This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series
सुनीलजी का सर चकरा रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की क्या सच था और क्या सपना। कालिया तो मर गया था फिर वह कैसे सुनीता को चोदने आया और अचानक ज्योति की जगह आयेशा कहाँसे आगयी, उनकी समझ में नहीं आ रहा था।
कई दिनों की थकान और तनाव के कारण उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था। हालांकि दिन भर की नींद और आराम क बाद वह काफी राहत महसूस कर रहे थे।
आयेशा का रेशमी बदन उनके नंगे बदन से रगड़ रहा था। आयेशा के घने मुलायम बाल उनके चेहरे और छाती पर बिखरे हुए थे।
उनके हाथों में आयेशा के मस्त स्तनोँ और उनकी फूली हुई निप्पलेँ थीं। आयेशा के स्तन पके हुए फल की तरग पूरी तरह परिपक्व थे पर ज़रा से भी ढीले नहीं थे।
सुनीलजी ने खुद महसूस किया की उन्हें शायद आयेशा से प्यार सा हो गया था। आयेशा भी बिना बोले सुनीलजी के पुरे बदन को सेहला रही थी, प्यार कर रही थी।
काफी समय वह चुप रह कर सुनीलजी के सारे अंगों को प्यार से सहलाती तो कभी कभी वह सुनीलजी के पुरे बदन को बार बार चुम कर “ओह! परदेसी, तुम कितने प्यारे हो। आज मैं पूरी तरहसे तुम्हारी बनना चाहती हूँ। आज तुम मुझे जैसे चाहो जी भरके प्यार करो। तुम मुझसे जो चाहे करो। मुझे एक रात में ही जनम जनम तक याद रहे ऐसा प्यार करो।”
कभी यह बोलती तो कभी बस प्यार से सुनीलजी के पुरे बदन को चुपचाप बिना बोले चूमती रहती।
सुनीलजी आयेशा का प्यार देख कर दंग रह गए। एक दुश्मन देश की लड़की उन्हें कितना प्यार करती थी। वह दोनों जानते थे की उनका प्यार थोड़ी ही देर के लिए था।
कुछ ही देर में सुनीलजी अपने रास्ते और आयेशा अपने रास्ते जुदा हो जाने वाले थे। आयेशा का पूरा बदन रोमांच से काँप रहा था। आयेशा के रोंगटे खड़े होगये थे जो उसकी मानसिक उत्तेजना दर्शाता था।
सुनीलजी का लण्ड भी एकम फौलाद की छड़ की तरह खड़ा हो गया था। आयेशा कभी उसे अपने हाथों में लेकर हलके से प्यार से हिलाती थी तो कई बार झुक कर उनके लण्ड की नोंक को चुम कर छोड़ देती।
सुनीलजी आयेशा की पीठ सहलाते तो आयेशा की गाँड़ पर हाथ फिराते। कई बार आयेशा की सपाट कमर पर हाथ फिराते तो कई बार आयेशा की जाँघों के बिच में हाथ डालकर उसकी चूत के उभार को सहलाते।
धीरे धीरे सुनीलजी की उत्तेजना बढ़ने लगी। आयेशा भी अपनी धीरज की सीमा पर पहुँच रही थी। वह परदेसी के लण्ड को अपनी चूत में महसूस करना चाहती थी। उसे कोई क्या कहेगा इस की रत्ती भर की भी कोई चिंता नहीं थी। सुनीलजी अब नींद की असर से पूरी तरह से बाहर आचुके थे। उनके सामने आयेशा थी जो उन्हें अपना नग्न, सुकोमल और कमसिन बदन पेश कर रही थी।
सुनीलजी ने आएशा के नग्न बदन को देखा तो था पर गौर से महसूस नहीं किया था। अब उनके पास मौक़ा था की वह आयेशा के नग्न बदन को प्यार से सहलाये और उसकी प्यार भरी जांच पड़ताल कर सके। वह बदन पूरी रात उनका था।
सुनीलजी का एक हाथ आयेशा की छाती पर उसके स्तनोँ को सेहला रहा था तो दुसरा हाथ आयेशा के पिछवाड़े आयेशा की सुकोमल और सुगठित गाँड़ को सहलाने में लग गया।
सुनीलजी ने जब से पहली बार आयेशा को देखा था तबसे उनको आयेशा की गाँड़ का आकार भली भाँति भाया था और उनके मन की इच्छा थी की उनको मौक़ा मिलेगा तो वह आयेशा की गाँड़ को अच्छी तरह सेहलायेंगे और उसे चूमेंगे।
अक्सर मर्दों को औरतों की गांड का घुमाव बड़ा ही आकर्षित करता है। अक्सर कई लोग कई युवतियां, एक्ट्रेस एवं सीरियल में काम करने वाली अभिनेत्रियों की गाँड़ का आकार देख कर पागल हो जाते हैं।
सुनीलजी ने भी आयेशा की गाँड़ के गालों की कोमलता और उस का करारापनअपने हाथों से महसूस किया। वह बार बार आयेशा की गाँड़, उसके गालों, बिच की दरार में अपनी उंगलियां डाल कर आयेशा की युवा त्वचा का मुआइना कर रहे थे।
सुनीलजी बार बार आयेशा के बालों में अपना मुंह लगा कर उन्हें चुम रहे थे। आयेशा भी बार बार सुनीलजी से चिपक कर “मेरे परदेसी, मेरी जान। मेरे आका। कह कर उनके हर एक अंग को चूमती रहती थी।
