दोस्तों, ये सेक्स कहानी करीब 12 साल पहले की है। मैं दिल्ली में कॉलेज में हॉस्टल में रह कर पढ़ता था। हमारा गांव दिल्ली से करीब पचास किलोमीटर पर है। मैं हर शनिवार की शाम को गांव चला जाता था। गांव में हमारा पूरा परिवार रहता है।
रविवार को मैं पूरा दिन अपने बचपन के दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करता था। गांव के घर के पड़ोस में एक लड़की जिसका नाम पिंकी था रहती थी। वो भी गांव के स्कूल में हमारे साथ ही पढ़ती थी। उसके पापा आर्मी में थे, तो वो हमेशा घर के बाहर ही रहते थे। उसकी मां और एक छोटा भाई यहीं गांव में रहते थे।
अब पिंकी भी जवान थी। उसके तीखे नयन नक्श और एक-दम कसा हुआ शरीर था। वो सलवार सूट में एक-दम मस्त लगती थी। रविवार को जब हम मस्ती करते थे तो वो भी हमारे साथ रहती थी।
बात एक रविवार की है। मैं और मेरा एक दोस्त खेत में मोबाइल में ब्ल्यू फिल्म देख रहे थे। उसी समय पिंकी ना जान हमारे पीछे से आई, और कब से वो भी फिल्म देख रही थी हमें पता ही नहीं चला। हमने पीछे मुंह कर देखा तो पिंकी को देखते ही हम थोड़ा घबरा गए, और मोहन मेरा दोस्त वहां से भाग गया। अब पिंकी मेरी बगल में बैठ गई।
वो बोली: क्या बात है अरुण, सिर्फ मोहन को ही फिल्म दिखाओगे, मुझे नहीं? लेकिन मैंने चुपके से तुम्हारी फिल्म देख ली है। क्या वहां हॉस्टल में ऐसी ही फिल्म देखते हो?
मैं बोला: अरे नहीं, ये तो बस ऐसे ही मनोरंजन के लिए देख लेता हूं। लेकिन तुम्हारे देखने लायक नहीं है।
वो बोली: मेरे लायक क्यों नहीं है? मैं भी तो अब जवान हूं। मुझे भी फिल्म देखनी है।
मैंने मोबाइल वापस शुरू किया, और फिल्म चालू कर दी। वो बड़े गौर से फिल्म देखे जा रही थी, और कभी-कभी मेरी तरफ देख कर शर्मा भी रही थी। कुछ ही देर में मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। वो कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
मैं बोला: पिंकी मजा आ रहा है ना?
वो बोली: हां, मजा भी आ रहा है और शर्म भी। कैसी बेशर्मी वाली फिल्म है।
मैं हिम्मत करके बोला: क्या तुम भी ये सब करोगी?
वो बोली: पागल हो क्या? ये सब मुझे नहीं पता।
मेरा लंड फिल्म देख कर और उसकी जांघों पर हाथ रखने के बाद एक-दम तन चुका था, और लोवर में साफ दिख रहा था। वो भी बार-बार मेरे लंड की तरफ देखे जा रही थी। तभी मैंने उसके कंधों पर हाथ रख कर अपनी तरफ जोर से भींच लिया। वो भी मुझ से चिपक गई। उसकी भी सबसे तेज हो गई थी, और वो गरम भी हो गई थी।
हम दोनों उठे और खेत में बने रूम में चले गए। रूम को अंदर से बंद करके मैंने उसे अपने से कड़ा चिपका लिया, और उसके गालों और होंठों पर किस्स करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं तो एक बार मेरी कॉलेज की फ्रेंड के साथ सेक्स कर चुका था, लेकिन पिंकी के लिए ये सब पहली बार था। वो उस तरह से ही सब करने लगी, जैसे उसने अभी फिल्म में देखा था।
उसने लोवर के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ा। मैंने अब उसकी छोटी और मुलायम चूंचियों को पकड़ लिया। गजब का एहसास था। उसका हाथ मेरे लंड पर और मेरा हाथ उसके बूब्स पर।
