अगली सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं अभी भी नंगा था। मेरी गांड अब भी दर्द कर रही थी रात की गांड फाड़ चुदाई से। चलना भी बड़ा मुश्किल हो रहा था। तभी चाचा मुझे वॉशरूम तक ले गए। बहुत मुश्किल से मैं फ्रेश हो पाया।
वॉशरूम के मिरर से पता चला चाचा मेरे पूरे जिस्म पर चुदाई की निशानी दे चुके थे। मेरे चूचे अभी तक भी लाल थे। गर्दन और कमर पर भी उसके नाखुन के निशान बने हुए थे। कमरे के बिस्तर पर लेटने लगा तो देखा खून वाली बेडशीट अब चेंज कर दी थी।
तभी मैंने बोला: चाचा मुझे पीछे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज कुछ करो बहुत दर्द हो रहा है।
मेरी गांड का छेद बहुत ज्यादा छिल गया था। खून की लाइन भी घुटनों से नीचे तक बन गई थी। तभी वो दराज से कोई क्रीम और एक कैप्सूल लेकर मुझे दिए।
मेरी गांड के छेद पर वो क्रीम उंगलिया दाल कर अंदर तक लगाई। मुझे अभी भी बहुत दर्द हो रहा था। मुझे रोता देख वो बोले
(चाचा को मेडिसिन की अच्छी जानकारी थी, क्योंकि वो कॉलेज टाइम में केमिस्ट पर काम करते थे)
चाचा: सॉरी बाबू, दर्द को कम करने के लिए मैंने चंदन के पेस्ट में भी लिक्विड मिलाया था, जिससे बॉडी सेक्स के लिए तैयार होती है और गांड में भी लुब्रिकेंट लगाया था। लेकिन अभी छेद टाइट है ना, और तुमने पहली बार किया था। अगली बार नहीं होगा दर्द।
ये बोलते-बोलते वो मेरी गांड में अपनी उंगलियों को अंदर-बाहर कर रहे थे। अब मुझे भी अच्छा लग रहा था। लेकिन चाचा अभी मुझे चोदना नहीं चाहते थे, क्योंकि उनको पता था अगर ज्यादा चोद दिया तो मुझे दिक्कत हो सकती थी। इसलिए अपना लंड बिना मुझसे पूछे मेरे मुंह में दे दिया, और मैं भी बड़ी चुदक्कड़ रांड की तरह उसे चूसने लगा। 15 मिनट चाचा के लंड का रसपान करने के बाद (जो अब से मेरा रोज का नाश्ता होने वाला था)
मैं: चाचा ये कब तक करना होगा? मेरा लंड बड़ा होगा ना?
ये सुनकर वो जोर-जोर से हंसने लगे।
चाचा: बाबू तुम कितने भोले हो। तुम्हें अभी तक समझ नहीं आया कि ऐसा कुछ नहीं होता। इतने बड़े होके भी तुम्हें सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता। कितने मासूम हो तुम बाबू।
ये सुन कर मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, कि ये क्या हो गया था मेरे साथ। मुझे गुस्सा भी बहुत आ रहा था कि चाचा ऐसा क्यों बोल रहे थे।
चाचा: बाबू, जो हम दोनों ने किया उसे सेक्स बोलते हैं। एक पत्नी या पति करते हैं और तुम मेरी पत्नी बनके कर रहे थे ये सब।
मैं (गुस्से में): आपने मुझसे झूठ क्यों बोला? आप बहुत गंदे हो, मुझे घर जाना है।
चाचा: गुस्सा मत करो जान। मैंने सब तुमसे प्यार करने के लिए किया था। मुझे तुम पहले दिन से ही बहुत अच्छे लगते हो। बोलो क्या तुम्हें मजे नहीं आए? क्या मैंने कभी मारा तुम्हें? क्या जिस दिन मैं तुम्हें नहीं मिला था, उस दिन तुम मुझे प्यार में नहीं ढूंढ रहे थे बोलो? ये प्यार नहीं है?
ये सब सुन कर मैं रोने लगा, और चाचा ने मुझे गले लगा लिया। तभी एक कॉल आया।
चाचा (कॉल पार): बोलो बब्लू, हो गया क्या काम? चलो बढ़िया है, उनको मेरा प्रणाम बोलना। बाय, ध्यान रखना।
चाचा (मुझसे): बब्लू का कॉल था। उसकी नौकरी लग गई है मेरे किसी जानकार के वहां। अब वो नहीं आएगा। आज हम दोनों बाहर घूमने चलते है।
हम दोनों तैयार होकर बाहर घूमने चले गए। हम दोनों उनकी कार में पूरा दिन घूमे। मूवी देखी। फिर डिनर करके घर आते-आते 10:00 बज गए थे। कपड़े चेंज करके हम दोनों अब बिस्तर पर थे। अब मुझे भी चाचा पहले से ज्यादा अच्छे लगने लगे। ना चाहते हुए भी आज मेरा चाचा के साथ सेक्स करने का मन करने लगा।
मैं: आप लड़के हो और मैं भी, ये प्यार कैसे हो सकता है?
