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फेसबुक पे मिला चोदू यार-3

पिछला भाग पढ़े:- फेसबुक पे मिला चोदू यार-2

मेरी चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि विक्रम मुझे अपने फॉर्महाउस ले गए जहां हमने एक-दूसरे के चूत लंड का स्वाद लिया। फिर वो लंड-चूत पर सेट करके मेरी आंखों में देखने लगे। अब आगे-

ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी इजाज़त मांग रहे हों। उनके बिना कुछ कहे ही मेरे मुंह से निकल गया, “जानू आराम से डालियेगा!” वो मेरे होठों को चूमते हुए बोले, “हां जान, चिंता मत करो। तुमको तकलीफ नहीं दूंगा।” हम दोनों ही एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे। और उन्होंने हल्का दवाब दिया। उनका सुपारा मेरी चूत में जैसे ही घुसने लगा, मेरी आवाज निकली, “आआआ आईईई ईईई मम्मम्मीआआहहहहई जानू रूको, आहह आऊ धीरे-धीरे आआऊऊईई डालो आआऊऊईई!” पर वो रुके नहीं और लंड डालते चले गए।

मेरी आँखें बड़ी हो गई, पूरा मुंह खुल गया, “आआआआ आहहहह बाप रे कितना मोटा है! आआऊऊईई धीरे-धीरे आआऊऊईई डालो, आआऊऊईई आआऊऊईई लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया।” उन्होंने मेरे मम्मों को दबोचा, और आधा लंड बाहर निकाल कर एक झटके में लंड दुबारा अंदर कर दिया। मैं चीखी आह। ऐसा उन्होंने कई बार किया। हर बार मेरी चीख निकलती।

फिर धीरे-धीरे मेरी चीखे कराह में बदल गई। फिर वो मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से थामते हुए मुझसे लिपट गए, और मेरे होठों को चूमते हुए हल्के-हल्के धक्के लगाना शुरू कर दिया। मेरी चूत के छेद में उनका मोटा लंड चिपक कर अंदर-बाहर हो रहा था। दर्द के साथ साथ मुझे बहुत मजा आ रहा था। किसी अनुभवी ड्राइवर की तरह उन्होंने अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी, और जल्द ही अपने पूरे जोश के साथ मेरी चुदाई करने लगे।

अब तो मेरी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज उठी,‌ “ऊऊईई आआआ आह ओऊऊ आआह नहीं ईईई आआह मम्मम्मीई आआआह हहह बसस्स सस होहोहो आआआ आह हहह!” वो अब वो पूरी ताकत लगा कर मेरी चुदाई कर रहे थे। कमरे में हमारे बदन के टकराने की फच फच की आवाज़ होने लगी।

थोड़ी तकलीफ होने के बाद मुझे भी पूरा मजा आ रहा था। अभी भी हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। इस अंदाज में चुदाई का मजा दुगना हो रहा था। बीच-बीच में वो मेरे होंठों को भी चूमते जा रहे थे। एक धुंआधार चुदाई की शुरुआत हो चुकी थी। हम दोनों ही एक-दूसरे का पूरा साथ दे रहे थे। मेरे दोनों दूध उनके सीने पर दबे जा रहे थे।

उनका हर एक धक्का मेरी आह निकाल रहा था। मुझे तो लग रहा था कि आज मेरी चूत का भर्ता ही बन जायेगा। इतने में मेरा फोन बजा। मैं समझ गई कि मेरे पति सूरज का फ़ोन होगा। मैं बोली, “डार्लिंग सूरज का फ़ोन है। आहह आहहह बात करनी पड़ेगी, नहीं तो उन्हें शक होगा।” वो रूक गये और मैंने फोन उठाया। मैं सूरज से बातें करने लगी।

विक्रम ने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे चोदने लगे। मैं उन्हें रूकने का इशारा करने लगी, पर वो नहीं रूके। मेरी हालत खराब हो गयी थी। मैं अपने पति से बातें करते हुए अपने यार से चुद रही थी। उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया, और मेरे गले को चूमने लगे। वो लेट गये और मैं उनके लंड पर बैठ गई। उन्होंने मुझे इशारा किया और मैं अपने पति से बातें करते हुए उनके लंड पर सवारी करने लगी।