तभी मैंने अपना लोवर नीचे कर दिया। वो एक बार तो शर्मा गई लेकिन फिर उसने लंड को पकड़ लिया, और मेरे सामने ही बैठ कर लंड को अपने मुंह में ले लिया। उसने जैसे फिल्म देख था, वैसे ही लंड को चूसने लगी। मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा। मैं भी उसके सर को पकड़ कर उसके मुंह को चोदने लगा।
मैंने भी अब तक ज्यादा सेक्स तो किया नहीं था, तो मेरा वीर्य जल्दी से छूट गया, कुछ उसके मुंह के अन्दर और कुछ बाहर। मैंने उसे वहां पड़े हुए तख्त पर लिटा लिया, और उसकी सलवार को नीचे कर लिया। उसने कोई पैंटी नहीं पहन रखी थी। मैंने उसकी सलवार को निकाल दिया, और उसकी चूत को देखने लगा। एक-दम छोटी सी चूत थी, पूरी झांटों से ढकी हुई। वो भी काफी देर से गरम थी, तो उसकी चूत से भी पानी निकल रहा था।
उसकी चूत एक-दम गीली और चिकनी हो गई थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर थोड़ा रगड़ा, और उसकी टांगें चोड़ी करके उसके छेद पर सेट कर दिया। वो अभी कुंवारी थी, तो सील भी टूटने पर खून निकलेगा, इसलिए एक अखबार को उसके नीचे बिछा दिया। उसके होठों पर मैंने अपना हाथ रख दिया, ताकि वो चीख ना सके।
अब मैंने अपने लंड को जैसे ही उसकी चूत पर थोड़ा दबाया, तो वो चीख पड़ी। मैंने उसके होठों पर हाथ रखे रखा, और जोर से एक शॉट मार दिया। वो जोर-जोर से रोने लगी। मैंने अपने लंड को उसके अंदर ही रखा, और उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा। फिर जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसे चोदने लगा। अब उसको भी मजा आने लगा था। उसने मुझे कड़ा पकड़ लिया,और अपनी गांड को ऊपर उठाने लगी।
करीब दस मिनट तक जबरदस्त चुदाई हुई। जैसे ही वीर्य निकलने लगा, मैंने लंड को चूत से बाहर निकाल लिया, और वीर्य को नीचे बिछे हुए अखबार पर ही छोड़ दिया।
मैंने जब लंड को बाहर निकाला, तो देखा लंड पूरी तरह खून से लाल हो गया था, और काफी खून उसकी चूत पर लगा था। उसकी सील आज ही टूटी थी।
मैंने अपने रुमाल से उसकी चूत को और अपने लंड को साफ किया। फिर उसने अपनी सलवार पहन ली। वो काफी खुश थी।
वो बोली: अरुण, आज तो मजा आ गया।
हम दोनों कुछ देर वहां बैठे। जब उसे कुछ आराम हुआ, तो वहां से निकल लिए। रास्ते में मैंने उससे कहा-
मैं: अगली बार पहले तुम्हारी झांटे पहले साफ करूंगा। फिर बाकी काम। तुमने देखा था ना फिल्म में हीरोइन की चूत एक-दम साफ थी, वैसी ही।
वो बोली: ठीक है, जो करना है कर लेना।
अगले रविवार को वो बिना बुलाए ही खेत पर आ गई। मैंने बाकी दोस्तों को शाम को घूमने के लिए बोल रखा था। उस दिन मैं अपने साथ एक हेयर रिमूवर भी लाया था। तो पहले उसे नंगी करके उसकी झांटे साफ की। फिर हम दोनों ने साथ बैठ कर ब्ल्यू फिल्म देखी, और फिल्म देखते हुए ही शुरू हो गए अपने सेक्स करने में।
मैंने उसे खूब अपना लंड चूसने को बोला, और मैं भी उसकी एक-दम गोरी चूत को खूब चूसता। मैंने उसे अपने ऊपर बिठा कर चोदा, घोड़ी बना कर चोदा। वो भी सेक्स करने के लिए खूब उत्साहित रहती थी। और चुदाई की बड़ी शौकीन थी।
अगले हफ्ते से जब भी मैं गांव आता वो मेरा इंतेज़ार करती, और मैं उसे चोदता था। अब मैं अपने साथ में कंडोम भी ले कर आता था, ताकि हम बेधड़क चुदाई का मजा के सके।
तो दोस्तों आपको मेरा गांव की गौरी के साथ चुदाई का अनुभव कैसा लगा, बताना जरूर।