पिछला भाग पढ़े:- चाची के साथ दिवाली की सफाई-1
मैं बाहर एक दम नंगा खड़ा था, और भीगे होने और हल्की हवा की वजह से लंड भी खड़ा था। चाची की नज़र एक पल को मुझसे मिली और फिर लंड पर अटक गई। वो आंखे फाड़ कर मेरे लंड को देख रही थी। ये सब कुछ ही मिनट के लिए था।
मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं वापस बाथरूम में घुस गया। अब मैं अंदर नंगा भीगा खड़ा था। मुझे ठंड भी लगने लगी थी, और मन में ये भी सोच रहा था पता नहीं चाची मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी। कि तभी चाची ने बाथरूम का दरवाजा धीरे से खटखटाया और बोली-
चाची: तुम यहां क्या कर रहे थे? तुम तो चले गए थे ना नहाने?
मैं: हां चाची, मैं चला गया था। पर मम्मी ने दरवाजा बंद कर लिया था, तो मैंने उन्हें जगाया नहीं और सोचा यहीं नहा धोकर अपने रूम में सो जाऊंगा।
चाची: अच्छा, चलो वो सब तो ठीक है, अभी आओ बाहर।
मैं: नहीं आ सकता।
चाची (हैरानी से): क्यों?
मैं (शरमाते हुए): मैंने कपड़े नहीं पहने हुए है, टॉवल और कपड़े मेरे रूम पर है। आप थोड़ी देर के लिए अपने रूम में जाइए तो में दौड़ कर अपने रूम में चला जाऊंगा।
चाची: अरे नहीं। मैं अंदर तक नहीं जा सकती। मुझे बहुत ज़ोर से टॉयलेट जाना है। तुम दरवाजा खोलो।
मैं: अरे चाची पर मैंने कपड़े नहीं पहने है। कैसे खोल दूं दरवाजा?
चाची: एक काम करती हूं। मैं दूसरे तरफ मुंह करके खड़ी होती हूं। तुम दरवाजा खोल कर बाहर निकलो और जल्दी से रूम में चले जाओ और में बाथरूम में चली जाऊंगी।
मैं: ये ठीक रहेगा चाची।
फिर चाची दरवाजे के दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हुई, मैंने दरवाजा खोला और बाहर आया। चाची बाथरूम में गई और मैंने सोचा भाग कर चला जाऊं अपने रूम में। जैसे ही मैंने दौड़ा तो भीगे होने की वजह से पैर फिसला और मैं गिर गया।
दर्द तो बहुत तेज हुआ पर मैंने जोर से आवाज नहीं की। क्योंकि रात ज्यादा हो रही थी, और लगभग 12:30 बज रहे थे। सब सो रहे थे, तो चिल्लाने से सब घबरा जाते। पर गिरने की आवाज इतनी थी, कि बाथरूम में चाची को सुनाई पड़ गई।
5 मिनट मैं जमीन पर नंगा पड़ा रहा,और उठने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि पैर मुड़ गया था तो दर्द हो रहा था। धीरे-धीरे जब तक उठ कर रूम तक पहुंचा, तब तक चाची बाथरूम से मेरे पीछे मेरे रूम तक आ गई। मुझे लंगड़ाता हुआ देख कर मुझे समभालते हुए बोली-
चाची: मुझे कुछ गिरने की आवाज आई थी। मैं नहा रही थी इसलिए बाहर नहीं आ पाई।
मैं: हां वो थोड़ा पैर फिसल गया था तो गिर गया।
चाची ने मेरा हाथ पकड़ रखा था। वो उस वक्त नहा कर आई थी और सिर्फ मैक्सी पहने हुए थीं जो कि उनके हल्के गीले बदन से चिपक रही थी खास कर उनके बूब्स और गांड पर। इससे उनके उभार देख कर साफ पता चल रहा था कि उन्होंने अंदर ब्रा पेंटी नहीं पहना हुआ था।
अब तक मेरा दर्द लगभग खत्म हो चुका था। पर चाची को ऐसे देख कर मुझे थोड़ी देर पहले हुई मम्मी पापा की चुदाई याद आ गई और ना जाने क्यों मैंने दर्द होने का नाटक जारी रखा।
चाची ने मुझे बेड पर बैठाया। मैंने चादर उठा कर अपने पैरों से लेकर कमर तक डाल ली। चाची के छूने से शरीर में अजीब से तरंग दौड़ रही थी, जिसका सीधा असर लंड पर पड़ रहा था। बम्बू ने चादर में तम्बू बनाना शुरू कर दिया था और चाची की नज़र लंड पर जा रही थी। फिर मैंने चाची से कहा-
मैं: चाची रात काफी हो रही है आप थक भी गई हो। आप जाइए जाकर सो जाइए। सुबह फिर आपको काम करना ही है।
चाची: नहीं, तुम्हारे पैर में चोट आई है, इसे छोड़ कर नहीं जाऊंगी।
मैं: अरे चाची, मेरे पास क्रीम रखी है दर्द के लिए, मैं लगा कर सो जाऊंगा।
चाची: तो बताओ कहा रखी है, मैं लगा देती हूं।
मैं: आप मत परेशान हो मैं लगा लूंगा।
चाची (डांटते हुए): समझ में नहीं आता, कि क्या बोल रही हूं। मैं लगा देती हूं तो चुप चाप लगाने दो।
फिर मैं कुछ नहीं बोला और उन्हें क्रीम बता दी तो वो ले आई।
उन्होंने मुझे बेड पर लेट जाने को कहा, तो मैं वैसे ही चादर अपने जांघ से लेकर सीने तक डाल कर लेट गया। चाची ने पूछा-
चाची: कहां दर्द हो रहा है?
