मनी ने भी समय की नज़ाकत समझी और एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी। अजय ने भी अपना नाईट सूट उतार दिया। अब दोनों एकदम नंगे होकर एक दुसरे की बाँहो में लिपटे हुए थे। एक दूसरे का स्पर्श पाकर ही दोनो पे काम हावी हो गया। अजय ने अपना तना हुआ लण्ड, मनी के हाथ में दे दिया और खुद उसकी चूत से खेलने लगा।
मनी ने बिन समय गंवाए लण्ड को मुंह में लिया और अपना मुंह आगे पीछे करके उसका मुख मैथुन करने लगी। वो भी पिछले महीने से चुदी नही थी। तो वो काम आवेग में होश खो बैठी थी।
इधर अजय भी उसकी क्लीनशेवेड चूत को हाथो की उंगलियो से चौड़ी करके उसके भगनासे को चाट रहा था। जिस से मनी और जोश में आकर लण्ड को तेज़ तेज़ हिलाने और चूसने लगी। उसे पता ही नही चला कब उसके मुंह में अजय ने अपना वीर्य छोड़ दिया और हांफने लगा। इधर मनी भी अमृत समझ कर गटक गयी।
अजय ने भी जब उसकी चूत चाटनी छोड़ी तो हाथ की 2 उंगलियो से उसे चोदने लगा और तब तक चोदता रहा जब तक वो झड़ न गयी। फेर अजय ने खड़ा होकर एक बार फेर मनी से लण्ड चुस्वाकर खड़ा किया और उसे दुबारा गर्म करने के लिए कभी उसके होंठ, कभी कान तो कभी उसके मम्मे चूमने लगता।
फेर उसने बेड पे मनी को घोड़ी स्टाइल में होने को बोला। मनी भी एक दम 2 पैरो से 4 पैरो पर हो गयी। फेर अजय ने पीछे से लण्ड उसकी चूत में डाला और हल्का हल्का कमर हिलाने लगा। जब मनी को मज़ा आने लगा तो वो अपनी गांड उछाल उछाल के लण्ड लेने गयी।
अजय उसको मज़े में लाने के लिए कभी उसके मम्में निचे हाथ डालकर दबाता तो कभी उसकी पीठ पे लेटकर उसको पेट और निचे के और हिस्सों को सहलाता। मनी भी मानो दिलो जान से उसे अपना पति मानकर उससे चुदवा रही थी। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद दोनों एक साथ रस्खलित हुए।
मनी – जानू, अब मैं माँ बापू के पास जाकर सो सकती हूँ क्या ?
अजय – नही जी, अभी मेरा दिल नही भरा है। जब भरेगा तब सोचेंगे।
मनी – लेकिन यार, सोना भी तो है। तुमने सुबह काम पे भी जाना है। मैंने भी उठकर काम काज सम्भालना है। आज के लिए इतना बहुत है।
अजय ने उसे न चाहते हुए भी जाने की आज्ञा दी। वो कपड़े पहनकर अपने माँ बापू के कमरे में चली गई। अजय ऐसे ही नंगा दरवाजा बन्द करके बिना लोक किये सो गया। सुबह 5.30 बजे उसके दरवाजे पे दस्तक हुई।
मनी ने दरवाजे को जरा सा धक्का दिया तो वो खुल गया। उसके हाथ में अजय के लिये चाय थी। अजय चादर में लिपटा सो रहा था। मनी ने उसे कन्धे पे हाथ रखकर हिलाया और चाय पीने के लिए उठने की विनती की। अजय ने लेटे हुए ही उसकी तरफ देखा और कहा, चाय टेबल पे रखदो। बाद में पीऊंगा। अभी बहुत मस्त नींद आ रही है।
मनी — ओ, प्यारे देवर जी, उठ जाओ काम पे भी जाना है या नही। जल्दी तैयार होंगे तभी तो समय पे काम पे पहुंच पाओगे। उसकी आवाज़ अजय की नींद में बाधा डाल रही थी। तो अजय ने उसकी बाजु को पकड़ा और अपने ऊपर गिरा लिया और उसके होंठो पे अपने होंठ रखकर कहा,”डोंट एंग्री मी… और उसके होंठो को चूमने लग गया।
अचानक हुए हमले से मनी घबरा सी गयी और बोली,” पागल हो गए लगते हो। इतना तो सोचलो सुबह का वक्त है। माँ बापू में से कोई भी आ सकता है। ऐसे काम के लिए भगवान ने रात बनाई है।”
अजय ने चादर में हाथ डालकर अपना तना हुआ लण्ड मनी के मुंह में से दिया और कहा। “तुम्हारी ज़ुबान ऐसे ही बन्द करनी पड़ेगी।”
