सरिता टीचर की चुदाई-1 (Sarita Teacher Ki Chudai-1)

मैं सरिता, आपका टीचर चुदाई कहानी में स्वागत करती हूं। मेरी उमर 30 साल है, और मैं एक शादी-शुदा औरत हूं। मेरा एक बच्चा भी है। रंग मेरा गोरा है, और फिगर मेरा 36-34-38 है। मेरी शादी 3 साल पहले महेश से हुई थी। मेरी शादी तो हो गई, और बच्चा भी हो गया, लेकिन मुझे महेश के साथ सेक्स में कभी वो मजा नहीं आया जो मेरी सहेलियों बताती थी, कि सेक्स में आता है।

अब मैं कुछ गलत कर रही थी, या महेश कुछ ठीक नहीं कर रहा था, ये मैं कभी जान ही नहीं पाई। क्योंकि शादी-शुदा जिंदगी अगर सही से चलानी हो, तो बहुत से सवाल पूछने से परहेज करना चाहिए, और हर तरह के हालात में एडजस्ट करना चाहिए, ये मेरी मां ने मुझे सिखा कर भेजा था।

लेकिन फिर मेरी जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं हुई, जिससे मुझे सेक्स का असली मजा चखने का मौका मिला, और चरमसुख की प्राप्ति हुई। चलिए बताती हूं कि क्या हुआ और कैसे हुआ।

मेरा घर पर वक्त बीतता नहीं था, तो मैंने महेश के पूछ कर मोहल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। मेरी पोस्ट ग्रेजुएशन थी, इसलिए मैं काफी अच्छे से पढ़ा सकती थी। धीरे-धीरे मेरे पास काफी स्टूडेंट आने लगे, और कमाई भी अच्छी होने लगी।

फिर एक दिन एक लड़का मेरे पास आया। वो कॉलेज का छात्र था। उसका नाम वीरेन था। उसने मुझे ट्यूशन पढ़ाने को कहा, लेकिन मैंने उसको मना कर दिया, क्योंकि मैं सिर्फ स्कूल के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही थी। उस लड़के के पापा महेश को जानते थे, तो उन्होंने महेश को फोन करके उनको रिक्वेस्ट की कि मैं उनके बेटे को ट्यूशन पढ़ा दूं। महेश ने मुझसे कहा, तो मैंने उनकी बात मान ली। फिर वो लड़का अगले दिन से मेरे पास पढ़ने के लिए आने लगा।

वो लड़का दिखने में अच्छा खासा था, और तगड़ा भी था, लेकिन पढ़ाई में अच्छा नहीं था। उसको बातें करने का बड़ा शौंक था, और हर वक्त उसकी जुबान चलती रहती थी। जब भी मैं उसको चुप होने के लिए बोलती थी, तो वो कोई ना कोई बात करके मुझे हंसा देता था। शुरू-शुरू में वो मुझे सिर दर्द लगता था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे वो अच्छा लगने लगा।

मैं भी शायद उसको अच्छी लगती थी, इसलिए शायद वो टाइम से पहले ही आके बैठ जाता था, और मुझे घूरने लगता था। मैंने कई बार उसको मुझे घूरते हुए देखा था, लेकिन कभी कुछ कहा नहीं। कहीं ना कहीं मुझे उसका ऐसे मुझे देखना अच्छा लग रहा था। क्योंकि मेरे पति की तरफ से मुझे कोई खास अटेंशन नहीं मिल रही थी।

फिर एक दिन जब सिर्फ मैं और वो बैठे थे, और वो चोरी-छुपे मेरी जांघें देख रहा था। उस दिन मैंने लेगिंग्स के साथ टीशर्ट पहनी हुई थी। मुझसे रहा ना गया, और मैंने उसको कहा-

मैं: लड़कियों को ऐसे नहीं घूरते, उनको आपका गलत इरादा लग सकता है।

वीरेन: और अगर इरादा सच में गलत हो तो?

मैं: मतलब?

वीरेन: नहीं कुछ नहीं, मैं तो बस ये कह रहा था कि आप इतनी खूबसूरत हो, कि ना चाहते हुए भी आप पर नज़र चली जाती है।

मैं: अच्छा जी, क्यों इतनी बड़ी-बड़ी हांक रहे हो? इतनी तारीफ तो कभी मेरे पति ने भी मेरी नहीं की।

वीरेन: उनको अभी तक पता ही नहीं कि उनके पास क्या है।

मैं: अच्छा, क्या है उनके पास?

वीरेन: मुझसे पूछेंगी तो मैं कहूंगा कि उनके पास बीवी के रूप में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है। ऐसी औरत जिसको ऊपर से नीचे तक चूमने का दिल करता है। दिल करता है उसको इतना प्यार करो, कि वो भी थक जाए।

ये बोलते हुए वीरेन मेरे करीब आ गया। अब मेरा और उसका चेहरा बिल्कुल करीब थे। उसने देखा कि मैं पीछे नहीं हुई, तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर चिपका दिए। एक तो मैं शादी से लेके आज तक असली मजे से वंचित थी, और दूसरा उस लड़के की मन मोह लेने वाली बातें। दोनों ने मिल कर मुझे उसका साथ देने पर मजबूर कर दिया, और मैं भी उसके किस्स में उसका साथ देने लगी।

मेरा साथ पा कर उसने एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगा। मैं सोफे पर बैठी थी, और वो खड़ा हुआ था, और झुक कर मेरे होंठ चूस रहा था। उसकी किस्स में मुझे इतना मजा आ रहा था, जितना महेश के साथ कभी नहीं आया।

फिर किस्स करते हुए उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर रखे, और मुझे अपनी बाहों में उठा लिया। पहले तो मुझे लगा कि मैं गिर जाऊंगी, लेकिन फिर मुझे उसकी बाजुओं की ताकत पर यकीन हो गया। महेश ने मुझे आज तक अपनी बाहों में नहीं उठाया था, इसलिए मैं तो वीरेन के ऐसा करने पर उस पर मर ही गई।

हम दोनों की किस्स लगातार चल रही थी, और मैं पूरी तरह से गरम होके उसको सब कुछ देने को तैयार थी। मुझे वो बिस्तर पर ले गया, और खुद मेरे ऊपर आ गया। कुछ देर और किस्स करने के बाद वो नीचे गया, और मेरी टीशर्ट उठा कर मेरी कमर पर किस्स करने लगा। फिर उसने मेरी लेगिंग्स नीचे की, और पैंटी के ऊपर से मेरी चूत पर मुंह लगा दिया। उसके ऐसा करते ही मेरे मुंह से उफ्फ की सिसकारी निकल गई। इसके पहले मुझे लगता था कि ऐसा सिर्फ पोर्न वीडियोस में करते है।

वो पैंटी के ऊपर से मेरी चूत चाटता गया, और चूत से बह रहे पानी से, और उसकी थूक से मेरी पैंटी चूत वाली जगह से पूरी गीली हो गई। उसके इतना ही करने से मुझे इतना मजा आ रहा था, जितना कि कभी महेश के साथ चुदाई करने में नहीं आया।

फिर वो मेरी पैंटी नीचे खींचने लगा, जिसमें गांड उठा कर मैंने उसकी मदद की। अब मेरी पैंटी उतर चुकी थी, और मेरी नंगी चूत उसके सामने थी। मेरी चूत देखते ही उसकी आंखों में चमक आ गई, और उसने मेरी चूत पर तुरंत अपना मुंह लगा दिया।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको इस हिंदी सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। तो बने रहिए मेरे साथ, और इस कहानी की फीडबैक [email protected] पर दीजिए।