कुंवारी लड़की की चूत (Kuwari ladki ki chut)

28 जून 2024 को शुरू हुई मेरी और उसकी कहानी। लड़की उत्तरप्रदेश की थी, और‌ मैं बिहार का। दोनों ही मुंबई‌ में बोईसर के गणेश नगर‌ में रहते थे। लड़की थोड़ी सॉवली थी, और‌ मैं गोरा सा हैंडसम लड़का। लड़की 19 साल की थी और मैं 22 साल का। मैं जवान था और लड़की पे नया-नया जवानी की रंग चढ़ने लगा था। बस उसे थोड़े प्यार और बड़े सा लंड की खोज थी।

मैं नया-नया मुंबई जॉब के लिये गया था। रोज सुबह उठ के ड्यूटी जाता था, और शाम को घर आके खा-पी के सो जाता था। संडे को कंपनी बंद रहता था, तो हम उस दिन कपड़े साफ करते थे, और सब दोस्त मिल के मार्केट घूमने जाते थे।

एक संडे की बात है। मेरे रूम के सब लड़के अपना काम ख़त्म करके मार्केट घूमने गये थे। उस दिन मेरा मार्केट जाने का मन नहीं था, इसलिए‌ मैं मार्केट घूमने नहीं गया।

उसी दिन शाम को 4 बजे‌ मैं रूम से निकल के अपनी छत पर घूमने गया। छत पर घूमते-घूमते जब मेरी नज़र उसकी छत पर गिरी, तब मेरी नज़र उस लड़की पे गिरी, और उसकी नज़र मेरे पे।

पहली बार जब दोनों ने एक-दूसरे को देखा, तो लड़की ने कुछ ही सेकंड‌‌ में नज़र हटा दी। मैं भी नज़र हटा दिया, और थोड़ी देर घूमने के बाद‌ मैं नीचे रूम पर आ गया।

फिर कुछ दिन के बाद शाम को उसके मम्मी, पापा और भाई मिल के उनकी बुलेट‌ पर मार्केट शॉपिंग के लिये गये, और वो घर पर अकेली थी। धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा।

मैं उस दिन ड्यूटी नहीं गया था। शाम को रूम से बाहर निकल के बैठा था। थोड़ा-थोड़ा अंधेरा होने लगा। वो उसके रूम से निकल के बाहर घूमने आयी। तब फिर हम दोनों का नज़र एक-दूसरे पे पड़ी।

थोड़ी देर एक-दूसरे को देखने के बाद लड़की हल्की सी मुस्कुराई, और मेरे सामने वाली आंटी के रूम पे चली गई।

जब वो मुझे देख के मुस्कुरायी तो मुझे भी कुछ कुछ होने लगा। फिर‌ मैं घूम के उसे देखने लगा। वो भी चोरी-चोरी सामने वाली आंटी की खिड़की से मुझे देखने लगी, और मुस्कुराने लगी।

थोड़ी देर के बाद वो आंटी के रूम से निकली, और जाते-जाते मुझसे बात करने लगी, और मुस्कुराते-मुस्कुराते उसके रूम पे चली गई।

मैं मेरे रूम के बाहर ही बैठा था। कुछ समय के बाद शाम 7:30 को वो उसके रूम के बाहर आई, और मुझे धीरे से बोली-

वो: क्या आप आइसक्रीम खाओगे?

तो‌ मैं भी इशारों में हां बोला, और इधर-उधर देख के धीरे से उसके रूम के पास चला गया। जैसे ही‌ मैं उसके रूम के दरवाजे के पास गया, उसने फ्रिज से दो कप वाली आइसक्रीम निकाली, और आते-आते रूम की बाहर की लाइट बंद कर दी।

थोड़ा इधर-उधर देख के रूम से बाहर आई, और घर के सामने रखी हुई चेयर‌ में बैठ गई। दूसरी चेयर पे मुझे बैठने बोली, और खाने को आइसक्रीम दी। फिर हम दोनों एक-दूसरे से बात करते-करते खाने लगे।

दोनों बैठ के बात करते-करते आइसक्रीम खा रहे थे। तब उसका चम्मच नीचे गिर गया। चम्मच गिरते ही‌ मैं उठाने के लिये झुक गया, तभी वो भी चम्मच उठाने झुक गयी। झुकते ही उसके बूब्स मेरे कंधे पर टच हो गये। टच होते ही वो मुस्कुराने लगी और चेयर पे बैठ के खाने लगी। आइसक्रीम खाते-खाते मुझे धीरे-धीरे टच करने लगी।

