जन्मदिन पर भिखारिन का तोहफा-1 (Janamdin par bhikharin ka tohfa-1)

नमस्कार दोस्तों, इंडियन लेस्बियन सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। मेरा नाम ज्योति है। मैं राजस्थान से हूं। मेरा रंग गोरा है, और फिगर 34-30-36 का है। उम्र मेरी 24 साल है। अब मैं सीधे अपनी सेक्स कहानी पर आती हूं।

कुछ महीनों पहले ही मैंने एक बड़ी कंपनी में जॉब के लिए इंटरव्यू दिया था। मेरा सिलेक्शन तो हो गया, लेकिन मेरी पोस्टिंग दिल्ली में हो गई। फिर मैं दिल्ली शिफ्ट हो गई। वहां पर मैंने ठीक रेट में एक कमरा किराए पर ले लिया। अब मैं ऑफिस जाने लगी, और काम शुरू कर दिया।

कुछ दिन बीत गए, और मुझे घर की याद आने लगी। लेकिन काम का शेड्यूल ऐसा था कि मुझे सिर्फ एक ही दिन की छुट्टी मिलती थी हफ्ते में, और एक दिन में घर  जा कर वापस आना मुमकिन नहीं था। इसलिए मैं घर नहीं जा सकती थी।

फिर ऐसे ही एक छुट्टी वाले दिन मैं घर के दरवाजे पर जा कर खड़ी हो गई, और आस-पास का माहौल देखने लगी। तभी मेरी नज़र घर के पास में बैठी एक भिखारिन औरत पर गई। वैसे तो मैं आते-जाते हर रोज उसको देखती थी, और कुछ पैसे भी दे देती थी। लेकिन आज तक मेरी उससे कभी बात नहीं हुई थी।

वो औरत कोई 35-36 साल की थी। उसका रंग हल्का सावला था, और शरीर थोड़ा भारी था। अब मेरे पास कोई बात करने के लिए तो था नहीं। तो सोचा उसी के साथ बात कर लेती हूं। फिर मैं उसके पास गई तो वो बोली-

भिखारिन: राम राम बेटा!

मैं: राम राम जी।

भिखारिन: कैसी हो बेटा?

मैं: मैं ठीक हूं, आप बताओ?

भिखारिन: बस भगवान की कृपा है। आज ऑफिस नहीं गई?

मैं: नहीं आज छुट्टी है।

भिखारिन: ठीक है।

मैं: आप ये भीख क्यों मांगती हो? काम क्यों नहीं करती?

भिखारिन: मजबूरी है बेटा। काम ढूंढने की बहुत कोशिश की। लेकिन कोई काम देता नहीं है। काम मिलता है तो वहां से निकाल देते है।

मैं: क्यों?

भिखारिन: मेरा पति पियक्कड़ है। उसने मुझे बदनाम कर रखा है। मैं जहां भी काम पर लगती हूं, वो वहां आ कर धांधली करता है, और पैसे मांगता है। तो वहां से मुझे निकाल देते है।

मैं: ओह अच्छा।

भिखारिन: अब तुम ही बताओ की ऐसे हालात में मैं क्या करूं?

मैं: हम्म मुश्किल तो है। चलिए कोई बात नहीं। मैं जहां काम करती हूं, वहां पर पता करती हूं अगर आपके लिए कोई काम हो तो।

भिखारिन (मेरे पैरों को छूते हुए): धन्यवाद बेटा।

मैं (पैर पीछे करते हुए): अरे आप ऐसा मत कीजिए। मैं आपसे छोटी हूं। वैसे आपका नाम क्या है? और आपकी उम्र?

