This story is part of the Vidhva Chachi Ki Garam Jawani series
मित्रों, मै उन्नाव सुबह के ०९:०० बजे पहुंच चुका था और फिर चाची के घर पहुंचकर मैं आराम करने लग गया।
और ऐसे हि हम दोनों एक दूसरे के काफी करीब आए, और फिर मैने शीला चाची को उनके ही बेड पर चोद डाला। छोटी चाची शीला ३५-३६ साल की शादी शुदा औरत थी, लेकिन वो विधवा और साथ मे दो बच्चे की मां भी थी।
उनकी कद काठी अच्छी थी और साथ में उनकी उम्र मौज मस्ती करने की थी, ना की आंसू बहाने की। मै चाची शीला की चुदाई करके सो गया, मुझे थकावट अपनी यात्रा की भी थी और साथ में चुदाई का भी थी।
इसलिए मेरी आंखे लग गई और मुझे चाची ने आकर तकरीबन दिन के २:०० बजे जगाया। फिर मैने हाथ मुंह धोकर खाना खाया और शीला थोड़ा शरमा रही थी, मै अपनी बड़ी बहन रिया की चुदाई पिछले दो माह से करके चुदाई का उस्ताद बन चुका था।
बाकि सब मैं काम कला की जानकारी किताबें पढ़कर लेता था। खाना खाकर मै फिर से आराम करने लग गया, और शीला चाची आधे घण्टे के बाद आराम करने उसी बिस्तर पर आईं।
बेड पर शीला और दीपक एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर थे, तो चाची मुझे निहार रही थी। वो अपने साड़ी को बदल चुकी थी, तो दोनों एक दूसरे के सामने करवट लिए लेट कर आंखें मिला रहे थे।
वो मुस्कुराते हुए बोली – चाची के यहां कितने दिन रुकने का विचार है?
दीपक – जैसा मम्मी कहेंगी, फिलहाल तो मैं कल शाम तक के लिए हि यहां हूं।
शीला मेरी ओर खिसक कर मुझसे लिपट गई – ठीक है, तुम नहीं रुकोगे तो मै ही तुम्हारे साथ कानपुर चली जाऊंगी, और फिर वहीं तेरे कंधे पर सर रखकर आंसू बहाऊंगी।
मै शीला की चूतड़ को सहलाते हुए बोला – आंसू बिल्कुल नहीं चाची।
फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए, मुझे फिर से नींद आ गई तो मै सो गया। शाम के ०४:०० बजे मेरी नींद खुली, दोनों बच्चे स्कूल से आ चुके थे। वो मेरे पास आए तो मैंने उन्हें चॉकलेट दिया और वो दोनों मेरे पास कुछ देर तक बैठकर बातें करते रहे।
मेरा ध्यान तो इन दोनों की मां पर था, शीला को आज रात फिर मुझे चोदना था, सो मैं रात का इंतजार कर रहा था। मैं शाम को टहलने निकलने लग गया तो चाची मुझे देख मुस्कुराई और मै उन्नाव के छोटे से मार्केट चला गया।
वहां से मैंने एक वाईन शोप से बियर की एक केन खरीदा और थोड़ी दूरी पर सड़क किनारे खड़े खड़े बियर पीने लग गया, साथ हि मैंने एक सिगरेट भी जला रखा था।
लेकिन मेरा सारा ध्यान मेरी चाची शीला की चूत पर था, चूत के घने बाल को साफ करने के लिए कौन सा क्रीम लिया जाये मैं बस यही सोच रहा था। मै बियर पीकर एक दुकान की ओर गया और दुकानदार से बोला।
मैं – भैया कोई बाल साफ़ करने वाला क्रीम देना।
वो मुस्कुराया और बोला – शेविंग क्रीम या हेयर रेमुभर।
दीपक – हेयर रिमूवर।
तो क्रीम खरीदकर मैं वापस शीला चाची के घर की और चल पड़ा। वहां पहुंचकर कुछ देर तक मैंने उनके ससुर से बातचीत किया और अपने कपड़ा बदलकर मैं चाची के बगल के कमरे में लेट गया।