बहुत समय तक वो मेरे हाथ पे, कमर के पास, गाल पे हाथ घुमाने लगी, और‌ मैं बहुत कंट्रोल में बैठा था। मैंने बहत समय तक कंट्रोल किया, फिर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ। फिर‌ मैं भी उसको कस के पकड़ा, और ज़ोर से उसके होंठों पर किस करने लगा। किस करते ही वो भी मुझे कस के पकड़ ली और उसके बूब्स को मेरे सीने पे रगड़ने लगा।

मैं धीरे-धीरे मेरे हाथ को उसके बूब्स की तरफ़ लिया, और धीरे-धीरे उसके बूब्स दबाने लगा। उसके छोटे-छोटे बूब्स दबाने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। लेकिन उसे भी बहुत मज़ा आया, जब उसके छोटे-छोटे बूब्स के छोटे-छोटे निप्पलों को उंगली से दबाने लगा।

फिर धीरे-धीरे उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला, और बूब्स को दबाने लगा। वो भी उसके हाथ को धीरे-धीरे मेरी पैंट के अंदर डाल के मेरे लंड को हल्के हाथों से सहलाने लगी। फिर मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।

तब मुझसे और उससे कंट्रोल करना नहीं हो रहा था। वो रूम के बाहर ही मेरी पैंट निकाल रही‌ थी। मैंने रूम के बाहर नहीं बोल‌ के मना किया।‌

तब वो बोली: मम्मी, पापा, भाई कोई घर पर नहीं है। चलो घर के अंदर चलते हैं।

ये सुनते ही मैं उसको उठा के उसके रूम पे लेके गया, और उसकी मम्मी-पापा के बेड पे पटक दिया। फिर उसके ऊपर‌ मैं लेट गया। धीरे-धीरे उसकी टी-शर्ट उतारी, और बूब्स को दबाने लगा।

फिर उसके बूब्स के निप्पलों को चूसने लगा। निप्पल चूसते-चूसते उसकी जीन्स पेंट का बटन और चैन खोल दी।

धीरे-धीरे हाथ को उसकी चड्डी के अंदर डाला, और चूत को धीरे-धीरे उंगली से सहलाने लगा। चूत को सहलाते-सहलाते मेरी बीच वाली उंगली को चूत के अंदर धीरे से डाली। वो कुंवारी लड़की थी, इसलिए उसकी चूत भी बहुत ही टाइट थी, और उंगली बहुत टाइट से अंदर गयी।

फिर मैं उंगली को हल्के हाथों से अंदर-बाहर करने लगा। उसने एक हाथ से बेड की चादर को कस के पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरे सर के बालों को पकड़ के ऊह… आहा… ऊह… आहा… आवाज़ें करने लगी।

कुछ टाइम के बाद वो मुझे धक्का देके बेड पे लिटा दी, और धीरे-धीरे मेरे लंड के ऊपर हाथ को सहलाते हुए मेरी पैंट और चड्डी को निकाल के लंड को हिलाने लगी। हिलाते-हिलाते मेरे लंड को मुंह में लिया ओर चूसने लगा। जैसे ही वो मेरे लंड को मुंह में लेके चूसने लगी, तो‌ मैं भी आवाज़ें करने लगा।

थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को अपने मुंह से चूसती रही। थोड़े समय के बाद मेरे लंड से गरम-गरम सफेद सफेद रस निकलने लगा। वो हस्ते-हस्ते मेरे लंड को जीभ से चाट-चाट के रस खाने लगी। जैसे ही मेरा रस निकला, धीरे-धीरे मेरा खड़ा हुआ टाइट लंड ढीला पड़ गया।

मेरा लंड ढीला होने लगा था। लेकिन उसे मेरे बड़े लंड को अपनी चूत मे डाल के चुदवाने का शौंक था, और मेरा भी मन उसकी चूत में लंड डाल के चोदने का इंतज़ार कर रहा था।

फिर वो मेरा लंड चाटना बंद करके, मुझे कस के पकड़ के, होंठों पे ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगी, और हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी।

वो जैसे ही मेरे लंड को फिर से हाथ से सहलाने लगी,‌ मैंने भी एक हाथ से उसके बूब्स दबाये, और एक हाथ से धीरे-धीरे उसकी चूत को उंगली से सहलाने लगा।

थोड़ी देर के बाद उसको गोद में उठा के बाजू में रखे हुए सोफा के ऊपर लिटा के उसको चूमने लगा।

