पिछला भाग पढ़े:- मां के लिए ढूंढा नया पति और मेरे लिए नया बाप-4
हिंदी सेक्स कहानी अब आगे से-
रमेश ने सुनीता को पिछली रात चोद दिया था। अगले दिन मैं जब सुबह उठा और नीचे आया तो मैंने देखा सुनीता कड़क माल लग रही थी। क्योंकि उसने अपना बिल्कुल ट्रांसपेरेंट पायजामा डाला हुआ था, जिसमें से उसकी गांड साफ नज़र आ रही थी। और यही नहीं, उसकी ब्रा भी साफ नज़र आ रही थी। मैंने भी जाकर सीधा सुनीता को पीछे से कस कर पकड़ लिया, और मेरा लंड खड़ा हुआ था। उसको महसूस हुआ और वो कहती है कि बेटा क्या हुआ?
मैं कहता हूं: मम्मी बुरा मत मानना, लेकिन बहुत कड़क लग रही हो सुबह-सुबह।
सुनीता: ये क्या बोल रहा है तू? तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया?
मैं: मम्मी गुस्सा मत करो, बहुत सुंदर लग रही हो तुम। बस मन किया तो झप्पी दे दी।
सुनीता: अच्छा चल फ्रेश होजा। अब जाकर मैं चाय वगैरह बना देती हूं।
मैं: ठीक है मम्मी।
तभी रूम से बाहर रमेश पापा निकलते है, वो भी पूरी तरह से नंगे। उनका बिल्कुल कड़क लंड और उनको बिल्कुल भी अहसास नहीं होता कि मैं वहीं पर था। लेकिन रमेश की नजर सिर्फ सुनीता पर होती है। मैं कुछ नहीं बोलता और सुनीता का ध्यान भी दूसरी तरफ था। फिर रमेश मुझे देख कर थोड़ा मुस्कुराता है, और बोलता है, “सुनीता मेरी जान कहां चली गई?”
सुनीता: रमेश ये क्या है? कपड़े कहां है तुम्हारे?
रमेश: अरे मेरी जान, कपड़े का क्या करना अब?
सुनीता: दिवाकर यही है, तुमने देखा नहीं?
रमेश: दिवाकर मेरा ही बेटा है, उससे क्या शर्म?
सुनीता: रमेश बकवास बंद करो।
मैं: मम्मी ये सब क्या है?
सुनीता: कुछ नहीं बेटा।
मैं: मम्मी क्यों झूठ बोल रही हो तुम? मैंने कल रात सब देख लिया। कैसे तुम बिल्कुल मिया खलीफा की तरह चुद रही थी।
सुनीता: दिवाकर ढंग से बात करो। कैसी बकवास कर रहे हो?
रमेश: सुनीता, दिवाकर से क्या छुपाना? बता दो इसे सब।
सुनीता: रमेश जी आपको क्या हो गया है? पहले कपड़े डाल कर आओ।
मैं: रमेश अंकल, कहीं मत जाओ।
मैं सुनीता को कहता हूं: क्यों नाटक कर रही हो सुनीता? देखो उसका लंड कितना कड़क है। और अपने आप को देखो, तुम्हारी गांड साफ दिख रही है। जैसे रात को इस लंड को चूस रही थी, अब भी चूसो।
रमेश अपना लंड सहलाता हुआ सुनीता के पास आता है।
सुनीता: दिवाकर बड़े बेशर्म हो तुम। अपनी मम्मी से भी बात नहीं करनी आती तुम्हें?
मैं: अरे मजे करो सुनीता डार्लिंग। क्या नाटक कर रही हो? जरा इसको देखो।
रमेश: सुनीता मेरी जान, सुबह-सुबह मेरा लंड तुम्हारे होठों को चखना चाहता है। वरना ये ऐसे ही रहेगा।
सुनीता: ठीक है, अब सब पता ही है तो शर्म कैसी?
रमेश: सुनीता मेरी रांड, दिवाकर का लंड पहले चूसो आज।
सुनीता: ये मैं कैसे कर सकती हूं? बेटा है वो मेरा।
मैं: मम्मी क्या हुआ? औरत और मर्द का सबसे खूबसूरत रिश्ता लंड और चूत का ही है।
मैं अपने कपड़े निकाल देता हूं, और सुनीता के कपड़े रमेश निकलता है, और सुनीता को बहुत जोरों से किस्स करता है।
रमेश: बेटा तैयार हो ना तुम?
सुनीता: चल दिवाकर आज तुझे अपनी इस रांड मां का जलवा दिखाती हूं।
सुनीता मेरा लंड जैसे ही मुंह में लेती है, एक करंट दौड़ता है, और सुनीता कहती है: बेटा ऐसा मजा आया है कभी?
मैं: मेरी जान क्या चूसती है तू लंड को, जैसे लंड चूसना ही तेरी जिंदगी हो।
रमेश: सुनीता बहुत कमाल की चुदक्कड़ है, और क्या इसने मेरे लंड को खाया है रात!
