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पड़ोस वाली दीदी की मस्त चुदाई और मेरी पहली चुदाई भी-2 (Pados wali didi ki mast chudai aur meri pehli chudai bhi-2)

पिछला भाग पढ़े:- पड़ोस वाली दीदी की मस्त चुदाई और मेरी पहली चुदाई भी-1

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए मैं जैसे बैठा था वैसे ही बैठा रहा, और टेबल पर रखे कपड़े से अपने तेल वाले हाथ पोंछने लगा। दीदी मेरे कंधे पर हाथ रख कर मेरे लंड को देखते हुए बोली, “अरे परवेज़, बहुत बड़ा है तुम्हारा तो”। और यह कहते ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया।

वो बोली: ये तो बिल्कुल पोर्न फिल्मों जैसा है।

दीदी ने मेरी कुर्सी अपनी तरफ घुमा ली जिससे मैं और दीदी आमने-सामने हो गए।

फिर वो बोली: लाओ मैं कर देती हूं।

वो नीचे बैठ कर मेरा लंड सहलाने लगी और बोलीं: जब पीरियड्स चल रहे होते हैं, और तुम्हारे भैया का बहुत मूड होता है, तो मैं उनका भी हाथ से ही करती हूं।

दीदी का हाथ लगने से जैसे मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया था। मेरी सांसे तेज़ चलने लगी, और मुंह से मादक आवाज़ें निकलने लगी।

दीदी ने प्यार से पूछा: कैसा लग रहा है किसी और के हाथ से?

मैंने भी बेशर्मी से जवाब दिया: बता नहीं सकता दीदी बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है।

मेरे हाथ कुर्सी के हैंडल्स पर कसते देख दीदी ने कहा: अगर तुम्हारा मन करे तो तुम मुझे पकड़ सकते हों, फील फ्री ओके?

मैंने बिना एक मिनट भी गवाये दीदी को कन्धों से पकड़ लिया। जब मेरी नज़र दीदी के बिना ब्रा वाले मम्मों पर पड़ी, जो दीदी के मेरे लंड सहलाने की वजह से खूब ज़ोर से हिल रहे थे, तो मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने टी-शर्ट के ऊपर से ही दीदी के भरे हुए जवान दूध पकड़ लिए।

दीदी ने बिल्कुल रोकने की कोशिश नहीं की। और क्यूंकि मैंने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से मसल दिए थे, तो उन्होंने बस इतना कहा-

दीदी: आह.. धीरे परवेज़, आराम से।

दीदी ने कपड़े से मेरा चिकना लंड साफ़ किया, और बिना समय गवाये मेरे ख़तने वाले लंड का सुपाड़ा अपने मुंह में ले लिया, और मेरी तरफ देखने लगी। उनसे नज़रें मिलते ही मेरे बदन में जैसे बिजली सी कौंध गयी। मैंने दीदी की टी-शर्ट ऊपर उठा दी। टी-शर्ट ऊपर उठते ही दीदी के बड़े-बड़े रसीले दूध उछल कर बाहर आ गए।

मैंने थोड़ा सा आगे झुक कर दीदी के दूध अपने मुंह में लेकर चूसने की कोशिश की, लेकिन क्यूंकि हमारी पोजीशन कुछ ऐसी थी कि दीदी नीचे घुटनों के बल बैठी थी, और मैं कुर्सी पर, इसलिए बात बन नहीं पायी। मेरी झटपटाहट देखते हुए दीदी ने कहा-

दीदी: चलो बेड पर आ जाओ।

और अगले ही पल दीदी और मैं बेड पर घुटनो के बल एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े थे। मैंने तुरंत दीदी की टी-शर्ट उतार दी, उफ़ अद्भुत नज़ारा था। दीदी के दूध एक दम मस्त तने हुए थे, और मुझे घूर रहे थे जैसे कह रहे हों “अरे परवेज़, देख क्या रहे हो? आओ चूसो हमको”। इस वक़्त दीदी सिर्फ अपने लोअर में थी, और मैं सिर्फ अपनी टी-शर्ट में,‌ जो मैंने एक ही पल में उतार कर साइड में फेंक दी।

