बरसों से अपने अन्दर की भूख को दबा कर बैठा रहा। जब भी बेचैन होता तो अलग-अलग ब्लू फिल्म देख कर अपना मन शांत करने की कोशिश करता रहता। अक्सर ऐसी फिल्में देख कर कर मन और ज़्यादा उत्तेजित हो जाता, लेकिन मुठ मार कर सो जाता।
अब हिलना तो एक आदत सी बन गयी थी। जब भी बाथरूम जाता, हाथ अपने आप लंड की तरफ चला जाता। तरह-तरह की फिल्में देख कर ऐसा लगता क्या यह सब मुमकिन भी है। पर मेरे आस-पास कोई ऐसा नहीं था जिससे मैं इस तरह के आनंद का मज़ा लू। मुझे एक ऐसे साथी की तलाश थी, जिसमें उतनी ही उत्तेजना हो और गर्मी हो।
बस हर दिन यही सोचता क्या मैं कभी किसी ऐसी नारी से मिल पाऊंगा या यह सब फिल्मों में ही होता है। मेरे ऑफिस में काफी लड़कियां थी, और उनमें से काफी कावरियां थी। लेकिन मैंने कभी किसी को गलत नज़रों से नहीं देखा। कई बार उनके पास खड़े रह कर भी मुझे कभी अहसास नहीं हुआ। एक ही ऑफिस में रह कर कभी-कभी हाथ स्पर्श हो जाता, तो कभी कुछ और, लेकिन मुझे कभी किसी के भी प्रति गलत ख्याल नहीं आया।
मैं इस टीम के साथ काफी सालों से काम कर रहा था, और यह मेरे लिए मेरी एक फैमिली जैसा हो गया था। क्यूंकी ज़्यादा से ज़्यादा समय अब मैं यही बिता रहा था। लेकिन एक दिन ऐसा आया जिसने सब कुछ बदल दिया।
हर साल की तरह इस साल भी दिवाली में मेरी टीम ने ऑफिस को सजाना शुरू किया। मैं एक नयी सीरीज देख रहा था, जहां एक देवर मौका पा कर अपनी भाभी को छुप-छुप कर देख रहा था।
इतने में मेरे केबिन में मेरी एक टीम मेंबर लैला नकली दिये लगाने आयी। अचानक उसके केबिन में आने से मैं बहुत गुस्सा हुआ, क्यूंकि मुझे वह सीरीज देखने में मज़ा रहा था, और मेरा लंड खड़ा हो रहा था। उसी बीच उसने केबिन का दरवाजा खोला। मैंने तुरंत अपना मोबाइल बंद कर दिया और लैपटॉप में कुछ करने का नाटक शुरू किया।
लैला ने लाल सारी पहनी थी, और वह गज़ब की खूबसूरत लग रही थी। सारी में उसका गठीला बदन दिख रहा था। वह मेरे चेयर के एक-दम करीब आकर उपर सीलिंग पे दिये का देगा लटकाने लगी। अब उसकी कमर बिल्कुल मेरे मुंह के करीब थी। मुझे उसके जिस्म की खुशबू आने लगी। जब तक मैं उसे ठीक से देख पाता, वह चली गयी।
उसके जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। लैला के साथ मैंने काफी वर्षों से काम किया था, लेकिन मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ। मैंने तुरंत वह दिया सीलिंग से गिरा दिया, और उसे फिर से आवाज़ लगाई। उसने आके देखा दिया नीचे गिरा पड़ा था। उसने मुझसे सॉरी कहा और उसे फिर से फिट करने के लिए मेरी चेयर के पास आयी।
अब मैं उसकी कमर को निहार रहा था। उसकी गोरी-गोरी कमर मुझे पागल कर रही थी। इससे पहले कि मैं उसकी कमर को छू पाता, वह फिर से चली गयी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करता। मैंने उसे फिर बुलाया और कहा दिया ठीक से नहीं लगा है, और उसके पीछे खड़ा हो गया। मैं उसके जिस्म को निहारने लगा। क्यों इतने सालो तक मैं इस अपसरा से वंचित रहा।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। वह फिर से चली गयी, लेकिन मेरी हालत अब और ख़राब हो रही थी। मुझे उसे अपनी बाहों में लेना था। कुछ देर बाद वह फिर आयी, और कहा सब बाहर इंतज़ार कर रहे थे फोटो निकालने के लिए। मैं बाहर कैसा जा सकता था। उसके जिस्म की खुश्बू से ही मेरा लंड खड़ा हो चुका था, और वह मेरी पैंट से दिख रहा था।
