This story is part of the Meri gaand ke chun chuno ka ilaaj series
मेरा नाम सुमेधा सिंह है। मैं 42 वर्षीय एक शादीशुदा महिला हू और दिल्ली के नोएडा के एक अपार्टमेंट में अपने पति और देवर अपने दो बच्चों के साथ हँसी-खुशी के साथ रहती हूं।
मेरे पति और देवर एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। मैं अपने फिगर के बारे में बताती हूँ। मेरा फिगर 36-30-42 है। जिसमे से मेरे नितम्ब यानि मेरे चूतड़ सबसे ज्यादा आकर्षक है।
मैने आपको एक जरूरी बात बताई नही। अपनी बीमारी या समस्या के बारे में । मैं आपको बता दूं मुझे गांड के छेद में चुनचुने काटने की शिकायत है। चुनचुने रोज नही काटते है। हां जब कभी ज्यादा मीठा या सोंधा खा लेने से प्रोब्लम हो जाती है और उस दिन मैं बेचैन हो उठती हूं। लेकिन अब मेरे पति के पास इसका इलाज है।
बचपन में मैं काफी दुबली पतली थी। 12- 13 साल तक मैं दुबली ही रही। लेकिन जब 18 साल की उम्र स्टार्ट हुई तो मेरे शरीर में आश्चर्यजनक परिवर्तन होने लगे । मेरे शरीर में मेरे बूब्स भरने लगे। मैने एक दम से भराव से परेशान हो गयी। चूतड़ बड़े और भारी होने लगे। चूतड़ पीछे की ओर भागने लगे।
लेकिन शरीर में जिस अनुपात में मेरे चूतड़ बड़े और गोल हो रहे थे। उतना कोई शरीर का अंग नहीं बढ़ रहा था। अब हर कोई मेरे चूतड़ों को बहुत गौर से देखता था। स्कूल में मेरे टीचर्स और लड़के अब मुझे ज्यादा घूर कर गंदी निगाह से देखते थे।
मैं दिखने में हल्की सावली और नैन-नक्श तीखे और सुन्दर थे। वो सब मेरे पिछवाड़े को देखते हुए अपने खड़े लंड को मसलते थे। मै जब घर से बाहर जाती तो कई मनचले लड़के मुझे फालो करते मुझे लगता मै बहुत सुन्दर हूं। इस गुमान में और मटक कर चलती जिससे मेरे चूतड़ और हिचकोले खाने लगते। और उन मनचलों की तड़पन और बढ़ जाती।
घर में चाचा जी भी कभी- कभी घूरा करते थे। मैंने आपको अपने घर के बारे में बताया नहीं कि मेरे मेरे घर में ७ लोग हैं। मैं मेरा छोटा भाई मम्मी पापा और चाचा चाची का परिवार और उनका छोटा बेटा है।
चाची काफी चंचल और चालू प्रवृत्ति की है। एक दिन मम्मी और चाची बात कर रही थी मम्मी चाची से कह रही थी की सुमेधा कितनी मोटी होती जा रही है आगे और मोटी हो गई तो शादी में दिक्कत ना पड़े।
इस पर मेरी चाची कहती हैं दीदी आप चिंता मत करो सुमेधा के शरीर को जरा गौर से देखो उसके शरीर में बाकी अंगों की अपेक्षा सिर्फ चूतड़ ही मोटे पीछे को भारी हो रहे हैं जो कि एक सुंदरता की निशानी है ऐसी औरतों के मर्द उनको बहुत प्यार करते हैं क्योंकि मर्द ऐसे चूतड़ों के दीवाने होते हैं।
वह अपने मर्द को अपना गुलाम बना कर रखेंगी । अपने चूतड़ों के दम पर आप चिंता ना करो उसके लिए रिश्ते खुद लड़के वाले भेजेंगे। इस पर मुझे यह बातें सुनकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि क्या मेरे चूतड़ इतनी सुंदर है जो लड़के मुझे फॉलो करते थे मेरी सुंदरता को नहीं मेरे चूतड़ों को देखकर मुझे फॉलो करते थे।
