मुझे अपने आप पे गर्व महसूस हो रहा था के सारे स्कूल में सिर्फ मैं ही ऐसा बच्चा होऊंगा जिसने अपने स्कूल की प्रिंसिपल को चोदा होगा। अब बात थी के इस काम के लिए पहल कौन करे।
अब बात थी के इस काम के लिए पहल कौन करे। फेर पता नही मैडम ने ये सोचा होगा के एक तो बड़ी मुश्किल से ये सेक्स के लिए माना है। शायद शर्माने की वजह से काम से मुकर ही न जाये।
मैं इन्ही सोचो में डूब हुआ था के किरन ने मुझे बैड पे धकका देकर खुद ऊपर आकर मुझे चूमने लगी। उसके एक दम से किये हमले से मैं सम्भल नही पाया। फेर खुद को थोडा कण्ट्रोल करके मैं भी उनकी चूमा चाटी में मदद करने लगा। मैडम ने हाथ से रुकने का इशारा किया तो मैं रुक गया।
वो — ऐसा करो अपने कपड़े उतार दो, क्योंके हमने स्कूल वापिस भी जाना है। तो अगर कपड़े खराब हो गए तो किसी को शक हो सकता है।
मुझे उसकी बात जच गयी और हमने एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए। इस बार मैं उसके ऊपर और वो मेरे निचे लेटी हुई थी। मेने उसका एक एक अंग बड़ी शिदत से चूमा। नौसिखिया होने की वजह से मैं ज्यादा कुछ नही जानता था।
इस बात को वो भी शायद समझ गयी थी। तो उसने मेरी मजबूरी को ध्यान में रखते हुए मुझे लेटने का इशारा किया। मैंने उस दिन से पहले कभी भी किसी लड़की को टच तक नही किया था। बस ब्लू फिल्मो में देखा था के कैसे लोग, लड़की के आगे पीछे डालते है। मेरा पहला अनुभव होने के कारण मैं डर भी रहा था के पता नही क्या होगा?
मैडम मुझे बार बार चूम रही थी और मेरी नंगी पीठ पे हाथ भी फेर रही थी। लेकिन मुझपे कोई असर नही हो रहा था। मैडम समझ गयी के इसे कोई टेंशन है।
वो — एक बात सुनो अमन, मज़ा लेना है तो दिमाग में जो है, उसे निकाल दो, फ्रेश दिमाग से महसूस करो। क्योंके यदि ऐसे ही टेंशन लेकर पड़े रहोगे तो न मैं मज़ा ले पाऊँगी न तुम। सो अपना नही तो मेरा तो कुछ सोचो।
मुझे उसकी बात अच्छी लगी। तो मन की टेंशन ये कहकर छोड़ दी के जो होगा देखा जायेगा। फेर मैडम मेरे ऊपर आई और मेरे माथे से लेकर मेरे लण्ड तक एक एक इंच जगह को अपने कोमल होंठो से चूमने लगी। अब मेरे शरीर में भी काम लहर उठने लगी थी। मेरा मुरझाया लण्ड सख्त रोड की तरह खड़ा हो गया था। जिसे देखकर उसकी सूनी आँखों में चमक आ गई।
वो बिना समय गंवाए मेरे लण्ड को मुठी में लेकर हिलाने लगी। तना हुआ लण्ड मैडम की मुठी से बाहर झांक रहा था। मैडम ने हल्के हल्के मेरे लण्ड का सुपाड़ा खोलना शुरू किया। जो के मैंने मेरे मुठ मारने की वजह से पहले ही खोलने लायक बना लिया था।
जब मेरे लण्ड का गुलाबी भाग नज़र आया तो मैडम ने बिना समय गंवाए उसे मुंह में ले लिया। मैं तो जैसे आसमान की सैर पे निकल गया। मेरी आँखे बन्द हो गयी और मुझे बीती हुई रात की देखी सेक्सी फ़िल्म याद आ गयी। जिसमे एक नर्स, हॉस्पिटल के बैड पे पड़े मरीज़ का लण्ड निकाल कर मन भरने तक चुस्ती है और फेर उसका वीर्य अपने मुंह में लेकर निगल जाती है।
