कभी मम्मी की नज़र अरुण पर पड़ती थी, तो वो भी उसको नजरअंदाज कर देती थी। कभी-कभी वो उसको थोड़ी स्माइल भी दे देती थी। इससे मुझे लगता था कि कहीं मम्मी जान-बूझ कर तो अपने चूचे नहीं दिखाती थी जवान लड़कों को? क्योंकि पापा तो कभी घर पर होते नहीं थे, और एक औरत को जब घर से अटेंशन ना मिल रही हो, तो ही वो घर की दहलीज लांघ कर बाहर वाले मर्द का हाथ पकड़ती है।
फिर एक दिन मैंने कुछ ऐसा देखा, जिससे मुझे यकीन हो गया कि मम्मी जान-बूझ कर, और खास कर अरुण को जान-बूझ कर अपने चूचे दिखाती थी।
मम्मी जिस कमरे में ट्यूशन पढ़ाती थी, उसके सामने ही मेरा पढ़ाई का कमरा था। दरवाजे आमने सामने नहीं थे, लेकिन खिड़की से वो कमरा दिख जाता था। ट्यूशन से छुट्टी होने के बाद मैंने देखा सब स्टूडेंट्स तो बाहर जा रहे थे। लेकिन अरुण बाहर नहीं आया था। ये देख कर मैं जल्दी से अपने रूम से बाहर आया, और उस रूम के दवाएं पर जा कर चुपके से अंदर देखने लगा। अंदर मम्मी और अरुण की बात चल रही थी, जो कुछ इस प्रकार थी।
अरुण: मैडम मुझे आपसे कुछ बात करनी थी।
मम्मी: हां बोलो क्या बात करनी है?
अरुण: मैडम इतने सारे बच्चों में बैठ कर मेरा ध्यान पढ़ाई पर नहीं लगता। मुझे अकेले में आपसे पढ़ना है।
मम्मी: क्यों ऐसा कौन सा ध्यान लगाना है, जो तुम अलग से लगाना चाहते हो? वैसे भी तुम्हारा ध्यान पढ़ाई पर कम और कहीं अगर ज्यादा रहता है।
ये कह कर मम्मी ने अपनी आंखों से अपने चूचों की तरफ इशारा किया। इसका मतलब वो जानती थी कि अरुण उनके चूचों को घूरता रहता था। लेकिन अरुण ने अंजान बनते हुए कहा-
अरुण: मैडम आप क्या बोल रही हो? कहां रहता है मेरा ध्यान?
मम्मी: तुम अच्छे से जानते हो मैं क्या बोल रही हूं।
फिर अरुण हंसता है और बोलता है: अच्छा वो, देखिए मैडम अब इतना खूबसूरत नज़ारा मिल रहा हो, तो आँखें तो अपने आप उधर जाती है। आप भी तो अपना खजाना छुपा कर नहीं रखती। फिर चोर तो देखेंगे ही।
ये सुन कर मम्मी मुस्कुराने लगी। फिर वो बोली-
मम्मी: अच्छा अगर मैंने तुम्हें अकेले में पढ़ाना शुरू कर दिया, फिर क्या गारंटी की मेरा खजाना बचा रहेगा?
मैं हैरान था कि मम्मी कैसे अपने स्टूडेंट के साथ ऐसी बातें कर रही थी।
फिर अरुण बोला: मैडम हम बड़े ईमानदार चोर है। बिना पूछे किसी के खजाने को हाथ नहीं लगाते। और अगर सामने वाला हमे इजाज़त दे, तो छोड़ते भी नहीं है। आप भी जब तक इजाज़त नहीं देंगी, तो आपके खजाने को हाथ भी नहीं लगाएंगे।
मम्मी: और अगर दे दी तो?
ये सुन कर अरुण की आंखों में चमक आ गई। फिर वो मम्मी के पास जा कर बोला-
अरुण: अगर इजाज़त दे दी, तो इनको इतना प्यार करूंगा, जितना ना तो किसी ने पहले किया होगा, और ना ही बाद में करेगा।
मम्मी ये सुन कर मुस्कुराने लगी। फिर अरुण मम्मी के चेहरे के और पास गया, इतना की दोनों की सांसे टकराने लगी। फिर वो बोला-
अरुण: इजाज़त है?
मम्मी शर्मा गई, और उन्होंने हां में अपना सर हिला दिया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा। इस कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।