पिछला भाग पढ़े:- एग्जाम देने गई, और अंकल से चुद गई-2
नमस्कार दोस्तों, मैं प्रितंका गुप्ता अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आ गई हूं। उम्मीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। अगर किसी ने अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ ले।
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरे पहले एग्जाम के बाद मैं अंकल के साथ फिल्म देखने गई। फिर उसी रात अंकल ने मेरी चुदाई की। चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही लेट गए, और वहीं सो गए। अब आगे की कहानी की तरफ बढ़ते है-
चुदाई की थकान के बाद मैं गहरी नींद सोई हुई थी। रात में अचानक से मेरी नींद खुल गई। मैं सीधी लेटी हुई थी, और मुझे अपनी चूत पर गुदगुदी सी हो रही थी। मैंने नीचे देखा, तो अंकल मेरी चूत पर मुंह लगा कर उसको चाट रहे थे। फिर मैंने घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के 3 बज रहे थे।
अंकल के चूत चाटने से मैं गरम हो रही थी, और मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मेरे मुंह से आहें निकलनी शुरू हो गई थी। लेकिन तभी मेरे दिमाग में आया कि मुझे तो एग्जाम देने जाना था, और अगर अंकल ने मुझे सोने नहीं दिया, तो मुझे एग्जाम के वक्त नींद आएगी। ये सोच कर मैं बोली-
मैं: अंकल अभी रहने दीजिए, मुझे सो लेने दीजिए। नहीं तो मेरा एग्जाम अच्छा नहीं जाएगा।
अंकल: बेटा ये एग्जाम भी जरूरी है। आज तुझे मर्द को खुश करना आयेगा, तभी तो तू अपने मर्द को खुश कर पाएगी। और वैसे भी औरतें नौकरी करती अच्छी नहीं लगती, वो तो घर संभालती, और मर्द के लंड पर सुबह-शाम उछलती अच्छी लगती है। इसलिए तू इस चीज के अभ्यास अच्छे से कर ले।
ये बोल कर अंकल मेरे ऊपर 69 पोजीशन में आ गए। उनका लंड मेरे मुंह के सामने था। उसने से बदबू आ रही थी, क्योंकि पिछली चुदाई के बाद उन्होंने उसको धोया नहीं था। उस पर मेरी चूत का पानी सूखा हुआ नज़र आ रहा था। फिर अंकल ने लंड हाथ में लेके मेरे होंठों पर रखा। मैं जानती थी कि वो नहीं मानेंगे, तो मैंने लंड मुंह में डाल के चूसना शुरू कर दिया। मैं जोर-जोर से लंड चूसने लगी, ताकि वो जल्दी से झड़ जाएं, और मैं सो सकूं।
अंकल नीचे मेरी चूत चाट रहे थे, और मेरे मुंह को अपने लंड से चोद रहे थे। वो पूरे जोर से मेरे मुंह में धक्के लगा रहे थे, जिससे मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। नीचे वो मेरी चूत का मुंह खोल कर चूत के दाने को मसल रहे थे। इससे मुझे बहुत उत्तेजना चढ़ रही थी।
कुछ देर ऐसे ही करने के बाद वो सीधे होके मेरे ऊपर आ गए। उन्होंने मेरी टांगें पूरी खोल दी, और अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया। फिर उन्होंने जोर का धक्का मार कर पूरा लंड मेरे अंदर घुसा दिया। मेरी तो जैसे दर्द से जान ही निकल गई, और मैं आह आह धीरे-धीरे कहते हुए चिल्लाने लगी।
उन्होंने मेरा मुंह बंद नहीं किया, और ना ही जोर के धक्के मारने से रुके। मैं चिल्लाती रही, और वो मुझे चोदने की अपनी स्पीड बढ़ाते रहे। फिर जब मुझे मजा आने लगा, तब वो मेरे होंठ चूसने लगे। हम दोनों ने ब्रश नहीं किया था, तो दोनों के मुंह से बदबू आ रही थी। इस तरह किस्स करने का बहुत गंदा सा एहसास होता है, लेकिन अलग ही मजा भी होता है।
अगले कुछ सेकंड्स में वो मेरे होंठ छोड़ कर मेरे चूचे चूसने लगे। वो मेरे निपल्स पर अपने दांतों से काट रहे थे। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी ब्रेस्ट पर रख कर मुझे चोदना शुरू किया। उनके शरीर का वजन मेरी ब्रेस्ट पर पड़ रहा था।ऐसा लग रहा था कहीं थोड़ा और भार पड़ा तो मेरी छाती की हड्डी ना टूट जाए।
फिर उन्होंने मेरी टांगें ऊपर की तरफ मोदी, और जोर के धक्के मारने लगे। जब उनकी जांघें मेरे चूतड़ों से टकराती, तो थप थप की आवाज आने लगती। ऐसा लग रहा था जैसे कोई गांड पर थप्पड़ मार रहा हो, इतनी तेज आवाज थी। वो लगातार मुझे चोद रहे थे, और इसी बीच मैं झड़ गई। लेकिन अंकल अभी झड़े नहीं थे।
उन्होंने मेरी चूत से लंड निकाला, और मुझे उलटा लिटा लिया। फिर वो मेरी गांड पर बैठ गए, और मेरे चूतड़ों को खोला। तभी मुझे अपनी गांड के छेद पर कुछ तरल पदार्थ महसूस हुआ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा, तो अंकल मेरी गांड के छेद पर थूके थे। मैं समझ गई कि अब वो मेरी गांड मारना चाहते थे। मैं उन्हें मना करने लगी ही थी, की तभी उन्होंने मेरी गांड में जोर का धक्का मार दिया।
आह आह आह आह, ऐसी ही सिसकियां मेरे मुंह से निकलने लगी। मुझे ऐसा लगा कैसे कोई लोहे की रोड में गांड में घुस गई हो। मैंने पीछे देखा, तो उनका आधा लंड मेरी गांड में था। मैं नहीं-नहीं करने लगी, तो अंकल ने मेरे सर पर हाथ रख कर मेरा मुंह तकिए में दबा दिया। इससे मेरी आवाज बंद हो गई। फिर वो जोर लगाते गए, और पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया। दर्द से मेरी हालत पतली हो रही थी। पूरा लंड अंदर घुसा कर वो रुक गए, और मेरी पीठ चूमने लगे, और साइड से में चूचे पर हाथ डाल कर उसको दबाने लगे। कुछ देर लगी मुझे नॉर्मल होने में। फिर अंकल ने धीरे-धीरे लंड अंदर बाहर करना शुरू किया।
अब मुझे मजा आने लगा, और मैं आहें भरने लगी। ये देख कर अंकल ने मेरे सर से हाथ हटा लिया। फिर वो अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगे। अब में उनका पूरा लंड जा रहा था। मैंने पीछे देखा, तो उनका लंड खून से सना हुआ था। मैं समझ गई कि मेरी गांड पूरी फट चुकी थी। तकरीबन 15 मिनट अंकल मेरी गांड मारते रहे। फिर उन्होंने अपना माल मेरी गांड में ही निकाल दिया।
उसके बाद वो मेरे ऊपर से हट गए। मैं इतना थक चुकी थी कि मेरी सीधे होने की हिम्मत भी नहीं थी। फिर मैं वैसे ही सो गई। अगले दो एग्जाम्स तो मैंने दे दिए, लेकिन इस दौरान अंकल ने मुझे रात-रात भर चोदा। जब तक मेरे पापा मुझे लेने आए, तब तक उन्होंने मेरी चूत और गांड का भोंसड़ा बना दिया था। लेकिन मज़ा बहुत आया मुझे।
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