पिछला भाग पढ़े:- गर्लफ्रेंड की बड़ी बहन चुद गई-1
मेरी पहली चुदाई की कहानी में आपका स्वागत है दोस्तों। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी बहन के पड़ोसी लड़के से मेरी दोस्ती हुई, जिसकी बहन बहुत सेक्सी थी। फिर काम के बहाने मेरा उनके घर में आना-जाना शुरू हो गया। अब आगे-
तो इस तरह काम करते-करते जब किसी काम को लेकर वह लोग जब फोन करने लगे, तो दो-चार बातें हाय-हेलो, खाना खाए या नहीं खाए, इस तरह की बातें होनी शुरू हो गयी उसकी बीच बड़ी वाली बहन यानी रश्मि से। क्योंकि घर में रश्मि बड़ी थी, तो घर की जिम्मेदारी, घर को चलाना, यह सब चीज उसी के हाथों में था। तो हां, हालांकि एक चीज और मैं आपको बताना भूल गया, कि रश्मि की शादी हो चुकी थी पहले। लेकिन उसका पति किसी कारणवश उसे छोड़ दिया था। तो रश्मि अपने मायके में ही रहती थी।
अपनी बहनों और भाई और फैमिली के साथ वह अकेली थी। तो जब बातें होती थी, तो कुछ इधर-उधर की बातें भी हो जाती थी, और काम भी हो जाता था। कभी-कभी तो ऐसा भी होता था कि वह लोग मुझे चोरी-चुपके चाय पर भी बुला लिया करते थे। तो अब अंकित से दोस्ती हुई। दोस्ती से फिर उनकी बहनों से कॉल पर बात होनी शुरू हो गई, और बात होते-होते अब बात चाय तक पहुंच गई थी।
मुझे अच्छा लगने लगा था उन लोगों के साथ रहना, बात करना, और बीच-बीच में हम लोग उन लोग के साथ लूडो खेलना भी शुरू कर दिए थे। तो वह लोग दो बहन, एक भाई, और मैं, तो दो लड़के और दो लड़कियों की जोड़ी हो जाती थी। हम लोग लूडो खेलने लगे थे, और काफी हंसी मजाक भी हुआ करता था।
फ्रेंडशिप के नाते मेरा भी मन लगा रहा। मुझे भी मजा आ रहा था उन लोगों के साथ बात करने में। क्योंकि आज तक मेरा कोई एक्सपीरियंस नहीं था लड़कियों के साथ बात करने के लिए, और मैं कभी लड़कियों के साथ टाइम स्पेंड किया ही नहीं था। ऐसी स्थिति में जब कोई लड़की मिल रही थी, तो भाई क्या गजब आनंद आ रहा था।
पड़ोस के जो लड़के रहते थे, वह सारे लोग ये देख-देख के मेरे से बहुत जलने लगे थे। मेरा मजाक उड़ाने लगे थे, कि “वाह भाई तेरे तो आज मजे ही मजे हैं। तू तो आज वहां रहने लगा है! आज वहां गया था! उन लोगों से बात करते हो यार, मेरी भी सेटिंग मीटिंग करा दे!” इस तरह का बात करने लगे थे। तो मुझे भी अजीब लगता था उन लोगों की बात सुन-सुन कर।
लेकिन मैं क्या करता? हालांकि ऐसी बात मैं किसी से कह नहीं सकता था। उसके बाद हमारी एक और पड़ोसी थी, जिसका नाम रागिनी था, तो वह रागिनी भी कभी-कभी उन लोगों के साथ बैठती थी, खेलती थी, और रागिनी भी काफी सुंदर थी। बहुत ज्यादा सुंदर थी, लेकिन सेक्सी कम थी। गोरी थी, चिकनी थी, उसकी हाइट कम थी, हालांकि उस पर भी लोग बहुत ज्यादा चांस मार रहे थे। लेकिन किसी का कुछ हो नहीं पा रहा था।
