बहन की चुदाई ने जेल जाने से बचाया-1 (Behan Ki Chudai Ne Jail Jaane Se Bachaya-1)

मेरा नाम विशाल है। ये मेरी बहन की चुदाई का एक किस्सा है। चलिए शुरू करते है।

मेरी बहन मुझसे 10 साल बड़ी है। जब वो 15 साल की थी, और मैं 5 साल का था, तब हमारे मम्मी-पापा का एक दुर्घटना में देहांत हो गया था। मम्मी-पापा के जाते ही सब रिश्तेदारों ने हमारे से मुंह मोड़ लिया। फिर मेरी बहन ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी, और लोगों के घरों में काम करने लगी। इसी तरह काम कर-कर के वो घर चलाने लगी, और मुझे पढ़ाने लगी।

वक्त ऐसे ही बीतता गया, और मेरी बहन जवान हो गई। वो बहुत खूबसूरत और भरे हुए शरीर वाली लड़की थी। उसको कईं शादी के प्रस्ताव आए, लेकिन उसने किसी से शादी ना करके मेरे प्रति अपनी जिम्मेदारी को महत्व दिया।

वक्त और आगे बढ़ा, और मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली। अब मैं 23 साल का हो गया था, और दीदी 33 की। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने नौकरी ढूंढनी शुरू की, लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिली। मैं बहुत दुखी था, तो दीदी ने मुझे कहा-

दीदी: तू चिंता मत कर। मैं एक घर में काम करती हूं, जहां साहब बहुत अच्छे है। उनकी बहुत बड़ी कंपनी है। मैं उनसे कहूंगी, वो तुझे नौकरी जरूर देंगे।

फिर अगले दिन दीदी मुझे अपने साथ ले गई, और अपने साहब से बात की। उन्होंने मुझसे कुछ सवाल पूछे, और मुझे नौकरी दे दी। मैं बहुत खुश था, और दीदी भी। फिर 2 महीने ऐसे ही बीत गए, और मेरी तनख्वाह से घर अच्छा चलने लगा। मेरे कहने पर दीदी ने कुछ घरों से काम छोड़ दिया, लेकिन कुछ खास घरों में जारी रखा।

फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे हमारे बुरे दिन वापस आ गए। मेरी कंपनी में एक बहुत बड़ा नुकसान हो गया। ये नुकसान मैनेजर की वजह से हुआ था, लेकिन उन्होंने सारा इल्ज़ाम मेरे पे डाल दिया। मैंने सब को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरी बात कोई नहीं सुना, और मुझे नौकरी से निकाल दिया गया।

फिर जब मैं घर आया, तो पुलिस मुझे गिरफ्तार करने आ गई। उनसे पूछा तो पता चला मेरे खिलाफ गबन की शिकायत करी गई थी, जो दीदी के साहब ने ही करी थी। दीदी ने हाथ पैर जोड़ कर पुलिस से कुछ वक्त मांगा, ताकि साहब से बात कर सके। पुलिस वालों ने हमें 2 दिन का वक्त दिया।

फिर हम दोनों दीदी के साहब से मिलने गए। दीदी का साहब एक 50 साल का आदमी था। उसने अपने आप को काफी अच्छा रखा हुआ था, और वो 40 का लगता था। हम अंदर गए, और साहब से बात की। मैंने उनको सब कुछ बताया।

तो साहब बोले: लड़के, अगर तू निर्दोष है, तो बच ही जाएगा। अभी तो मैं कुछ नहीं कर सकता। तेरी बहन इतने सालों से हमारे यहां काम करती है, उसी की वजह से तुझसे अभी सख्ती नहीं कर रहे।

दीदी ये सुन कर बोली: मालिक प्लीज़ ऐसा मत कहिए। मैं बहुत उम्मीद लेके आपके पास आई हूं।

