सरिता टीचर की चुदाई-2 (Sarita Teacher Ki Chudai-2)

पिछला भाग पढ़े:- सरिता टीचर की चुदाई-1

मैं सरिता अपनी टीचर चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेके आई हूं। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था कि घर पर बोर होने की वजह से मैंने छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ानी शुरू की, और मेरे पास काफी स्टूडेंट आने लगे। फिर एक कॉलेज का स्टूडेंट मेरे पास ट्यूशन के लिए आया। मैंने उसको मना किया, लेकिन मेरे पति के कहने पर उसको पढ़ाने लगी।

वीरेन मुझे बहुत घूरता था जो धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगने लगा। फिर एक दिन ऐसे ही हमारी किसिंग शुरू हो गई। पति से प्यार का मजा ना मिलने के कारण मैं वीरेन के प्यार के तूफान में बहती चली गई, और उसका किसिंग में साथ देने लगी। फिर वो मुझे बिस्तर पर ले गया, जहां उसने मुझे नीचे से नंगा कर दिया। अब मेरी चूत उसके सामने थी। अब आगे बढ़ते है-

मेरी चूत बिल्कुल चिकनी थी, जिसको मैं चुदाई के लिए हमेशा तैयार रखती थी, वो अलग बात थी कि मेरी और मेरे पति की चुदाई बहुत कम होने लगी थी। मेरी चिकनी चूत को देख कर वीरेन ने उस पर अपना मुंह लगा लिया। उसका मुंह लगते ही मेरे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा, और मेरे मुंह से आह की सिसकारी निकल गई।

आज तक मेरे पति ने मेरी चूत की मुंह नहीं लगाया था। ये पहली बार था जब किसी मर्द का मुंह मेरी चूत पर लगा था। वीरेन अपनी जीभ ऊपर-नीचे रगड़ कर मेरी चूत चाटने लगा। इससे मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। कुछ देर चाटने के बाद उसने अपने एक हाथ से मेरी चूत के मुंह को खोला, और चूत के दाने को अपनी जीभ से छेड़ने लगा। इससे तो मानो मैं उत्तेजना से उछल पड़ी।

मेरा हाथ अपने आप ही उसके सर पर चला गया, जिसको मैं अपनी चूत की तरफ धकेलने लगी। वो प्यासे की तरह मेरी चूत चूस रहा था, और मैं चाहती थी कि आज वो मेरी चूत का सारा पानी चूस कर चूत को सुखा दे। कुछ देर चूत चूसने के बाद वो पीछे हटने लगा। लेकिन मुझे इतना मजा आ रहा था, कि मैं उसको हटने देना नहीं चाहती था।

मैंने ऐसा ही किया। जब वो हटने लगा, तो मैंने उसके सर को पकड़ कर दबाए रखा, और पीछे हटने नहीं दिया। वो समझ गया कि मैं और चूत चुसवाना चाहती थी, इसलिए वो भी पीछे नहीं हटा, और ज्यादा जोश से चूत चूसने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था, और मैं झड़ने वाली थी।

जैसे ही मैं झड़ने वाली हुई, तो मैं उसके सर को पीछे धक्का देने लगी, ताकि पानी उसके मुंह में ना चला जाए। लेकिन वो पीछे नहीं हटा, आए मेरी चूत से अपना मुंह चिपकाए रखा। मैं बेबस हो गई, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरे मुंह से आह आह की आवाजें निकलने लगी, और मेरी सांस बहुत तेज हो गई। मुझे इतनी गर्मी चढ़ गई थी, कि मुझे पसीना भी आ गया था। ये मेरी जिंदगी का अब तक का सबसे बेहतरीन ऑर्गेज्म था।

मेरी चूत से बहुत सारा पानी निकला, जिसको वीरेन पूरा पी गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो चूत से निकले पानी को कैसे पी सकता था। मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि उसको ये करना पड़ रहा था। फिर जब मैं झड़ कर शांत हो गई, तो मैंने उसको बोला-

