सासू मां की चुदाई-7 (Sasu maa ki chudai-7)

पिछला भाग पढ़े:- सासू मां की चुदाई-6

हाय मेरा नाम दिलीप है, और मैंने अपने पहले दो पार्ट में बताया किस तरीके से मैंने अपनी सासू मां को चोदा था। तो दोस्तों मैं इस बारे में बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी सासू मां की गांड का गुलदस्ता बनाया। फिर चलते है अगले पार्ट की ओर।

सुबह की गरमा-गरम तगड़ी चोदम-पट्टी के बाद एक राउंड दोपहर को भी मार लिया था। अब इतनी तगड़ी चुदाई के बाद हम रात का खाना खा कर एक-दूसरे की बाहों में सो गये। मैं तो पूरा नंगा ही सो गया, लेकिन सासु मां अपने पेटिकोट को कमर से ऊपर अपने दोनों तरबूजों को ढक कर सोई थी। जब 2:00 बजे के करीब मेरी आंखें खुली, तब मैंने पाया मेरी सासू मां मेरे पास नहीं थी, और मैं यहां-वहां उन्हें ढूंढने लग गया‌।

तब मुझे सूं सूं की आवाज आई। तब मुझे पता चला मेरी सासू मां मूत रही थी। अब मुझे भी मूतने का एहसास होने लगा। मैं उठ कर सीधे बाथरूम में चला गया। वहां मैंने देखा मेरी सासू मां अपना पेटिकोट ऊपर उठा कर बैठ के मूत रही थी। पीछे से उनका मोटा‌‌ पिछवाड़ा नज़र आ रहा था। मैं यह देख कर बाथरूम के अंदर चला गया, और अपने लंड को पकड़ के मूतने लगा। मैं उनकी चूत को देख रहा था, जिसमें से मूत की तेज धार बाहर आ रही थी। जब मेरी सासू मां ने मुझे देखा कि मैं क्या देख रहा था, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा-

सासू मां: दामाद जी क्या हुआ? नींद तो खराब नहीं हुई आपकी?

तब मैंने उनसे कहा: आपने चाहा तो आप मुझे रात भर सोने नहीं देंगी।

यह बातें करके हम बाहर आ गए, और फ्रिज में से पानी निकाल कर हम दोनों ने पिया। फिर बिस्तर की ओर चल पड़े।

तब मेरी सासू मां बोल पड़ी: अब तो नींद नहीं आएगी मुझे, आपका लंड जो देख लिया।

तब मैंने कहा: सिर्फ देखेंगी या अपने अंदर लेने का भी प्लान है?

तब उन्होंने मेरे लोड़े को मसलते हुए कहा: यह तो कभी भी मेरी चूत में जाने को तैयार रहता है। इसे किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है‌।

यह कहते हुए हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। मैंने उनका पेटिकोट खोल कर बाजू में कर दिया, और उनके तरबूजों को दबाते हुए चूसने लगा।

तब मेरी सासू मां ने कहा: दामाद जी अपने लोड़े को मेरी चूत मे अभी धीरे-धीरे ही पेलना। क्योंकि 2 दिन की चुदाई के कारण मेरे चूत में दर्द हो रहा है। इसलिए आराम से चोदना मुझे।

मैंने उनसे कहा: हां मेरी जान, तू डर मत। चुदाई मैं बहुत आराम से करूंगा।

यह सुनते ही मेरी सासू मां ने मेरे होठों पर अपने होठ लगा कर चुम्मा-चाटी शुरु कर दी। हमने यह भी नहीं देखा कि रात के 2:00 बज रहे थे। हम तो बस लंड और चूत का खेल खेलने के लिए उतावले हो रहे थे। मैं धीरे से उनके तरबूजों के पास गया। उनमें से एक निप्पल अपने मुंह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे हाथों से उनके दूसरे निप्पल को मसल रहा था। अब मैंने अपनी सासू मां के गांड के नीचे तकिया लगा दिया। यह देख कर मेरी सासू मां ने मेरा सिर को पकड़ कर अपनी दोनों टांगों के बीच ले जाकर कर कहा-