मैं खुद को वो मरीज़ और मैडम को वो नर्स मान रहा था। मैं इन्ही सोचो में डूबा हुआ ही था के मुझे लगा मेरा काम होने वाला है तो मैंने मैडम का मुंह पकड़कर निचे से अपनी गांड ऊपर निचे करके मैडम का मुंह चोदने लगा। मेरे इस तरह के वव्हार से वो अचंभित हो गयी और मेने अपने गर्म गर्म वीर्य से उसका पूरा मुंह भर दिया और खुद लेटा हुआ बेड पे ही हांफता रहा।
मैडम को शायद मेरी ये बात अच्छी नही लगी। लेकिन फेर भी उसने कुछ नही कहा, बल्कि मेरे पहले रस्खलन की बधाई दी, और अपनी जीभ से मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ कर दिया। जब मेरी सांसे कण्ट्रोल में हुई तो मेने उनसे अपने किये बुरे बर्ताव के लिए माफ़ी मांगी।
उसने माफ़ कर भी दिया और कहा, चलो कोई बात नही, ये तुम्हारा पहला सेक्स था तो सब माफ़ है। लेकिन आगे से ऐसी गलती न करना। जब भी लगे के मेरा वीर्य निकलने वाला है तो बता देना। मैं मुंह से लण्ड निकाल लुंगी। इतना कहकर वो लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया। कद के हिसाब से मैं और किरण एक जैसे ही थे। मैडम ने लेटे लेटे ही अपनी गुंथी हुई चोटी खोल ली।
मैं — अरे, ये क्या किया आपने, स्कूल भी वापिस जाना है और आप बाल खोलकर लेट गई।
वो – ये मेरा 5 मिनट का काम है, तुम इसी चिंता न करो। तुम बस मज़े लो और मुझे भी लेने दो।
इतना कहते ही मैडम मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठो को अपने होंठो में क़ैद कर लिया। मैं कभी उसके बालो में हाथ डालकर सहलाता, तो कभी उसके गोरे मांसल बदन को, थोड़ी देर में मैडम का बदन तपने लगा। उसकी आँखे भारी होने लगी।
इसका साफ मतलब था के मैडम पे काम खुमारी चढ़ गयी है। मैंने अपने दायने हाथ की बीच वाली बड़ी ऊँगली से मैडम की क्लीन शेवड चूत का ज़ायज़ा लिया। जो थोड़ी गीली गीली सी हो चुकी थी। चूत देखने में बहुत सूंदर थी। मैं जैसे जैसे ऊँगली चलाता गया। मैडम की जैसे जान निकल रही थी।
वो — इसे ऊँगली नही वो मूसल लण्ड चाहिए। अब डाल दो, बस और सब्र नही होता। पिछले एक साल से चुदासी हूँ। बदनामी के डर से किसी को भी प्रपोज़ नही किया। मेने अपना स्वभाव ही इतना कड़क बना लिया के जो मेरे बदन को घूरता है। उसकी जान न निकाल लू।
अब थोडा थोडा समझ में आ रहा था के मैडम इतने कड़क स्वभाव की क्यों है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैडम ने इशारे से उनके बेड का दराज़ खोलने का इशारा किया। मैंने ऊपर लेटे ही, दराज़ खोलकर उसमे पड़ी वेसलिन की डिब्बी निकाल कर उनको दे दी। मैडम उठकर बैठ गयी और डिब्बी खोलकर मेरे तने हुए लण्ड पे वेसलिन का लेप लगाने लगी।
फेर मुझे डिब्बी पकड़ाते हुए बोली, ये लो अब तुम भी मेरी चूत में अंदर गहरायी तक लगादो। ताजो मुझे दर्द न महसूस हो और तुम भी आसानी से मेरी चूत का मज़ा ले सको। मुझे मैडम की बात जच गयी और मेने बेड की शीट के एक पल्ले से पहले चूत साफ की और फेर ऊँगली से गहरायी तक वेसलीन लगा दी।