मैं: मुझे माफ करना वीरेन, तुम्हें मेरा पानी पीना पड़ा। पर मैं तुम्हें पीछे करने की कोशिश कर रही थी।

वीरेन: मैं चाहता था आपका पानी पीना। ये मेरे लिए अमृत है।

उसकी इस बात ने मुझे मोह लिया। फिर मैंने उसको अपने ऊपर खींचा, और उसके होंठ चूसने लगी। उसके बाद मैंने उसको साइड में लिटाया, और उसके ऊपर आ गई। मैंने अपनी टीशर्ट उतार दी, और पूरी नंगी हो गई। फिर मैं उसकी गर्दन पर किस्स करते हुए उसके कपड़े उतारने लगी।

ऊपर से नंगा करने के बाद मैंने उसकी पेंट नीचे की। उसका लंड उसके अंडरवियर में खड़ा था, और बहुत बड़ा लग रहा था। मैं मन ही मन उसके लंड को देख कर खुश हो गई। फिर मैंने अंडरवियर नीचे किया, तो नीचे से ब्राऊन रंग का लंबा और मोटा सांप निकला। उसके लंड को देख कर मेरी आँखें चमक उठी। मैंने देखते ही उसके लंड को अपने मुंह में डाल लिया, और चूसने लगी।

मैं इतनी बेसब्री से चूस रही थी, जैसे किसी भूखे को बहुत वक्त बाद खाना मिला हो। वो भी आह आह कर रहा था, और कमर ऊपर-नीचे कर रहा था। बहुत मजा और स्वाद आ रहा था। मैंने उसके लंड को अपनी थूक से पूरी तरह चिकना कर दिया था।

फिर मैं उठी, और उसके लंड पर चूत रख कर बैठ गई। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने चूचों पर रख लिए, और गांड आगे-पीछे करके अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी। वो आह आह करते हुए बोला-

वीरेन: अब अंदर का स्वाद भी चखा दो।

उसके ऐसा कहते ही मैंने लंड को चूत के मुंह पर रखा, और आह आह करती हुई उसके ऊपर बैठ गई। मुझे दर्द हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे पहली बार लंड अंदर गया हो। वीरेन भी ओह ओह कर रहा था। शायद मेरी टाइट चूत की वजह से कर रहा होगा।

फिर मैंने उसकी छाती पर अपने हाथ रखे, और गांड ऊपर-नीचे करके उसको चूत का मजा देने लगी। हम दोनों हुह हुह हुह कर रहे थे। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद वीरेन ने मुझे गर्दन से पकड़ा, मुझे अपने पास खींचा, और होंठों से होंठ मिला दिए। मेरे होंठों को चूसते हुए उसने एक हाथ से मेरे चूतड़ को पकड़ा, और नीचे से धक्के देने लगा।

फिर दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ों को उसने पकड़ा, और नीचे से जोर जोर से धक्के देने लगा। इससे उसका लंड पूरा मेरी चूत में जा रहा था, और मुझे जन्नत का मजा आ रहा था। पूरे कमरे में थप थप थप की आवाजें आ रही थी।

कुछ देर ऐसे ही चुदाई चलती रही। मैं एक और बार झड़ चुकी थी। फिर उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं जल्दी से घोड़ी बन गई। ये पहली बार था जब मैं घोड़ी बन कर चुदवाने वाली थी। उसने पहले मेरे चूतड़ों को थोड़ा प्यार किया, और फिर लंड पेल कर मेरी चुदाई करने लगा। अदभुत एहसास था घोड़ी बन कर चुदाई करवाने का। कुछ देर ऐसे ही चोदते हुए वो मेरे अंदर ही झड़ गया। फिर हम दोनों नंगे ही लेट गए।

दोस्तों हम दोनों का नाजायज रिश्ता आज भी चल रहा है, और इसमें बहुत मजा आता है। मेरी चुदाई कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।