पिछला भाग पढ़े:- चाची के साथ दिवाली की सफाई-2
मैं: चाची, मैं बहुत देर से आपको देख रहा हूं, कि आप क्या कर रही है।
चाची: सॉरी, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाया।
मैं (शरारती स्माइल देते हुए): सॉरी किस बात के लिए? जब कुछ किया ही नहीं।
चाची (अचंभे से मेरी तरफ देखते हुए): क्या मतलब?
मैं: मतलब ये कि आप जो करना चाहते थे, वो तो कर ही नहीं पाई।
चाची शरमा गई।
मैं: चाचा की याद आ रही है क्या चाची?
चाची ( नाटकीय गुस्सा करते हुए): हट बदमाश!
मैं: अरे चाची जान। अब शर्माइये मत। इतनी भोली आप भी नहीं जितनी बन रही हैं और उतना छोटा मैं नहीं, जितना आप समझ रही है।
एक बार खिदमत का मौका दीजिए।
ऐसे बोल कर मैंने चाची का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, और चादर के ऊपर से ही लंड को उनके हांथ में पकड़ा दिया।
अब चाची लंड को पकड़ कर उसे हल्के-हल्के सहलाने लगी। और मैं वैसे ही लेटा रहा। फिर उसने मेरी जांघ पर अपना हाथ रखा।
चाची ने चादर के ऊपर से ही लंड रगड़ने की स्पीड बढ़ा दी। चाची बोल कुछ नहीं रही थी, बस लंड हिलाए जा रही थी। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने चाची का हाथ एक-दम से लंड पर से हटाया, और तुरंत चादर हटा दी, और एक ही झटके में चाची को खींच कर उनके मुंह को अपने लंड पर रखा, और हल्का सा दबाव डाला। इससे लंड चाची के मुंह में चला गया।
अचानक हुई इस हरकत से चाची घबरा गई। उन्हें समझ ही नहीं आया ये क्या हुआ था। वो छटपटाने लगी और लंड मुंह से निकालने की कोशिश करने लगी। मैंने चाची का सार पकड़ कर लंड पर दबाए रखा और चाची से कहा।
मैं: चाची घबरा क्यों रही हो? लंड को प्यार से चूसिए।
चाची ( मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी): मेरे तरफ देखते हुए सिर हिला कर मना कर रही थी।
मैं: अरे चाची जान। कौन सा आप पहली बार मुंह में ले रही हो लंड।
ज्यादा सीधी मत बनो। मुझे सब पता है आप कैसे मजे से लंड चूसती हो चाचा का।
मेरी ये बात सुन कर अब चाची शांत हो गई। वो मुझे आश्चर्य से देख रही थी, पर अब भी चूस नहीं रही थी। तो मैं फिर से उनका सर पकड़ कर उसे अपने लंड पर ऊपर-नीचे करने लगा, और फिर चाची ने उसे अपने मुंह में लेना शुरू कर दिया। अब चाची भी मूड में आ रही थी।
एक हाथ से उन्होंने लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे करना शुरू किया, और लंड के टोपे को होठों मे फसा कर चूसने लगी, और अंदर तक ले रहीं थी।
दोस्तों, मैं वो फीलिंग कैसे भी व्यक्त नहीं कर सकता, जो उस वक्त मैं फील कर रहा था। मैं जैसे जमीन पर ही नहीं था उस वक्त। मेरी आंखे एक-दम बंद थी। चाची लंड की खाल को नीचे खींच कर सुपारे को होठ के बीच टाइट करके अंदर लेती और एक-दम से सांस अंदर खींच लेती। जिससे लंड और मुंह के बीच वैक्यूम (निर्वात) जैसा बन जाता और लंड का सुपारा एक दम ठंडा सा पड जाता।
दोस्तों, उस वक्त तो जैसे मेरी सांस ही रुक जाती थी कुछ पल के लिए। और जैसे चाची सांस वापस छोड़ती, मेरे मुंह से आह… निकल जाती।
