हेलो दोस्तों, मेरा नाम परवेज़ है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूं, और आज के दिन मेरी उम्र 28 साल है। बात उस वक़्त की है जब मैं कॉलेज फर्स्ट ईयर में पढता था। क्यूंकि में साइंस का विद्यार्थी था, और मेरी मैथ्स थोड़ी ढीली थी, इसलिए मेरी मां मेरे लिए कोई मैथ्स का अच्छा ट्यूटर देख रही थी।
हमारे पड़ोस में कुसुम नाम की एक महिला रहती थी। उनकी उम्र लगभग 32 साल की थी। उनके पति इंजीनियर थे, और कुवैत में जॉब करते थे। मैं उनको कुसुम दीदी कह कर बुलाया करता था। रोज़ाना की बोल चाल में बस दीदी। दीदी MBA थी, और जॉब करती थी। लेकिन कुछ दिनों से घर पर ही थी। क्यूंकि भैया (उनके पति) अब अच्छा कमा रहे थे, और वो नहीं चाहते थे कि दीदी जॉब करें।
दीदी की मेरी मां के साथ अच्छी बनती थी और वो मेरी मां को भाभी कह कर बुलाती थी। दीदी को कोई हेल्प चाहिए होती थी, तो या तो वो मेरी मां से कहती थी, या फिर सीधे मुझसे। मैं उनके काफी काम कर दिया करता था। इसलिए दिन में कई बार उनके घर के चक्कर लग जाया करते थे।
जब मेरी मां ने दीदी से ट्यूशन को लेकर सलाह मांगी, तो दीदी ने कहा कि “ट्यूटर ढूंढने की क्या ज़रुरत है? मैं ही पढ़ा दूंगी।” तो इस तरह अब दीदी मुझे ट्यूशन भी पढ़ाने लगी। मैं ज़्यादा टाइम दीदी के घर रह कर ही पढ़ाई भी करता था, और उनके घर के कई काम भी कर दिया करता था।
हालत ये थी कि अगर मेरी मां को मुझसे कोई काम होता था तो दीदी को फ़ोन करके मुझे भेजने के लिए कहती थी। दीदी इंदौर की रहने वाली थी, और देखने में बहुत सुन्दर और तीखे नैन-नक्श वाली थी। भरा हुआ बदन, 36″ साइज के बड़े-बड़े तने हुए दूध, और गांड ऐसी की देखते ही लंड सलामी देने लगे।
मेरे साथ थोड़ी लापरवाह से रहती थी। उदाहरण के लिए मेरे सामने टी-शर्ट और लेगिंग्स में बिना ब्रा के दूध हिलाते हुए घूमती थी, और अगर कोई आने वाला होता तो या तो उसके आने से पहले ब्रा पहन लेती थी, या फिर दुपट्टा या टॉवल ओढ़ उनसे बात करती थी।
सारा-सारा दिन साथ रहने के कारण मेरे साथ काफी फ्रैंक हो गयी थी, और गर्लफ्रेंड- बॉयफ्रेंड की बातें कर लिया करती थी। मैंने पूछा आपका कोई बॉयफ्रेंड था शादी से पहले तो बोलीं, “पहले पढ़ाई से फुर्सत नहीं मिली, और अब घर से फुर्सत नहीं मिलती, और अब तो शादी भी हो गयी है। वैसे भी तुम्हारे भैया बहुत शक्की मिजाज़ के हैं। सब को शक की निगाह से देखते हैं। बस तुम ही हो जिसकी तारीफ करते नहीं थकते!”
एक दिन की बात है। जून का महीना था। काफी गर्मी थी। मैं दीदी के घर गया तो दीदी पुरानी वीडियो सीडी समेट रही थी। मैंने कहा, “दीदी ये किस चीज़ की सीडी हैं? तो दीदी बोली, “इनमें कुछ तो सॉफ्टवेयर की सीडीज़ हैं, और हमारी शादी की फोटोज़ हैं, और कुछ तुम्हारे भैया की उल्टी-सीधी मूवीज़ की हैं, वही अलग-अलग कर रही हूं।”
मैंने पूछा, “दीदी उल्टी-सीधी का क्या मतलब?” दीदी बोली, “ज़्यादा भोले मत बनो, जैसे तुमको कुछ पता ही नहीं?” मैं झट से समझ गया कि दीदी के कहने का मतलब था कि वो सीडीज़ ब्लू फिल्मस की थी। मैंने कहा, “दीदी इतनी सारी कहां से लाये भैया? कुवैत से लाते हैं क्या?” दीदी बोलीं, “अरे नहीं, यही-कहीं से लाते हैं, और भला तुम क्यों इतनी पूछताछ कर रहे हो? तुम भी देखते हो क्या?”
