हैलो दोस्तों, मैं प्रितंका अपनी एक और हिंदी सेक्स स्टोरी लेके आपके सामने हाजिर हूं। उम्मीद है मेरी पहले वाली सारी कहानियां आप लोगों ने पढ़ी होंगी। किसी भी कहानी को मिस का करे, क्योंकि मैंने बड़े दिल से सारी कहानियां लिखी है। चलिए अब अपनी आज की कहानी शुरू करती हूं।
बात तब की है जब मैं कॉलेज के आखिरी वर्ष में पढ़ती थी। हमारे एक इंग्लिश के प्रोफेसर थे, जिनको मैं पहले साल से ही बहुत पसंद करती थी। उनका नाम गगन था। वो पसंद कब प्यार में बदली, मुझे पता ही नहीं चला। मैंने तो सोच रखा था कि आखिरी साल पूरा होते ही घर पे उनके बारे में बताऊंगी, ताकि घर वाले शादी का प्रस्ताव ले कर उनके पास जा सके।
लेकिन मुझे अपने सपने टूटते तब नज़र आए, जब मुझे पता चला कि उनकी शादी तय हो गई थी। ये मुझे उनके पास ट्यूशन पढ़ने वाली अपनी सहेलियों से पता चला। ये जान कर मुझे बहुत टेंशन हो गई। मुझे लगा कि क्या पता उनको गलतफहमी हो गई हो, तो मैंने खुद बहाने से सर को कॉल करके पता किया। उन्होंने मुझे बताया कि सच में उनकी शादी तय हो चुकी थी।
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करती? मुझे अपने हाथ से सब कुछ निकलता हुआ नज़र आ रहा था। काफी देर सोचने के बाद मैंने डिसाइड किया कि अपने प्यार का इजहार तो मैं उनको जरूर करूंगी, ताकि उनको भी पता रहे कि कोई इस हद्द तक उनकी दीवानी भी थी।
फिर मैंने अगले दिन अपनी सहेलियों से गगन सर की शादी की तारीख पता की। मुझे पता चला कि उनकी शादी 3 दिन बाद ही थी। अब मैंने सोच लिया था कि मैं उनकी शादी पर जाऊंगी, और वहीं मौका देख कर उनको बताऊंगी।
फिर शादी का दिन आ गया, और मैं वहां जाने के लिए निकल पड़ी। मैंने नीले रंग का लहंगा पहना हुआ था, और मैं कैब से वहां पर गई। मैं काफी जल्दी वहां पहुंच गई थी, और अभी मेहमानों के आने में काफी टाइम था। वहां अभी तैयारियां चल रही था।
मैंने जैसे-तैसे पता किया कि दूल्हे का कमरा कौन सा था, और वहां पर चल पड़ी। कमरे के बाहर पहुंच कर मैंने दरवाजा खटखटाया। कुछ सेकंड्स में दरवाजा खुला। सामने सर खड़े थे। उन्होंने कुर्ता पजामा पहना हुआ था। मैंने बाहर से ही कमरे में नज़र फिराई तो अंदर कोई नहीं था। सर की शेरवानी बिस्तर पर पड़ी हुई थी। सर मुझे देख कर थोड़े हैरान थे, और पूछने लगे कि मैं वहां क्या कर रही थी। मैंने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, और सीधे अंदर चली गई।
अंदर जा कर मैं उनको बोली: सर मुझे आपसे कुछ बात करनी है अकेले में।
सर के चेहरे पर कन्फ्यूजन वाले भाव थे, और उन्होंने दरवाजा बंद करके कहा-
सर: हां बोलो प्रितंका, क्या बात है?
