हेल्लो नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सब ? उम्मीद करता हूँ, ऊपर वाले की दया से ठीक ठाक ही होंगे। आपका अपना दीप पंजाबी लम्बे समय बाद आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर फिर हाज़िर है। वैसे तो मुझे आप सब लोग जानते ही हो।
लेकिन फेर भी जो नए मित्र इस साईट पे जुड़े है, उनकी जानकारी के लिए बतादू के मैं पंजाब से हूँ और 2 दर्जनों के करीब कहानिया आपकी सेवा में भेज चूका हूँ। वक्त निकाल कर वो भी पढ़ लेना। उम्मीद करता हूँ, आपके मन को बहुत अच्छी लगेगी। चलो बाते बहुत हो गयी। अब मेन मुद्दे पे आते है। आज की कहानी पंजाब से ही मेरे एक मित्र अमन ने भेजी है।
सो आगे की कहानी उसी की ही ज़ुबानी…
हलो मित्रो नमस्कार, मैं अमन पंजाब से हूँ। मेरी उम्र 32 साल है और मैं शादीशुदा हूँ। लेकिन ये कहानी मेरी शादी से पहले की है। जब मैं **वीं कक्षा में पढ़ता था। जवानी की दहलीज़ वे नया नया उतरा था। मैं शुरू से ही नशे पत्ते से दूर रहा हूँ। जिसकी वजह से मेरा कसरती बदन एक दम फिट था।
मेरे सभी मित्रो की गर्लफ्रेंड्स थी। वो सारा दिन उनके साथ ही चिपके रहते थे। स्कूल में भी सारा दिन उनकी ही बाते करते रहते थे। इसे मेरी किस्मत कहलो या मेरी कोई गलती के हैंडसम होने के बावजूद भी मेरी कोई सहेली नही थी। मुझे उनसे जलन महसूस होती थी।
कभी अकेले में सोचता था। क्या काश कभी वो दिन भी आएगा। जब मेरी भी कोई सहेली होगी। जिसकी गोद में मैं भी सर रखकर सो सकूँगा। वो कहते है न भगवान के घर देर है, अंधेर नही। वही बात मेरे साथ भी हुई। मेरी ये आस जल्द ही पूरी हुई।
हुआ यूं के हमारे स्कूल की प्रिंसिपल मैडम का अचानक तबादला किसी और शहर का हो गया था। तो एक करीब एक महीने बाद हमारे स्कूल में एक नई प्रिंसिपल मैडम आई। उनका नाम किरन था। उनका स्वभाव उनके नाम की तरह गर्म ही था।
मतलब के वो बहुत कड़क स्वभाव की थी। बच्चे तो बच्चे, स्कूल का स्टाफ भी उनके स्वभाव से चलता था। बात बात पे डांट देती थी। जबकि इसके विपरीत हमारी पहले वाली मैडम बहुत मिलनसार थी। पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से मेरी पुराणी मैडम ने मुझे मैं मेरी क्लास का मानीटर बना दिया था।
अब बोर्ड की क्लास होने की वजह से किरण मैडम हमारे 2 पीरियड लगाने आती थी। मैंने बहुत बार नोटिस किया के मैडम का झुकाव मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही हो रहा है। कभी इसे मैं अपने मन का वहम मानता। लेकिन कड़क स्वभाव के डर के कारण उनसे पूछने से डर लगता था।
उनको आये हुए लगभग 1 महीना पूरा हो गया होगा, कि एक दिन वो हमारी कलास में आई और बोली,” अमन तुम मेरे ऑफिस में आओ। तो मैं उनका आर्डर मानकर उनके पीछे चला गया। थोड़ी पढ़ाई सम्बन्धी बाते करने के बाद उसने कहा, मेरे साथ मेरे घर चलो थोडा काम है। सारी छुट्टी के वक्त तुमको यही स्कूल में छोड़ जाऊगी।
उनकी बात सुनकर मैं न चाहते हुए भी उनकी गाड़ी में बैठ गया क्योंके उनके कड़क स्वभाव की वजह से उनकी डांट से मुझे भी बहुत डर लगता था और मैंने ये पूछने की हिम्मत भी नही की के मुझसे घर पे भला क्या काम हो सकता है। फिर उसने गाड़ी अपने घर की तरफ रवाना करदी।
करीब 10 मिनट तक गाड़ी चलने के बाद एक होटल पे उसने गाड़ी रोक दी। मुझे गाड़ी में ही बैठा कर वो खुद होटल के अन्दर चली गई। करीब 5 मिनट के बाद वो जब बाहर आई तो उसके हाथ में एक बड़ा सा लिफाफा था। शायद उसमे कुछ खाने का सामान था। जो उसने गाड़ी की पिछली सीट पे रखकर गाड़ी दुबारा अपने घर की तरफ मोड़ दी।
लगभाग 15 मिनट के सफर के बाद गाड़ी एक छोटे से घर के आगे जाकर रुकी। जो के बाहर से ताला बंद था। मैडम ने उतरकर ताला खोलकर गाड़ी अंदर की और अंदर से गेट को बन्द कर दिया। इतने में हम दोनों उनके हाल में पड़ी कुर्सियो पे जाकर बैठ गए। फेर मैडम रसोई में जाकर एक पानी का जग और दो गिलास लेकर आई।
जो एक मैंने उठाया और एक मैडम ने पी लिया। चाहे मेरे सामने मैडम ने ताला खोला था, लेकिन उस वक़्त कोई बात मेरे मन में नही आ रही थी। तो मैने खाली गिलास नीचे रखते हुए इधर उधर नज़र मारकर उनसे पूछा,” मैडम हम यहां क्यों आये है और क्या आप यहां अकेले रहते हो ? आपकी फेमली का कोई सदस्य नज़र नही आ रहा?