मैडम बोली, मैं ऊपर आती हूँ। तुम निचे आओ। मैं उनका आदेश पाते ही लेट गया और मैडम मेरे ऊपर आ गयी। उसने पहले हाथ से मेरे लण्ड के कड़कपन का अंदाज़ा लिया और लण्ड को जड़ से पकड़कर डमरू की तरह हिलाने लगी। शायद लण्ड का कड़कपन कम था और तब तक हिलाती रही जब तक उसे विश्वाश न हो गया के अब सीधा चूत में घुस सकता है।
फेर मैडम अपनी चूत को दोनों हाथो से खोलकर मेरे तने हुए लण्ड पे सेट करके हल्के हल्के निचे की और दबाव बनाती गई, और ऐसा तब तक करती गयी जब तक पूरा जड़ तक लण्ड मैडम की चूत में न घुस गया। चाहे हमने वेसलिन भी लगाई थी फेर भी मैडम की एक साल से लण्ड से वंचित पड़ी टाइट चूत से मेरा लण्ड छील गया।
मुझे महसूस हुआ के मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द हो रहा है। मेंने उनहे बताया तो उसने कहा, के तुम्हारा पहला सेक्स है शायद इस लिए हो रहा है। इसके बाद मैडम ने अपनी पोज़िशन सम्भाली और मेरे लण्ड पे उठक बैठक करने लगी। सेक्स के दौरान उसने मुझे एक बार भी ऐसा महसूस नही दिया के मैं इस खेल में नया खिलाडी हूँ।
मतलब के उसका बर्ताव ऐसा था मानो हम बरसो से पति पत्नी हो। वो कभी मेरा मुख चूमती तो कभी अपने मम्मे मेरे मुंह में डालती। शायद उसको ये डर था के मैं उस से पहले न झड़ जाऊ या कहलो वो मुझे मज़ा दिलाने में अकेली मेहनत कर रही थी । जब मुझे भी खुमार चढ़ने लगा तो मैं भी मैडम को कमर से पकड़कर निचे से अपनी कमर हिलाकर मैडम की चुदने में मदद करने लगा।
हमारी ये कब्बडी करीब 10 मिनट तक चली होगी के उनका शरीर अकड़ने लगा। वो अजीब सा मुंह बनाने लगी। मेरा फोरप्ले में रसखिलत होने के कारण मैं अब भी टिका हुआ था। उसके झटके लगाने की स्पीड बढ गई और एक लम्बी चीख से वो झड़ गयी और मेरी छाती पे बेसुध होकर गिर पड़ी।
उसकी सांसे तेज़ चल रही थी। उधर मेने भी झटके तेज़ कर दिए और मैं भी अगले 2-3 मिनट तक उसकी चूत में झड़ गया। उसके चेहरे पे सन्तुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे। काफी समय तक हम दोनों ऐसे ही लेटे बाते करते रहे।
वो – “अमन, आज पूरे एक साल बाद मुझे सेक्स की तृप्ति हुई है। सेक्स करने को तो मैं किसी से भी कर सकती थी लेकिन अपनी, सुसराल और मायके की इज़्ज़त का ख़्याल रखते हुए मैंने अपनी खुवाहिशे मन में ही दबा ली। मेरे मायके घर वाले तो मेरे देवर से मेरी शादी करना चाहते थे..
लेकिन उसका स्वभाव मुझसे मिलता नही था। वो थोडा नशेड़ी टाइप का लोफर लड़का था। मेरे पति के ज़िंदा होते हुए भी उसकी मुझपे गन्दी नज़र थी। एक बार तो उसने मुझसे ज़बरदस्ती करने की भी कोशिश की। लेकिन वो कामयाब नही हो पाया। बस उसी दिन से उसकी मेरी कभी बनी नही। सो मैं खुद को सम्भालने और बिज़ी रखने के लिए सुसराल वाला घर छोड़कर नौकरी की तलाश में निकल पड़ी..
