Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 74

क्या खूब सुहाना सफर रहा क्या सुबह हुई क्या शाम ढली। धीरे धीरे किसी की औरत मैंने कैसे अपनी करली। जो फिरती थी मानिनी बन कर उसको मैंने पकड़ा कैसे? जाँ का भी दाँव लगा कर के बाँहों में उसे जकड़ा कैसे?

Aakhiri Dagar, Purane Humsafar – Episode 8

रूबी के साथ मिलकर एक अनजाने मर्द को अपनी चूत का ताजा पानी पिलाने की शरारत को हमने अंजाम दिया। फिर मेरे पति अशोक की एक और नाजायज मांग मेरा इंतजार कर रही थी।