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मेरी प्यासी चूत और पड़ोसी की हवस-2 (Meri Pyaasi Chut Aur Padosi Ki Hawas-2)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी प्यासी चूत और पड़ोसी की हवस-1

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम प्रितंका गुप्ता है। मैं 23 साल की हूं, और पंजाब के लुधियाना शहर में रहती हूं। मैं अपनी हॉट सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आपके सामने हाजिर हूं। पहले तो अगला पार्ट लाने में देरी के लिए माफी चाहूंगी। उम्मीद है कि आप सब ने मेरी सेक्स स्टोरी का पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। अगर नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ ले। उसमें आप सब को जरूर मज़ा आएगा।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, कि मैं छत पर टहल रही थी, और पड़ोस के बलवंत को देख कर मेरी चूत में खुजली होने लगी। फिर मैंने गाने चला कर उसका ध्यान अपनी तरफ खींचा, और बाद में उसको इग्नोर किया। जब वो मेरी छत पर आया, तो मैंने उनको पूछा कि वो क्या बोलना चाहता था मुझे। इस पर वो थोड़ा कंफ्यूज हो गया। अब आगे की कहानी की तरफ बढ़ते है-

मैं: ये वो वो क्या कर रहे हो? सीधे-सीधे बताओ कि क्या बोलने आए हो यहां पर?

बलवंत: तुम आज बहुत अच्छी लग रही हो प्रितंका।

मैं: वो तो मुझे पता है, कुछ नया बताओ जो मुझे ना पता हो।

बलवंत: क्या तुम्हें पता है शादी के बाद क्या होता है?

मैं (अंजान बनते हुए बोली): शादी के बाद परिवार बनता है, और खुशियां आती है।

बलवंत ने पूछा: और ये परिवार कैसे बनता है?

मैं: भगवान पति-पत्नी को बच्चा देते है, जिससे उनका परिवार पूरा होता है।

बलवंत: धत्त, तुम्हें तो कुछ पता ही नहीं है।

मैं: क्या नहीं पता मुझे? मुझे सब पता है।

बलवंत: बच्चा भगवान थोड़ी ना देते है। पति देता है पत्नी को।

मैं: ऐसा थोड़ी होता है।

बलवंत: ऐसा ही होता है। तुम्हें किसी ने नहीं बताया?

मैं: नहीं। ये पति कैसे बच्चा देता है पत्नी को (अंजान बनते हुए)?

बलवंत: इसके लिए दोनों को प्यार करना पड़ता है।

उसकी ये बात सुन कर मैं शर्माने लग गई। मुझे शर्माते देख उसके कहा-

बलवंत: तुम्हें पता है प्यार कैसे करते है?

मैं: हां, मैंने फिल्मों में देखा है हीरो को हीरोइन को प्यार करते हुए।

बलवंत: अरे वो तो थोड़ा सा करते है। उससे बच्चा थोड़ी ना होता है। और भी बहुत कुछ करना पड़ता है। मैं सिखाऊं तुम्हें?

मैं: मैं सीख कर क्या करूंगी?

बलवंत: ये तो हर लड़की को सीखना पड़ता है शादी से पहले। कल को तुम्हारी भी शादी होगी तुम्हारे सपनों के राजकुमार से। उसको तुम क्या बोलोगी कि तुम्हें कुछ नहीं आता?

मैं (ड्रामा करते हुए): हां वो तो है। तो मैं क्या करूं?

बलवंत: मैं हूं ना। मैं तुम्हारे राजकुमार के सामने तुम्हारी बेइज्जती नहीं होने दूंगा। एक अच्छा पड़ोसी हूं मैं। मैं तुम्हें अच्छे से सिखा दूंगा।

मैं: लेकिन मेरे पास तुम्हें देने के लिए पैसे नहीं है।

बलवंत: मैंने पैसे कब मांगे। तुम मेरी पड़ोसी हो। तुमसे पैसे क्यों लूंगा भला?

