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मम्मी को गिरवी रखा-2 (Mummy Ko Girwi Rakha-2)

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को गिरवी रखा-1

नमस्कार पाठकों मैं Thor आपके सामने अरुण की सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके हाजिर हूं। आशा करता हूं, कि आप सब ने पिछला पार्ट पढ़ लिया होगा। अगर किसी ने अभी तक पिछले पार्ट को नहीं पढ़ा है, तो कृपया पहले उसको जरूर पढ़ ले। उसमें आपको निश्चित रूप से मजा आएगा।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि अरुण की मम्मी सुमन बहुत सेक्सी थी, और उसका बाप मर चुका था। अरुण अपनी मां और बहन के साथ अपने ऑफिस की एक पार्टी में जाता है, जहां उसका ठरकी बॉस उसकी मम्मी की खूबसूरती देख कर हैरान हो जाता है। फिर अरुण के ऑफिस में प्रमोशन का दिन आता है, और वो बड़ी खुशी और उम्मीद के साथ ऑफिस जाता है। लेकिन जब घर वापस आता है, तो वो दुखी होता है, और उसने शराब पी रखी होती है। सुमन के बहुत पूछने पर वो बड़ी मुश्किल से बोलता है कि सब बर्बाद हो गया। अब आगे की कहानी-

सुमन अरुण का ये जवाब सुन कर हैरान हो जाती है। फिर वो उससे पूछती है-

सुमन: अरे ऐसा क्या हो गया बेटा? प्रमोशन नहीं मिला क्या? अरे नहीं मिला तो कोई बात नहीं। अगली बार मिल जाएगा।

अरुण: मां मुझे कभी प्रमोशन नहीं मिलेगा।

सुमन: ऐसे क्यों बोल रहा है?

अरुण: जब मैंने प्रमोशन की लिस्ट देखी तो उसमें मेरा नाम नहीं था। ये देख कर मुझे बहुत हैरानी हुई। मुझे लगा जरूर कोई गलती हुई होगी। फिर मैं बॉस के केबिन में गया, और वहां जाके पूछा, तो बॉस ने कहा…।

यहां तक बोल कर अरुण चुप हो गया।

सुमन बोली: तो बॉस ने क्या कहा बेटा?

अरुण: नहीं कुछ नहीं।

सुमन: देख अरुण, तुझे मेरी कसम है, बता तेरे बॉस ने क्या कहा तुझसे?

अरुण: बॉस ने कहा कि वो आपके साथ जिस्मानी संबंध बनाना चाहता है।

ये बोल कर अरुण सिर झुका कर फिर रोने लगा, और सुमन हैरान हो गई।

तभी अरुण फिर से बोला: उसने ये भी कहा है कि अगर मैंने आपको उसके साथ सम्बन्ध बनाने के लिए नहीं मनाया, तो वो मेरा नाम प्रमोशन के लिए कभी नहीं देगा।

सुमन बोली: तू शांत हो जा बेटा। वक्त बड़ा बलवान है। सब ठीक हो जाएगा। तेरी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी। और हमारी वैसे भी कौन सा इतनी जरूरतें है, जिसके लिए हमें ज्यादा पैसे चाहिए। कोई बात नहीं। ऐसे आदमी की बातों पर ऐसे नहीं रोते।

अरुण: लेकिन मैंने इतनी मेहनत की थी, और मेरे सारे सपने टूट गए।

ये बोल कर अरुण अपने कमरे में चला गया। बेटे को ऐसे दुखी देख कर सुमन को उसकी फिकर होने लगी। फिर जब रात को सुमन ने अरुण को खाने खाने के लिए बुलाया, तो वो नहीं आया। फिर वो उसके रूम में गई प्लेट लेके, तो उसने खाने से मना कर दिया। सुमन ने उसको बहुत कहा खाना खाने के लिए, लेकिन वो नहीं माना। फिर वो खाने की प्लेट वहीं रख कर आ गई, और उसको बोल दिया कि भूख लगे तो वो खाना खा ले।

उसके बाद सुमन अपने कमरे में आई, और सोचने लगी। सुमन जानती थी कि अगर अरुण को प्रमोशन नहीं मिला, तो वो टूट जाएगा। और वो किसी भी कीमत पर उसको टूटने नहीं दे सकती थी। ये सोच कर सुमन अरुण के कमरे में गई। अरुण सो चुका था। सुमन ने अरुण का मोबाइल लिया, और उसमें से उसके बॉस का नंबर ले लिया। फिर वो बाहर आ गई।

अपने कमरे में जा कर सुमन ने उसके बॉस को कॉल लगाई। जल्दी ही बॉस ने फोन उठा लिया, और बोला-

बॉस: हैलो!

