Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 22
मैंने देखा तो मेरे पति अनिल और राज दोनों के मुंह पर हवाइयां उड़ रही थीं। इनके मुंह खुले के खुले रह गए। वह कुछ बोल न पाए। तब मैंने मेरे पति को कोहनी मार कर..
मैंने देखा तो मेरे पति अनिल और राज दोनों के मुंह पर हवाइयां उड़ रही थीं। इनके मुंह खुले के खुले रह गए। वह कुछ बोल न पाए। तब मैंने मेरे पति को कोहनी मार कर..
उस समय तो मैं अपने बदन की आग में झुलस रही थी और देख रही थी की राज भी उसी आग में तड़प रहा था। मैं भी राज की और आकर्षित थी और शायद मेरे मन में भी राज को पाने..
मैं आश्चर्य से स्तंभित सी हो गयी। क्या नीना का मतलब वही था जो मैंने सूना और समझा था? नीना जैसे मेरे भावों और मेरी आतंरिक मनोदशा को पढ़ रही थी। उसने कहा…
वह ब्लू फिल्म से ज्यादा एक कहानी आधरित सेक्सी फिल्म थी। एक भारतीय युगल पति नयन और पत्नी नयना अपने दूसरे हनीमून में विदेश जाता है। वहां उनका परिचय एक दूसरे..
राज ने कस के मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। सकड़ी जगह में राज की और मेरी कमर जैसे ही एक दूसरे से सट गयी की उसका खड़ा कड़ा लन्ड मेरे पाँव के बिच टक्कर मारने..
मेरी बेटी पैदा होने के बाद जैसे हमारे जीवन का केंद्र बिंदु बन गयी थी। जो ध्यान और प्यार मैं दिन रात मेरे पति अनिल पर न्योछावर करती थी वह अब अनायास ही मैं..
मरे स्कूल और कॉलेज में भी मैं पढ़ाई एवं खेल में सब लड़कियों में आगे रहती थी। यही कारण था की कॉलेज में मैं एक अल्हड लड़की मानी जाती थी। दिखने में मैं सुन्दर..
होली की अनिल के घर में बितायी वह रात हम तीनों के जीवन की एक यादगार रात बन गयी थी। छुटियाँ ख़त्म होने के बाद फिरसे वही सामान्य व्यावहारिक जीवन शुरू हो गया..
उस रात मेरी पत्नी जीवन में पहली बार कोई गैर मर्द के साथ सोई थी। मेरे लिए भी यह कोई साधारण अनुभव नहीं था। जिनकी पत्नी सुन्दर और सेक्सी होती है उनको तीन..
मैंने अपने होंठ नीना के होंठ से मिलाये और मैं अपनी पत्नी के होठों को चूमने लगा। तब मेरी बीबी ने मुझे मेरे कान में धीरेसे कहा , “जानूँ, मैं अब भी बहुत चुदाई करवाना चाहती हूँ। मुझे चोदो।“
अनिल ने एक और धक्का दिया और मेरे देखते ही देखते उसका तीन चौथाई लण्ड अंदर चला गया। नीना के ललाट से पसीने की बूंदें टपकने लगीं। पर उस बार नीना ने एक भी आह न निकाली।
कुछ क्षणों बाद उसने मेरे गले में अपनी बाहों की माला डाली और मरे होठों से होंठ मिलाकर बिना बोले उन्हें चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस नए अनुभव करवानेके लिए वह मेरे प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शा रही थी।
अनिल उसे देखता ही रह गया। नीना की कमर ऐसे लग रही थी जैसे दो पर्वतों के बिच में घाटी हो। उसके उरोज से उसकी कमर का उतार और फिर उसकी कमर से कूल्हों का उभार इतना रोमांचक और अद्भुत था की देखते ही बनता था।
मैंने अपनी पत्नी को उस गाउन में जब देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसके पिछेकी रौशनी में उसकी टाँगे, उसके नितम्ब, उसके स्तन, निपल बल्कि उसकी चूत की गहराई तक नजर आ रही थी।
परन्तु अनिल का बड़े मर्यादित रूप में सारी सेक्सुअल बातों को बताना तथा गंदे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना नीना को अच्छा लगा। इसी कारण वश जब अनिल ने नीना का हाथ थामा और अपनी जांघ पर रखा तो वह कुछ न बोली।
नीना ने जैसे ही अनिल को देखा तो थोड़ी सहमा सी गयी। उसे दोपहर की अनिल की शरारत याद आयी। आजतक किसीने भी ऐसी हिमत नहीं दिखाई थी की नीना की मर्जी के बगैर इसको छू भी सके।
ऐसे ही कुछ हफ्ते बीत गए। समय को बितते देर नहीं लगती। सर्दियाँ जानेको थी। गर्मी दरवाजे पर दस्तक दे रही थी। शहर के लोग मस्ती में होली के त्यौहार की तैयारियां कर रहे थे।
अनीता ने एकबार मुझे रात के दस बजे फ़ोन किया की उसके बाथरूम का नलका ज्यादा पानी लीक कर रहा था। यदि उसको तुरंत ठीक नहीं किया तो उसकी पानी की टंकी खाली हो सकती थी। अनिल उस समय टूर पर था।
मुझे ऐसा लगा जैसे अनिलने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी अनीता की थी।
मैं जानता था की अनिल को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास ही कहीं जा रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा।