घाघरा पहनने का मज़ा ही कुछ और है (Ghaghra pehanne ka maza hi kuch aur hai)

मैं पुजा पंजाब से हूं। मेरे पहले चूचे थे अब मोमे हो गए है 34″ के, कमर 30″ की, गांड 38″ की। चुदाई का चस्का जब से लगा, तब से ही मेरा बदन निखार लेने लगा। आप सब मेरी पिछली कहानी में पढ़ ही चुके हो।

अब कहानी पर आती हूं। पापा के दोस्त के साथ चुदाई करवा कर मैं बहुत खुश थी, और अंकल घर से जाते समय मुझे एक घाघरा गिफ्ट करके गए। वो मेरे पास ही मेरी मम्मी के लिए एक ब्रा-पेंटी का सेट भी दे गए, और बोल कर गए अपनी मम्मी को दे देना उस पर अच्छा लगेगा।

मैं बाज़ार चली गई। फिर जब घर आई तो मम्मी को ब्रा पेंटी का सेट दी, और उनको पूछा कैसा लगा। तो मम्मी बोली बहुत सुन्दर है। मैं दिल मे बोली सुन्दर क्यूं नहीं होगा, आपके आशिक ने जो दिया है। फिर अगले दिन मुझे एक फंक्शन पर जाना पड़ा, तो मैं वहां घाघरा पहन कर जाने लगी।

जब फंक्शन पर पहुंची, तो सब मुझे ही देख रहे थे। मैं घाघरे में बहुत ही सुंदर दिख रही थी। मैं वहां सब से मिली। तभी मेरी नज़र मेरे बॉयफ्रेंड पर गई। मैं उसके पास चली गई। वो भी मेरी तारीफ करने लगा। फिर हम दोनों बाहर आ गए। हम दोनों किस करने लगे, पर मेरा बॉयफ्रेंड मुझे चुदाई के लिए बोलने लगा।

मैं मना करने लगी तो उसने अपना लंड पेंट से बाहर निकाल दिया,‌ और मुझे बोला चूस कर मेरा लंड शांत कर। मैं ना चाहते हुए भी नीचे बैठ कर लंड को मुंह मे लेकर चूसने लगी। काफी देर के बाद उसके लंड ने मेरे मुंह को पानी से भर दिया। मैं सारा पानी पी गई, और लंड चाट कर साफ कर दी।

फिर मैंने अपना चेहरा साफ किया, और हम दोनो फंक्शन पर आ गए। वहां सब पीने लगे और मुझे भी बोलने लगे, पर मैंने मना कर दिया। मैंने जल्दी से खाना खाया और घर को जाने के लिए निकल पड़ी। मैं एक बस स्टैंड के पास खड़ी ऑटो का इंतजार करने लगी।

काफी देर हो गई कोई ऑटो नहीं आया। तभी मुझे किसी की पीछे से आवाज सुनाई दी, “लंड तो बहुत अच्छा चूसती है, अब लंड लेकर भी दिखा दे कैसे चुदाई का मजा देती है”। मैं समझ गई किसी ने मुझे लंड चूसते हुए देख लिया था।

तभी फिरसे आवाज आई, “अब शर्मा मत, चल यहां आजा, फिर तुझे जहां जाना है छोड़ दूंगा”। मैं कुछ नहीं बोल रही थी, पर तभी उसका एक हाथ मेरी कमर पर आ गया, और उसने मुझे खींच लिया। मैं बोली, “मुझे जाने दो”। तो उसने बोला, “थोड़ी देर बाद चली जाना, पर अभी मुझे खुश कर”।

मैं समझ गई थी उसने मुझे लंड चूसते हुए देखा था, और ऐसे मुझे जाने नहीं देगा, तो मैं उसको बोली, “ठीक है, आपका लंड भी चूस देती हूं, फिर मुझे जाने दोगे?” तो वो बोला, “मेरा लंड चूसने नहीं तेरी चूत में जाने को मचल रहा है”। मैं बोलने लगी, “घाघरा पहनने मे मुझे परेशानी होगी, और यहां गंदा भी हो जाएगा”।

उसने बोला, “चल बस स्टैंड के पीछे, तुझे एक नया अनुभव देता हूं”। और वो मुझे खींच कर बस स्टैंड के पीछे ले गया। उसने मुझे स्टैंड के साथ झुका दिया। फिर मेरा पूरा घाघरा ऊपर उठा दिया। उसकी मेरी पेंटी नजर आ गई और उसने मेरी पेंटी नीचे कर दी। फिर मेरी चूत को हाथ से मसलने लग गया।

फिर उसने अपना लंड निकाल लिया, और मेरी चूत पर रगड़ने लगा। मैं कुछ संभल पाती तब तक उसने अपना लंड मेरी चूत में उतार दिया। उसका लंड लम्बा कम था, पर मोटा बहुत था। मैं उसके उस प्रहार से उछल पड़ी, पर उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था।

अब वो मेरी चूत की चुदाई करने लग गया। उसके लंड की चमड़ी मेरी चूत को बहुत रगड़ रही थी। मुझे हल्का दर्द हो रहा था, पर खुश थी पूरी नंगी होने से अच्छा है घाघरा उठाओ और चुदाई का मजा लो। वो मुझे बहुत तेज़-तेज़ चोदे जा रहा था। मैं भी गांड पीछे करके उसके लंड का स्वागत कर रही थी।