आयेशा के बदन में कामुकता की आग लगी थी। इतने सालों के बाद उसे अपनी जवानी और जवानी भरा बदन किसी मर्द को सौपने का सपना साकार करने का मौक़ा मिला था।
आयेशा को पूरी जवानी जिल्लत, अपमान और मशक्कत में गुजारनी पड़ी थी। उसे अपने माँ बाप की हिफाज़त और महेनत करनी पड़ती थी। उसे अपना ख्याल भी नहीं आता था।
सुनीलजी ने आयेशा के सर से शुरू कर आयेशा के बाल, उसका कपाल, उसकी भौंहें, आँखें, नाक और होंठों को चूमने लगे। हाँठों पर पहुँच कर सुनीलजी ने आयेशा को अपनी बाँहों में कस के जकड़ा और अपना लण्ड आयेशा की जाँघों के बिच में घुसाते हुए वह आयेशा के होँठ जोश से चूमने लगे। आयेशा के ऊपर के तो कभी निचे के होँठ चूमते तो कभी आयेशा के मुंह में अपनी जुबाँ घुसा कर उसे चूसने का मौक़ा देते।
आयेशा भी सुनीलजी की जुबान को चूसती और उसकी लार निगल जाती थी। उसे परदेसी के मुंहकी लार और उसके बदन की खुशबू भा गयी थी। आयेशा के मस्त बूब्स सुनीलजी की छाती में चिपक गए थे।
सुनीलजी का हाथ बार बार आयेशा की पसलियों की खाई से फिसलता हुआ उसकी गाँड़ के पास रुक जाता और धीरे से उन नाजुक मरमरी त्वचा को मसलने के लिए लालायित रहता था।
होँठों का काफी रस पिने के बाद सुनीलजी आयेशा की गर्दन चूमने लगे। आयेशा की लम्बी गर्दन पर उसकी घनी जुल्फें बिखरी हुई थीं।
उसके बाद आयेशा के कंधे और बाजुओं से होकर बिच की और बढ़ कर सुनीलजी का सबसे अजीज़ स्थान आयेशा के बूब्स पर आकर सुनीलजी की गाडी रुक गयी।
दो बड़े बड़े गुम्बज और उसके उप्पर गोल चॉकलेट रंग के एरोला जो उत्तेजना के कारण कई उभरी हुई फुंसियों से भरे हुए थे। उन एरोला के बोचोबीच तने हुए दो शिखर सामान फूली हुई निप्पलेँ सुनीलजी के होँठों के दबाने से और उन्मादित हो जाती थीं।
सुनीलजी कभी निप्पलोँ को चूसते तो कभी स्तनोँ के पुरे उभार को अपने मुंह में लेकर ऐसे चूसते जैसे बच्चा माँ के स्तनोँ को उसका दूध पिने के लिए चूसता है। सुनीलजी के स्तनोँ को चूसते ही आयेशा का उन्माद बेकाबू हो जाता था।
अक्सर औरतों से सम्भोग करते समय मर्द को चाहिए की उसके स्तनोँ का ख़ास ख्याल रखें। औरत के स्तन से उनकी कामुकता का सीधा सम्बन्ध है।
कई बार चुदाई करते हुए जब मर्द औरत के स्तनोँ का ध्यान नहीं रखता तो औरत बेचारी अपने स्तनोँ को खुद ही सहलाती दबाती रहती हैं ताकि उसके उन्माद में कोई कमी ना आये और उस सम्भोग को वह पूरी तरह एन्जॉय कर सके।
आयेशा के स्तनोँ को चूसते हुए और उसकी निप्पलोँ को काटते हुए सुनीलजी का उन्माद बढ़ता जा रहा था। आयेशा के स्तनोँ को सुनीलजी ने इतनी उत्कटता से चूसा था की उसके बूब्स पर लाल चकामे पड़ गए थे।
पर आयेशा को इसका कोई गम नहीं था। आज उसे अपने आशिक़ को पूरी ख़ुशी और उन्माद देना था और उससे अपनी जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात को यादगार बनाना था।
सुनीलजी जब आयेशा के स्तनोँ को जी भर के पी चुके तब वह आयेशा के सपाट पेट और पतली कमर के बिच स्थित ढूंटी याने नाभि पर पहुँच कर फिर रुक गए।
आयेशा की नाभि के इर्द गिर्द चूमते हुए उनके होँठ निचे की और जाने लगे तब आयेशा ने शर्म के मारे अपने दोनों हाथों से अपनी चूत छुपानी चाही। सुनीलजी ने प्यार से आयेशा के दोनों हाथों को हटा दिया और झुक कर प्यार से आयेशा की चूत के उभार को चूमने लगे।
सुनीलजी के होँठों के स्पर्श अपनी चूत के करीब होते हुए ही आयेशा मचल उठी। उसके होँठों से एक हलकी सी टीस निकल गयी।
अनायास ही आयेशा की टांगें चौड़ी हो गयीं। सुनीलजी ने अपना सर आयेशा की जाँघों के बीच में रख दिया और आयेशा की चूत के होँठों को चुम्बन करने लगे। अपनी जीभ से सुनीलजी ने आयेशा की चूत के सवेंदनशील होँठ के बिच वाली त्वचा की कुरेदना शुरू किया।
आयेशा के उन्माद का ठिकाना नहीं रहा। वह उन्माद से कराह उठी और बोली, “अरे परदेसी, क्या कर रहे हो? मुझे पागल कर दोगे क्या?”