मनी का सारा गुस्सा हंसी में बदल गया और वो लण्ड को चूसने लगी। फेर मुंह से लण्ड निकाल कर बोली,” तुम बहुत कमीने हो। सारी प्लानिंग पहले ही करके बैठे हो के कब चाय लाएगी और कब पेलूँगा।
सुनो, अब के लिए सिर्फ चूसूंगी ही चूत में रात को लूंगी। वो फेर लण्ड को मुंह में लेकर आगे पीछे करने लगी। तभी मनी के पापा ने आवाज़ लगाई,” मनी पुत्तर, अजय को चाय पिलाकर उठादो, उसने काम पे जाना होगा। कही सोने की वजह से लेट न हो जाये।
मनी ने मुंह से लण्ड निकाल कर वहीँ से अपने बापू की बात का जवाब दिया,” चाय ही पिलाने आई हूँ, बापू जी। ”
मनी ने फेर हल्के सी आवाज़ में अजय को कहा,” उठ जाओ यार पलीज़, कही ये न हो के बापू सीधा इधर न आ जाये। हमे इस हाल में देख लिया तो बहुत मुसीबत हो जायेगी।
अजय ने उसे हट जाने को कहा। फेर अजय ने उसके हाथ से चाय पी और मनी कप प्लेट वापिस लेकर चली गयी।
अजय उठा कपड़े पहनकर फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया। फेर नहा धोकर तैयार होकर बाहर आया। मनी ने उसे खाना परोसा और उसके लिए टिफन पैक किया और उसे काम पे भेज दिया। फेर शाम को अजय काम से वापिस आया।
इन 2-3 दिनों में मनी के माँ बाप को अजय पूरी तरह पसन्द आ गया। अगले दिन अजय जब काम पे जाने लगा तो उसे मनी के बापू ने रोक लिया और कहा।
मनी के बापू – अजय बेटा, मैं 2-3 दिनों से नोट कर रहा हूँ। जब से तुम आये हो। मनी तुम्हारे साथ बहुत खुश महसूस कर रही है। हमने वैसे भी इसका ब्याह कही और भी करना ही है। तो क्यों न तूम इसके नए पति बन जाओ। मुझे तुम पे पूरा विश्वास है तुम इसे खुश रख सकोगे। तुम अपने माँ बाप से बात करके बताओ के तुमने लड़की देख ली है। वो आकर मनी को देख जायेगे।
अजय – कोई बात नही, अंकल जी मैं अपने पेरेंट्स से बात करके देखूंगा। यदि उनकी हाँ हुयी तो मुझे आपका दामाद बनने में कोई आपत्ति नही है।
मनी ये सब बाते छिपकर सुन रही थी। उसकी तो ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा। जब अजय शाम को काम से वापिस आया तो मनी ने उसे कमरे में आने का इशारा किया। वो इशारा समझकर कमरे में चला गया। अंदर जाते ही मनी ने दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया और अजय को बाँहो में ले लिया और कहा,” सुबह जो बापू तुमसे कह रहे थे। उसके बारे में तुम्हारी क्या रॉय है ?
अजय – मनी सच पुछो तो शादी का अभी कोई विचार नही है। हाँ जब भी करी माँ बाप की पसन्द से ही करूँगा।
मनी – मै अगर तुम्हारे माँ बापू को मैं पसन्द न आई तो क्या करोगे ?
अजय – करना क्या है। उनकी ख़ुशी में हमारी ख़ुशी है।
अजय की बात सुनकर मनी मायूस हो गयी। इसपे अजय की हंसी निकल गयी और मनी की गालो को पकड़ कर बोला,”मायूस न हो जानेमन, मज़ाक कर रहा हूँ। माँ बाप का लाडला हूँ। मेरी पसन्द उनकी पसन्द है। एक दो दिन के बाद घर जाउगा और उनसे बात करूँगा। चलो इसी बात पे एक पप्पी ही दे दो।” मनी एक लिप किस करके भाग गयी।
उस रात अजय ने फेर जमके मनी की धुलाई की। इस तरह मनी एक हफ्ता रोज़ रात को चुदती रही। फेर एक दिन अजय अपनें शहर गया और अपने पेरेंट्स से मनी के बारे में बात की। उसके माँ बाप अजय के साथ मनी को देखने आये। मनी भी उनको पसन्द आ गई और उनकी शादी हो गयी। अब उनकी हर रात रंगीन होती गई।
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