मैं: सुनीता चल तू मेरी नहीं रमेश पापा की रंडी है। उनके लंड चूस।
मैं सुनीता को मुंह से पकड़ कर और एक हाथ से रमेश का लंड पकड़ कर सुनीता के होठों पर रगड़ता हूं, और रमेश कहता है: वाह बेटा, तुम्हें सब पता है।
मैं: रमेश कल रात से ज्यादा मजा आएगा अब।
सुनीता के होठों पर मैं फिर किस्स करता हूं, और फिर रमेश का लंड उन होठों पर रगड़ता हूं। फिर से सुनीता को किस्स करके रमेश का लंड उसके मुंह में डालता हूं। एक बार रमेश का लंड सुनीता के मुंह में होता है। दूसरी बार मैं रमेश के उस लंड ने सुनीता के मुंह में जो छाप छोड़ी होती है उसे चखता हूं, और बहुत स्वादिष्ट लगता है। रमेश मुझसे कहता है, “तू भी चूसना चाहेगा?”
सुनीता कहती है: आजा बेटा अपने इस नए बाप का लंड तो चख कर देख।
सुनीता रमेश का लंड सहलाती हुई मेरे मुंह में डालती है, और खुद रमेश के होठों से अपने होठ मिला कर आनंद लेती है।
सुनीता: अच्छे से चूस, फिर मेरी चूत भी चटनी है तुझे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, क्योंकि यही मेरा सपना था कि किसी मस्त नाजायज बाप का लंड अपने मुंह से चूस कर अपनी सुनीता मां की चूत में डालूं।
फिर मैं सुनीता से कहता हूं: सुनीता चल घोड़ी बन अब।
सुनीता घोड़ी बन जाती है। फिर मैं उसकी गांड को, सुनीता की चूत को, सुनीता के बदन का एक-एक अंग चाट कर उसे पूरा गीला कर देता हूं। फिर फ्रिज से सॉस निकाल कर सुनीता की गांड पर डालता हूं, और रमेश को भी घोड़ा बना कर उसको उसे चाटने के लिए कहता हूं।
रमेश जब तक उसकी गांड और चूत पर लगी सॉस चाटता है, मैं तब तक उसका लंड अपने हाथों से पूरा सहला कर उसे पूरा कामुक अवस्था में ले आता हूं। फिर वो कहता है, “चढ़ जाऊ अब दुनिया पर?”
सुनीता: दिवाकर रमेश को अब मेरे ऊपर चढ़ा दे।
मैं फिर सुनीता की गांड को पकड़ कर रमेश को कूदने के लिए कहता हूं। रमेश कूद कर सुनीता की कमर को चाटता है, और सुनीता बिल्कुल एक घोड़ी की तरह आगे पीछे होती है। मैं उसे पकड़ कर रमेश का लंड उसकी चूत में डाल देता हूं। रमेश जोर-जोर से सुनीता को चोदता है।
सुनीता: आह रमेश, आह आह उफ्फ चोदो मुझे।
रमेश: मेरी जान तुझे तो मैं पूरी ज़िंदगी भर चोदता रहूं।
मैं: सुनीता चुदने में मजा आ रहा है ना?
सुनीता: हां मादरचोद, रमेश से चुद कर ही मैं जीने लगी हूं। तेरे बाप से कुछ नहीं हुआ।
मैं: मैंने तभी तो रमेश को तेरे लिए बुलाया है मेरी रंडी मां।
सुनीता: उफ्फ आह आह आह रमेश बहुत मजा आ रहा है।
रमेश: मेरी जान मेरा दूध निकलने वाला है।
सुनीता: बेटा अपने बाप का दूध निकाल और उसे हम पीएंगे।
मैं रमेश को उतारता हूं और सुनीता को कहता हूं कि घोड़ी बन कर ही अपने घोड़े का लंड चूसे।
सुनीता उसका थन चूसती है और बिल्कुल एक बछड़े की तरह उसका थन चूसती है। मैं सुनीता का मुंह हटा कर रमेश का लंड सहलाता हूं और फिर से रमेश के लंड को सुनीता के मुंह की तरफ करके सुनीता के मुंह में सारा दूध निकल देता हूं। फिर सुनीता के साथ होंठों पर किस्स करता हूं, जिससे मुझे मेरे नए बाप के कड़क लंड की मलाई को चखने का मौका मिलता है, और उसके बाद रमेश सुनीता को किस्स करता है।
वो दोनों फिर से एक-दूसरे में खो जाते है, और सुनीता इसी हालत में चाय बनाती है। फिर हम सब चाय पीते है और उसके बाद फिर से सुनीता की गांड चूस कर मैं रमेश पापा के लंड पर सुनीता को बिठा देता हूं, और हम बातें करते है।
रमेश: कहा था ना बेटा, सुनीता से तेरा लंड भी चुसवाऊंगा।
सुनीता: क्या ये सब तुम लोगों की प्लानिंग थी?
रमेश: हां मेरी रांड, तुझे रांड बनाना ही दिवाकर की इच्छा थी
सुनीता: चलो इसी बहाने मेरी जी जिंदगी में सुख तो आया चुदाई का।
मैं: सुनीता मेरी रंडी मां, अब तुझे बहुत चोदेंगे हम दोनों मिल कर।
सुनीता: अब तो मैं तुम्हारी रंडी हूं, जो मर्जी करो।
रमेश: मेरी जान एक मेरा दोस्त आयेगा कल। उसके साथ मैं, तुम, और वो थ्रीसम करेंगे, और दिवाकर भी हमारे साथ होगा।
सुनीता: अच्छा चलो आने दो उसे भी। सुनीता के जिस्म के जलवे उसे भी दिखाऊंगी।
दोस्तों आगे क्या हुआ बने रहिए मेरे साथ। आपको मेरी कहानी कैसी लगी मेल कीजिए
[email protected]