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जैसा बाप वैसा बेटा-2 (Jaisa Baap Waisa Beta-2)

पिछला भाग पढ़े:- जैसा बाप वैसा बेटा-1

मेरी मां की चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी मां को सलीम किराने वाले से चुदते देखा। फिर शाम को वो फ्रेश होके, संस्कारी औरत बन कर मेरे कमरे में आई। अब आगे-

संगीता: बेटा रॉनित उठ, शाम हो गई, कितना सोएगा?

रॉनित: हां मम्मी, बस थोड़ी देर।

संगीता: ले चाय रखी है, पी लेना।

रॉनित: हां ठीक है।

वो चली जाती है। मैं पीछे से देखता हूं। अपनी बड़ी गांड हिलाती हुई वो रूम से निकल जाती है। रात को सब खाना खाते है। हमारे सामने संगीता इतनी सीधी बनती है, और दिन में अलग ही रूप था उसका।

रात को मैं दोनों पति-पत्नी की चुदाई देखता हूं, पर संगीता को मजा नहीं आता है। सिर्फ दिखाने के लिए सिसकियां लेती है। असली मजे तो वो सलीम के साथ लेती है, एक पूरी रंडी बन कर।

सुबह इतवार था। पापा सुबह से ही खेत पर चले जाते है। घर पर सिर्फ मैं और संगीता ही होते है अकेले। मैंने जब से उसकी चुदाई और नंगा जिस्म देखा था, मेरे दिमाग में वो ही घूम रही थी। मेरे मन में भी उसको चोदने के ख्याल आने लगते है। साड़ी पहन कर उसकी बड़ी गांड, बड़े-बड़े बूब्स, क्लीवेज मुझे और उसकी तरफ आकर्षित कर रहे थे।

दोपहर हो जाती है। खाना खा कर संगीता अपने रूम में चले जाती है, और मैं अपने रूम में फोन में उनकी चुदाई की विडिओ देखता हूं। फिर मुझसे कंट्रोल नहीं होता है, तो मैं उनके रूम में जाता हूं।

संगीता: अरे बेटा कुछ चाहिए?

रॉनित: हां चाहिए।

संगीता: क्या चाहिए बोलो?

रॉनित: वहीं जो इतने सालों से सलीम अंकल को दे रही हो।

संगीता डर जाती है। उसका चेहरा लाल होने लगता है, और वो हड़बड़ा कर बोलने लगती है।

संगीता: मैं क्या देती हूं सलीम अंकल को? किसकी बात कर रहा है तू?

रॉनित: मुझे सब पता चल गया है, ज्यादा नाटक मत करो।

संगीता: अरे क्या पता चल गया तुझे? कैसी बहकी-बहकी बात कर रहा है तू?

रॉनित: अच्छा रुको बताता हूं।

मैं अपना फोन निकाल कर उनको विडिओ बताता हूं जिसमें उनका और सलीम का चेहरा साफ-साफ दिख रहा होता है। संगीता की गांड फट जाती है। उसका मुंह उतर जाता है और वो रोने लगती है।

रॉनित: अब आ गया समझ में किसकी बात कर रहा हूं?

संगीता: बेटा यह बात किसी को मत बताना (और रोने लगती है)।

रॉनित: सलीम के साथ तो बहुत मज़े करती है, और अब आंसू आ रहे है।

संगीता: बेटा जो तू बोलेगा वैसा करूंगी। पर यह बात अपने बीच रहनी चाहिए।

रॉनित: अब आई ना लाइन पर।

मैं उसके करीब जाता हूं, और अपना हाथ उसके बूब्स पर रखता हूं, और प्यार से हाथ फेरने लगता हूं। वो कुछ नहीं करती है।

संगीता: यह गलत है बेटा, ठीक नहीं है।

रॉनित: अच्छा और सलीम के साथ सब ठीक था?

मैं सारी का पल्लू हटाता हूं। क्लीवेज पर उंगली घूमता हूं। अपना हाथ उसके पेट पर लाता हूं, और मसलने लगता हूं। बिस्तर पर धक्का दे कर उसके ऊपर चढ़ जाता हूं। मेरे ऊपर भी अब हवस चढ़ चुकी थी।

संगीता मुझे हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, पर उससे कुछ हुआ नहीं। मैंनै अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए, और किस करने लगा। उसके होंठ मैं चूसने लगा। धीरे-धीरे वो भी गरम हो रही थी। उसको भी मजे आने लग रहे थे, पर अभी भी वो मेरा साथ नहीं दे रही थी।