क्या मैं सुंदर नहीं हूं मेरा शरीर ही कामुक है। लेकिन मन ही मन एक गुमान था। तेईस साल की उम्र आते आते लगता था। शरीर का सारी चर्बी मेरे चूतड़ों में ही आकर इकट्ठा हो गई हो।
मेरी बुआ जो कि जयपुर में रहती थी उनकी दो लड़कियां थी शीलू और मीनू बुआ काफी पैसे वाली थी उनकी दोनों लड़कियां काफी फैशनेबल और काफी चालू किस्म की लड़कियां थी।
और काफी लोगों से चुदवा भी चुकी थी। अब उनकी बड़ी बेटी मीनू की शादी होने वाली थी। बुआ काफी पैसे वाली थी और शादी में हम लोगों को जाना था। इस समय मेरी उम्र 24 वर्ष थी।
बुआ के यहां जाने का प्रोग्राम तय हुआ हमें और चाची को पहले जाना था और मेरी मम्मी और पापा को बाद में आना था। तो मैं अपनी चाची और चाचा के साथ जयपुर के लिए निकल गई। वहां मुझे देखकर बुआ ने काफी आओ – भगत की बुआ की लड़कियां मुझे देखकर बड़ी खुश हुई और मुझे निहारते हुए बोले काफी अट्रैक्टिव हो गई हो।
घर में शादी की तैयारियां चल रही थी शाम को शीलू और मीनू बोली । कि चलो मार्केट चलना है वहां कुछ खरीददारी करनी है जल्दी से तैयार हो जाओ मेरे पास ज्यादा फैशनेबल कपड़े नहीं थे।
वह मुझसे बोली कि तुम जींस पहन लो मैंने कहा मैंने जींस कभी पहनती नहीं इस पर शीलू बोली चलो पहनती नहीं अब यहां शहर है यहां ट्राई कर लो मैंने कहा चलो देखती हूं पहन कर मैंने जींस पहनना ट्राई किया जींस मेरे चूतड़ों के ऊपर नहीं चढ़ी जांघो तक तो आराम से चड़ गई थी।
वह जींस मेरे ज्यादा निकले हुए चूतड़ों के पहाड़ को पार नहीं कर पा रही थी बहुत ट्राई किया लेकिन असफल रही इसके बाद एक चूड़ीदार सलवार सूट जोकि शीलू का था। वह पहना वह काफी फिटिंग का था इतनी फिटिंग के कपड़े मैंने कभी पहने नहीं थे वाइट कलर का चूड़ीदार पै जामी और कुर्ता था।
मैने वह पहन लिया उसमें मेरे चूतड़ काफी आकर्षक प्रतीत हो रहे थे शीलू और मीनू यह देखकर काफी जल उठीं। और बोली क्या कमाल की लग रही हो बाजार में आग लगा दोगे। मैने कहा मैंने ऐसे पहने नहीं है कपड़े कभी फिर हम लोग कार से बाजार के लिए निकल पड़े।
बाजार पहुंचने के बाद शीलू ने गाड़ी पार्क कर दी । पार्किंग से उतर कर भीतर मार्केट में जाना था। काफी भीड़ थी सभी लोग एक दूसरे के अगल-बगल चल रहे थे। आगे पीछे भी थे हम तीनों साथ में चल रहे थे।
तभी मुझे चूतड़ों पर किसी के हाथ रखने का एहसास हुआ लेकिन मैंने ज्यादा गौर नहीं किया भीड़ समझकर लेकिन फिर अचानक ही उसकी उंगलियां मेरे चूतड़ों की दरार में घुसने लगी मैंने पीछे मुड़ कर देखा तब तक उंगली वह हटा चुका था चूतड़ ज्यादा पीछे को निकले होने के कारण गुदाद्वार तक उंगली उसकी नहीं पहुंच पाई थी।
जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो हाथ हट चुका था। और पीछे चल रहे लड़कों को मैंने देखा तो मेरे रुकते ही वह मुझ से थोड़ा आगे निकल गए अब मैं पीछे-पीछे उनके तेजी से उनको देख कर चलने लगी और उनको रोकने के लिए प्रयास किया।
तभी एक लड़का 8 साल का मैडम रुको – मैडम रुको कहता हुआ मेरे पास आया शक्ल से तो सड़क छाप लग रहा था।
बोला मैडम वो आप जैसा समझ रही है वैसा नहीं है तो मैंने उससे पूछा मैं क्या समझ रही हूं?