तो सारे लोग उसके बारे में भी हमसे यह कहते थे, कि तुम बात करते हो यार, मेरी सेटिंग कर दो, मेरा नंबर लेलो, इतने पैसे लेलो, बहुत सारी चीजें करते थे। लेकिन मैं यह सारी चीजें देख के परेशान हो जाया करता था। तो कभी-कभी इन सभी मामलों में मैं रश्मि से यह सब बात बोल देता था, कि कोई लड़का आया था, और वह रागिनी के बारे में बोल रहा था कि मेरी बात करा दो, ऐसे-वैसे कर दो।
रश्मि को भी लग रहा था कि क्या बात थी, कि रागिनी को बहुत सारे लड़के पूछ रहे थे, उसे नहीं पूछ रहे थे। लड़कियों में एक चीज यह होती है, कि अगर किसी और लड़की की तारीफ कर दो उसके मुंह के सामने, तो उसे जलन बहुत होती है। मैं इसका भरपूर फायदा उठाता था। मैं बोल-बोल करके उसे उकसाया करता था।
कुछ मेरा भी मन था कि इतनी सेक्सी लड़की अगर मुझे मिल जाए तो मजा ही आ जाए। इसलिए मैं भी थोड़ा बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ा करके बोल दिया करता था। कि वह लड़का उसको ऐसे बोला, जैसे मैं डायरेक्टली कभी-कभी बोल जाता था, कि उसके बूब्स बहुत अच्छे हैं, वह जब निकलती है तो उसके बाल बहुत लंबे हैं, घने हैं, बहुत सुंदर दिखते हैं, वगैरा-वगैरा मैं उसको बोलते रहता था।
इससे उसे भी लगता था यार मेरे बारे में कोई लड़का क्यों नहीं बोल रहे हैं? हालांकि यह बात उसने कभी बतायी नहीं, लेकिन मुझे ऐसा लगता था।
फिर बातें आगे बढ़ी और किसी कारण उसके भाई का, यानी बड़े भाई आकाश का रागिनी के पेरेंट्स से झगड़ा हो गया। यह आम बात है कि पड़ोसियों में झगड़े तो होते रहते हैं किसी ना किसी बात को लेकर के। अब आकाश का रागनी के पेरेंट्स से झगड़ा हो गया, तो रागिनी का रश्मि के घर आना जाना बंद हो गया। ऐसी स्थिति में फिर मेरे से लोग हाल-चाल पूछने लगे। रागिनी कभी मुझसे पूछती कि रश्मि के क्या हाल-चाल है? सुषमा का क्या हाल-चाल है? और रश्मि भी पूछती।
ऐसा सिलसिला चलता गया। फिर धीरे-धीरे रागिनी का आना-जाना कम हो गया, और मैं भी प्रयास किया रागिनी से बात करने का। रागिनी से भी हमारी बात बहुत अच्छी होती थी। मैं भी प्रयास कर रहा था कि वह भी सेट हो जाए। यार मेरे को क्या था, मेरे को तो बस मजे लेने थे। यार मैं सेक्स का बहुत ज्यादा भूखा था। क्योंकि मैं आज तक कभी लड़कियों के माहौल में रहा ही नहीं था, तो ऐसी सिचुएशन में मैं चाहता था कि यार कोई तो लड़की सेट हो जाए।
हालांकि वह भी सुंदर थी, वह भी कोई कम नहीं थी, और वह मेरे सामने डांस करती थी, और हम लोग कभी-कभी जब रश्मि के बड़े भाई आकाश नहीं होते थे, और रागिनी के पेरेंट्स नहीं होते थे, तो हम लोग सब मिल कर के ग्रुप में कुछ खेल खेलते थे, गेम खेलते थे, जैसे अंताक्षरी, और शाम के समय में कोई कबड्डी खेलता था, या कभी-कभी हम लोग लुका-छुपी वाला खेल खेलते थे।
इतने बड़े होने के बावजूद हम लोगों को ये सब अच्छा लगता था खेलने में। बहुत अच्छा लगता था। इसके आगे की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी। मुझे फीडबैक देने के लिए [email protected] पर मेल जरूर करें।