दोस्तों एक दिन दिन के समय मैं मीना के घर पहुंच गया, उससे बिना बात किए ही। उस दिन उसकी चूत लेने का बड़ा मन कर रहा था। मैं जैसे ही मीना के घर पहुंचा। मीना कहीं बाहर जाने के लिए रेडी थी।
मैं पहुंचा तो वो बोली: अरे अरुण जी, आप दिन में यहां कैसे?
मैं बोला: यार आज दिन में ही तुम्हें चोदने का मन है।
वो बोली: अभी तो मैं बाहर जा रही हूं। आप एक घंटा रुको, मैं काम फिनिश करके आती हूं।
उसके घर में काम करने वाली लड़की जिसका नाम प्रीति था, वो हमारी बातें रसोई में से सुन रही थी।
मीना ने प्रीति से बोला: प्रीति मैं एक घंटे में आती हूं। तब तक तू साहब का खयाल रखना। कुछ चाय नाश्ता कर देना।
प्रीति बोली: जी दीदी, मैं खयाल रखूंगी।
मीना चली गई। मैं अंदर सोफे पर बैठ गया, और अपने मोबाइल में व्यस्त हो गया। तभी प्रीति मेरे लिए चाय और कुछ नाश्ता ले कर आ गई।
प्रीति की उम्र लगभग 25 साल थी। उसने एक ठीक-ठाक सी रेड कलर की साड़ी डाल रखी थी। लेकिन उसके नयन-नक्श एक-दम कंटीले थे। वो तिरछी नज़र से जब देखती थी, तो अच्छे भले आदमी का लंड खड़ा हो जाता था।
मैं जब भी उसे देखता था, तो उसे चोदने का बहुत मन करता था। मैंने कई बार मीना को भी इस बारे में बताया था। तो वो इस बात को टाल देती थी और बोलती थी इस बारे में मैं प्रीति से बात करूंगी।
जब प्रीति मेरे लिए चाय लेकर आई, तो मैंने उसे भी अपने पास ही बिठा लिया।
मैं बोला: और प्रीति अपने बारे में कुछ बताओ?
वो बोली: साहब हम अपने बारे में क्या बताएं? हमारी शादी को तीन साल हो गए। हमारा पति एक ठेला चलाता है, और सारी कमाई की शराब पी जाता है। मारता है वो अलग से।
मैं बोला: अरे ये सब क्या है? तुम अपने मां-बाप को कुछ नहीं बोलती?
वो बोली: साहब मां-बाप तो है नहीं, कैसे भी करके बड़े भाई भाभी ने हमारी शादी इस दारूबाज के साथ कर दी। अब भाई को क्या बोले, वो बेचारे खुद ही परेशान रहते है। ऊपर से हम अपनी परेशानी बता कर उन्हें और परेशान नहीं कर सकते (वो रोने लगी)।
मैं बोला: अरे प्रीति, तुम रो क्यों रही हो? बोलो तुम्हें कुछ चाहिए तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा।
मैंने उसे उठाया और अपने गले लगाया। वो शांत हो कर मेरे से चिपकी रही। फिर मैंने उसे अपने पास बिठाया, और चाय के लिए एक और कप लाने के लिए बोला। वो एक कप और ले आई। मैंने अपनी चाय से शेयर कर दी। अब हम चाय पीने लगे।
वो बोली: साहब मुझे मीना मैडम ने आपके लिए कुछ बोला है। क्या आप वो करोगे मेरे साथ? आज मौका है।
मैंने उसकी शरारत भरी आंखों में देखा और बोला: मैं बोला? क्या बोला है मैडम ने?
वो बोली: वहीं करने के लिए, जो आप मैडम के साथ करते है। और अभी करने आए है। बोला तो आज मैं ही आपकी सेवा कर दूं।
अब मैं तो उसे कब से चोदना चाहता था।
मैंने बोला: मीना आ जाएगी।
वो बोली: तो क्या है, आने दो। तब तक मैं आपको खुश कर दूंगी।
वो अपनी साड़ी उतारने लगी, और उसने मेरे लंड को पकड़ लिया जो पहले ही खड़ा था। मैंने उसे वहीं सोफे पर पटक लिया, और उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया। वो वहीं सोफे पर पड़ी हुई मेरे लंड को चूसने लगी, और बॉल्स पर हाथ फिराने लगी।
मैं आंखे बंद करके उसके इस प्ले का मजा लेता रहा, और धीरे-धीरे उसके मुंह को ही चोदने लगा। कुछ देर में मेरा वीर्य निकल गया। वो सारा वीर्य अपनी जीभ से चट कर गई और लंड को पकड़ कर चाट लिया।
अब मैंने उसके पेटीकोट को निकाल दिया। वो नीचे से नंगी थी। उसकी चूत थोड़ी छोटी थी। उस पर झांटे काफी थी।
मैं बोला: क्या तुम अपने पति को चूत नहीं देती?