सुमन: हैलो!

बॉस: हाजी कौन?

सुमन: जी मैं सुमन।

बॉस: सुमन…।

सुमन: अरुण की मम्मी।

बॉस: ओह सुमन जी!

अपने इतनी रात को कैसे याद किया मुझे?

सुमन: अरुण ने सब बता दिया है मुझे। आप ऐसा क्यों कर रहे है?

बॉस: मैं क्या कर रहा हूं सुमन जी? ये तो आप है जिसने मेरा दिन का चैन और रातों की नींद उड़ा रखी है। और मैंने मांगा क्या है आप से, बस थोड़ा सा प्यार। और आपके तो पति भी इस दुनिया में नहीं है। तो आपका भी तो दिल करता होगा कि आपको भी कोई प्यार करे।

सुमन: पति नहीं है तो किसी का भी बिस्तर गरम करने लग जाओ?

बॉस: अरे सुमन जी, मैं फ्री में कुछ नहीं मांग रहा। इसके बदले में आपके बेटे को अच्छी खासी तरक्की मिलेगी। कल को उसकी भी तो शादी करनी होगी आपको। उसके लिए पैसे तो चाहिए होंगे ना। आपकी एक हां से आपके बेटे का प्रमोशन हो जाएगा। उसकी तनख्वाह भी बढ़ जाएगी। चलिए सिर्फ बढ़ेगी नहीं दोगुनी हो जाएगी। अब तो खुश है आप?

इतनी अच्छी ऑफर सब कर सुमन सोच में पड़ जाती है। वो मन में सोचती है कि एक बार के बदले में अगर अरुण को इतना कुछ मिल जाएगा, तो क्यों ना वो चली ही जाए।

फिर वो बोलती है: मैं सोच कर बताती हूं।

बॉस: जी अच्छे से सोचिए। कोई जल्दी नहीं है। ये तो आप है जिसके लिए मैं इतना कुछ करने वाला हूं। वरना खूबसूरत से खूबसूरत रंडी 10000 से ज्यादा नहीं लेती। ये तो मेरा दिल आ गया है आप पर, तो आपके लिए कुछ भी।

सुमन फिर फोन रख देती है, और सोचने लगती है। पूरी रात वो सोचती रहती है। बेटे की खुशी और तरक्की के सामने उसको अपनी इज्जत की कीमत बहुत कम लगती है। बेटे के अलावा बेटी के भविष्य के बारे में भी वो सोच रही होती है।

फिर सुबह तक वो फैसला कर लेती है, कि अगर उसके बेटे की तरक्की, और बेटी के भविष्य के लिए उसको किसी के बिस्तर की रांड बनना पड़ेगा, तो वो बनेगी। अगर उसको खुद को किसी जिस्म के भूखे भेड़िए के सामने सौंपना पड़ेगा, तो वो सौंपेगी। अगर उसको अपने बच्चों के लिए अपने परिवृत को भंग करना पड़ेगा, तो वो करेगी।

ये सोच कर वो सुबह-सुबह अरुण के बॉस को कॉल कर देती है। अरुण का बॉस कॉल उठाता है, और बोलता है-

बॉस: जी सुमन जी, बताईए।

सुमन: ठीक है मैं तैयार हूं।

बॉस: बहुत अच्छे, आप खूबसूरत के साथ दिमाग से भी तेज है।

सुमन: लेकिन मेरी एक शर्त है।

बॉस: क्या शर्त?

सुमन: आप आज ही अरुण से माफी मांगेंगे और उसको कहेंगे कि आपको अपनी गलती का। एहसास हुआ है, और आप उसे आज ही प्रमोशन दे देंगे।

बॉस: अगर आप मुकर गई तो?

सुमन: मैं नहीं चाहती कि मेरे बेटे को इस सब का पता चले, इसलिए आपका ये करना जरूरी है।

बॉस: चलिए ठीक है, मैं कर दूंगा।

दोस्तों अभी इस सेक्स कहानी को यहीं रोक रहा हूं। अगला पार्ट जल्दी आयेगा। मेरी दूसरी स्टोरी सीरीज Ghar Ki Randiyan भी पढ़ें, और इस कहानी की फीडबैक gulati.gulati555@gmail.com पर दें।

अगला भाग पढ़े:- मम्मी को गिरवी रखा-3

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