संगीता: बेटा यह ठीक नहीं कर रहा है तू, छोड़ दे मुझे।

रॉनित: साली दूसरे के साथ तो बड़े मजे ले रही थी।

मैं फिर से किस करने लगा। मैं होंठों और गले पर चूमने लगा। वो भी गरम होने लगी थी। अब वो मेरा साथ देने लगी थी। मैं धीरे-धीरे नीचे क्लीवेज को चाटने लगा, ब्लाउस खोल कर ब्रा के ऊपर से बूब्स दबाने लगा। फिर मैंने उसकी साड़ी निकाल फेंकी। मैंने भी टी-शर्ट निकाल दी, और उसके पेट को चाटने लगा। नाभी के अंदर जुबान डाल कर चाटने लगा।

वो भी सिसकियां लेने लगी थी। उसको भी अब मजे आ रहे थे। मैं जल्दी से खड़ा हुआ, और पेंट और चड्डी निकाल कर उसके सामने नंगा खड़ा हो गया। मेरा लंड पूरा खड़ा था। मेरे लंड को देख कर वो अंदर ही हंसी। मुझे भी पता था सलीम के सामने यह कुछ नहीं था। पर वो कुछ नहीं बोली, और लंड को हाथ से सहलाने लगी। मेरा लंड उसके मुंह के सामने खड़ा था।

मैं बोला: चल अब इसको मुंह में ले।

उसने भी मुंह के अंदर लिया और चूसने लगी। पहली बार जीवन में इतना अच्छा महसूस हो रहा था। उसने पूरा लंड अंदर डाल लिया, और तेजी से चूसने लगी। 3-5 मिनट में ही मेरा माल निकल गया, और मैं उसके मुंह के अंदर झड़ गया। मेरी आखें बंद थी। संगीता ने मुझे जोर से धक्का दिया, और मैं बिस्तर पर गिर गया। वो मेरी तरफ ग़ुस्से और असंतुश्ती की निगाहों से देख रही थी।

संगीता: साले जैसा बाप वैसा ही बेटा है। दोनों गांडू।

रॉनित: साली क्या बोल रही है कुतिया?

संगीता: चुप मादरचोद, तेरा बाप आज तक कभी मेरी गर्मी नहीं मिटा पाया, और ना तुझसे कुछ हुआ।

मेरा मुंह उतार गया था। मुझे शर्म आ रही थी, कि मैं इतना जल्दी में झड़ गया था, और ज्यादा कुछ नहीं कर पाया। तो मैंने अपने कपड़े पहने और जाने लगा।

संगीता: कहा जा रहा है? रुक‌ अभी यहीं तू, और बैठ यहीं।

रॉनित: ठीक है।

मैंने चड्डी पहनी और वहीं बगल में कुर्सी रखी थी। मैं उस पर बैठ गया। संगीता ने फोन उठाया, और किसी को काल किया, और घर पर बुलाया। मुझे लगा सलीम को बुलाया होगा। संगीता ने फिर से साड़ी और ब्लाउस पहन लिया।

संगीता: चल कपड़े पहन ले, अब क्या नंगा ही रहेगा क्या?

रॉनित: हां ठीक है।

जैसा वो बोल रही थी, वैसा मैं कर रहा था। उसके सामने अब कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो थी। मैंने अपने कपड़े पहन लिये।

रॉनित: जाऊ मैं अपने रूम में?

संगीता: रुक गांडू, यहीं चुप-चाप बैठा रह। अच्छा अब क्या बताएगा सब को, कि तेरा लंड छोटा है, और 2 मिनट में तेरा माल निकल जाता है?

रॉनित: सॉरी, अब कुछ नहीं बोलूंगा किसी को।

संगीता: साले बोलने लायक बचा भी नहीं है तू कुछ। दोनों बाप-बेटे एक जैसे हो। औरत की गर्मी शांत नहीं कर सकते।

मैं कुछ नहीं बोला, और इतने में घर की डोर बेल बजती है। मुझे लगा सलीम अंकल होंगे। में दरवाजा खोलने जाता हूं पर दरवाजे पर तो कोई और था, जिसकी मुझे उम्मीद भी थी, और अब उसके साथ संगीता चुदाई करेगी।

मेरे साथ बने रहे। अभी और भाग इस कहानी के आएंगे। धन्यवाद आपका सेक्स कहानी पढ़ने के लिए। अपना अनुभव मेरे साथ ज़रूर साझा करे। मेरी ईमेल आइडी khanabdulasif01@gmail.com

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