अरे दीदी मैं यह कह रहा हूं कि जिन लड़कों ने आपके चूतड़ों मे उंगली डाली है मैंने उन्हें देख लिया वह आगे निकल गए हैं बहुत जिनको आप देख रही हैं या समझ रही हैं उन्होंने आपके चूतड़ों में उंगली नहीं डाली।
उसकी यह शब्द सुनकर शीलू और मीनू हंसने लगी। मैंने कहा क्या बोला इतनी बदतमीजी से बात करता है? इस बात पर लड़का बोला क्या जमाना आ गया है भाई एक तो मै बताने आया ऊपर से मुझे ही डांट रही हो। आजकल तो भलाई का जमाना ही नहीं है।
उस लड़के की बातें सुनकर मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि सारा गुस्सा उसको उसके ऊपर ही उतार दूं। इस पर शीलू हंसते हुए बोली अच्छा बताओ उन्होंने क्या किया था दीदी के साथ।
इस पर लड़का बोला चूतड़ों में उंगली डाली थी और क्या किया था। मैंने उस लड़के से गुस्से में कहा भाग जा नहीं तो मारूंगी तुझे। इस पर लड़का बोला मुझे क्या और कराओ उंगली मैं तो बताने आया था जब तुम्हें ही उंगली कराने का शौक है तो मैं क्या करूं।
इस पर लड़के को मारने के लिए मैं आगे बढ़ी और लड़का भाग गया। मुझे इतना गुस्सा आ रहा था। कि सारा मूड ऑफ हो गया। फिर हम सब लोग मार्क स्पेंसर शोरूम में गए।
वहां पर शीलू और मीनू को फैंसी नाइटी और अंडर गारमेंट्स लेने थे। मैं मार्केट स्पेंसर शोरूम में पहली बार गई थी वहां बने स्टेचू में मैंने देखा है एक से एक महंगे वैरायटी वाले अंडर गारमेंट्स थे।
लेकिन सारे विदेशी स्टाइल के थे। मैं इस तरह की चड्डी का पहली बार देख रही थी कि पीछे चूतड़ों में बहुत कम कपड़ा होता था या किसी में तो बहुत ही ना के बराबर एक धागे के ऐसा होता था।
मैंने शीलू से पूछा कि यह किस तरह की चड्डीयां है कुछ में तो थोड़ा है। और किसी में बिल्कुल कपड़ा पीछे है ही नहीं।वह बोली दीदी यह सबसे महंगा ब्रांड है इस तरह के अंडरवियर काफी कंफर्टेबल और फैंसी और सेक्सी होते हैं। मैं तो कहती हूं।
आप भी इसी तरह की पैंटीज पहना कीजिए आपके ऊपर तो बहुत ही सुंदर लगेगी। मैंने कहा यह किस को दिखानी है। वह बोली दीदी ले लेना जो आपको पसंद आए। अब उन्होंने देखना शुरू किया।
मैंने देखा कुछ पेंटिंग सिर्फ 10% ही चूतड़ कवर करते थे कुछ 20% कुछ 50% लेकिन कोई ऐसी पैंटिस नहीं मिली जो दो तिहाई चूतड़ों को ढकती हो। फिर मैंने तय किया कि मैं 50% चूतड़ ढ़कने वाली ही पहनती पेंटी लूंगी। मीनू जिसकी शादी थी उसने 20% चूतड़ ढकने वाली पैंटी ली और कुछ पीस 10% चूतड़ ढकने वाली पैंटी लिए। और शीलू ने धागे वाली पैंटी ली जिसको g स्ट्रिंग बोलते हैं।
मैंने कहा मुझे पसंद नहीं है लेकिन अगर ज्यादा कहती हो तो मैं यह वाली पैंटी जिसमें 50% चूतड़ ढके जाते हैं वह ले लूंगी और मैंने ले ली। अब शुरू मेरे ऊपर प्रेशर डाल रही थी कि दीदी यह वाली पैंटी लो। वह जो चड्ढी दिखा रही थी उसमें सिर्फ 25% ही चूतड़ ढकते थे। और मीनू ने ट्रांसपेरेंट नाइटी लीज जिनसे शरीर का एक-एक अंग देखा जा सकता था देखा जा सकता था।