दोस्तों, मेरे जितने लड़के दोस्त ये कहानी पढ रहे है, अगर उनके पार्टर ने कभी उनके साथ ऐसा किया है, तो वो जरूर समझ सकते है। वो अपना एक्सपीरियंस मुझे मेल में जरूर बताएं, और जिन्होंने ये कभी ट्राई नहीं किया, वो अपने पार्टनर से कहे ऐसा करने को।
और जो लड़कियां या लेडी पढ़ रही है, वो भी ट्राई करें, और अगर ट्राई किया है तो अपना एक्सपीरियंस मेल करके बताए।
तो चाची मेरा लंड गजब तरीके से चूसे जा रही थी। मेरी बर्दाश्त करने की क्षमता खत्म होते महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि अगर एक बार और चाची ने यही हरकत की लंड के साथ, तो पानी छूट जायेगा।
मैंने तुरंत ही चाची के मुंह से लंड हटा कर उन्हें अपने ऊपर खींच लिया, और उसके होंठो को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। चाची पूरी मेरे ऊपर लेटी हुई थी। मैं तो पूरा नंगा ही था, और चाची के नंगे बदन पर बस एक पतली से मैक्सी थी। मैंने चाची की गांड पर अपने दोनों हाथ रखे और किस करते हुए गांड जोर से मसलने लगा।
उनकी गांड इतनी मुलायम थी, कि बस उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। अपने दोनों हाथों के अंगूठों को गांड की दरार में रख कर और बाकी उंगलियों को गांड पर फैला कर गांड को खींच रहा था जैसे फाड़ दूं गांड को। चाची को दर्द हुआ तो एक-दम चिहुंक उठी, और गांड हिलाने लगी।
मैंने गांड को खींचना बंद कर दिया और उंगली से मैक्सी गांड की दरार में घुसा दी। चाची की चूत मैक्सी के ऊपर से लंड से रगड़ खा रही थी। मैंने हाथ नीच ले जाकर मैक्सी को ऊपर उठाना शुरू किया, और कमर तक ले आया। मैं
चाची के होंठो को मुंह से निकाल कर चाची को प्यार से देखने लगा।
चाची भी वासना भरी नजरों से मुझे देख रही थी। फिर चाची उठ कर बैठी और खुद ही अपनी मैक्सी निकाल कर फेंक दी।
अब चाची एक दम नंगी थी। उनकी चूत एक-दम छोटी सी उठी हुई थी, और चूत के ऊपर हल्के से बाल थे। उनके 36″ के बूब्स और 36″ की गांड बिल्कुल शेप में थी, जिसे देख कर लौंडा फनफनाने लगा।
मैंने तुरंत चाची को नीचे लिटाया, और उनके ऊपर उल्टा लेट गया। मेरा मुंह उनकी चूत पर और उनके मुंह में मेरा लंड था। जोर-जोर से दबा कर हम एक-दूसरे को चूस रहे थे। मैं चाची का मुंह जोर-जोर से चोदने लगा जिससे पलंग हिलने लगा। फिर मैं रुक गया और चाची के मुंह से लंड निकाल लिया।
चाची: क्या हुआ? रुक क्यों गए? कितना मजा आ रहा था।
मैं: चाची, पलंग तो अभी से शोर करने लगा। इस ही हुआ तो सबको पता चल जायेगा की चाची-भतीजे की घमासान चुदाई चल रही है।
चाची (शरमाते हुए): बेशर्म, अच्छा तो फिर किया क्या जाए? तुम्हीं सोचो कुछ।
तब मैंने उन्हे बिस्तर से नीचे खड़ा किया और गद्दे को नीचे जमीन पर डाल दिया।
चाची: वाह! ये बड़ा तेज दिमाग लगाया। अब चाहे जितना उछाल कूद हो, ये आवाज नहीं करने वाला, और ना ही टूटेगा।
मैं: चाची आप बेड पर लेटिए, लेकिन अपना सिर बाहर की तरफ और पैर अंदर बेड पर रखिए।
चाची (सोचते हुए): क्या? मुझे कुछ भी समझ नहीं आया, क्या करने बोल रहे हो।
मैंने चाची को पकड़ कर बेड पर ऐसे लिटाया कि उनका सर बेड के किनारे पर था और बाकी बॉडी पीछे बेड पर।
चाची: वरुण ये क्या कर रहे हो? बिस्तर नीचे लगाया है। मुझे बेड पर ऐसे लिटा रहे हो। दिमाग काम नहीं कर रहा क्या तुम्हारा?