मैं: एड़ी से घुटने तक।
फिर चाची ने क्रीम उंगलियों पर लेकर पैर में मालिश करने लगी।
उनका हाथ लगते ही सनसनी सी फैल गई पूरे शरीर में। लंड जो पहले ही खड़ा होना शुरू हो चुका था अब तो चादर में पूरा टेंट बना चुका था। चाची के हाथों के स्पर्श से मुझे बहुत सुकून मिल रह था। मैं आंख बंद करके लेटा हुआ था।
अब चाची ने पैर के पंजे को हाथ में उठा कर मालिश करना शुरू किया। हम कुछ इस तरह से थे कि मैं बेड पर सीधा लेटा हुआ था, और चाची मेरे पैर के पास सामने बैठी हुई थी, और मेरे पैर को अपनी गोद में रख कर बैठी थी और क्रीम से मालिश कर रही थी।
वो पैर की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फसा कर खींचती, कभी पंजे को दबाती। फिर एंकल पर पकड़ कर मालिश करती। उनके मुलायम हाथ बहुत ही सुखद अहसास दे रहे थे। एक तो वैसे ही ठंड का मौसम था। बाहर ठंड बढ़ती जा रही थी और चाची के स्पर्श पा कर मेरे अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी।
चाची धीरे-धीरे मालिश करते घुटनों तक आ गई। वो मुझसे बातें कर रहती थी, पर उनका ध्यान मेरे तंबू पर जा रहा था।
चाची: बताते जाना कहां पर ज्यादा आराम मिल रहा मालिश से।
मैं: चाची बहुत अच्छा लग रहा है। आज बहुत थक भी गया हूं बार-बार सामान ऊपर नीचे करने से।
चाची (डबल मीनिंग बात करते हुए): हां समान ज्यादा ऊपर नीचे करने से थकान तो आ ही जाती है।
मैं (उनकी इस बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए): हमम।
बस इतना ही जवाब दिया।
इसी तरह से हमारी बातें चल रही थी। फिर वो कॉलेज के बारे में पूछने लगी और यहा-वहां की बात चल रही थी। वो अच्छे से मालिश कर रही थी। मुझे रिलेक्स फील हो रहा था तो मैं आंख बंद कर के शांत लेट गया।
थोड़ी देर में जब चाची ने देखा कि मैं तो आंख बंद किए हूं तो उन्होंने मुझे आवाज दी। पर मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। फिर उन्होंने मेरे पैर को हिलाया जिससे मेरी कमर भी हिल गई और लंड भी लहरा गया चादर के अंदर।
चाची वैसे ही रुक गई। उनका हाथ मेरी जांघ पर था चादर के अंदर से। कमरे में बिल्कुल सन्नाटा छा गया कुछ देर के लिए। मुझसे चाची की सांसों की आवाज आने लगी जोर से, तब मैंने धीरे से अपनी थोड़ी सी आंखे खोल कर देखा।
दोस्तों, चाची एक टक मेरे लंड को देख रही थी और उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी। तभी मेरे दिमाग में मस्ती सूझी। मैंने नाटक करते हुए फिर से अपनी कमर हिला दी जिससे मेरा लंड फिर से लहरा गया। चाची अभी भी उसे घूरे जा रही थी।
चाची को इस तरह अपने लंड को देखते हुए मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और लंड में तनाव बढ़ने लगा। लंड झटके देने लगा और प्री कम से चादर पर दाग बनने लगा।
मैं चाची के चहरे की तरफ देख रह था। वो कामुक हो रही थी, और उनकी आंखों में वासना साफ झलक रही थी। चाची धीरे से अपना चेहरा चादर के ऊपर से लंड के पास लाई और प्री कम से गीले हो रहे हिस्से को सूंघने लगी।