वह एक दिशा में हो कर पूरा नीचे तक लहरा रहा था। मैंने उससे कहा मैं पहले उसके साथ फोटो खिचवाऊंगा, फिर बाकी स्टाफ के साथ। वह मान गयी और अपना मोबाइल लेने बाहर गयी। मैं सोच रहा था मैं क्या करूं। जब वह वापिस आयी, मैंने उससे कहा हम सेल्फी लेते है, और उसके पीछे खड़ा हो गया। फिर उसका मोबाइल लेके दोनों का फोटो लेने लगा।
एक दो फोटो लेने के बाद मैंने हिम्मत करके अपना मुंह उसके कंधे के बराबर रखा, और पोज़ दिया, और फिर धीरे से मैंने अपना लौड़ा उसकी गांड पे चिपका दिया। पता नहीं उसके साड़ी में होने के बावजूद मेरे लौड़ा उसकी गांड के बीचो-बीच जा चिपका, और मैंने अपना मुंह उसके गले पे रख दिया। मेरे एक हाथ उसकी कमर पे चला गया और दूसरे से मैं तस्वीर लेने लगा।
अचानक से मेरा लौड़ा उसकी गांड के बीच जगह बनाने लगा, और मेरे होंठ उसके गले को छूने लगे। वह डर गयी, और बाहर की तरफ भाग गयी। उसके बाद मैंने उसे कई बार आवाज़ दी पर वह मेरे केबिन में नहीं आयी।
काफी बार मैंने उसके पास जाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं आयी। रात को जब मैं घर पंहुचा और कपड़े उतारे, मैंने देखा मेरा लौड़ा तब भी खड़ा था। मेरी अंडरवियर थोड़ी गीली हो गयी थी। मेरा लौड़ा उसकी गांड को घस के और उतावला हो गया था। काफी देर तक हिलाने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा था। अब मुझे लैला की गांड चाहिए थी।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पंहुचा पता लगा लैला ने छुट्टी ली थी दो दिन की। लगता था उससे मेरे लौड़े का स्पर्श पसंद नहीं आया। दो दिन बाद वह ऑफिस आयी, लेकिन मेरे केबिन में नहीं आयी। शाम को मैंने उससे फोन किया, और उसने काट दिया। फिर आधी रात को उसका मैसेज आया, “यह सब ठीक नहीं है”। मैं समझ गया वह मुझे पसंद करती थी लेकिन डरती थी।
कुछ दिनों बाद एक संडे के दिन मैंने उसे ऑफिस बुलाया क्यूंकी संडे को स्टाफ कम होता है। उस दिन वह वाइट टी-शर्ट और ब्लू जींस पेहन के आयी थी। वाइट टी-शर्ट में उसके बॉल का उभार दिख रहा था।उसके गोल बड़े चूचे मेरे लौड़े से पानी गिरा रहे थे। 2 बाजे मैंने सब को जाने के लिए कहा और लैला को एक मेल करके सब के जाने के बाद अपने केबिन में बुलाया।
जब वो मेरे केबिन में आई, इससे पहले वह कुछ बोले, मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया, और उसके होंठों पे अपने होंठ लगा दिए। वह मुझे अपने हाथों से धक्का देने लगी, लेकिन मैं उसके होंठों से नहीं हटा। फिर मैंने उसे पलटाया और उसकी गर्दन पे चूमने लगा, और अपने हाथ उसके स्तनों पे रख दिए। वह मुझे रोकने की कोशिश करती रही, और मैं उसके गले को चूमता रहा। मेरे दोनों हाथ उसके स्तनों के उपर सहला रहे थे, और मैंने अपना लौड़ा पीछे से उसकी गांड के बीच रगड़ना शुरू किया।
जैसे ही मेरे हाथ उसके बड़े निप्पल्स को सहलाने लगे, वह अपने आप को रोक नहीं पाई, और उसकी गांड मेरे लौड़े के साथ हिलने लगी। जैसे मेरा लौड़ा रगड़ता, वैसे उसकी गांड हिलती। मैंने तुरंत अपने हाथ उसकी टी-शर्ट के अंडर डाल दिए, और उसके स्तनों को मसलने लगा। वह और जोर से अपनी गांड हिलाने लगी। मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट उपर की, और उसकी ब्रा उपर कर दी और अपने होंठ उसके स्तनों पे लगा दिए।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा।
अगला भाग पढ़े:- ऑफिस ऑफिस-2