पड़ोसन बनी दुल्हन-60 (अंतिम भाग )
पढ़िए जेठी जी की बात सुनकर जब मेरी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी और हमे पता चला की शायद जेठ जी को सब पहले से पता था उसके बाद क्या हुआ।
पढ़िए जेठी जी की बात सुनकर जब मेरी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी और हमे पता चला की शायद जेठ जी को सब पहले से पता था उसके बाद क्या हुआ।
माया समझ गयी की वक्त आ गया था। माया ने मेरे जेठजी के करीब जा कर बोला, “जी सुनो, अब जाने दो अपना सारा माल मेरी चूत में।”
मैंने कुछ ना बोलते हुए, मेरे जेठजी के होँठों से फिर अपने होँठ सख्ती से कस कर मिलाये और उनके मुंह में अपनी जिह्वा डालकर उनके मुंह की लार मैं चूसने लगी।
रोमाँच के मारे मेरी चूत का बुरा हाल हो रहा था। मुझे लगा की मेरी चूत इतनी तेजी से पानी छोड़ रही थी की मुझे डर लग रहा था की कहीं मेरे कपडे ही गीले ना हो जाएँ।
जेठजी ने मेरी साड़ी निकाल कर एक तरफ कर दी। मैंने अपनी बाँहें जेठजी के गर्दन के इर्दगिर्द फैलायीं और उनके होंठों पर आने होँठ भींच कर मैं जेठजी के होँठ चूसने लगी।
जब चुदाई के लिए मन में तीव्रेच्छा होती है, जब हवस दिमाग पर हावी होता है तो सिर्फ एक औरत को चोद कर या एक ही मर्द से चुदवा कर मन नहीं भरता।
उस रात माया ने कहा, “आज की रात आप मेरे साथ नहीं किसी दूसरी नयी नवेली दुल्हन के साथ अपनी सुहाग रात मनाएंगे। आज रात मैं कुछ नहीं बोलूंगी।
एक लगभग नग्न लड़की तो जेठजी की गोद में ही बैठ कर कामुक अदाए कर जेठजी को उकसा रही थी। यह अनुभव माया और जेठजी दोनों के लिए अनूठा था।
मुझे अब जल्द से जल्द माँ बनना था। मैं कैसे बनती? मेरे पास तीन विकल्प थे। मैंने तीसरा विकल्प चुना। जानिए क्या था तीसरा विकल्प।
मैंने माया को यह भी कहा की मेरे पति तो पहले से ही जब यह बच्चे का चक्कर नहीं था तबसे ही मेरे पीछे पड़े थे की मैं मौज करने के लिए किसी गैर मर्द से चुदवाऊं।
संजयजी सेक्स के मामले में बड़े ही उदार दिल के हैं। वह मुझे कई बार उनके दोस्तों से जबरदस्ती मिलाते थे और उनके साथ मेलजोल बढ़ाने के लिए उकसाते रहते थे।
चुदवाते हुए माया हमेशा जेठजी के चेहरे को बार बार देखती रहती थी की उस चुदाई से जेठजी को सुख मिल रहा है की नहीं
जेठजी माया को अपनी दो टांगों के बिच रख कर माया के बदन पर उसे चोदने के लिए तैयार हो गए। जेठजी ने माया की चूत की पंखुड़ियों अपने लण्ड से रगड़ कर खोला।
माया ने जेठजी का सर अपने स्तनोँ पर टिकाया और बोली, ” जी, आप मेरे स्वामी हो और सदा रहोगे। आप की इच्छा मेरे लिए आज्ञा है।
जब माया कमरे में दाखिल हुई तो जेठजी बिकुल नंगे पलंग पर बैठे हुए थे। उनके पलंग पर उनके बाजू में एक किताब पड़ी थी। ऊपर पंखे के चलते हुए किताब के पन्ने फरफरा रहे थे।
अब आगे की कहानी अंजू की जुबानी, कैसे उसके जेठजी को माया ने अपना जिस्म सौंप दिया, अब एहसान के तले या प्यार की वजह से ये पढ़िए।
अब आगे की कहानी अंजू की जुबानी, कैसे उसके जेठजी को माया ने अपना जिस्म सौंप दिया, अब एहसान के तले या प्यार की वजह से ये पढ़िए।
जब एक दुसरे के लिए भरसक प्यार हो और समर्पण का भाव हो तो एक दूसरे को चुदाई का आनंद देने और लेने में जीवन सफल हो जाता है।
वहाँ सेठी साहब अगर टीना और अंजू की चुदाई कर रहे थे तो उनके ही घरमें उनकी बीबी उनके ही दोस्त से चुद रही थी। उतना ही नहीं वह दो दो मर्दों से चुदवाना चाह रही थी।
वहाँ सेठी साहब अगर टीना और अंजू की चुदाई कर रहे थे तो उनके ही घरमें उनकी बीबी उनके ही दोस्त से चुद रही थी। उतना ही नहीं वह दो दो मर्दों से चुदवाना चाह रही थी।