मेरी प्यासी चूत और पड़ोसी की हवस-4 (Meri Pyaasi Chut Aur Padosi Ki Hawas-4)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी प्यासी चूत और पड़ोसी की हवस-3

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम प्रितंका गुप्ता है। मैं 23 साल की हूं, और पंजाब के लुधियाना शहर में रहती हूं। मैं अपनी हॉट सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आपके सामने हाजिर हूं। देरी के लिए माफी चाहती हूं। उम्मीद है कि आप सब ने मेरी सेक्स स्टोरी का पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। अगर नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ ले। उसमें आप सब को जरूर मज़ा आएगा।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरे घर वाले बाहर जाने वाले थे, और मैं एग्जाम्स का बहाना करके घर पर ही रुक गई। फिर मैंने बलवंत को अपने घर बुलाया, और उसके आते ही हमारा सेक्स शुरू हो गया। बलवंत ने मुझे नंगा किया, और मेरी चूत चूसी, जिससे मैं एक बार झड़ गई। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में पेला, तो मैं झटपटाने लगी। अब आगे-

अभी में पहले झटके का दर्द कम नहीं हुआ था, कि बलवंत ने एक और झटका मेरी चूत में पेल दिया। इससे तो मानो मेरी जान निकलने वाली हो गई। उसने मेरे मुंह को अपने हाथ से बंद कर रखा था। पूरा लंड उसका मेरी चूत में घुस चुका था, और वो वहीं रुका हुआ था। फिर उसने एक हाथ से मेरा आखिरी बचा हुआ कपड़ा, यानि कि मेरी ब्रा को बूब्स से नीचे किया, और मेरे नंगे बूब्स को अपने मुंह में लेके चूसने लगा। फिर वो मेरे मुंह से हाथ हटा कर मेरे होंठ भी चूसने लगा।

उसके ऐसा करने से मेरी चूत गरम होने लगी, और उसके लंड के अनुसार खुल गई। मुझे अब मजा आने लगा था, लेकिन वो तो वैसे ही मेरे ऊपर, चूत में लंड डाले हुए पड़ा था। फिर जब मैंने नीचे से गांड हिलाई, तो उसको समझ में आया, कि अब मैं चुदाई के लिए तैयार थी। फिर वो धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों के साथ रगड़ खा रहा था, जिससे मुझे तिलिस्मी मजा आ रहा था।

अब मैंने उसके बालों में हाथ रख कर बाल सहलाने शुरू किए। मैंने उसके मुंह को अपनी तरफ किया, और खुद उसके होंठों को उत्तेजना से चूसने लगी। वो नीचे से मेरी चूत में अपने धक्के तेज करने लगा। मेरी चूत काफी पानी छोड़ रही थी, जिससे लंड अंदर-बाहर वक्त चप-चप की आवाजें आनी शुरू हो गई थी।

कुछ सेकंड्स बार वो जोर-जोर से मेरी चूत के अंदर तक लंड पेलने लगा। इससे उसका लंड मेरी चूत की दीवार के साथ टकरा रहा था, और मुझे चरमसुख प्राप्त हो रहा था। साथ में वो लगातार मेरे होंठ और बूब्स चूसे जा रहा था।

फिर उसने मेरी चूत से लंड निकाला। मैंने नीचे देखा, तो उसके लंड पर मुझे अपनी चूत का खून दिखा। तभी वो मुझसे बोला-

बलवंत: चल छिनाल, मेरा लंड चूस कर साफ कर।

लंड की प्यासी मैं, पल में उसका हुकुम मान गई, और उसके सामने बेड पर घोड़ी बन कर उसके लंड को अपने हाथ में ले लिया। वो बिस्तर के नीचे फर्श पर खड़ा था। फिर मैंने अपना मुंह खोला, और उसके लंड को चाटने लगी। मुझे अजीब सा मिश्रित स्वाद आ रहा था। उसमें मेरी चूत से निकले हुए खून का स्वाद, चूत के पानी का स्वाद, और लंड का अपना एक स्वाद होता है, वो तीनों स्वाद आ रहे थे। वो जो भी था, मुझे बहुत मजा आ रहा था।