पर सुनीलजी यह सुनकर और जोश खरोश से आयेशा की चूत को चाटने में लग गए। आयेशा की चूत में से जैसे उसका उन्माद फव्वारे के रूप में फुट पड़ा।
आयेशा की चूत में से उसका रस रिसने लगा। सुनीलजी की जबान उस रस को चाटने लगी। आयेशा ने सुनीलजी के लण्ड को आवेश में जोर से हिलाना शुरू किया।
अब वह सुनीलजी से चुदवाना चाहती थी। वह चाहती थी की सुनीलजी उस रात उसे खूब सख्ती और जोश से चोदे। वह चाहती तह की सुनीलजी के मिलन की याद वह पूरी जिंदगी भूल ना पाए।
लेटी हुई आयेशा बैठ खड़ी हुई और उसने सुनीलजी को खड़ा किया और खुद सुनीलजी के क़दमों में आ बैठी। नंगे सुनीलजी के खड़े होते ही उनका लण्ड भी हवा में लहराने लगा।
आयेशा ने सुनीलजी का लण्ड अपने एक हाथ में लिया और उसे चूमा और ऊपर सुनीलजी की और देखा। सुनीलजी ने आयेशा के सर पर हाथ रक्खा और आयेशा के बाल अपनी उँगलियों से संवारने लगे और आयेशा आगे क्या करेगी उसका बेसब्री से इंतजार करने लगे।
आयेशा ने सुनीलजी के लण्ड पर फैली हुई चिकनाहट को अपने हाथ की उँगलियों से उनके लण्ड की सतह पर फैलाते हुए उसे खासा स्निग्ध बना दिया। सुनीलजी के लण्ड की अग्र त्वचा को मुट्ठी में दबाकर आयेशा ने उसे हिलाना शुरू किया।
कुछ देर तक हिलाने के बाद आयेशा ने सुनीलजी के लण्ड का अग्रभाग मुंह में लिया और उसे चूसा। धीरे धीरे आयेशा ने सुनीलजी का लण्ड अपने मुंह में लेकर अपना मुंह आगे पीछे करने लगी जिससे सुनीलजी का लण्ड आयेशा के मुंह को धीरे धीरे से चोद सके। सुनीलजी ने भी आयेशा की इच्छा के मुताबिक़ आयेशा के मुंह को अपने लण्ड से चोदना शुरू किया।
आयेशा के मुंह को चोदते हुए सुनीलजी ने आयेशा की चूत में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ दीं। आयेशा के मुंह के साथ वह अपनी उँगलियों से आयेशा की चूत को भी चोदने लगे। आयेशा मुंह में परदेसी का लण्ड और चूत में उनकी उंगलयों से चुदवा ने का मजा ले रही थी। कुछ देर तक चुदवाने के बाद आयेशा को अब परदेसी से असली चुदाई करवानी थी।
आयेशा ने कहा, “परदेसी, अब मेरा और इम्तेहान मत लो। अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है। तुम जानते हो की मैं तुमसे चुदवाने के लिए कितनी तड़प रही हूँ। अब मुझे अपने इस मोटे और लम्बे लण्ड से खूब चोदो। इतना चोदो, इतना चोदो की मजा आ जाये।”
सुनीलजी ने अपनी माशूका आयेशा की बात सुनी तो उनमें और भी जोश आगया। वह फुर्ती से आयेशा को लिटा कर उसको अपनी दो जांघों के बिच में जकड कर अपने घुटनों को जमीन पर टिका कर आयेशा की चूत पर अपना तगड़ा और लंबा लण्ड लहराने लगे।
आयेशा ने सुनीलजी का लण्ड अपने हाथों में लिया और सुनीलजी को शर्माते हुए कहा, “परदेसी, यह चूत तुम्हारी है। उसे शुरू शुरू में सम्हाल कर चोदना। तुम्हारे मोटे लंड को एकदम अंदर मत घुसेड़ देना..
मेरी चूत छोटी है और उसे एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगेगा। पर हाँ, एक बार सेट हो जाए फिर तुम मुझे खूब चोदना। आज मैं पूरी रात तुमसे चुदवाना चाहती हूँ।”
यह कहानी आगे जारी रहेगी..!