सासू मां: जरा धीरे से ही चाटना मेरी चूत को।

मैंने उनको आंखों से इशारा करते हुए कहा: डर मत, बहुत प्यार से ही चाटूंगा।

और यह कह कर मैंने अपनी पूरी जुबान उनकी चूत में घुसा दी, और कुत्तों की तरह उनकी चूत को चाटने लगा। उनके मुंह से मादक आवाज आनी शुरू हो गयी।

सासू मां: हे भगवान, ऐसा दामाद हर किसी को मिले। उफ्फ कितना मस्त चाट रहा है। बेटा मेरी चूत की गहराइयों तक अपनी जुबान चलाओ। आह मर गई, और तेज, और तेज।

यह कहते हुए अपनी गांड को ऊपर-नीचे हिला रही थी। तब उन्होंने मेरे सर को बहुत जोर से अपनी दोनों टांगों के बीच पकड़ लिया,‌ और उन्होंने अपने पानी का फवारा मेरे मुंह पर छोड़ दिया। 1 मिनट तक उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं। वो अपने चूत को ऊपर से नीचे तक मेरे मुंह पर रगड़ रही थी। फिर मैं उनके ऊपर आ गया, और उनकी दोनों टांगों को फैला कर अपने लोड़े को उनकी चूत पर सेट करके एक धक्का लगा दिया। मेरा लौड़ा दनदनाते हुए उनकी चूत की गहराइयों में पूरी तरीके से समा गया।

मैंने उनसे कहा: सासू मां आपकी चूत ने तो मेरा पूरा लौड़ा एक ही बारी में खा लिया।

तब वह सिसकियां लेते हुए बोली: अब इस उमर में मेरी चूत तुम्हें टाइट कहां से मिलेगी? अगर टाइट चूत चाहिए तो मेरी बेटी है ना तुम्हारे लिए। मैं तो ऐसे ही मिलूंगी।

तब मैंने उनसे धक्के मारते हुए कहा: सासू मां सच-सच बताना, तुम्हें अपनी चूत मुझे चटवा कर मजा आता है ना?

तब उन्होंने कहा: हां मजा तो बहुत आता है‌। अब तुमने मुझे इसकी आदत लगा दी‌। अब यह आदत कभी नहीं जा सकती।

तब मैंने उन्हें जोर का धक्का लगा कर कहां: सासू मां मेरा लोड़ा कब मुंह में लेकर चूसोगी?

तब उन्होंने कहा: देखते हैं, लेकिन अभी नहीं। अभी जो तुम कर रहे हो वही करो। लेकिन थोड़े प्यार से, जानवरों की तरह नहीं।

मैंने अपना लोड़ा उनकी चूत से बाहर निकाला और उनसे कहां: चलो सासू मां, घोड़ी बन जाओ। अभी तुम्हारी चूत पीछे से चोदूंगा।

तब वह गुस्से में मुझे गालियां देते हुए कहने लगी: मादरचोद मेरा पानी आने वाला था, और इस वक्त तूने अपना लोड़ा बाहर निकाल दिया।

मैंने उनसे कहा: साली छिनाल, सब मजे तू ही करेगी तो मैं क्या करूंगा?

