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मेरी चूत की आग नौकर ने ठंडी की-1 (Meri Chut Ki Aag Naukar Ne Thandi Ki-1)

दोस्तों मेरा नाम मन्नू है, और ये मेरी xxx नौकर से चुदाई की कहानी है। मेरी उमर 35 साल है, और मैं शादी-शुदा औरत हूं। रंग मेरा गोरा है, और फिगर 36-32-36 का है। ये कहानी 6 महीने पुरानी है। इसमें मैं आपको बताऊंगी कि कैसे हमारे घर के नौकर ने मेरी चूत की आग ठंडी की। तो चलिए अब अपनी कहानी पर आती हूं।

पिछले साल हमारे घर में जो नौकर था वो किसी वजह से काम छोड़ कर चला गया। फिर मेरे पति ने अखबार में इश्तहार दिया, और काफी आदमी नौकरी के लिए मिलने आए। काफी लोगों से मिलने के बाद मेरे पति ने एक 20 साल के लड़के को चुना। वो लड़का 3 साल से काम कर रहा था, और उसको खाना बनाना, सफाई करना, कपड़े धोना सब काम अच्छे से आते थे।

जब मैंने पूछा कि इतने जवान लड़के को काम पर रखना सही होगा, तो मेरे पति ने कहा कि जवान लड़का होगा तो काम जल्दी-जल्दी करेगा। लेकिन उनको क्या पता था कि ये लड़का तो उनकी ही बीवी की चूत चोदेगा।

दोस्तों मेरे पति की उमर 40 साल है, और ये आदमी वक्त से पहले बूढ़ा हो चुका है। ये सारा-सारा दिन काम में लगा रहता है, और इतनी सेक्सी बीवी पर ध्यान भी नहीं देता। शुरू-शुरू में हमारी काफी चुदाई होती थी, लेकिन धीरे-धीरे कम हो गई, और अब तो महीने में एक बार हो जाए वहीं बहुत है।

लेकिन इस सब के बावजूद मैंने एक आदर्श पत्नी का फर्ज निभाया, और किसी दूसरे मर्द की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखा। लेकिन जब उन्होंने उस नए लड़के (धीरज) को काम पर रखा, तो मैंने शराफत छोड़ दी, और उसके लंड की दासी बन गई। अब मैं आपको धीरज के बारे में बता देती हूं।

धीरज 20 साल का जवान और हट्टा-कट्टा लड़का है। उसकी ऊंचाई 5’10” है, और रंग हल्का सावला है। शरीर बिल्कुल फिट है। और उसका लंड 8 इंच का है, जो मुझे बाद में पता चला। धीरज मुझे आंटी कह कर बुलाता था। उसको जो काम बोलो वो भाग कर करता था। कभी आगे से बहस नहीं करता था, और ना ही काम करने में नखरे करता था। सीधे-सीधे बोलूं तो वो एक आदर्श नौकर था।

मुझे धीरज की तरफ ऐसा कोई आकर्षण नहीं था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरे मन में उससे चुदने की इच्छा जाग उठी। हुआ ऐसा की घर की सफाई करनी थी। तो मैंने धीरज को अपने साथ लगाया हुआ था। मैं आसान जगहों पर सफाई कर रही थी, और मुश्किल जगहों पर धीरज सफाई कर रहा था।

उस वक्त हम दोनों रसोई में थे। मैं नीचे सफाई कर रही थी, और धीरज को मैंने स्टूल पर चढ़ा रखा था, ताकि वो जाले वगैरह निकाल दे। कपड़े गंदे ना हो जाए, इसलिए धीरज ने अपनी टी-शर्ट उतार दी थी। अब ऊपर वो सिर्फ बनियान में था, और नीचे उसने पजामा पहन रखा था।