दोस्तों, उनकी नाक बिल्कुल लंड को छूने के करीब थी। तभी मैंने हल्का सा झटका दिया तो लंड उनकी नाक और लिप्स बीच टच हो गया और एक-दम चाची के मुंह से आह निकल गई, और उनका जो हाथ मेरी जांघ पर रखा हुआ था, उससे मेरी जांघ को भींच लिया। पर मैं वैसे ही लेटा रहा। चाची की धड़कने इतनी तेज़ चल रही थी, कि मैं उनकी आवाज साफ सुन पा रहा था। चाची जोर-जोर से सांस ले रही थी।
चाची ने जैसे ही मुझे देखने के लिए सिर ऊपर किया मैंने तुरंत आंखे बंद कर ली और इसे नाटक करने लगा जैसे बहुत गहरी नींद मैं हूं। चाची ने हांथ बढ़ा कर लंड के पास लेकर आई। मैंने मन में सोचा कि आज तो दिवाली मन गई लगता है, पर अचानक से चाची रुक गई। शायद उनके मन में खयाल आया हो कि ये वो क्या कर रही थी। फिर वो उठ कर जाने लगी।
मुझे लगा की सब उम्मीद पर पानी फेर कर चाची जा रही थी। मैं उदास हो गया। पर तभी चाची फिर रुक गई और वापस आकर मेरी कमर के पास बैठ गई। उन्होंने मुझे फिर से आवाज लगाई पर मैं कुछ नहीं बोला। मैं देखना चाहता था कि चाची आखिर चाहती क्या थी।
तभी मेरे पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। दोस्तों क्या बताऊं वो एहसास कैसा था। चादर के अंदर मेरा लंड अपने पूरे शबाब पर था। मुझे चादर के ऊपर से अपने लैंड पर कुछ गीला मुलायम सा फील हुआ।
मैंने थोड़ी आंखे खोल कर देखा तो चाची ने अपनी जीभ मेरे लंड पर लगाई हुई थी और चादर के ऊपर से उसे हल्के से चाट रही थीं।
चाची ने अपना मुंह खोल कर लंड को ऐसे मुंह में ले लिया था जिससे लंड तो उनके मुंह में था पर मैं उनसे टच नहीं हो रहा था।
अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था,तो मैंने एक-दम से आँखें खोली, और चाची से कहा-
मैं: ये आप क्या कर रही हैं?
वो हड़बड़ा कर उठ गई और वापस जाने लगी। तो मैंने एक-दम से उनका हाथ पकड़ लिया, और चाची को अपने पास खींच लिया।
चाची मेरे ऊपर आ गई।
मैंने कहा: ये आप क्या कर रही थी?
चाची: मैं, कुछ भी तो नहीं कर रही थी। तुम्हारे पैर में मोच है तो उसे मालिश कर रही थी।
मैं: मोच पैर में है और आप कहीं और मालिश कर रही थी।
चाची: नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है।
मैं: तो फिर आप भाग क्यो रही थी?
अब चाची एक दम शांत हो गई थी। पर उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी।
मैं एक हाथ से उनके हांथ पर रखा और कहा-
मैंने उनसे क्या कहा, और आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।
तो दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। आप सभी को कैसी लगी मुझे कॉमेंट में और मेल में जरूर बताएं। जो भी आपके विचार हो सभी का स्वागत है। अच्छी लगी हो तो भी बताए, बुरी लगी हो तब तो जरूर ही मेल करें। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक नहीं हूं। गलतियां होना स्वाभाविक है।
जो भी लेडी, भाभी, आंटी मुझसे अपने विचार अपनी बातें साझ करना चाहे मुझे मेल कर सकती है।
मेरी मेल आईडी है:
अगला भाग पढ़े:- चाची के साथ दिवाली की सफाई-3