चाची उधर से आई और बोली – चाय पियोगे या काफी? वैसे आज इस कमरे में ही तुम्हे रात को सोना है।
दीपक – कोई दिक्कत नहीं चाची, एक काफी ही पियूंगा।
रात के १०:०० बजे तक घर के सारे लोग खा पीकर अपने अपने बेड पर जा चुके थे। और मै चाची के बगल के कमरे में बेड पर लेटकर मोबाइल में एक गेम खेलने लग गया।
और मैं शीला के आने का इंतज़ार कर रहा था। खैर इंतजार खत्म हुआ और शीला चाची मेरे कमरे में आई तो उनके बदन को देख मेरा होश उड़ गया। चाची ने पीले रंग के नाईटी को पहन रखी थी।
और कमरे कि लाल रोशनी में उनका चेहरा चमक रहा था, तो उनके सीने की ओर देखा तो जालीदार नाईटी होने की वजह से चूची का निप्पल साफ़ दिख रहे थे। शीला चाची शरमाने की जगह नाफीक्र होकर मेरे बेड पर बैठी और मेरे हाथ से मोबाइल लेकर टेबल पर रख दिया।
तो मै बेड पर उठकर बैठा और वो बेड के बीचो बीच आ गई, अब वो मुझसे चिपक गई, तो मै उसको कसकर पकड़ लिया। चाची भी अपने भतीजे को कसकर पकड़ रही थी, और मुझे उनके स्तन का एहसास अपने सीने पर मिल रहा था।
वो बेशर्म औरत की तरह मेरे गोद में आ बैठी, और अपने दोनों पैर दो दिशा में करके मेरे कमर से लपेटने लग गयी। मैने शीला के गर्दन में हाथ डाले उनके चेहरे को आगे की ओर किया और होंठो को चूमने लग गया, साथ हि मैं उनके चूतड़ को सहलाता हुआ मस्त हो गया था। और फिर शीला मेरे ऊपर सवार होकर अपनी जीभ मेरे होंठो पर फेरने लग गयी।
चाची का गद्राया जिस्म मेरे ऊपर था तो उनकी जीभ को मैं मुंह में लेकर चूसता हुआ, उनके चूतड़ को सहलाने लग गया। हम दोनों एक दूसरे में समाने को आतुर थे।
उनकी नाईटी अब उनके चूतड़ के ऊपर कर चुकी थी, तो उस बेशर्म ने पेंटी तक नहीं पहन रखी थी। अब मैं उनकी नग्न गान्ड को सहलाता हुआ उनकी जीभ को चूसता रहा था।
फिर मैंने धीरे से अपनी लम्बी उंगली शीला की चूत में घुसा दी, और मैं उनकी चूत को कुरेदता हुआ उनकी जीभ को चूस रहा था।
शीला मेरे मुंह से अपना जीभ निकाल कर मेरे चेहरे को चूमने लग गयी। अब वो मेरे बदन पर फिसलते हुए चुम्बन दे रही थी, वो मेरी बनियान उतारकर मेरे छाती से पेट तक मुझे चूमने लग गयी थी।
मै – ओह आह अब नहीं उह।
जैसे सिसकियां भर रहा था, तभी शीला मेरे बदन पर से उतरकर मेरे बरमूडा को कमर से नीचे करने लगी। तो मै मुस्कुराता हुआ बोला – मैं आपके लिए एक क्रीम लाया हूं।
शीला – पता है, लेकिन वो में साफ करके तेरे पास आई हूं।
और चाची के हाथ में अब मेरा लंड था, अर्ध रूप से टाईट लंड को वो सहलाते हुए वो झुकी और लंड का चमड़ा छीलकर उसको चूमने लग गयी। शीला का रंग दोपहर से अलग था, फिलहाल एक कामुक औरत की तरह वो मुझे गरम कर रही थी।
और मै काफी खुश था कि मैं एक विधवा के जीवन में पल भर की खुशी तो दे पाया। वो अब मुझसे नजर मिलाते हुए मेरे सुपाड़ा को अपने रसीले होठों पर रगड़ने लगी तो।
मै तड़प रहा था और मैं बोला – हाई जानू चूस ना क्यों तड़पा रही हो?