वो बोली: साहब कहां। उसे ये नहीं चाहिए। वो पूरा दिन शराब पी कर मस्त रहता है। एक साल के ऊपर हो गया मुझे प्यार से हाथ लगाए हुए। हाथ लगाता है तो सिर्फ मारने के लिए। जब से मीना मैडम ने आपसे चुदाने के लिए बोला है। मेरा मन रोज करता था, कि पता नहीं आपसे चुदने को कब मिलेगा।
मैं उसे मीना के बेडरूम में ले गया, और उसे बेड पर लिटा लिया। फिर उसके पैर ऊपर करके, उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को सेट करके एक जोर का धक्का मार दिया। लंड उसकी छोटी सी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर चला गया।
वो जोर सी चीखी और चिल्लाने लगी: साहब बाहर निकलो, मैं मर जाएगी।
पर मैंने उसकी एक नहीं सुनी और उस पर लेट कर जोर से चुदाई शुरू कर दी। पांच मिनट के बाद उसे मजा आने लगा, और वो मेरा भरपूर साथ देने लगी।
वो बोल रही थी: आज मेरी चूत की प्यास को बुझा दो साहब। बहुत दिनों के बाद इसको लंड मिला है। आज पहली बार लग रहा है मैं शादी-शुदा हूं।
मैंने कस कर उसकी बस 20 मिनट तक चुदाई की। इस बीच वो दो बार झड़ गई थी, जिससे पूरे कमरे में झाप-झाप की आवाज सुनाई दे रही थी। मैं कुछ देर में उसकी चूत में ही झड़ गया, और उस पर लेट रहा। तभी रूम बेल बज गई।
वो बोली: लगता है मैडम आ गई।
मैं बोला: कोई बात नहीं, मैं देखता हूं।
मैंने वहां रखी शॉर्ट्स को पहना, और दरवाजा खोला तो मीना ही थी। वो मुझे देखते ही शरारती अंदाज में बोली-
मीना: आज लगता है प्रीति को पेल दिया है तुमने।
मैं बोला: अगर बिल्ली के आगे दूध खुला छोड़ कर जाओगी, तो बिल्ली उसे छोड़ देगी क्या?
वो जल्दी से अपने रूम में गई, और देखा प्रीति ऐसे ही नंगी पड़ी हुई थी।
मीना बोली: साली अब ऐसे ही पड़ी रहेगी? तेरा मन नहीं भरा? चल अब मेरा नंबर है।
अब मीना अपने कपड़े उतारने लगी, और वो ब्रा-पैंटी में आ गई।
तभी प्रीति बोली: मैडम मुझे एक बार और करने दो। आप तो रोज लेती हो साहब का।
उन दोनों की बातें सुन कर मैं बोला: अब दोनों ही आ जाओ।
मीना ने फटाक से मेरा शॉर्ट्स उतार कर लंड को पकड़ लिया, और उसे मुंह में ले लिया। प्रीति भी खड़ी हो कर मेरे बूब्स चूसने लगी। अब वो दोनों मुझ पर टूट पड़ी।
मैंने मीना को बेड पर लिटा कर उसकी चूत को चाटा, और प्रीति मेरे लंड को चूस जा रही थी। मैंने बारी-बारी से दोनो की चूत को खूब चोदा। वो दोनो बहुत खुश थी। कुछ दिन के बाद मैंने मीना को प्रीति की झांटे भी साफ करने के लिए बोला। तो मीना ने उसे हेयर रिमूवर दे कर अपने बाथरूम में साफ करवा दी। मुझे साफ सुथरी और चिकनी चूत बहुत पसंद है। मीना प्रीति को भी अपने जैसे ही रखने लगी।
अब से मैं कभी मीना को अकेले, कभी प्रीति को अकेले, और कभी-कभी दोनों को एक साथ चोदने लगा। मैंने कई बार उन दोनों को खूब चोदा। जब भी उनका मन होता, मुझे बुला लेती, और अपनी भड़ास निकाल लेती थी।
दोस्तों मेरी ये सेक्स कहानी आपको कैसी लगी बताना जरूर।