अब खरीददारी करके हम लोग वापस घर आ गए। घर पहुंच कर हम लोगों ने अपनी अपनी पेंटी पहन कर पहन ट्राई किया। मैंने जब 50% वाली पैंटी पहनी और अपने को शीशे में देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई मीनू और शीलू मुझे देखती रह गई इतने भरे हुए गोल चूतड़ जिसमें 50% ढकने वाली पैंटी ऐसी लग रही थी जैसे कि मानो उसने मात्र 30% ही चूतड़ ढके हो।
मेरे चूतड़ों की सुंदरता उस चड्ढी में इतनी निखर कर आएगी मुझे पता नहीं था शीलू मीनू यह देखकर जल रही थी लेकिन फिर भी मेरी तारीफ कर रही थी। फिर मैंने 30% वाली पैंटी पहनी जिसमें कि लग रहा था कि मेरे 15 परसेंट ही ढके हैं।
वह देखकर तो मुझे अपने ऊपर लालच आ गया और मैं खुद अपने चूतड़ों की दीवानी हो गई। अगले 3 दिन बाद शादी थी। शीलू मीनू को वैक्सीन और मेकअप वगैरह की तैयारी भी देखनी थी। अगले दिन ब्यूटीशियन को आना था। जिसे मीनू और शीलू और मेरी वैक्सीन करनी थी।
अगले दिन वह आ गई और यह दोनों वैक्सीन के लिए बंद कमरे में उसको ले गई। मैंने सोच लिया था कि मेरे ज्यादा बाल तो है नहीं झांटों के बाल खुद साफ कर लूंगी और होगा तो से आइब्रो सेट करवा लूंगी और अपनी बगल के बाल बनवा लूंगी।
जब मैंने कमरे में जाकर देखा तो मीनू अपनी झांटे बनवा रही थी लेकिन उसने अपनी पूरी झांटे साफ नहीं करवाई थी ट्रिमर मशीन से उसने बाल बिल्कुल हल्के हल्के और नीचे की योनि बिल्कुल साफ और ऊपर हल्के – हल्के बाल रखे हुए थे। और शीलू पेट के बल लेटी हुई थी और अपने चूतड़ों के छेद में हेयर रिमूवल क्रीम भराय हुए थी।
मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कोई अपने गुदाद्वार के बाल भी साफ कराता है क्या यहां बाल होते हैं मेरे उस जगह बाल नहीं थे मेरे सिर्फ झांटो के बाल थे। शीलू बोली दीदी आप भी वैक्सीन करवा लो वैसे आपके बाल है नहीं हल्के हल्के हैं आपको वैक्सीन की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी आप करवा सकते हो आपकी स्किन बिल्कुल निखर कर आएगी।
मैंने कहा मुझे सिर्फ अपनी बगलो और योनि के बाल साफ करवाने है। मैंने योनि के बाल बिल्कुल क्लीन करवाना ही उचित समझा और मैंने मीनू से का यह बाल क्यों हल्के हल्के रख रही हो वह अपनी योनि में बिल्कुल साफ करवाना चाहिए था।
तुम्हारी तो शादी है मीनू बोली नहीं दीदी नीचे साफ है। बस ऊपर थोड़े बाल अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए हैं मुझे आज अजीब लगा कि भला इससे कौन सा अट्रैक्शन बढ़ेगा और बड़े रख लेती।
शीलू ने भी बिल्कुल योनि के बाल क्लीन करवा लिए और गुदाद्वार के बाल भी साफ करवाएं मीनू के ने पहले ही गुदाद्वार के बाल साफ करवा लिए थे मैंने शीलू से कहा कि तुमने गुदाद्वार और उनके बाल इतने साफ कराने की क्या जरूरत शादी तो मीनू की इस पर शीलू बोली की दीदी सफाई तो रखनी चाहिए और गुदाद्वार के बाल साफ कराने से बवासीर यानी पाइल्स का खतरा नहीं रहता।
मैंने कहा वाह मैंने सलवार उतारी और अपने बाल साफ कराने के लिए ब्यूटीशियंस का मैंने कहा मेरे पीछे के बाल देख कर बताना कि मुझे साफ कराने की जरूरत है या नहीं उसने मेरा चूतड़ों को खोल कर देखा और बोली आपके गुदाद्वार में तो एक भी बाल नहीं है आपको हेयर रिमूविंग की क्या जरूरत आप बस थोड़ा हाथों और पैरों में वैक्सिंग ले लीजिए और आगे के बाल साफ कर लीजिए मैंने यही किया।