मैडम – हाँ अमन, थोडा काम था, अकेली से नही हो रहा था, सो तो तुम्हे साथ ले आई और हाँ, मैं यहाँ अकेली ही रहती हूँ। मेरी पूरी फेमली पंजाब के एक गांव में रहती है। मैं नौकरी की वजह से यहां अकेली रहती हूँ। क्योंके हमारा स्कूल यहां से बहुत नज़दीक है। यदि अपने पुराने घर से यहां रोज़ाना आना जाना पड़े तो एक तो खर्च बहुत ज्यादा होता है और टाइम की बहुत प्रॉब्लम होती है। इसी लिए मेने यहां ये घर किराये पे लिया है।
मैं – क्या यहां आपका मन लग जाता है ?
वो – ह्म्म्म….. लगता तो नही लेकिन, नौकरी की वजह से मन लगाना पड़ता है। सुबह के 6 बजे उठकर नहा धोकर, खाना बनाकर, तैयार होकर 8.30 बजे स्कूल पहुँच जाती हूँ। शाम के 4 बजे तक स्कूल में रहती हूँ। फेर घर पे आकर घर के काम निपटाती हूँ। इतने में रात हो जाती है और खाना खाकर, सुबह जल्दी उठने के लिए सो जाती हूँ। बस मेरी यही दिनचर्या है।
मैं – वहां आपके गाँव में आपके परिवार में कौन कौन है ?
वो – वहां मेरी सासू माँ, ससुर और मेरे देवर है। मतलब वो मेरा सुसराल है।
मैं – क्या कहा आपने, आप का सुसराल।
वो – हाँ, सुसराल है। लेकिन तुम चौंक क्यों गए ?
लेकिन आप देखने में लगती नही हो के शादीशुदा होंगी और आपने सभी का बताया लेकिन अपने पति और बच्चे का नही बताया।
मेरी ये बात सुनकर मैडम की आँखे छलक गयी। उनके आंसू, उनकी गालों को भिगोने लगे। मैंने उनसे पूछा, माफ़ करना मैडम की मेने कुछ आपसे गलत पूछ लिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
वो – नही, दरअसल मेरे पति की एक साल पहले कार एक्सीडेंट में मौत हो चुकी है। हमारी शादी हुए कुछ ही महीने हुए थे। उस वक्त मैं भी उनके साथ थी| हम दोनों किसी रिश्तेदार की शादी अटेंड करके वापिस घर की और आ रहे थे के सामने से आते ट्रक ने हमारी गाडी को फेट मार दी। हम दोनों बुरी तरह से घायल हो चुके थे। मेरे शरीर पे भी बहुत चोटे आई थी।
लेकिन बुरी किस्मत कहलो के मैं बच गई और मेरा सुहाग उजड़ गया। मैं बहुत रोई, कुरलाई लेकिन जाने वाले कब वापिस आते है? इतना कहकर मैडम रोते रोते मुझसे लिपट गयी। मैं भी थोड़ा इमोशनल हो गया। मैं भी उसे दिलासे देता देता खुद भी रो रहा था। क्योंके मेरी जगह शायद आपमें से भी कोई होता तो उनकी दर्द कहानी को सुनकर उसका दिल भी पसीज जाता।
करीब 10 मिनट तक हम ऐसे ही खड़े एक दूसरे से लिपटे रहे। फेर थोड़ी देर बाद जब मैडम चुप हुई। तो मैंने अपनी बाँहो की ग्रिफत ढीली करके उन्हें बैठने को कुर्सी पेश की और जग से गिलास में पानी डालकर उन्हें पिलाया।
थोड़ी देर बाद जब मैडम थोडा नॉर्मल हुई । तो उठकर वो बाथरूम में गयी और 2 मिनट बाद अपना मुंह धोकर बाहर आई। हमे आये हुए 1 घण्टे के करीब हो चूका था। तो मेने मैडम से पूछा, आपने मुझे किस काम के लिए यहां बुलाया है?
