पिछला भाग पढ़े:- ऑफिस ऑफिस-1
अब मैं उसके निप्पलस को चूसने लगा। वह मेरे सर पे हाथ रख कर बस हिलती रही। मेरा एक हाथ उसके स्तनों को दबा रहा था। मैं कभी उसके स्तनों से खेलता कभी उसके निप्पलस से। धीरे-धीरे मैं उसकी कमर पे चूमने लगा अब वह अपना आपा खो रही थी। तभी वहां किसी की आहट आयी। जैसे ही मैंने बाहर झांका उसने तुरंत अपनी ब्रा नीचे की, और टी-शर्ट ठीक करके वहां से चली गयी। मैं उससे बोलता रहा, लेकिन वह नहीं रूकी।
घर पहुंच कर मुझे लगा आज मेरे लवड़े को कुछ सुकून मिला। लेकिन बाथरूम जाकर वह और बड़ा हो गया। मुझे अब लैला चाहिए बस यही आवाज़ आ रही थी। उस दिने मैंने 3 बार हिलाया, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मुझे लैला के बड़े-बड़े स्तनों को दबाना था। मुझे उसके स्तनों को मरोड़ना था। उसके चूचों को चूसना था।
अब मेरा लौड़ा तड़पने लगा था। लवड़े को हिलने से अब राहत नहीं मिलेगी। जब तक मैं लैला की गांड के अंदर इस्से नहीं डाल देता, मुझे अब राहत नहीं मिलेगी। मैंने अपने लवड़े के उपरी मांस को पूरा पीछे किया, और जोर-जोर से रगड़ने लगा। उफ… लैला की बड़े-बड़े स्तन मुझे चाहिए थे। मेरे दिमाग से उसके स्तन निकल नहीं रहे थे।
मैंने उसे रात को मैसेज किया लेकिन उसका कोई रिप्लाई नहीं आया। अगले दिन सुबह-सुबह वह मेरे केबिन में आयी और मेरे गले लग गयी। उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया, और मेरे गालों पे किस करके चली गयी। कुछ देर बाद उसका मैसेज आया कि वह रात बार सोई नहीं, और उसके पति उसका फोन अक्सर चेक करता था। इसलिए उसने मेरे मैसेज का जवाब नहीं दिया। और फिर इस तरह हम चाट करने लगे।
एक दिन हिम्मत करके मैंने उसे बाहर जाने के लिए राज़ी किया। मैं उसे एक रिसोर्ट में लेके गया, तांकि हम पूरा दिन साथ बिता सके। पहले तो उसने मन किया, फिर बोहोत मनाने के बाद वह मान गयी। क्यूंकि मुझे लैला के साथ वह सब करना था, जो मैं ब्लू फिल्मों में देखता आया था।
लेकिन कही ऐसा ना हो कि अंदर डालते ही मेरा पानी निकल जाए। इसलिए मैंने अपने दोस्त से सलाह ली। उसने मुझे एक ट्यूब दी, जिसमें से थोड़ा सा क्रीम लेके अपने लवड़े के उपरी हिस्से पे मसलना होगा। मैं लैला को लेकर रिसोर्ट पंहुचा, और एक कमरा बुक करवाया।
जैसे ही मैंने कमरे का दरवाज़ा बंद किया, उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। कुछ देर तक मैं उसकी बाहों में जकड़ा रहा। फिर मैंने उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए, और किस करने लगा। धीरे-धीरे मेरे हाथ अपने आप उसके जिस्म पे चलने लगे। मैंने उसके जिस्म को चूमना शुरू किया उसके गले से लेकर उसकी छाती तक। फिर मैंने उसका टॉप निकाला, उसकी ब्रा को अलग किया, और उसके बड़े-बड़े स्तनों से खेलने लगा। उसको बिस्तर पर गिरा कर मैं उसके चूचों को चूसने लगा। जितना मैं उसके चूचों को चूसता, उतना वह तड़पती। मैं पागलों की तरह उसके चूचों को चाटने लगा।
फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी जीन्स का बटन खोला, और उसे निकाल दिया। उसका बदन दूध से भी सफ़ेद था। इससे पहले मैं कुछ सोचता, मेरे होंठ उसकी जांघो पे चिपक गये, और मैं उसकी जांघो को चूमने लगा। किस करते करते मैंने उसकी अंडरवियर निकाल दी। उसने बहुत अच्छे से शेव की थी। उसकी चूत देख कर मेरे लवड़े में से जैसे अंगार निकलने लगे। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था। मैंने उसकी टंगे खोल दी और अपना मुंह उसकी टांगो के बीज डाल दिया।