कभी वो मुझे तेज़ चोदता तो कभी आराम से। वो मुझे बोलने लगा, “साली तू तो बहुत बडी रांड बनेगी। साली क्या मस्त होकर चुदाई का मजा लेती है”। मैं भी हंस कर बोली, “तेरे जैसे पता नहीं कितने मेरी चूत के दीवाने हैं। अब बात कम कर और चोद मेरी चूत को”।

मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी। अब उसका लंड बहुत आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। हम दोनों की फच-फच की आवाज वहां गूंज रही थी। कुछ देर बाद वो मुझे बोलने लगा, “रांड मेरे लंड का पानी चूत में लेगी या मुंह में?” तो मैं बोली, “अब मेरी चूत को ही भर दे अपने पानी से”।

वो बहुत जोर-जोर से मेरी चूत मे लंड अंदर-बाहर करने लगा, और कुछ ही देर में उसके लंड ने अपने पानी से मेरी चूत को भर दिया। वो मेरी चूत से हट गया। मैं जल्दी से नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी। उसने मुझे नीचे बैठा हुआ देख लिया, और लंड मेरे मुंह के सामने कर दिया।

मैंने उसका लंड मुंह में ले लिया और चाट कर साफ कर दिया। फिर अपने आप को ठीक करके हम दोनों बाहर आ गए। हम दोनों एक दूसरे की बाहों मे आकर बैठ गए। फिर मैं उसको बोली, “चूत का मजा तो ले लिया, पर नाम नहीं बताया”। तो उसने अपना नाम बलवंत सिंह बताया।

फिर मैं बोली, “अब मुझे घर छोड़ दो”। तो बलवंत बोला, “चल मेरे साथ आगे मेरी गाड़ी खड़ी है”।

फिर हम दोनों बात करते हुए गाड़ी के पास आ गए। हम दोनों गाड़ी के अंदर बैठ गए। बलवंत ने गाड़ी चलाना शुरु किया। कुछ आगे जा कर बलवंत बोला, “पुजा मुझे फिरसे एक बार तुझे चोदना है”।

मैं मना करने लगी तो बलवंत ने गाड़ी की रफ्तार तेज कर दी और एक अनजान सड़क पर गाड़ी ले गया। मैं उसको रुकने का बोलती रही, पर बलवंत कहां रुकने वाला था। फिर बलवंत बोला, “पूरे कपड़े उतार अपने, नहीं तो आज गाड़ी नहीं रुकेगी”। मैं बोली, “ठीक है, पर जैसे अभी किया था वैसे ही कर लो”।

बलवंत नहीं माना तो मैं पूरी नंगी हो गई। बलवंत ने गाड़ी रोक दी, और मुझे पीछे की सीट पर नंगी ही ले गया। बलवंत मेरे चूचों पर टूट पड़ा, और उनको जोर से मसलने और चूसने लगा। फिर मेरे होंठो को चूसने लगा। उसके ऐसा करने से मुझे बहुत दर्द हो रहा था। उसका खड़ा हुआ लंड मेरी चूत में जाने के लिए चूत के मुंह पर रगड़ खा रहा था।

बलवंत ने मेरे चूचों को लाल कर दिया, और होंठों को चूस कर भी। फिर उसने मेरी टांगो को ऊपर करके लंड मेरी चूत मे उतार दिया। उसके हर धक्के से मैं और गाड़ी हिलने लगी। बलवंत अब बहुत बुरी तरह मेरी चुदाई कर रहा था। मैं उसको आराम से करने को बोलती रही, पर वो कहां कुछ सुन रहा था।

उसने इस बार मेरी हालत खराब कर दी। गाड़ी के अंदर मैं हिल भी नहीं पा रही थी। और बलवंत पूरे जोश से मेरी चूत को फाड़ रहा था। बलवंत चुदाई करते हुए बीच-बीच में मेरे चूचों पर अपने दांत लगा देता, जिससे मुझे बहुत दर्द होता।

बहुत देर बाद बलवंत ने मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया‌। मैं वैसे ही पड़ी रही। उसका पानी मेरी चूत से निकल कर सीट पर गिरने लगा। फिर बलवंत बोला, “रंडी उठ, अब बाहर निकल”। मैं उठी और बाहर आ गई। बलवंत ने फिरसे मेरे से लंड चुसवाया और मुझे बोला, “चल अब ऐसे ही नंगी गाड़ी में बैठ जा, आज रात तुझे बहुत चोदना है मुझे”।

मैं उसको मना करने लगी और घर जाने को बोलने लगी। बलवंत मेरी एक नहीं सुन रहा था। फिर मैंने बलवंत को वादा किया, “जब तुम चुदाई के लिए बोलोगे, मैं आ जाऊंगी”। तब बलवंत मुझे घर छोड़ने को तैयार हुआ। मैंने सड़क पर ही अपना घाघरा पहना, और अपने आप को साफ किया।

फिर घर तक मैं बलवंत का लंड चूसते हुए आई। कैसी लगी कहानी जरूर बताना [email protected]

Leave a Comment