मैं: अरे चाची जान, आप देखते तो जाइए। आज ऐसे प्यार करूंगा, जैसे आज तक किसी ने नहीं किया होगा आपके साथ।
चाची: ओय सुन। तुम्हारे चाचा के अलावा आज तक किसी के साथ मैंने कुछ नहीं किया समझे।
मैं: हां तो आज तो कर रही हो ना।
चाची: हां, चलो अब देर मत करो, और जल्दी मेरी चुदाई करो। अब रहा नहीं जा रहा मुझसे।
मैं: अरे मेरी चाची जान, अभी तो शुरू भी नहीं हुआ कुछ, और आपसे अभी ही बर्दाश्त नहीं हो रहा।
मैं चाची के मुंह में अपना लंड डाल कर ऊपर उल्टा लेट गया, और उनकी चूत को अपने मुंह में ले लिया।
मैं: चाची, अपने पैरों को मेरे गले में डाल कर टाइट पकड़ लीजिए और आपने हाथों से मेरी कमर को टाइट पकड़ लीजिए।
चाची (डरते हुए): तुम आखिर करना क्या चाहर रहे हो? मुझे समझ नहीं आ रहा।
मैं: डरो मत, मैं जैसा कहता हूं वैसा करिए।
फिर चाची ने मुझे वैसे ही पकड़ा जैसे मैंने समझाया था। उनके पकड़ते ही मैंने बेड से थोड़ा पीछे होकर चाची के नीचे हाथ डाल कर उनको पकड़ लिया, और खड़ा हो गया। चाची घबरा गई और मुंह से लंड निकाला और बोली-
चाची: पागल हो गए हो क्या? ये क्या कर रहे हो? नीचे उतारो, मैं गिर जाऊंगी।
मैं: कुछ नहीं होगा। आप पैर फसा लो और मेरी कमर पकड़े रहिए। और लंड मुंह में लो।
चाची ने जैसे ही लंड मुंह में लिया मैंने उनकी चूत पर मुंह लगाया और जोर से धक्के देकर चाची का मुंह चोदने लगा।
मैं अपने दोनों हाथ को चाची की कमर में फसा कर उनकी गांड को दबाए हुए था, और चूत में जीभ डाल कर चूत को जीभ से चोद रहा था।
तभी चाची का बदन अकड़ने लगा और चाची झड़ गई। उनका कामरस ज्वालामुख़ी के लावे के जैसे फूट पड़ा। कामरस इतना ज्यादा था कि मेरे मुंह से होते हुए चाची की कमर से नीचे आता हुआ पेट और बूब्स तक पहुंचे लगा। चाची अब और देर तक इस पोजीशन में नहीं रह सकती थी।
5 मिनट तक इन पोजिशन में एक-दूसरे के लंड चूत को चूसने के बाद मैंने चाची को नीचे बिस्तर पर लिटा दिया। चाची की सांसे तेज तेज चल रही थी।
चाची: वरुण, कसम खा कर कह रही हूं,
इतने सालों में आज पहली बार मेरा इतना पानी निकला है वो भी बिना लंड लिए। तुम्हारे चाचा चोदते तो बहुत अच्छा है। उनका लंड भी अच्छा है। वो देर तक भी चोदते है।
लेकिन वो फिर भी मेरा पानी कम ही बार निकल पाते है। यूं कह लो 10 बार में 1 बार। वो अपना पानी निकलने का बाद निढाल हो कर सो जाते हैं। उन्होंने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि मैं संतुष्ट हुई या नहीं।
मैं: कोई बात नहीं चाची, अब आप बिल्कुल चिंता मत करिए। आप आपको रोज ही ये संतुष्ट मिलती रहेगी।
चाची: वरुण, अब देर मत करो। अपना मूसल डालो अब मेरी ओखल में और कुटाई शुरू करो बेटा।
मैं: चाची, हम अब हम दोनों का एक नया रिश्ता बन रहा है, चुदाई का। लेकिन मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं। अगर आप बुरा ना माने और मुझे गलत ना समझे तो।
चाची: अरे बेटा, कोई ऐसी बात नहीं अब जिसका मुझे बुरा लगे। तुम मुझसे इतनी बड़ी खुशी दे रहे हो। बेझिझक बोलो।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। तो दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। आप सभी को कैसी लगी मुझे कॉमेंट में और मेल में जरूर बताएं। जो भी आपके विचार हो सभी का स्वागत है।
अच्छी लगी हो तो भी बताए, बुरी लगी हो तब तो जरूर ही मेल करें। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक नहीं हूं। गलतियां होना स्वाभाविक है।
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