मैं आगे बढ़ कर किसी भूखे बच्चे की तरह एक के बाद एक दीदी के दूध चूसने लगा। दीदी मेरे बाल सहलाने लगी। मैं कभी दीदी की गर्दन पर किस करता, तो कभी फिर से दूध चूसने लगता। दीदी ने एक हाथ से मेरा फनफनाया हुआ लंड पकड़ रखा था, और दूसरा हाथ मेरी गर्दन में था। दीदी मदहोश सी होकर अपने दूध चुसवाने का आनंद ले रही थी।

जब जब मैं उनके दूध चूसता, उनकी पकड़ मेरे मेरे लंड पर और टाइट हो जाती। मेरे लंड के चिपचिपे पानी से दीदी का हाथ चिकना हो गया था। तभी मैं अपना हाथ नीचे लेजा कर दीदी के लोअर में हाथ डालने की कोशिश करने लगा।

दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली: नहीं परवेज़, प्लीज आज ये रहने दो।

मैंने कहां: दीदी बस टच करूंगा, प्लीज दीदी एक बार टच करने दीजिये, प्लीज।

यह कह कर दूसरे हाथ से मैंने एक बार फिर दीदी का दूध मसल दिया। दीदी एक दम मदहोश हो गयी, और उन्होंने अपने होंठ मेरे कान के पास लाकर कहा-

दीदी: आज रहने दो ना प्लीज। जब से तुम्हारे भैया गए हैं, मैंने शेव नहीं की है।

मैंने कहा: तो क्या हुआ दीदी? मुझे वैसे ही अच्छी लगती है। अभी जो पोर्न देख रहा था, उसमें भी लड़की ने शेव नहीं की थी।

मेरी बात सुन कर दीदी ने मेरे हाथ पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी, जो उन्होंने मुझे लोअर में हाथ डालने से रोकने के लिए पकड़ लिया था। मैंने बिना एक पल भी गवाये अपना हाथ दीदी के लोअर के अंदर डाल दिया, और उनकी चूत के मुलायम बालों के बीच उनकी चूत के छेद को ढूंढने के लिए अपनी उंगलिया घुमाने लगा। दीदी की चूत एक दम गीली हो चुकी थी। चूत का रस दीदी की जांघों तक में लग चुका था। मैंने घप्प से अपनी बीच वाली ऊंगली दीदी गरम और गीली चूत में घुसा दी।

चूत में ऊंगली जाते ही दीदी की सिसकी निकल गयी, और आनद के वजह से उनकी आंखें बंद हो गयी। उनके मुंह से सससस मममम हम्म्म्म जैसी आवाज़ें निकलने लगी। दीदी ने मेरा हाथ फिर से कस के पकड़ लिया, जैसे कि वो कहना चाह रही हों कि बहुत मज़ा आ रहा है, प्लीज ऊंगली बाहर मत निकालना। मेरा दायां हाथ दीदी के लोअर में था, और बाएं हाथ से मैं दीदी के गदराये दूध मसल रहा था।

आनंद की वजह से दीदी की हालत देखने लायक थी। वो ठीक से अपने घुटनों पर खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। वो मेरे ऊपर पूरी तरह झुक गयी थी। उन्होंने अपनी चिन मेरे कंधे पर टिका दी थी, और वो बस लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी। मेरे हाथ को जगह मिल सके इसलिए उन्होंने जितना हो सकता था अपनी टांगों को फैला लिया था।

मैं एक हाथ की ऊंगली से दीदी की गीली नरम चूत की चुदाई कर रहा था, तो दूसरे हाथ से बारी-बारी उनकी दोनों चूचियां मसल रहा था। मैंने दीदी को धीरे से पीछे धकेलते हुए लेट जाने का इशारा किया। दीदी समझदार थी, वो इशारा मिलते ही पीछे लेट गयी। मैंने दीदी के पजामे और कच्छी को एक साथ पकड़ा, और उतारने की कोशिश करने लगा।