सोफे पे लिटा के उसकी चड्डी को खींच के निकाला। चड्डी निकालने के बाद जैसे उसकी चूत को देखा, तो उसकी चूत पे बाल ही नहीं थे। चूत पे थोड़े-थोड़े बाल आने चालू हुए थे, और चूत थोड़ी-थोड़ी गुलाबी दिख रही थी।

देखते ही मैंने मन ही मन‌ में सोचा उसकी चूत को चाट-चाट खा जाऊं। फिर अपने मुंह को फटाक से उसकी चूत‌ में डाला, और जीभ को उसकी चूत के अंदर डाल के थोड़ी देर तक चाटने लगा। वो मेरे सर के बालों को खींच के मेरी मुंडी को चूत की तरफ दबाने लगी।

थोड़ी देर चाटने के बाद मैं खड़ा हुआ टाइट लंड को चूत‌ मैं डालने लगा। वो कुंवारी लड़की थी, और उसकी सील अभी तक टूटी नहीं थी। बहुत कोशिश करने के बाद भी मेरा लंड उसके चूत‌ में नहीं घुसा। फिर‌ मैं उसको पूछा-

मैं: कुछ तेल या कुछ है क्या?

तो वो बोली: शेल्फ में है लेलो।

तभी बाजू की‌ शेल्फ‌‌ में रखा हुआ वेसलीन का डिब्बा उठाया, और मेरे लंड पे मसाज करने लगा। मसाज करने के बाद मेरा लंड और भी मोटा और लंबा होने लगा। फिर मैं उसकी चूत पे थोड़ा वेसलीन लगाया, और  6.5″ लंड को ज़ोर से उसकी चूत‌‌ में घुसा दिया। लंड उसकी चूत‌ में डालते ही उसकी चूत की सील टूट के खून निकलने लगा, और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

मैंने आराम से लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला। फिर से थोड़ा वेसलीन लगा के धीरे-धीरे चूत‌ में डाल के चोदना चालू किया। थोड़ी देर उसके ऊपर लेट के चोदने के बाद उसके दोनों पैरों को कंधे पे उठाया, और धका-धक बिना रुके जोर-जोर से चोदने लगा। चूत से खून की बूंदे भी बेड पर गिर रही थी।

मैं उसकी कमर पकड़ के जोर-जोर से चोद रहा था। चोद-चोद के उसकी‌ और चूत की हालत खराब हो रही थी। वो मुझे जोर-जोर से चोदो, बोल के चिल्ला रही थी। चोदते-चोदते मेरा वीर्य कब निकल गया पता नहीं चला। वीर्य को बाहर गिराने की कोशिश करते-करते वीर्य उसकी चूत के अंदर ही छोड़ दिया।

जब वीर्य उसके अंदर गया, और उसको गरम-गरम लगने लगा, तभी उसने मुझे धक्का दिया, और उठ के खड़ी हो गयी। लेकिन उसे पता चल गया कि वीर्य उसकी चूत के अंदर चला गया था। फिर दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने, और बेड पे लेट के एक-दूसरे से बात करने लगे।

तभी मुझे बुलेट बाइक की आवाज़ आयी, और‌ मैं दौड़ के उसके रूम से निकल के मेरे रुम पे आ गया। फिर रूम का दरवाज़ा बंद करके खिड़की से छुप के देखने लगा।

तभी उसके घर वाले आ गए। दरवाजा खोल के उसका भई घर के अंदर चला गया। मम्मी भी उतर के, हाथ‌ में बैग लेके घर के अंदर चली गयी। उसके पापा जेसे ही बाइक पार्क करके घर के अंदर जा रहे थे, उसके पापा की नज़र गिरी दरवाज़े के बाजू में रखी हुई चप्पल के ऊपर।

फिर उसने लड़की को बुलाया। लड़की की चूत फट गयी थी, तो वो बराबर नहीं चल पा रही थी। उसके पापा को थोड़ा संदेह हुआ। लड़की की तरफ़ देखते हुए चप्पल किसकी है? यहां कैसे आयी? पूछते हुए बेडरूम गये। वहां बेड के नीचे गिरी हुई खून की बूंदे देख कर समझ गया कि लड़की कुछ तो कांड की है।

फिर ये चप्पल किसकी, खून कहा से आया ये सवाल पूछ-पूछ के रात को 11:30 बजे तक बहुत पीटा। अब उसके मम्मी और पापा मुझे संदेह करने लगे है। यहां से अब हमारी लव स्टोरी कैसी होगी?

अगला पार्ट जल्दी आएगा।