मैं उसकी चूत के उपरी हिस्से पे चूसने लगा। मेरे होंठ उसकी चूत को चाटने लगे। मुझे पता नहीं यह सब अचानक मैंने क्यों किया, लेकिन मेरे होंठ उसकी चूत पे अटक गाये। जितना मैं उसकी चूत के मांस के उपरी हिस्से को चाटता, उतनी वह उत्तेजित होने लगी। फिर अचानक से मैं उसके उपर उल्टा लेटा। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पे रख दिया, और अपना लौड़ा उसके मुंह के पास।
फिर मैं उसकी चूत के बाहरी हिस्से पे घूमने लगा। वह सहन नहीं कर पा रही थी, और चिल्लाने लगी। फिर कुछ पलों में उसने मेरा लौड़ा अपने मुंह में ले लिया, और वह भी उससे चाटने लगी। जितना मैं उसकी चूत को चाटता, उतना वह मेरे लवड़े को चाटती। धीरे-धीरे उसकी चूत चाटते हुए मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के बीच में रगड़नी शुरू की। फिर हल्के से उसकी गांड के अंदर उंगली डालनी शुरू की। फिर मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल दी।
अब मेरी एक उंगली उसकी गांड के अंदर थी। फिर मैंने उसको पलटाया, और उसकी पीठ से उसकी गांड तक चाटने लगा। उसकी गोल-गोल गोरी गांड पे जब मैंने अपनी जीभ रखी, उसकी गांड हिलने लगी। मैंने उसको कमर से उपर किया, और घोड़ी की तरह खड़ा किया। उसकी गांड को चाट कर मैंने एक उंगली उसकी गांड के छेद में डाली और दूसरे हाथ की उंगली उसकी चूत के उपरी हिस्से पे मसलने लगा। मैं जोर-जोर से मसल रहा था।
वह चीखने लगी मेरे अंदर डालो मेरे अंदर डालो। मैंने तुरंत उससे पलटाया और उसकी चूत पे अपना लौड़ा रखा। फिर धीरे-धीरे उसकी चूत के निचले हिस्से पे अपना लौड़ा रगड़ने लगा। मेरे लवड़े की रगड़ से उसकी चूत जैसे आग उगलने लगी। मेरा लौड़ा और उसकी चूत दोनों आग उगल रहे थे। अचानक मैंने अपना लौड़ा पूरा अंदर डाल दिया। उसने एक गहरी सास ली, और मेरे लवड़े का मज़ा लेने लगी। मैं कुछ देर तक अंदर-बाहर अंदर-बाहर करता रहा।
फिर मैंने उसकी टांगो को ज़रा उपर किया, और अपने कंधो पे रख दिया, और अपने लंड को अंदर धकेलने लगा। काफी देर तक मैं धकेलता रहा। जितना वह चीखती, मेरा लंड उतना बड़ा होने लगा। मानो मुझे उसकी चीखों से मज़ा आने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी टैंगो को नीचे किया, और उसके उपर अपने पैर रख कर चोदने लगा।
जितना में डालता उतना वह चिल्लाती, और जितना वह चिल्लाती, मेरा उतना बड़ा हो रहा था। ए.सी. फुल होने बावजूद हम दोनों पसीने से गीले हो गये थे। लेकिन उस पसीने में भी उसके बदन से एक महक आ रही थी। लेकिन वह थक गयी थी, और मैं भी। पूरे 2 घंटे हो चुके थे। उसने धीरे से कहा, “बस करो, प्लीज़ रुक जाओ, बस करो”। मेरा मन कर रहा था कुछ देर और, लेकिन जब तक मैं कुछ सोच पाता उसने अचानक से मुझे पीछे धकेल दिया, और मेरा लंड बाहर निकल आया। फिर वह पलट के लेट गयी।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको कहानी पढ़ कर मजा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर करे। आपके विचार हमारे लिए बहुत मायेने रखते है। धन्यवाद आपका कहानी को पढ़ने के लिए।