नमस्कार दोस्तों, मेरी हिंदी देसी सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। मेरा नाम अमन सिंह है, मैं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के एक गांव का रहने वाला हूं। मैं मेरे मां-बाप की इकलौती संतान हूं। वर्तमान समय में मेरी उम्र 38 साल है। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच हैं, और मेरे लिंग का साइज 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। मेरी छाती पर बाल आते है, और मुझे मूंछे रखने का शौक हैं।
जब मैं छोटा था तभी मेरे पिता जी एक जमीनी विवाद में मारे गए थे। क्योंकि मेरे पिता जी खेती करते थे, हमारे खेत थे। किसी तरह मां ने मुझे पाला। मैं बचपन से ही बलिष्ठ रहा हूं, क्योंकि मैं घर का दूध, घी खाकर बड़ा हुआ हूं। जब मैं कुछ बड़ा हुआ तो मां के साथ खेती करने में उनकी मदद करने लगा।
मेहनत करने की वजह से मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी हूं, और मेरी पर्सनेलिटी एक अलग ही छाप छोड़ती हैं। जब मैं 22 साल का हुआ तो मां ने मेरी शादी पड़ोस के गांव में कर दी। मां अब बूढी हो गई थी, इसलिए उन्हें बहू की ज्यादा जरूरत थी। पत्नी के रूप में मुझे एक सील पैक लड़की मिली। सील पैक होने के साथ-साथ वो खूबसूरत भी थी।
मैंने पहले कभी सैक्स नहीं किया था, और ना ही उसने पहले कभी सैक्स किया था। सुहागरात में जैसे-तैसे करके मैंने उसकी कुंवारी चूत को अपने विकराल लिंग से फाड़ दिया। चूत से निकले खून को देख कर वो बेहोश हो गई थी, लेकिन मैं रुका नहीं और लगातार उसे चोदता रहा। थोड़ी देर मैं वो नॉर्मल हो गई।
मेरा पहली बार था तो मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और झड़ गया। वह भी मेरे साथ झड़ गई। मैं उसे और चोदना चाहता था, पर एक चुदाई में ही उसकी हालत ख़राब हो गई थी, इसलिए मैंने सोचा कि आज के बाद तो ये मेरी ही है, कल से खूब चोदूंगा। मैं उसे बाहों में लेकर सो गया।
अगली सुबह मेरी आंख किसी के चिल्लाने की आवाज़ के साथ खुली। मेरी पत्नी पहले ही उठ चुकी थी। मैं जैसे ही बाहर आंगन में आया तो मैंने देखा दस बारह आदमी मेरी मां के पास खड़े थे। उनमें से एक दबंग सा दिखने वाला आदमी मां से कह रहा था कि, “तब तो यह जमीन मैं तेरे पति से नहीं ले सका, पर मैं अब लेकर रहूंगा। मैंने मेरे रिश्तेदार की बेटी से इसी वजह से तेरे बेटे की शादी कराई है। अब यह लड़की तुम्हारे खिलाफ दहेज और मारपीट का मुकद्दमा दर्ज करेगी, या फिर तुम चुप-चाप यह जमीन मेरे हवाले कर दो और यहां से कहीं और चले जाओ।”
मैंने देखा मेरी पत्नी भी उनकी हां में हां मिला रही थी। मैं और मेरी मां समझ गए कि जिसे हम शादी हुई समझ रहे थे, वो एक धोखा हुआ था हमारे साथ। मेरी मां ने कहा कि, “अपने जीते जी मैं यह जमीन तुम्हें नहीं दूंगी।” वे हमे अंजाम भुगतने की धमकी देते हुए चले गए और मेरी पत्नी को भी ले गए।
रात में मुझे पुलिस उठा कर लें गई, और दहेज और मारपीट के झूठे केस में जेल में भेज दिया। हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि दहेज और उत्पीड़न जैसे बडे केस में जमानत करा लेते। बस थोड़ी बहुत जमीन ही थी हमारे पास, जिसपे हम खेती करके अपना गुजर-बसर कर रहे थे। 6 साल कोर्ट में केस चला मगर सुबूतों के अभाव में मुझे रिहा करना पड़ा क्योंकि केस झूठा था। जेल में भी मां ने मेरा घी नहीं टूटने दिया। मैं जेल में अपना समय काटने लिए मैं कसरत करता था, जिसकी वजह से मेरी अच्छी बॉडी बन गई।