मेरी योनि बिल्कुल प्लेन और चमकदार हो गई। और फिर बगलों के बाल बनवाएं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद में अब शादी में क्या पहनना है इस पर पूरी बात थी मेरे पास तो बहुत कीमती कपड़े थे नहीं तो शीलू मीनू की ही ड्रेस में से मुझे पहनना था।
उन्होंने एक नया घाघरा चोली निकाला जो काफी आगे से खुला हुआ था उसमें मेरे बूब्स काफी खुले देखने वाले थे। वेरी देखते देखते शादी का दिन आ गया शादी के दिन बढ़ी चहल-पहल थी मेहमानों की संख्या बढ़ चुकी थी। और बुआ ने मुझे बताया कि कुछ रिश्तेदार ऐसे आने वाले हैं मेरी तरफ से जिनमें से तुम्हें शादी के लिए लड़का फाइनल करना है मैं निकाल लो।
अब मैं ज्यादा तैयार होने के बारे में सोचने लगी। मैंने 25 परसेंट चूतड़ ढकने वाली पैंटी पहने और फिटिंग की ब्रा जो घागरे और ब्लाउज को सूटेबल बैठे। लेकिन आज सुबह से ही मुझे कुछ गड़बड़ की आशंका लग रही थी मैंने बताया ना आपको कि मुझे कौन सी बीमारी है मुझे गांड में चुनचुने काटने की बीमारी है कुछ हल्का हल्का आभास हुआ था सिर्फ चुनचुनो मैं अपने होने का एहसास दिल आया था।
मैं ऑलरेडी अपने साथ चुनचुने काटने की दवाई रखती थी मैंने सुबह से ही दवा ले ली थी शादी शाम को थी। दिन में बीच में रह रहे कर थोड़ी हरकत महसूस हुई। शाम को मैं तैयार हूं घाघरा चोली पहने और खूब मेकअप किया। मैं कमाल की लगने वाली थी।
अब शाम का समय हुआ मैं गेस्ट हाउस के लिए निकलने वाली थी। तभी मैंने अपने पर्स में वह दवा भी रख ली। अब मुझे अपने गुदाद्वार पर चुंचूनो की गुदगुदी थोड़ी ज्यादा होने लगे।
फिर मैं शादी के मजे के चक्कर में गुदगुदी को इग्नोर करती रही गेस्ट हाउस में पहुंचने के बाद मेहमानों से मिलने लगी और नाश्ता वगैरह करने लगी अब यह गुदगुदी बढ़ती ही जा रही थी ऐसा करते करते तकरीबन 1 घंटा बीत गया अब यह गुदगुदी खुजली में बदलने लगी मैंने वॉशरूम में जाकर जाकर थोड़ा खुदाया थोड़ी राहत लगी फिर मैं आ गई।
लेकिन अब यह खुजली भी बढ़ने लगी ऐसा लग रहा था कि कई सारे चुनचुनों का गुच्छा गुदाद्वार में आकर अटक गया हो और चुनचुने आपस में लड़ रहे हो और एक दूसरे को धकेल रहे हो।
ऐसा तकरीबन आधा घंटा तक और चलता रहा। अब ऐसा लगने लगा कि चुनचुनों ने अब खुदाई स्टार्ट कर दी है और बाहर निकलने के लिए बेताब है बाहर निकलने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं कि पहले मैं निकलूंगा पहले मैं निकलूंगा।
अब बेचैनी बढ़ती जा रही थी मुझे चैन नहीं आ रहा था। तभी बुआ ने मुझे देखा और एक कपल के पास ले गई। वो मुझे काफी गौर से देख रही थी। मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी। पर मुझे अपनी बेचैनी के आगे उनकी बातों में कोई रुचि नहीं हो रही थी।
आगे की कहानी अगले हिस्से में बताउंगी।
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आपका, प्रिंस पांडे।
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