मैं: सर मैं आपसे कहना चाहती हूं, कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं। आप ये शादी मत करिए।
मेरी बात सुन कर सर हैरान हो गए और बोले-
सर: क्या! ये तुम क्या बोल रही हो? और तुम्हें आज ही का दिन मिला था अपने प्यार का इजहार करने का? अभी-अभी प्यार हुआ है क्या? (और वो हंसने लगे)
मुझे ये देख कर बहुत गुस्सा आया। मैं गुस्से से उनकी तरफ बढ़ी, और अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए। कुछ सेकंड्स तक हम दोनों के होंठ चिपके रहे, फिर मैं उनसे अलग हुई और बोली-
मैं: अभी-अभी नहीं हुआ है। जब से कॉलेज ज्वाइन किया है तब से हुआ है। अभी तक बताया इसलिए नहीं क्योंकि आखिरी साल के पूरे होने का इंतजार कर रही थी। उसके बाद शादी का प्रस्ताव भेजने वाली थी आपके घर। लेकिन आपको तो बड़ी जल्दी है शादी की।
ये कह कर मैं चुप हो गई। सर मेरी तरफ बड़े गौर से देख रहे थे। तभी उनको पता नहीं क्या हुआ। वो मेरी तरफ बढ़े और अपने होंठ मेरे होंठों पर चिपका दिए। उन्होंने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे होंठ चूसने लगे। मुझे लगा कि उन्होंने मेरे प्यार को कुबूल कर लिया, इसलिए मैं भी उनका साथ देने लगी।
किस्स करते हुए उन्होंने मेरे लहंगे में हाथ डाल लिया, और मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी गांड को दबाने लगे। इससे मुझे अजीब सा नशा चढ़ने लगा। अब मेरे होंठ छोड़ कर वो मेरी गर्दन और क्लीवेज को चूमने लगे। आपका प्यार जब आपको प्यार करता है, तो फिलिंग ही अलग होती है।
फिर उन्होंने लहंगे से हाथ निकाला, और मेरी चोली खोल दी। साथ ही उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी, और मेरे चूचों पर टूट पड़े। आह वो कितनी जोर से मेरे चूचे चूस रहे थे, कि मुझे दर्द हो रहा था। मेरे मुंह से आह आह की सिसकियां निकल रही थी। वो निप्पल मुंह में खींच कर चूस रहे थे।
फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया। मैं उनकी शेरवानी के ऊपर ही लेट गई। फिर उन्होंने अपने कपड़े उतारे, और नंगे हो गए। उनका मोटा बड़ा लंड मेरे सामने था। फिर वो मेरे ऊपर आए, और मेरे नाभि चूमते हुए मेरा लहंगा नीचे खींच कर उतार दिया। अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। पहले उन्होंने पैंटी के ऊपर से मेरी चूत पर चूमा, और फिर पैंटी भी उतार दी। मेरी चूत पर थोड़े बाल थे। अगर पता होता ये सब होने वाला था तो साफ करके जाती।
अब वो मेरी चूत चाटने लगे। मैं आह आह करके उनके सर को अपनी चूत में दबा रही थी। फिर वो मेरे ऊपर आए, और लंड मेरी चूत पर सेट किया। मेरी चूत कुंवारी थी, उनके लंड की रगड़ से मेरी सिसकियां तेज हो गई।
फिर उन्होंने मेरे होंठ चूसने शुरू किए, और नीचे से जोर का धक्का मारा। लंड आधा मेरी चूत फाड़ कर अंदर घुस गया, और मेरी चीख उनके मुंह ने रोक ली। वो धक्के पे धक्का पेलते गए, और लंड पूरा चूत में घुसा दिया। दर्द के मारे मेरी आंखों में आंसू आ गए, लेकिन वो नहीं रुके, और मेरी चुदाई शुरू कर दी।
कुछ देर में मुझे मजा आने लगा, और मैं आह आह करके उनके सर को अपने चूचों पर दबाने लगी। उन्होंने स्पीड तेज की, और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। तकरीबन आधा घंटा उन्होंने मुझे उसी पोजीशन में चोदा। उनके दांतों के निशान मेरी पूरी गर्दन और चूचों पर पड़ गए थे और मैं 2 बार झड़ चुकी थी।
फिर उन्होंने आह आह करते हुए अपना लंड चूत से निकाला, और माल की पिचकारी मेरे मुंह पर डाल दी। उसके बाद वो उठे, और लंड साफ करने शेरवानी पहनने लगे। तभी बाहर से किसी ने उनको कहा कि अगर तैयार हो गए हो तो नीचे आ जाओ।
सर बोले: हां बस आ रहा हूं।
फिर सर मुझे बोले: तुम्हें चोद कर बहुत मजा आया। ये कुछ पैसे लो, और खाना खा के जाना।
ये बोल कर उन्होंने 5000 रुपए मेरे ऊपर फेंके, और चले गए। मैं वहीं रंडी की तरह पड़ी रही। मैं समझ गई थी कि मेरे साथ क्या हुआ था।
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