फिर मैंने उसके लंड को अपने मुंह में भरा। लंड काफी बड़ा होने से मेरा मुंह पूरा खुल गया। फिर मैं उसके लंड को चूस कर उसको मजा देने लगी। कुछ देर तक मैं लंड चूसती रही। फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर रखे, और उनको दबाते हुए मेरे मुंह में कमर आगे-पीछे करके धक्के मारने लगा। धीरे-धीरे उसने धक्के काफी तेज कर दिए, और मेरे मुंह से काफी सारा थूक बहने लगा उसके लंड पर।

पीछे से वो मेरी चूत और गांड के छेद पर अपना उंगली घुमा रहा था। बहुत मजा आ रहा था मुझे। मैं बस पागल हुई जा रही थी। कुछ देर लंड चुसवाने के बाद उसने लंड मेरे मुंह से बाहर निकाला, और मुझे घूमने को कहा। मैं जल्दी से घूम गई, और अपनी सेक्सी गांड उसके सामने कर दी।

फिर उसने मेरे दोनों चूतड़ों पर कुछ थप्पड़ मारे। इससे मुझे दर्द हुआ, और मेरे चूतड़ लाल हो गए। मैं आज तक सोचती थी कि जब मर्द औरत को चुदाई के वक्त मारता होगा, तो क्या उसको दर्द नहीं होता होगा? लेकिन उस दिन मुझे जवाब मिल गया। हां जब मर्द आपको चुदाई के वक्त मारता है, तो दर्द होता है। लेकिन ये दर्द आपकी कामुकता को और बढ़ाता है, और आपके मजे को दोगुना कर देता है।

बलवंत ने लंड चूत के मुंह पर रखा, और एक ही झटके में पेल दिया। मेरी चीख निकल गई। फिर वो ताबड़तोड़ स्पीड में मेरी चूत चोदने लगा। मैं बस आह आह करे जा रही थी। मेरे बूब्स हवा में उछल रहे थे, और बेड से चरर-चरर की आवाजें आ रही थी। मैं इतनी मदहोश हो गई थी, और इतने मजे में थी, कि मुझे कुछ होश नहीं था।

ये देखते हुए अचानक से बलवंत ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला, और गांड के छेद पर रख कर जोरदार धक्का लगा दिया। इससे मेरी आँखें पूरी खुल गई, और मुझे होश आ गया। दर्द के मारे मेरी इतनी जोर की चीख निकली, कि शायद पूरे मोहल्ले को सुन गई होगी।

तभी उसका हाथ मेरे मुंह पर आया, और उसने मेरे मुंह को बंद करके ताबड़तोड़ मेरी गांड में लंड पेलना शुरू कर दिया। मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे, और मैं बंद मुंह में ह्म्म्म ह्म्म्म कर रही थी। मेरी गांड को खचाखच चोद कर उसने मेरी गांड की सील भी तोड़ दी थी। मैं फिर कुछ मिनट के लिए बेहोश हो गई थी। कुछ देर बाद जब मैं उठी, तो मुझे अपनी गांड के अंदर गीला-गीला महसूस हुआ। मैंने सोचा मेरी टट्टी निकल गई, लेकिन वो टट्टी नहीं, वो बलवंत का माल था, जो मेरे अंदर से निकल रहा था।

फिर मैं बाथरूम जाने के लिए उठी। मुझसे चला नहीं जा रहा था, तो मैं जैसे-तैसे दीवार का सहारा लेके गई, और बाथरूम जाके खुद को साफ किया। बाहर आई, तो बलवंत दोबारा लंड खड़ा करके बैठा था। उसने आते ही मुझे धर लिया, और दोबारा चोदने लगा।

घरवालों के आने तक वो मुझे बार-बार पेल रहा था, और उसने मुझे अधमरी कर दिया। फिर वो चला गया। चुदाई का जो सुख उसने मुझे दिया, वो मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी। आपको कहानी पढ़ कर मजा आया हो, तो [email protected] पर फीडबैक दें।