काफी जदो जहद के बाद मुझे एक स्कूल में टीचर की नोकरी मिली। वहाँ भी स्कूल का मेल स्टाफ मुझपे बुरी नज़र रखने लगा। उनसे छुटकारा पाने के लिए मेने वो नौकरी छोड़ दी। करीब 3 महीने बच्चो को ट्यूशन पढ़ाकर खुद का गुज़ारा चलाया..
बाद में आपके स्कूल के प्रिंसिपल के जाने का पता चला। मेने पढ़ाई में बी एड की डिग्री की हुई है। सो मैंने यहां किस्मत अजमानी चाही। तो मेरी दूर की रिश्तेदारी में सभी टीचरो की ड्यूटी लगाने वाला चाचा लगता है। मेने उसे फोन करके अपनी समस्या बताई तो उसने मुझ विधवा पे तरस खाकर मुझे नौकरी पे आने की इज़ाज़त दे दी..
इस लिए मैं शुरू से ही कड़क स्वभाव की बन कर आई। तुम्हे देखकर पता नही क्यों दिल में एक कसक सी उठी और कामवासना का तूफान उमड़ आया । बहुत दिनों से तुम्हे बताने की कोशिश कर रही थी। लेकिन बार बार कोई न कोई बीच में आ जाता था। सो मेने तुम्हे घर पे लेकर आने का प्लान बनाया। बस यही मेरी कहानी है।”
मैं – फेर मेरा शक सही था के आपका मेरे प्रति नज़रिया सही नही था। आप मुझे डांटती भी नही थी और प्यार से पेश आती थी।
वो – हाँ सही सोचा तूने, मैं स्कूल में भी तुम्हारी पूरी केयर करूंगी। अपनी तरफ से हर किस्म की मदद करने की कोशिश करूंगी। बस मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
बाते करते करते मेरी नज़र दीवार घडी पे गयी। मैं जल्दी से उठकर कपड़े पहनने लगा और उन्हें भी कपड़े पहनने का इशारा किया। करीब 10 मिनट तक हम दोनों वापिस स्कूल ड्रेस पहनकर तैयार हो गए और चाय पीकर, स्कूल में सारी छुट्टी होने से पहले पहुँच गए। हफ्ते में एक बार हम सेक्स जरूर करते।
फेर कई महीनो बाद मेरे एग्जाम आ गए। तो मैडम ने मुझे पढाने के लिए अपने घर एक्स्ट्रा क्लास लगानी शुरू करदी। वहाँ मैडम मुझे पढ़ाती थी और वक्त निकाल कर हम एक राउंड भी लगाते थे।
फेर जब मैं पास हुआ तो ग्यारवी कक्षा के लिए किसी और स्कूल में पढ़ने लग गया। क्योंके हमारा ये स्कूल दसवी तक का ही था। उसके बाद एक दो बार मैडम से मुलाकात हुई। बाद में पता चला के उनकी भी दुबारा शादी हो गई है और वो अपने पति के साथ विदेश चली गई है।
आज भी जब ये कहानी याद आती है तो मैडम की याद में आँखे भर आती है। बहुत दिनों से कहानी लिखने की सोच रहा था तो मेने टाइप करके मेरे खास मित्र दीप पंजाबी को भेज दी।
आपको ये कहानी केसी लगी? मुझे जरुर बताना मेरी मेल आई डी है “deep5696@gmail.com” आपके कीमती सुझावो का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा और कहानी अच्छी लगी हो तो को लाइक भी करना। आज के लिए इतना ही काफी है। फेर किसी दिन आपसे फेर मुलाकात होगी तक के लिए नमस्कार… शुभ रत्रि।
???? समाप्त ????