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मेरी प्यासी चूत और पड़ोसी की हवस-3 (Meri Pyaasi Chut Aur Padosi Ki Hawas-3)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी प्यासी चूत और पड़ोसी की हवस-2

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम प्रितंका गुप्ता है। मैं 23 साल की हूं, और पंजाब के लुधियाना शहर में रहती हूं। मैं अपनी हॉट सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आपके सामने हाजिर हूं। उम्मीद है कि आप सब ने मेरी सेक्स स्टोरी का पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। अगर नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ ले। उसमें आप सब को जरूर मज़ा आएगा।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैंने पड़ोस के बलवंत को बहाने से अपनी छत पर बुला लिया था। फिर उसने मुझसे प्यार और शादी की बात की, तो मैं उसके सामने भोली और अंजान बन गई। अब वो मुझे प्यार की ट्रेनिंग देने वाला था, और हमारी शुरुआत किस्स से हुई। अभी हम किस्स का मजा ले ही रहे थे, कि मेरे मम्मी ने नीचे से मुझे आवाज लगा दी, और मुझे जाना पड़ा। अब आगे बढ़ते है-

उस रात मैं थोड़ी देर पहले हुए किस्स के बारे में ही सोचती रही। उसके बारे में सोच-सोच कर मेरी चूत गीली होती जा रही थी। फिर आखिरकार मुझे फिंगरिंग करनी पड़ी अपनी चूत को शांत करने के लिए। फिर मैं सो गई।

अगली सुबह मेरे दिमाग में फिर से वहीं खयाल आने लगे। जैसे-तैसे खुद को कंट्रोल करके मैं तैयार हुई‌, और कॉलेज गई। कॉलेज में भी मेरे दिमाग में वहीं सब चल रहा था। फिर कॉलेज खत्म हुआ, और मैं घर वापस आ गई।

शाम होते ही मैं ऊपर जाने की कोशिश करने लगी, लेकिन मुझे मौका ही नहीं मिल रहा था। तभी मुझे फोन पर किसी अंजान नंबर से मैसेज आया। मैंने बात की, तो वो मैसेज बलवंत का मैसेज था। पता नहीं लड़कों को लड़कियों के नंबर कैसे मिल जाते है? लेकिन मेरे लिए तो ये अच्छा ही था। वो मुझसे पूछ रहा था कि मैं कब आऊंगी। मैंने उसको बोला कि मैं कोशिश कर रही थी।

3-4 दिन ऐसे ही निकल गए, लेकिन एक बार भी हम मिल नहीं पाए। मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी। फिर एक दिन मुझे जबरदस्त मौका मिला। मेरे घर वाले कहीं जाने वाले थे। क्योंकि मेरे कॉलेज के एग्जाम्स थे, तो मैं उनके साथ नहीं जा सकती थी। इसलिए मैं घर पर ही रुकने वाली थी। वो शाम को जा कर अगले दिन सुबह वापस आने वाले थे, और उतना वक्त बहुत था मेरी चूत की पहली चुदाई के लिए। ये बात मैंने बलवंत को भी बता दी, ताकि तो तैयार रहे।

फिर वो दिन आ गया जब मेरी सील टूटने वाली थी। शाम के 7 बजे सब लोग गाड़ी में बैठ कर चले गए। उनके जाने के बाद मैं अच्छे से नहाई, और अपनी चूत के बाल साफ किए। फिर मैंने जींस और टीशर्ट पहन ली, और चेहरे पर थोड़ा सा मेकअप भी कर लिया। उसका बाद मैंने बलवंत को मैसेज किया। उसने कहा कि वो 10 मिनट में आ रहा था।

10 मिनट बीत गए, और मुझे बलवंत का मैसेज आया कि वो छत पर खड़ा था, और मैं दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर लूं। मैं जल्दी से सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर गई, और दरवाजा खोला। सामने बलवंत खड़ा था। उसको देखते ही मेरी चूत गीली होने लग गई। फिर मैं नीचे उतरने लगी, और वो मेरे पीछे-पीछे आ गया। मुझे यकीन है कि जींस में मेरी कसी हुई गांड पर उसकी नज़र जरूर पड़ी होगी।

अब हम दोनों मेरे कमरे में पहुंच चुके थे। फिर मैंने भोली बन कर कहा-

मैं: तुम कुछ लोगे, या शुरू करें ट्रेनिंग?

