Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 42

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series

    दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। सुनील ज्योति और जस्सूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जस्सूजी ने ज्योति के कानों में कुछ कहा। यह सुनकर ज्योति कुछ मुस्कुरायी और उसने शरारत भरी नज़रों से सुनील की और अपना सर घुमा कर देखा।

    फिर अपनी हथेली को किस कर ज्योति ने एक फूंक मार कर जैसे उस किस को सुनीलजी की दिशा में फेंकने का इशारा किया और अपने पति जस्सूजी के निचे लेटी हुई ज्योति अपने पति जस्सूजी के पयजामे में हाथ डाल कर उनका लण्ड एक हाथ में पकड़ उसे सहलाने लगी।

    सुनीता के साथ दिन में हुए कई निजी सम्पर्कों की वजह से जस्सूजी काफी उत्तेजित थे। ज्योति का हाथ लगते ही जस्सूजी का लण्ड खड़ा होने लगा। ज्योति के थोड़े से हिलाने पर ही उसने अपना पूरा लंबा और मोटा आकार धारण कर लिया।

    ज्योति ने फ़टाफ़ट जस्सूजी के पाजामे का नाडा खोला और अपने पति के लण्ड को आज़ाद कर उस को लण्ड प्यार से हिलाने और सहलाने लगी। जस्सूजी ने सुनीलजी की नज़रों के परवाह किए बगैर ज्योति के छाती के आगे वाली ज़िप खोल दी और ज्योति ने उन्मत्त स्तनोँ को दोनों हाथों की हथेलियाँ फैलाकर उनसे खेलने लगे।

    जस्सूजी और उनकी बीबी ज्योति की उनके पलंग पर हो रही प्रेमक्रीड़ा देख कर सुनीलजी का लण्ड भी उनके पाजामे में फुंफकारने लगा। उन्हीने भी सुनीता की छाती वाली ज़िप खोल कर सुनीता के उन्मत्त स्तनोँ को अपने बंधन से आजाद किया और अपने हाथों की हथेलियों में लेकर वह भी उन से खेलने लगे।

    अपने पति की हरकतें महसूस कर सुनीता नींद में से जाग गयी। जागते ही उसे समझ में आया की शराब पीने के बाद उसने कुछ गलत हरकत की थी। उसे धुंधला सा मेजर कपूर साहब का चेहरा याद आ रहा था पर आगे कुछ नहीं याद आ रहा था।

    सुनीता अपने आप दोषी महसूस कर रही थी। उसे यह तो समझ में आ रहा था की कहीं ना कहीं उसने मेजर कपूर के साथ ऐसा कुछ किया था जिससे उसकी अपनी और उसके पति सुनीलजी की इज्जत को उसने ठेस पहुंचाई थी। अगर सुनीलजी वहाँ सही समय पर नहीं पहुँचते तो पता नहीं शायद मेजर कपूर सुनीता को चोद ही देते और शायद इसके लिए सुनीता ने खुद सहमति दिखाई होगी क्यूंकि वरना इतने लोगों के सामने उनकी क्या हिम्मत की वह सुनीता पर जबरदस्ती कर सके?

    सुनीता अपने पति सुनीलजी की दोषी भी थी और साथ साथ में आभारी भी थी क्यूंकि उन्होंने सुनीता को उस बदनामी और अपराध से बचा लिया. और फिर सुनीता का वचन भी ना टूटा। सुनीता ने तय किया की उसको इसके लिए अपने पति को कुछ पारितोषिक (उपहार) तो देना ही चाहिए। भला एक खूबसूरत पत्नी अपने पति से अगर दिल खोल कर बढ़िया चुदाई करवाए तो उससे कोई भी पति के लिए और बढ़िया पारितोषिक क्या हो सकता है?

    पर इस में एक और मुश्किल थी। जस्सूजी के और उनके कमरे के बिच वाला किवाड़ खुला जो था उपर से कमरे की बत्तियां भी जल रहीं थीं। ऐसे में अगर वह स्वच्छंद चुदाई करवाना चाहे तो ख़ास करके उन्हें चुदाई करते हुए नंगी देख सकते हैं। यह सच था की सुनीता जस्सूजी के सामने आधी से भी ज्यादा नंगी तो हुई ही थी, पर पूरी तरह से नंगी होना और चुदाई करवाते हुए किसी को दिखाना एक अलग बात थी।

    हालांकि जब सुनीता यह सब सोच रही थी तब ज्योतिजी अपने पति जस्सूजी से काफी कुछ सेक्स की अठखेलियां कर रही थी। सुनीता ने एक बार उन दोनों को नंगी हरकतें करते हुए देखा भी। पर उसने फिर अपनी आँखें फिरा लीं और उनकी हरकतों को अनदेखा कर दिया। सुनीता ने अपने पति को अपने पास खींचा और बोली, “हाय राम! इन्हें तो देखो! कैसे खुल्लम खुल्ला बेशर्मी से एक दूसरे से मस्ती कर रहे हैं?”