मुझे कोई परेशानी ना हो, इसलिए दीदी ने अपने गदराये चूतड़ थोड़े ऊपर को उठा दिए। दीदी का पजामा और मेहरून रंग की कच्छी अगले ही पल बेड के पास फर्श पर थे। दीदी की महीनों से अनचुदी चूत की खुशबू से पूरा कमरा भर गया था। मैंने ब्लू फिल्में तो काफी देखी थी। मालूम था चूत कैसी दिखती है, लेकिन आज जीवन में पहली बार असली गरम चूत वो भी अपने चेहरे के इतना नज़दीक देख रहा था। समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं?

मैंने अपनी उंगलियों से दीदी की गीली चूत को खोला, तो उसमें से रस की बूंद बह कर दीदी के चूतड़ों के बीच बह गयी। इतनी रसीली चूत देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने दीदी के मस्त गदराये चूतड़ों को पकड़ कर बेड के किनारे पर खींच लिया, और खुद घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गया।

फिर मैंने दीदी की टांगें खोली, तो देखा की दीदी कि चूत घने बालों से भरी हुई थी। बाल जांघो तक थे, और उनकी चूत के पानी से चिपचिपे हो गए थे। अब मैंने बिना एक मिनट भी गवाएं अपना मुंह दीदी की चूत पर जमा दिया। दीदी के मुंह से सस ससस सस की आवाज़ निकल गयी। उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया, और मेरे बाल कस के पकड़ लिए, और धीमी आवाज़ में बड़बड़ाने लगी-

दीदी: ओह परवेज़, क्या कर रहे हो तुम अपनी प्यारी दीदी की चूत को खा जाओगे क्या?

दीदी की ऐसी बातें सुन का मुझ पर अजीब सा पागलपन सवार हो गया था। मैं लम्बे लम्बे स्ट्रोक लगा कर दीदी की चूत चाटने लगा। दीदी की चूत की खुशबू बहुत प्यारी थी। मैं कभी दीदी की चूत को चाटता, तो कभी अपनी उंगलियों से दीदी की चूत को खोल कर उसमे अपनी जीभ घुसाने की कोशिश करने लगता, और फिर दीदी के दाने पर अपनी जीभ लपलपाने लगता है। जैसे ही में दीदी के गुलाबी दाने पर अपनी जीभ लपलपाता, दीदी के चूतड़ अपने आप उछलने लगते, और दीदी के मुंह से उह्ह्ह ममममम ससससस की आवाज़ें निकलने लगती।

थोड़ी देर तक चूत चटवाने के बाद दीदी ने मेरे बाल खींचते हुए कहा: अब ऊपर आ जाओ परवेज़। अब तुम्हारी जीभ नहीं कुछ और चाहिए मुझे!

दीदी का आर्डर मिलते ही मैं फ़ौरन बेड पर चढ़ गया, और दीदी ने मुझे पीछे धकेलते हुए लेट जाने का इशारा किया, और मैं बेड पर सीधा लेट गया। मेरा लंड किसी खम्बे की तरह सीधा खड़ा थ। तभी दीदी आगे झुकी और मेरे लंड का टोपा घप्प से अपने मुंह में बार लिया। मेरा लंड दीदी के मुंह में जाते ही ऐसा आनंद आया मानों सर्दी की किसी रात में ठिठुरते हुए किसी ने आपको मखमली रज़ाई ओढ़ा दी हो।

दीदी बड़े प्यार से मेरा मोटा लंड चूस रही थी, और मेरा लंड चूसते-चूसते मेरी तरफ गर्दन घुमा कर मेरे चेहरे के भाव देखने लगती थी।

इससे आगे की कहानी आपको अगले पार्ट में मिलेगी।

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