बलवंत कुछ नहीं बोला। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। हम दोनों पूरे जोश में एक-दूसरे के होंठ चूसने लग गए। वो होंठ चूसते हुए मेरी गांड दबाने लग गया, जिसमें मुझे मजा आने लग गया।

उसने जरा भी देर नहीं की और किस्स करते-करते मेरी जींस खोल कर नीचे कर दी। फिर उसने मेरी टॉप को कमर से पकड़ा, और उसको खींच कर ऊपर करने लगा। मैंने अपनी बाहें ऊपर करके उसको टॉप निकालने में मदद की। फिर उसने जींस को भी मेरे पैरों से निकाल दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी। वो मुझे घूर कर किसी हवस भरे राक्षस की तरह देख रहा था।

तभी वो बोला: प्रितंका, तुम दर्द सहने के लिए तैयार हो?

मैंने अपनी आंखों से उसको हां में जवाब दिया। मेरी हां होते ही उसने मुझे बेड पर पटक दिया, और मेरी पैंटी फाड़ कर मेरी चूत को अपना मुंह लगा लिया। उसका मुंह लगते ही मैं पागल हो गई, और आह आह करने लगी। वो कुत्तों की तरह मेरी चूत चाटने लगा। इसमें मुझे इतना मजा आ रहा था, कि मैं एक मिनट में ही झड़ गई। बलवंत मेरी चूत का सारा पानी पी गया।

फिर वो खड़ा हुआ, और अपने सारे कपड़े उतार दिए। उसका लंड मेरी बाजू जितना मोटा और काफी लंबा था। एक बार तो मैं डर गई थी, लेकिन मेरी चूत चोदने के लिए इतनी बेताब थी, कि उसमें मैंने किसी चीज की परवाह नहीं की। बलवंत ने अपने मुंह से थूक अपने हाथ पर ली, और उसको अपने लंड के टॉप पे मलने लगा। फिर वो मेरी टांगों के बीच आया, और लंड को चूत पर रगड़ने लगा। मेरी सिसकियां लगातार निकल रही थी।

तभी उसने मेरे मुंह पर हाथ रख लिया। जब तक मैं सोच पाती कि उसने हाथ मेरे मुंह पर क्यों रखा था, तब तक उसने एक जोर का धक्का मारा चूत में। धक्का लगते ही मेरी जोरदार चीख निकली, जो मुंह पर हाथ होने से रुक गई। उसके लंड का टोपा मेरी चूत फाड़ कर अंदर जा चुका था। दर्द इतना हुआ कि मैं तड़पने लगी। मैं उसको रुकने के लिए बोलना चाहती थी, लेकिन मुंह पर हाथ होने की वजह से मेरी आवाज नहीं निकल रही थी।

मेरा शरीर दर्द से झटपटाने लगा था, लेकिन उसका भार इतना था, कि मैं उसके नीचे मैं हिल भी नहीं पा रही थी। मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे, जिन पर कोई पाबंदी नहीं लगी हुई थी। पर उन आंसुओं का बलवंत पर कोई असर नहीं था। तभी बलवंत ने एक और जोर का झटका लगाया।

इसके आगे मेरी चुदाई कहानी में क्या हुआ, वो आपको इस कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। अगला पार्ट इस कहानी का आखिरी पार्ट होगा। ये पार्ट आपको कैसा लगा, मुझे pritankagupta3@gmail.com पर मेल करके जरूर बताएं।

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