तब वह बिस्तर के किनारे आ कर घोड़ी बन गई। मैं बिस्तर से नीचे उतर कर उनकी गांड के पास आ गया। तब मेरी सासू मां क्या लग रही थी। पूरी कयामत ढा रही थी। उन्होंने अपने सर को बिस्तर पर चिपक कर एक तरफ किया, और अपने घुटनों पर आकर जांघों को फैला कर अपनी गांड को उठा दिया।

फिर मुझसे कहा: देखो दामाद जी, जरा धीरे ही चुदाई करना। क्योंकि पहली बार कोई मुझे घोड़ी बना कर चोद रहा है।

मैं अपने लंड को पीछे से उनकी चूत पर ले जाकर अपने लोड़े का टोपा उनकी चूत पर रगड़ने लगा। फिर उनकी गांड को पकड़ कर धीरे से अपने लोड़े को उनकी चूत के अंदर ठेल दिया। तब उनके मुंह से हल्की सी चीख निकली। लेकिन मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया, और मैं अपना काम करता चला गया।

उनकी गांड को पकड़ कर मैं आगे-पीछे हो रहा था। क्या बताऊं उस वक्त जो मजा आ रहा था, वह तो मुझे अपनी पहले चुदाई के वक्त भी नही आया था। अब मुझे एहसास होने लगा कि मेरी सासू मां भी मजे ले रही थी। क्योंकि जब मैं चुप-चाप खड़ा हो जाता तो वह अपनी गांड खुद आगे-पीछे करके मेरा लोड़ा अपनी चूत में ले रही थी।

अचानक मेरा ध्यान उनकी गांड के छेद पर गया। वह पूरी तरीके से काली थी, और काफी टाइट लग रही थी। मैं उनकी गांड पकड़ कर उन्हें जब धक्के मार रहा था। तब मुझे उनकी सुबह वाली बात याद आ गई। उन्होंने कहा था

कि दामाद जी अगर आपको मेरी गांड मारनी हो तो कभी भी मार सकते हो।

तब अचानक से मेरी सासू मां बोल पड़ी: दामाद जी जल्दी करो, मेरा पानी निकलने वाला है, और मेरी चूत में बहुत जलन हो रही है।

और यह कहते हुए मेरी सासू मां खुद अपनी गांड को आगे-पीछे करने लगी। मैं समझ गया अब यह झड़ने वाली थी। उनके दोनों तरबूज काफी तेजी से आगे-पीछे हो रहे थे, और एक-दूसरे पर टकरा रहे थे। तब मैं अपने अंगूठे पर थूक लगा कर उनकी गांड के छेद पर फेरने लगा, और धीरे-धीरे अंगूठे को उनकी गांड के अंदर डालना शुरू किया। मुझे पता था मेरी यह हरकत अब उन्हें पता नहीं चलेगी। क्योंकि वह बहुत जोश में दिख रही थी, और अगले ही पल उन्होंने अपने चूत में मेरे लोड़े को पूरी तरीके से भिगो दिया।

अब सासू मां इस घोड़ी वाली पोजीशन में शांति के साथ पड़ी रही और मुझसे कहने लगी: दामाद जी प्लीज आप अपना लोड़ा मेरी चूत से बाहर निकाल दीजिए। मैं अपने हाथों से आपकी मुठ मार कर पानी निकालती हूं। लेकिन चूत में आपका लौड़ा लेने की ताकत नहीं बची है।

मैंने उनसे कहा: आप चुप-चाप ऐसे ही रहो। मैं अपना काम खुद कर लूंगा।

और यह कह कर मैंने अपना लोड़ा बाहर निकाला और उनकी गांड की छेद पर रगड़ने लगा। मेरा लोड़ा मेरी सासू मां के पानी से पूरा भीगा हुआ था, और फिर मैंने अपने लोड़े के टोपे को उनकी गांड के छेद पर दबा दिया। मेरे लोड़े का टोपा उनकी गांड के छेद के अंदर और चीख उनके मुंह से बाहर आई, और वो मुझे कहने लगी-

सासू मां: नहीं दामाद जी, ऐसा मत करो। मैं मर जाऊंगी। चाहे तो आप मेरी चूत को चोदो, लेकिन मेरी गांड मत मारो।

यह कह कर वह उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उनकी गांड को बड़े ताकत के साथ पकड़ के रखा था।

आगे की कहानी अगले पार्ट में। मेरा ईमेल आईडी
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अगला भाग पढ़े:- सासू मां की चुदाई-8

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