वो – आओ मेरे साथ मेरे बैडरूम में !
मैं – बैडरूम में !
वो – हाँ, चोंको मत, जल्दी आओ बाद में हमने स्कूल भी वापिस जाना है।
मैं उनके पीछे पीछे उनके बैडरूम में चला गया।
वो – दरअसल मैं, यहां 15 दिन पहले ही आई थी। तो अकेली होने की वजह से सारा समान ठीक तरह से लगा नही पाई थी। सोचा स्कूल से कोई लड़का ले आउंगी। वो मदद कर देगा। इसलिए तुम्हे ले आई।
फेर मेंने उनका बेड ठीक तरह से लगाकर दिया और उसपे अच्छी तरह से गद्दा भी बिछाया। फेर हमने घर की एक फुलवाड़ी तैयार की। इतने में मैडम दो कप चाय और होटल से जो समान लिया था, वो एक प्लेट में लेकर आ गयी। हमने चाय पी और बाते करने लगे।
वो – अमन, तुम्हारी उम्र कितनी है ?
मैं – 25 साल।
वो – कोई गर्ल फ्रेंड है या नही तुम्हारी ?
मैं – नही तो।
वो – कभी सेक्स किया है या नही ?
अपनी टीचर के मुंह से ऐसी बात सुनकर मैं थोडा शर्मा गया।
वो – (हाथ बढ़ाते हुए)– शर्माओ न अमन, तूने मुझे आज इतना होंसला दिया। मुझे ये अहसास नही हुआ के तुम कोई अजनबी हो। तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है के मैं तुम्हारे मन की जान सकूँ। आज से हम स्कूल में टीचर स्टूडेंट और स्कूल से बाहर दोस्त होंगे। और एक बात जितना मेरा गर्म स्वभाव है, अंदर से मैं उतनी ही मोम हूँ। बोलो मंज़ूर है या नही।
मैंने भी उनके हाथ में अपना हाथ देते हुए उनका न्योता कबूल किया।
वो – ये हुई न बात, अब बताओ कभी सेक्स किया है या नही ?
मैं – नही किया मैडम !
वो – ओ पागल, भूल गए क्या? स्कूल में मैडम हूँ। अब नही। इस वक़्त मेरा नाम ले सकते हो। किरन।
ठीक है, किरन जी।
वो – एक बात पूछू यदि तुम बुरा न मनो तो ?
मैं – हांजी, क्यों नही, और अपनी दोस्त का बुरा क्यों मानना। आप कहिये क्या कहना चाहते हो?
वो – क्या तुम अपनी ज़िन्दगी का पहला सेक्स मेरे साथ करना चाहोगे ?
उसकी ऐसी बात सुनकर मानो मैं सुन्न हो गया। मुझे समझ नही आ रहा था के उसे क्या जवाब दूं?
उसने एक बार फेर अपनी बात दुहरायी।
मैं इस बार भी चुप ही रहा। इस बार उसकी आवाज़ में विनती, मायूसी और बहुत ही भावनाये उमड़कर सामने आई थी। तो मैंने बिना कुछ सोचे समझे उन्हें हाँ कह दिया। इसमें भी मेरा ही स्वार्थ था। क्योंके एक तो मुझे सेक्स की कोई जानकारी नही थी।
दूजा फ्री में लड़की चोदने को मिल रही थी। वो भी मेरी अपनी टीचर। मुझे अपने आप पे गर्व महसूस हो रहा था के सारे स्कूल में सिर्फ मैं ही ऐसा बच्चा होऊंगा जिसने अपने स्कूल की प्रिंसिपल को चोदा होगा। अब बात थी के इस काम के लिए पहल कौन करे।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये सेक्सी कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”. अपनी प्रतिक्रिया जरुर देना और कहानी अच्छी लगी हो तो को लाइक भी करना।