तभी कामुक शीला अपना आधा मुंह खोलकर लंड को अन्दर की और आधा लंड ही मुंह में लेकर चूसलने लग गयी। मेरा लंड उसके मुंह का प्यार पाकर खड़ा होने लग गया।
तो शीला अपना पूरा मुंह खोलकर अब मेरे पूरे लंड को मुंह में भरकर चूसने लग गयी। लेकिन उसके सर का झटका स्थिर था तो मेरा लंड उसके मुंह में खंबे की तरह खड़ा हो चुका था।
कुछ देर तक मुंह में लंड रख वो उसको चूसती रही, फिर थुक से सने लंड को मुंह से निकली और उसपर जीभ फेरकर चाटने लग गयी, । वाकई शीला चाची की काम वासना मुझे गरम कर चुकी थी, और वो मेरे झांट को नोचते हुए लंड को चाट रही थी।
फिर वो बेड पर लेट गई और मै बिल्कुल नंगा था। तो शीला जालीदार नाईटी पहनकर मस्त माल दिख रही थी। तभी मैने चाची के चूतड़ के नीचे एक तकिया लगया, और उनके नाईटी को कमर तक उपर कर दिया।
वो अपनी जांघे फैलाकर चूत चमकाने लग गयी, तो मै चूत पर हाथ फेरता हुआ मस्त था। दिन में चूत पर बाल थे लेकिन अब वो साफ कर चुकी थी और मैने अब अपना चेहरा चूत पर लगा दिया। मैं अपनी नाक को चूत कि छेद से सटाकर सूंघा तो सुगंध मुझे मादक कर रही थी और शीला उंगली लगा कर चूत को फैला रही थी।
तो मै उसके चूत को चूमता हुआ उसकी जांघों को सहलाने लग गया। शीला की चिकनी चूत को चूमता हुआ मैं मस्त था, और उसके छेद में जीभ घुसाकर चूत चाटने लग गया।
चूत सुखी हुई थी और मै चूत को चाटकर मस्त था तो अब चाची बोली – उह ओह आह ऊं दीपक बहुत खुजली हो रही है, दो साल तक इसमें कुछ नहीं गया है, आह अब मजा आ रहा है।
और फिर चूत के फांक को मैं मुंह में लेकर चुसलानें लग गया। तो शीला अपने चूतड़ ऊपर की ओर उच्का रही थी। मेरा लंड अब फौलादी हो चुका था और फिर वो चीखने लगी।
शीला – उई मां अब नहीं मेरे चूत से रस निकल जाएगा।
शीला की चूत का रस पीकर मैं मस्त हो गया और फिर मै वाशरूम की ओर बरमूडा पहनकर गया। चाची के रूम से सटा हुआ वाशरूम नहीं था, खैर मूतने के बाद हाथ पैर धो कर वापस कमरे में आया।
शीला बेड पर लेटी हुई थी, तो मै अब चाची का दूध पीना चाहता था। अलग बात है कि अब उनकी चूची से दूध नहीं निकलता है, लेकिन चूची चूसने में मुझे बहुत मज़ा आता है।
अब चाची के कमर के पास बैठकर उनके नाईटी को ऊपर की ओर करने लग गया। तो शीला दिखावटी गुस्सा कर रही थी, मेरा हाथ थामकर थोड़ा विरोध कर रही थी।
लेकिन फिर मै जबरदस्ती शीला का नाईटी उसके जिस्म से बाहर कर दिया, और शीला अपने दोनों जांघों को एक दूसरे पर चढ़ाकर चूत को छुपाने का प्रयत्न करने लगी।
अब शीला की सुराही नुमा गर्दन, रसीले ओंठ, बड़ी बड़ी चूचियां और सपाट पेट मुझे गरम कर रही थी। तो उनकी कमर और मोटे चिकने जांघें मस्त थे, तभी मै शीला के ऊपर सवार हो गया।