सूरज करीब 10 मिनट तक बातें करते रहे, और मैं लंड की सवारी करती रही। सूरज ने फोन रखा। मैं विक्रम से बोली, “आप बहुत खराब हो, उन्हें शक हो जाता।” विक्रम मेरे मम्मों को सहलाते हुए बोले, “शिप्रा कुछ नहीं होगा।” उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और मुझे अपने लंड पर उछालने लगे। उन्होंने मुझे खड़े होकर, दीवार से चिपका कर, गोद में लेकर टेबिल पर लिटा कर, सोफे पर बैठ कर, और भी कई तरह से चोदा।

पूरे घर में घुमा कर अलग-अलग जगहों पर जी भर कर चोदा। आखिर में उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, और मेरे उपर चढ़ गए। हमारे नंगे बदन आपस मे उलझ गये, और उनकी रफ्तार एका-एक बहुत तेज़ हो गई।‌उन्होंने मुझे बुरी तरह जकड़ लिया। मैं भी उनसे चिपक गई। उन्होंने एक तेज़ धार के साथ अपना गर्म-गर्म वीर्य मेरी चूत में भर दिया, और मेरे ऊपर ही लेट गए।

काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही चिपके हुए थे। पहली चुदाई के बाद हम दोनों काफी देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे। हम दोनों को एक-दूसरे के जिस्म की गर्मी काफी अच्छी लग रही थी। मैं जानती थी कि अभी वो और चुदाई करेंगे।

वो मेरे ऊपर चढ़ गए, और मेरी आँखों में देखते हुए बोले, “शिप्रा एक बात बोलूं?” “जी बोलिये।” “तुम इतने दिन क्यों नहीं मिली?” “क्यों?” “तुम्हारी जैसी पार्टनर हर किसी को नहीं मिलती। यार तुमको चोदने का मजा ही अलग है। तुम जिस तरह से मेरा साथ दे रही थी, उससे चुदाई का मजा दुगना हो रहा था। मुझे लग नहीं था कि तुमको पहली बार चोद रहा हूं। तुम्हारी चुदाई से पता चल रहा था, कि तुम कितनी प्यासी थी और अभी तक तुम्हारी अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी। मगर अब चिंता मत करो तुमको चुदाई का पूरा मजा मिलेगा।”

ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया। मैंने भी बिना शरमाये हाथ बढ़ा कर उनका लंड थाम लिया और सहलाने लगी। मैं बोली, “आपका लंड तो काफी कड़क है।” वो बोले, “तुमको आज तक मेरे जैसा लंड नहीं मिला क्या?” मैंने कहा, “मुझे जितने भी लंड मिले, सब एक जैसे ही थे। बस आप पहले हो जिनका इतना बड़ा है! कितना लंबा है आपका पूरा अंदर तक चला जाता है।” “मेरा लंड तुमको पसंद आया या नहीं?” “बहुत पसंद आया।”

अब उन्होंने फिर से मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और लंड को चूत पर रगड़ने लगे। वो अपने घुटनों के बल मेरी चूत के पास बैठे हुए थे, और मेरे पैरों को अपने कंधे पर रख लिए। मेरी चूत और गांड उठ कर उनके सामने आ गई। चूत में लंड रगड़ते हुए लंड से मेरी गांड की छेद को छूते हुए बोले, “तुम्हारी गांड का उद्घाटन अभी तक नहीं हुआ?” मैं बोली, “नहीं ऐसा नहीं है, उद्धघाटन हो चुका है। मगर आपका मैं सह नहीं पाऊंगी वहां!” वो बोले, “शिप्रा नहीं ऐसा नहीं है।‌ सब सह लोगी, बस अंदर जाने की देर है, तुमको खुद मजा आएगा।”

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।

अगला भाग पढ़े:- फेसबुक पे मिला चोदू यार-4

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