मैं: चलो ठीक है, फिर कल से शुरू करते है।

बलवंत: कल क्यों करना है? आज अभी शुरू करते है।

मैं: मुझे नीचे मम्मी की काम में हेल्प करनी है। मुझे जाना है 5 मिनट में।

बलवंत: अरे तो किसने कहा आज के आज ही ट्रेनिंग पूरी करनी है। तुम रोज थोड़ा-थोड़ा टाइम लगाओ, जितना भी तुम्हारे पास हो। आज शुरू कर को, बाकी कल कर लेंगे। कल पूरी ना हुई तो परसों कर लेंगे।

मैं: ये सही रहेगा। तो शुरू करें?

बलवंत: देखो, शुरू करने से पहले मैं एक बात बता दूं। इस ट्रेनिंग में तुम्हें काफी कुछ नया पता चलेगा। हो सकता है तुम्हें कुछ चीजें अच्छी ना लगे, कभी किसी जगह दर्द होने लगे, तो तुम बीच में नहीं छोड़ सकती, और ना ही मुझे रोकना-टोकना।

मैं: ठीक है बाबा, जैसे तुम कहोगे वैसा ही करूंगी। ठीक है?

बलवंत: हां ठीक। तो शुरू करें?

मैं: हां बिल्कुल।

तभी बलवंत मेरे करीब आ गया, और उसने एक हाथ से मेरा एक हाथ पकड़ा, और दूसरा हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे खुद से चिपका लिया। उसके साथ चिपकते ही मेरे बदन में सनसनी होने लगी, और मेरी कुंवारी चूत में करेंट सा लगा। लेकिन मैं उसके सामने ऐसा दिखा रही थी, कि मैं इस सब से बिल्कुल अंजान थी। फिर बलवंत ने अपना चेहरा मेरे चेहरे की तरफ बढ़ाया।

मैं जानती थी कि अब वो मेरे होंठ चूसेगा, लेकिन मैं वैसे ही किसी मूरत की तरह खड़ी रही। बलवंत ने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपकाए, और मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरी तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी। कुछ 10 सेकंड तक मेरे होंठों को चूसने के बाद बलवंत ने अपने होंठ अलग किए और बोला-

बलवंत: देखो जैसे मैं तुम्हारे होंठों के साथ करूंगा, वैसे ही तुम्हें भी करना है। जब मैं तुम्हारा निचला होंठ मुंह में लेके चूसूंगा, तो तुम मेरा ऊपर वाला होंठ मुंह में लोगी। और जब मैं ऊपर वाला होंठ चूसूंगा, तब तुम नीचे वाला लोगी।

मैं: ठीक है।

इस बार जब उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू किया, तब मैं भी उसका साथ देने लगी। बड़ा मजा आ रहा था हम दोनों को ही। वो मेरे होंठों का रस पी रहा था, और मैं उसके होंठों का। उसके मुंह से शराब की स्मेल आ रही थी, जो मुझे और मदहोश कर रही थी। फिर होंठ चूसते हुए वो मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा। इससे मुझे और अच्छा महसूस होने लगा।

धीरे-धीरे उसका हाथ पीठ से नीचे मेरी गांड पर आ गया, और वो मेरे चूतड़ों को दबाने लगा। इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी, और उसका असर मेरी किसिंग पर होने लगा। अब मैं और जोश में उसके होंठों को चूस रही थी। वो भी मेरी उत्तेजना को समझ गया था, और मेरे चूतड़ों की लकीर के अंदर हाथ डाल कर दबाव बनाने लगा। उसके ऐसा करते ही मेरे मुंह से “ह्म्म्म” की आवाज निकली। तभी मेरी मम्मी ने नीचे से आवाज दी, और मैं जल्दी से उससे अलग होके नीचे भाग गई।

इसके आगे इस सेक्स कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। पिछली बार की तरह इस बार अगला पार्ट आने में देर नहीं होगी। अपनी फीडबैक मुझे pritankagupta3@gmail.com पर दें।

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