मैं उनकी चूची को थामकर उसकी नीपुल को जीभ से चाटने लग गया। सेक्स के क्रम में चाची की चूची कड़ी और निपल टाईट हो चुके थे। तो मै मुंह खोल चूची को अंदर लिया और चूसते हुए उनके दूसरे स्तन को दबाने लग गया।
जबकि मेरा टाईट लंड उनके कमर को रगड़ रहा था। चाची गरम होकर बोली – हाई अब और तेज चूस ना, आह मेरी चूत में कितने कीड़े रेंग रहे है।
मै चूची चूसता हुआ दूसरी दुनिया की सैर कर रहा था, चाची की चूची एक महिला की तरह थी। उसकी गोलाई अधिक थी तो निपल काले रंग के थे। वो मेरे बाल को कसकर थामे अपने सीने से लग गया मुझे ऐसे दूध पीला रही थी।
मानो वो अपने बच्चे को दूध पिला रही हो, फिर मै उनके दाहिने चूची को मुंह में लेकर चूसने लग गया। ३६ साल की विधवा महिला को २१ साल के लड़का का प्यार मिल रहा था, और अब शीला अपने पैर को बेड पर ही रगड़ने लगी।
शीला – हो गया, अब बस कर दीपक चूची चूसते रहना फिलहाल चूत चोद।
और ऐसी बातें उनके मुंह से सुनकर मेरा दिमाग उड़ गया, पल भर के बाद उनकी चूची को छोड़ा और फिर उनके बदन पर से उतर गया। शीला का चेहरा गोरा से लाल हो चूका था।
तो वो एक जवान औरत की तरह बेड पर नग्न लेटी हुई थी, अब मै उनके दोनों पैर को दो दिशा में करके चूत को निहारने लग गया। उनके मोटे जांघों के बीच लंड पकड़े बैठा और चूत के मुहाने से सुपाड़ा सटाया।
अब धीरे धीरे सुपाड़ा सहित १/३ लंड अंदर चांप दिया, चूत का रास्ता खुला हुआ था और चूत रसीली भी थी। फिर उनकी कमर को मैंने कसकर पकड़ा और एक तेज धक्का चूत में दे दिया।
लंड खसखासाता हुआ अन्दर चला गया, तो शीला चींख पड़ी और बोली – उई मां फ़ाड़ देगा क्या मेरी चूत।
मै – चूपकर साली रण्डी बर्षों से क्या चूत की आरती उतरवा रही थी, चुप चाप चुद।
और मै पूरे गति से शीला की चूत चुदाई कर रहा था, और वो मस्त हो रही थी। तभी मै शीला के बदन पर लेट गया और शीला मेरे होंठ को चूमते हुए मेरे बदन को कसकर पकड़ रही थी।
फिर एक चुद्दकर औरत की तरह अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लगी और मेरा लन्ड चूत की गर्मी से परेशान था। साथ ही मेरा लंड लोहे की सलाख की तरह गरम और कड़ा हो चुका था, ।
अब दोनों चुदाई में मस्त होकर हांफने लगे और वो चींख़ते हुए बोली – अब बस करो क्यों चूत का भर्ता कर रहे हो, रस फेंक दे।
दीपक – जरूर मेरी रानी अब मेरा लंड झड़ने पर को है, लेकिन धीरज रख अभी पूरी रात बाकिं है और मैं तेरी गान्ड मारूंगा साली।
और मेरा लंड उसकी चूत में दहाड़ मारने लग गया, फिर दोनों शांत पड़ गए। चाची की चूत में वीर्य झाड़कर थक चुका था, और शीला लंड को मुंह में लेकर वीर्य का स्वाद ले ली।
फिर देर रात क्या हुआ वो सब अगले भाग में।