भिखारिन: मेरा नाम करुणा है, और उम्र 36 साल है।

मैं: अरे फिर तो आप मुझसे ज्यादा बड़ी नहीं है। मैं आज से आपको दीदी बुलाऊंगी, और आप भी मुझे मेरे नाम से बुलाया करो।

करुणा: आपका नाम क्या है? मेरा नाम ज्योति है।

करुणा: ठीक है ज्योति जी।

मैं: ज्योति जी नहीं, सिर्फ ज्योति।

करुणा (मुस्कुराते हुए): ठीक है ज्योति।

इसी तरह हमारी रोज बातें होने लगी। उसके लिए मेरे ऑफिस में काम तो नहीं मिला, लेकिन हमारी दोस्ती जरूर हो गई। फिर एक दिन कुछ अलग हुआ।

हुआ ये कि उस दिन सुबह-सुबह अचानक से बारिश शुरू हो गई। मैंने छत पर कपड़े सुखाने के लिए डाले हुए थे, तो मैं जल्दी से छत पर उनको उतारने गई। ऊपर जाके मेरी नज़र करुणा पर पड़ी। वो साइड में खड़ी हुई थी, और बारिश की वजह से भीग रही थी। मैं जल्दी से नीचे गई, और दरवाजे पर खड़ी रह कर उसको बोली-

मैं: दीदी अंदर आ जाओ। बारिश बंद हो जाएगी तो चली जाना।

उसने मेरी बात मान ली, और भाग पर घर के अंदर आ गई। करुणा ने साड़ी पहनी हुई थी, को पूरी गीली हो चुकी थी। ये देख कर मैंने उससे कहा-

मैं: ओह हो! आपके तो पूरे कपड़े गीले हो गए। आप ऐसा करो इनको उतार दो, मैं आपको अपने कपड़े देती हूं, वो पहन लो।

करुणा: अरे इसकी कोई जरूरत नहीं।

मैं: अरे बीमार हो जाएंगी आप। लेलो।

फिर मैंने अपनी एक नाइटी दी उसको पहनने को। फिर करुणा ने अपनी साड़ी खोलनी शुरू की। मैं उसको देख रही थी। जैसे-जैसे वो साड़ी खोल रही थी, वैसे-वैसे मुझे पता नहीं क्या हो रहा था। मेरे दिल में उनके जिस्म को देखने दिलचस्पी बढ़ रही थी।

साड़ी के बाद उसने ब्लाउज उतारा, और फिर पेटीकोट। अब वो ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। उसके चूचे 38″ के थे, और कमर 32″ की, और गांड तकरीबन 40″ की होगी। उसका भीगा हुआ सेक्सी बदन देख कर मेरी चूत में सुरसुरी सी उठने लगी।  ऐसा मुझे कभी किसी लड़के के लिए भी महसूस नहीं हुआ था। पता नहीं क्यों मेरा दिल उसको छूने और चूमने का कर रहा था।

फिर उसने अपनी ब्रा उतारी, और उसके बड़े-बड़े चूचे बाहर आ गए। उसके चूचे देख कर मैं और उत्तेजित हो गई। दिल तो कर रहा था की उसके मोटे निपल्स को अपने मुंह में डाल कर चूस लूं। अब वो घूम गई, और अपनी चूत को छुपाते हुए अपनी पैंटी उतारने लगी। उसकी बड़ी सी गांड देख कर मेरा उस पर दांत काटने का दिल किया।

फिर उसने पैंटी उतारी, और नाइटी पहनने लगी। मैंने उसकी चूत को देखने की कोशिश की, लेकिन नहीं देख पाई। फिर उसने नाइटी पहन ली। साइज छोटा होने की वजह से उसको नाइटी टाइट थी, इसलिए उसके चूचे और गांड उभर कर बाहर आ रहे थे। फिर वो वहीं बैठ गई, और मैंने उसको कहा कि मैं चाय लेके आती हूं।

मैं रसोई में गई, और चाय लेके आई। हम आमने-सामने बैठ कर चाय पीने लगे। मेरी नज़र उसके निपल्स पर ही थी। मेरी चूत उसको देख-देख कर गीली हो गई थी। थोड़ी देर में बारिश बंद हो गई, और तब तक उसकी साड़ी भी सूख चुकी थी। उसने फिर से साड़ी पहन ली, और मुझे फिर से उसका सेक्सी बदन देखने को मिला। फिर उसने शुक्रिया अदा करते हुए मेरी नाइटी वापस की, और चली गई।

इसके आगे इस इंडियन लेस्बियन सेक्स कहानी में क्या हुआ, ये आपको इस सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। इस पार्ट के बारे में अपने विचार ज़रूर सांझें करें।

अगला भाग पढ़े:- जन्मदिन पर भिखारिन का तोहफा-2

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