तब चाचा ने मुझे गाल पर किस किया और अपने लैपटॉप पर एक गे पोर्न दिखाने लगे। जिसमें एक मेरी उम्र का लड़का जिसे उसका डैडी चोद रहा था। ये देख कर तो मैं बिल्कुल परेशान हो गया था।
मैं: इसको दर्द नहीं होता क्या?
चाचा (मुझे कस के पकड़ लिया): नहीं बाबू, जब रोज करने लगते हैं तब सब नॉर्मल हो जाता है।
मैं: मुझे भी करना है(शर्माते हुए)।
चाचा: सोच लो। अभी गांड में दर्द नहीं हो रहा। पूरा लेलोगे?
मुझे अब सेक्स चाहिए था और कुछ नहीं, तो मैंने हा बोल दिया। ये सुनते ही हम दोनों भूखे भेड़ियों की तरह एक-दूसरे को झपटने लगे। चाचा ने मेरे कपड़े उतार कर दूर फेंक दिए। कुत्ते की तरह मेरे जिस्म को चाटने लगे।
कभी होंठ, गर्दन, निपल और लंड को पूरा मुंह में लेकर चूसने लगे। चूसते-चूसते मेरे पैरों को ऊपर करके मेरे छेद को अपनी जीभ से चाटने लगे। कसम से ये हरकत मुझे और भी ज्यादा आज चुदाई के लिए तैयार कर रही थी।
जीभ मेरे छेद के अंदर डाल-डाल कर क्या मजे दे रहे थे वो यार, आज भी ये याद करके लंड खड़ा हो जाता है।
चाचा से प्यार का एहसास आज सेक्स के लिए मेरे जिस्म को तैयार कर रहा था। मेरी गांड को चाट-चाट कर छेद को ढीला कर रहे थे। उन्होंने अपना टोपा मेरी गांड पर रखा कर पहले धक्के के साथ अंदर कर दिया। आज गांड का छेद पहले से तैयार था, इसलिए दर्द कल से कम हुआ। फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर करके चुदाई शुरू हुई।
चाचा: आज फाड़ दूंगा मेरी जान की गांड। अब रोज गांड मारूंगा मेरे बाबू की। बोल रोज गांड मरवाएगी अपने आदमी से मेरी जान? अब से मैं तेरा आदमी हूं, और तू मेरी पत्नी। बोल देगी रोज गांड?
मैं: हां-हां, रोज चोदना मुझे आप, रोज। जब आपका मन करे तब चोदना।
दर्द के साथ चुदाई का मजा बहुत शानदार था। ये दर्द कम मजा था। पोजीशन बदल-बदल कर चुदाई से हम दोनों भौंकाल मचा रहे थे।
कभी वो मेरे ऊपर, कभी मैं उनके ऊपर। कभी मुझे गोद मे उठा कर चोद रहे थे। कभी फ्लोर पर लिटा कर।
मैं: और तेज जान, और तेज, बहुत मजा आ रहा है।
चाचा: आज तेरी गांड और मोटी कर दूंगा बाबू।
पूरी रात चुदाई चलती रही। चाचा का स्टैमिना सच में गजब था। पानी निकलने के बाद भी अगले ही मूवमेंट पर वो तैयार हो जाते चोदने के लिए। रात 3:30 बजे तक वो मुझे 3 बार चोद चुके थे।
चाचा: लव यू जान। यार सच में तू लड़की होता तो अभी तक मां बना देता तुझे। कसम से लुगाई की गांड में भी वो मजा नहीं है जो तेरी गांड चोदने में है। मेरे अलावा किसी के साथ नहीं करेगी ना बोल?
मैं: आपके अलावा तो किसी को सोच भी नहीं सकता। अब तो मुझे भी आपकी लुगाई ही बनना है।
चाचा ने मुझे कस कर पकड़ लिया, और हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे के ऊपर सो गए। 30 दिन ऐसे ही निकल गए। चाचा ऑफिस से जल्दी आकर रोज मुझे दिन में 3-4 बार चोदते। और रात तो मेरी रोज सुहागरात होती थी।
घर का ऐसा कोई कोना नहीं था जहां मेरी गांड चाचा ने नहीं फाड़ी हो। रोज सुबह हम दोनों साथ ही नहाते। गांड मरने का सिलसिला बाथरूम से शुरू होता, और पूरे घर का हर हिस्सा तक गांड मरवाने के बाद खत्म होता।
अब मैं पक्का गांडू बन चूका था। मेरी गांड भी अब फूल की कली से भोसड़ा बन गई थी। अब तो बिना लुब्रिकेंट के भी लंड ले लेता था। बिना लंड अब तो मुझे एक दिन भी अच्छा नहीं लगता था
लेकिन चाचा मुझसे कभी गलत नहीं करते थे, और कभी जबरदस्ती भी नहीं करते थे। हम हमेशा बहुत प्यार के साथ सेक्स करते थे, बिल्कुल पति-पत्नी की तरह।
अगला भाग जल्दी आपके सामने होगा। कैसे चाचा और मेरे बीच कोई तीसरा भी आ गया।