जैसा कि मैंने बताया मैंने धीरज को स्टूल पर चढ़ा रखा था। वो ऊपर हो कर सफाई कर रहा था, तो स्टूल उसके हिलने की वजह से खिसकने लगा। मेरी जैसे ही खिसकते हुए स्टूल पर नज़र पड़ी, तो मैंने झट से अपना काम छोड़ कर स्टूल पकड़ लिया, ताकि धीरज कहीं गिर ना पड़े।

मैंने उसको बोला: बेटा ध्यान से, कहीं गिर ना जाना।

धीरज: ठीक है आंटी।

क्योंकि मैंने स्टूल पकड़ लिया था, तो वो बेफिक्र होके जोर-जोर से छत पर झाड़ू मारने लगा। उसके हिलने की वजह से उसका लंड अचानक से मेरे मुंह पर लगा। जब मैंने देखा, तो उसका लंड खड़ा था। मुझे नहीं पता कि उसका लंड क्यों खड़ा था, लेकिन उसके लंड को देख कर मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया।

पति के साथ चुदाई किए हुए पता नहीं कितना वक्त बीत चुका था, और मेरा दिल का रहा था कि अभी उसका पजामा नीचे करके लंड बाहर निकालू, और अपने मुंह में डाल कर चूसने लगूं। तभी मेरे मुंह पर पानी की एक बूंद पड़ी। मैंने ऊपर देखा, तो धीरज की बॉडी से पसीना टपक रहा था।

जब मैंने उसका पसीने से भरा शरीर देखा, तो मेरी चूत में दोबारा करेंट दौड़ गया। जवान जिस्म, वो भी पसीने वाला, देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। मुझे पुराने दिन याद आ गए, जब चुदाई करते हुए जिस्म पसीने से भर जाते थे। क्या मजा आता था उस वक्त मैं बता नहीं सकती।

फिर मैं दोबारा से लंड देखने लगी। मैंने जान बूझ कर अपना चेहरा आगे किया, ताकि अपने गाल पर उस लंड को महसूस कर पाऊं। जब उसका लंड मेरे गाल पर छुआ, तो मुझे ऐसा लगा जैसे कोई लोहे ही रॉड हो। उसी वक्त मैंने फैसला कर लिया था कि मैं धीरज के इस फौलादी लंड को अपनी चूत में लेने वाली थी।

उस वक्त के बाद से मैंने धीरज पर अपने बदन का जादू चलाना शुरू कर दिया। अब मैं रसोई में काम करते हुए बार-बार उसके करीब जाने लगी। मैं बार-बार उसको छूने लगी, और अलग-अलग तरीकों से उससे भी अपने बदन को छुआती। मैंने ब्रा पहले से टाइट पहननी शुरू कर दी, ताकि मेरी क्लीवेज गहरी बने, और उसको वो देख कर मेरे हुस्न के जाल में फंस जाए।

काफी दिन हो गए मुझे ऐसा करते, लेकिन मुझे उसकी आंखों में अपने लिए हवस नज़र नहीं आ रही थी। पहले तो मैं थोड़ी मायूस हो गई कि शायद अब मुझमें वो बात नहीं रही। लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं इतनी जल्दी हार नहीं मान सकती। फिर मैंने पहले से कुछ बढ़ कर किया।

एक दिन मैं बाथरूम में नहाने चली गई। घर पर कोई नहीं था। मैं जान-बूझ कर बिना कपड़े लिए बाथरूम में चली गई। फिर अंदर जा कर मैं नहाई, और फिर दरवाजा खोल कर धीरज को आवाज दी-

मैं: धीरज! धीरज!

धीरज: जी आंटी जी, बोलिए।

मैं: बेटा मैं अपने कपड़े बाथरूम में ले जाना भूल गई, तुम जरा दे दो।

धीरज: कहां है आंटी जी आपके कपड़े?

मैं: वहीं बेड पर पढ़े है।

धीरज: ठीक है मैं लाता हूं।

फिर एक मिनट में धीरज कपड़े लेके आया।

उसके आगे क्या हुआ, वो आपको इस सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। मेरी xxx हिंदी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताना।

 

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