बीते 6 सालो में मां की तबीयत बहुत ख़राब रहने लगी थी और जेल से आने के कुछ दिनों बाद मां का स्वर्गवास हो गया था। मैं इस भरी दुनिया में अकेला रह गया था। अब मेरा गांव में भी कोई नहीं था, तो सबसे पहले मैंने वो घर और ज़मीन बेच दी, जिसकी वजह से आज मैं अकेला हो गया था, और सब पैसा बैंक में जमा कर दिया कि अगर किसी काम के लिये जरूरत होगी तो निकाल लूंगा।
फिर मैं दिल्ली आ गया और एक कपड़ा रंगाई फैक्टरी में काम करने लगा। जिस फैक्टरी में मैं काम करता था वहां सब वर्कर बिहार के रहने वाले थे। मेरे मिलनसार व्यवहार की वजह से मेरी सब से अच्छी बनती थी। उन वर्करों में एक चाचा थे। उनका भी संसार में कोई नहीं था। उनसे ज्यादा लगाव था मुझे। पर वे शराब बहुत पीते थे, शायद अकेलेपन की वजह से ज्यादा पीते थे।
मैं 28 साल का हो गया था। भरपूर जवानी अकेले ही काट रहा था। मन तो मेरा भी बहुत होता था कि कोई मिले जिसे मैं रात भर चोदूं। जेल से आए अभी 3 महीने ही हुए थे, इसीलिए अभी किसी से मेरी सेटिंग नहीं हुई थी और किसी धंधे वाली के पास मैं जाना नहीं चाहता था। जब कभी जवानी ज्यादा जोश मारती थी तो हस्तमैथुन कर लेता था।
एक दिन सुबह सुबह काम के समय चाचा ने ज्यादा पी ली और जहां गरम पानी में कपड़ा रंगाई करते थे चाचा उसी खोलते पानी में गिर गए। किसी तरह चाचा को पानी से बाहर निकाला, लेकिन वे कई जगह से झुलस गए थे। जब तक फैक्टरी मालिक नही आये थे और चाचा दर्द से चिल्ला रहे थे। उनकी तड़प मुझसे देखी ना गई और मैं उन्हें ऑटो करके दिल्ली के लोकनायक हॉस्पिटल ले गया जहां उन्हें तुरंत भर्ती कर लिया।
मरहम-पट्टी के बाद उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया और डाक्टर ने बताया कि दो तीन दिन में छुट्टी मिल जाएगी। मैंने यह बात फोन करके फैक्ट्री मालिक को बताई। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं चाचा के पास ही रहूं। मैं उनकी बात मान गया। मैंने चाचा से बात की तो उन्होंने कहा कि अब वे ठीक थे। बहुत देर चाचा के पास बैठा रहा। मैं चाचा को सुबह 8 बजे हॉस्पिटल मे लाया था, और अब दोपहर का 1:00 बज रहा था। सर्दी के दिन थे तो टाइम का पता नहीं लगा। मुझे अब भूख लगने लगी थी तो मैं चाचा से कुछ खाने के लिए लाने का बोल के अस्पताल से बाहर आ गया।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं, लोकनायक हॉस्पिटल दिल्ली का बहुत बड़ा सरकारी हॉस्पिटल है जहा हजारों लोग इलाज के लिए बाहर से आते हैं। हॉस्पिटल के बाहर मरीज और मरीज के साथ आए लोगों के लिए चाय, दूध, जूस, फल, अंडा, आमलेट, रोटी- सब्जी आदि की सैकड़ों रेहड़ी और दुकानें लगी रहती है। और इन दुकानों पर बहुत भीड़ रहती हैं, क्योंकि दूर दराज से आए लोगों को सस्ते में खाना और दूसरी जरूरत की चीज मिल जाती है, और फिर कोई अपने मरीज को छोड़ कर दूर भी नहीं जा सकता।
दोस्तों इसके आगे की कहानी अगले भाग में। मेरी हिंदी देसी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताएं।
अगला भाग पढ़े:- कामुक औरत को हॉस्पिटल में चोदा-2