मैंने सोचा झूठ बोल कर कोई फायदा नहीं है, और सच बोलने में कोई नुक्सान भी नहीं है। दीदी और मैं एक-दूसरे के साथ इतने फ्रैंक तो थे ही, इसलिए मुझे मालूम था कि दीदी मेरी मम्मी को तो ये सब बताने से रहीं। मैंने कह दिया, “हां दीदी देखता हूं। लेकिन छुप-छुप कर देखनी पड़ती है। क्यूंकि मम्मी कमरे का दरवाज़ा तो बंद करने देती नहीं।”
जैसे ही मैंने दीदी को ये बताया दीदी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी, और पूछने लगीं, “कुछ होता नहीं तुमको देखने के बाद? तुम्हारे भैया तो बहुत परेशान करते हैं ये सब देखने के बाद।”
मैंने कहा, “होता क्यों नहीं है? तभी तो छुप-छुप कर देखनी पड़ती है, वो भी या तो लम्बी टी-शर्ट पहन कर या फिर गोदी में तौलिया रख कर, तांकि किसी को कुछ पता ना चल सके।” दीदी ने पूंछा, “फिर जब देख लेते हो तो फिर क्या करते हो? गर्लफ्रेंड तो है नहीं तुम्हारी।” मैंने सोचा जब दीदी खुल कर पूछ ही रहीं थी, तो मैं भी खुल कर ही जवाब दे देता हूं।
मैंने कहा, “करना क्या है दीदी, बस बाथरूम में जाना पड़ता है, वहां भी जल्दी-जल्दी करना पड़ता है। वरना अगर ज़्यादा देर बाथरूम में रहो तो मम्मी को शक होता है, कहीं मैं सिगरेट या ड्रग्स तो नहीं ले रहा। पता नहीं किसने मम्मी के दिमाग़ में डाल दिया है कि आजकल बच्चे अगर ज़्यादा देर बाथरूम में रहें, तो समझो वो ड्रग्स ले रहे हैं।”
सुन कर दीदी हंसने लगी, और मेरी तरफ तरस खाने वाली निगाहों से देखते हुए बोली, “आव बेबी”। सारा सामान समेट कर एक बॉक्स में भरने के बाद दीदी मेरी तरफ देखते हुए बोलीं, “प्लीज इसे ऊपर रख दो मेरे साथ”। मैंने बॉक्स उठा कर ऊपर रख दिया। रखने के बाद दीदी ने मेरी तरफ देखते हुए एक लम्बी सांस लेते हुए मुझसे पूछा, “देखनी है?”
मैंने ख़ुशी से मुस्कुराते हुए पुछा, “क्या?” दीदी बोली, “वही जो तुम घर पर देखोगे तो मम्मी से पिटाई होगी।” मैंने हंसते हुए कहा, “ओह दीदी, थैंक यू, लेकिन देखूं कैसे?” दीदी ने एक बॉक्स की तरफ इशारा करते हुए कहां, “इस में सारी वही वाली मूवीज़ हैं। AC ऑन कर दिया है। दरवाज़ा बंद कर देती हूं। लेकिन लॉक मत करना। अगर भाभी (मेरी मां) का फ़ोन आएगा तो बता दूंगी, और हां ये जो कपड़ा पड़ा है, यहीं यूज़ करना। कुछ और गन्दा मत करना। बी ऐ गुड बॉय। और कुछ चाहिए?”
मैंने कहा, “दीदी कोई आयल है?” बोली, “अब आयल क्यों चाहिए तुमको?” मैंने कहा, “दीदी ड्राई हाथ से रैशेज़ हो जाते हैं।” दीदी गयी, और जोंसन बेबी आयल की बोतल लेकर आयी और बोली, “ये मेरे पर्सनल यूज़ की है। प्लीज कुछ गन्दा मत करना। कुछ चाहिए हो तो आवाज़ दे देना। ठीक है, अब तुम देखो आराम से।”
मैं दीदी के ही लैपटॉप पर मूवी लगा कर देखने लगा। 2-3 सीडी जल्दी-जल्दी फ़ास्ट-फारवर्ड करके चेंज की। उसके बाद एक मस्त सीडी हाथ लगी, जिसको देखते ही मेरा लंड टन्न से खड़ा हो गया। जीवन में पहली बार ऐसे बिंदास होकर पोर्न देख रहा था।
जब मुझे लगा की दीदी अपने काम में व्यस्त हो चुकी थी, और उन्होंने सच में मुझे अकेला छोड़ दिया था, तो मुझसे रहा नहीं गया। मेरा मोटा तगड़ा प्यासा लंड मेरी निक्कर के अंदर उछल-कूद मचा रहा था।
मैंने अपनी निक्कर और अंडरवियर को घुटनों तक नीचे सरकाया, और थोड़ा सा तेल अपने हाथ में लेकर अपने लंड की मालिश करते हुए पोर्न का मज़ा लेने लगा।
बहुत मस्त सीन चल रहा था। एक नीग्रो एक कमसिन लड़की की गुलाबी चूत में अपना काला, मोटा, और लम्बा लंड घपा-घप पेल रहा था। मुठ मारने में इससे ज़्यादा मज़ा जीवन में पहले कभी नहीं आया था। मेरे लंड से हल्के-हल्के से चिकना रस बहने लगा था, और तेल के साथ मिल कर और भी चिकना हो गया था।
मेरा हाथ मेरे लंड पर ऐसे फिसल रहा था मानों किसी टाइट चूत के अंदर-बाहर हो रहा हो। मूवी में उस नीग्रो के धक्के तेज़ हो रहे थे, और यहां मेरे हाथ की स्पीड बढ़ती जा रही थी। तभी अचानक दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज़ हुई। मैं घबरा कर अपनी निक्कर ऊपर करने के बारे में सोच भी पाता, इससे पहले ये देख कर चौंक गया कि दीदी कमरे के अंदर आ चुकी थी।
मुझे देख कर बोली, “अरे मैंने दो बार खटखटाया, लेकिन तुमने कुछ जवाब ही नहीं दिया। मैंने सोचा चेक कर लूं सब ठीक तो है?” तभी उनकी नज़र मेरे पैरों में फंसी मेरी निक्कर और अंडरवियर पर पड़ी, और साथ ही उनकी नज़र मेरे 7 इंच ख़तने वाले (बिना स्किन के टोपे वाले) लंड पर पड़ी। वो देख कर चौंक गयी और बोली, “ओह ये तो देखा ही नहीं मैंने, तेल लगाया है क्या? कितना चमक रहा है।” यह कहते हुए वो थोड़ा नज़दीक आयी, और नज़दीक से मेरे खड़े हुए लंड का निरीक्षण करने लगी।
इसके आगे क्या हुआ, ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।