ये बोल कर दीदी अपने घुटनों पर बैठ गई। उन्होंने लेगिंग्स-कुर्ती पहनी थी, और उनकी क्लीवेज दिखने लगी, जिसको साहब घूर कर देखने लगे।

फिर वो मुझसे बोले: तुम ज़रा बाहर जाओ।

मैं बाहर आ गया, लेकिन दरवाज़े से कान लगा कर उनकी बातें सुनने लगा।

साहब दीदी से बोले: देखो रजनी, तुम इतने सालों से यहां काम कर रही हो। मैंने तुम्हें कभी कामवाली नहीं समझा। मुझे तुम हमेशा एक समझदार लड़की लगी हो। मैं हमेशा सोचता हूं कि तुमने अपने भाई के लिए शादी भी नहीं की, और इतना बड़ा बलिदान दे दिया। देखो अगर शादी नहीं करनी, तो इतना खूबसूरत जिस्म किस काम का रह जाएगा? मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं, लेकिन कुछ वक्त के लिए तुम्हें अपना ये जिस्म मुझे देना होगा। तुम मुझे खुश कर दो, और मैं तुम्हारे भाई को जेल नहीं जाने दूंगा।

दीदी बोली: साहब आप ये क्या बोल रहे है? मैं ऐसी लड़की नहीं हूं। मैंने आज तक किसी मर्द को खुद को छूने भी नहीं दिया।

साहब: तभी तो मैं ये ऑफर तुम्हें दे रहा हूं, क्योंकि तुम ऐसी लड़की नहीं हो। तुम्हारी चूत अभी कुंवारी है। और आजकल कुंवारी चूत तो कॉलेज की लड़कियों की भी नहीं मिलती। मैं चाहूं तो एक से एक लड़की पैसे फेंक के मंगवा सकता हूं। लेकिन जो मजा कुंवारी चूत भोगने में है, वो चुदी हुई चूत भोगने में नहीं है। इसलिए तुम खास हो। नहीं तो जितनी बड़ी गलती तुम्हारे भाई ने की है, उसको जेल जाने से कोई नहीं रोक सकता। बाकी कोई जबरदस्ती नहीं है। तुम ना भी कह सकती हो। लेकिन फिर मुझसे किसी तरह की मदद की उम्मीद मत रखना।

साहब की बात सुन कर दीदी सोच में पड़ गई। उसकी आंखों में आंसू थे। वो समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे। एक तरफ भाई था, जिससे वो बहुत प्यार करती थी, और उसको जेल जाने देना नहीं चाहती थी। और दूसरी तरफ उसकी अपनी इज्जत थी, जो एक बार साहब के बिस्तर पर जाने से तार-तार होने वाली थी। फिर आखिरकार उसने फैसला लिया, और साहब से कहा-

दीदी: साहब मैं तैयार हूं। आप बताइए कब करना है?

साहब बोले: मैं तो अभी भी तैयार हूं, तुम देख लो तुम कब तैयार हो सकती हो।

दीदी: चलिए ठीक है, अभी करते है। मैं बस अपने भाई को घर जाने को बोल कर आती हूं।

ये बोल कर दीदी कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ी, जिसके दूसरी तरफ मैं खड़ा था। मैंने सब सुन लिया था, लेकिन अनजान बन कर खड़ा रहा। फिर दीदी मेरे पास आई और बोली-।

दीदी: विशाल साहब ने हमारी बात मान ली है, और वो तुझे जेल नहीं जाने देंगे।

मैं: लेकिन दीदी वो कैसे मान गए?

दीदी: मैंने उन्हें तेरी ईमानदारी के बारे में बताया, और उनको मना लिया, और वो मान गए। चल अब तू घर चला जा।

मैं: दीदी आप नहीं चलेंगी घर?

दीदी: मेरा काम पड़ा है यहां, तो मैं रोज वाले वक्त पर घर आ जाऊंगी। तू जा।

फिर मैं वहां से बाहर आ गया। इसके आगे क्या हुआ वो आपको इस कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा। यहां तक की कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।

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