    फिर कुछ बेफिक्री की अदा दिखाते हुए सुनीता ने कहा, “वैसे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें जो करना है वह करे! आखिर वह पति पत्नी जो हैं? पर मैं ऐसा आपके साथ खुल्लमखुल्ला नहीं कर सकती और कम से कम जस्सूजी के सामने तो बिलकुल नहीं। ”

    सुनीलजी ने सुनीता को अपनी बाँहों में खींचते हुए कहा, “अरे यार तुम ना? बेकार की इन चक्करों में पड़ी रहती हो। आ जाओ चलो खुल्लमखुल्ला ना सही, चद्दर के निचे तो करने दोगी लोगी ना? इनको देख कर तो मेरा लण्ड भी खड़ा हो रहा है। क्या तुम मेरा इलाज नहीं करोगी?”

    सुनीता ने अपने पति सुनीलजी से कहा, “हे भगवान्! मैं क्यों नहीं करुँगी? मैं जानती हूँ की ट्रैन में मैं आपको अच्छी तरह से आनंद दे नहीं पायी। हमेशा कोई उठ जाएगा, कोई देख लेगा यह डर रहता था। पर आज मौक़ा है। मेरा भी मन आप से जबरदस्त करवाने का है। पर आपने तो यहां मेरे लिए इस किवाड़ को खुला रख कर एक मुसीबत ही खड़ी कर दी है। अब मैं आपसे कैसे खुल्लमखुल्ला करवा सकती हूँ? क्या हम यह किवाड़ बंद नहीं कर सकते?”

    सुनीलजी ने अपनी बीबी की और देखा और उसे अपनी बाँहों में ले कर उसके गाउन में हाथ डालकर उसकी चूँचियों को मसलते हुए कहा, “जानेमन, हमने सब मिलकर यह तय किया था की हम दोनों कपल एक दूसरे के बिच पर्दा नहीं रखेंगे। तुमने यह वचन ज्योतिजी को भी दिया था।“

    सुनीता अपने पतिकी बात सुनकर चुप हो गयी। फिर उसने अपने पति के कान में मुंह डाल कर धीरे से कहा, “ठीक है, पर लाइट तो बंद करो?”

    सुनीलजी ने कहा, “देखो तुमने कहा तो मैं मान गया की चलो चद्दर के निचे चोदेंगे। अब तुम कह रही हो लाइट बंद करो! तुम्हारी शर्तें तो हर पल बढ़ती ही जाती हैं। लगता है तुम्हें चुदवाने का मूड़ नहीं है। अगर ऐसा है तो साफ़ साफ़ कहो। मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता। पर अगर लाइट बंद करने मैं गया तो वह जो तुम्हारा आर्मी वाला आशिक है ना? वह दहाड़ने लगेगा! अगर फिर भी तुम्हें लाइट बंद करनी ही हो तो तुम उठो, मैं तो नहीं जाऊंगा। तुम्ही खड़ी हो कर जाओ और जाकर खुद ही लाइट बंद करो। फिर अगर जस्सूजी गुस्सा होंगे तो मुझे मत कहना।”

    सुनीता सोच में पड़ गयी। सुनीलजी को बात तो सही थी। एक बार पहले भी तो सुनीता जस्सूजी से झाड़ खा चुकी थी जब सुनीता स्विमिंग कॉस्च्यूम में जस्सूजी के सामने जाने में हिचकिचा रही थी।

    कुछ सोच कर सुनीता ने कहा, “चलो ठीक है। आखिर वह मियाँ बीबी हैं तो हम भी तो मियाँ बीबी ही है ना? अगर हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं तो कौनसी नयी बात है? हर मियाँ बीबी रात को सेक्स तो करते ही है ना?”

    सुनीलजी ने सुनीता के मुंह पर हाथ रख कर कहा, “डार्लिंग! हम यहां घूमने आये हैं। अगर तुम घुमा फिरा कर ना बोलो औरअगर चुदाई की ही बात करती हो तो बोलो चुदाई करवानी है! अगर ऐसा बोलोगी तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ने वाला है? खुल्लम खुल्ला बोलो तो चोदने का और मजा आता है।”

    सुनीता ने अपनी ही लाक्षणिक अदा में अपने पति को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करती मुद्रा में कहा, “अच्छा मेरे पतिदेव, मैं हारी और तुम जीते। ठीक है भाई। चलो अब मैं सेक्स नहीं चुदाई ही कहूँगी, बस? खुश? तो चलो, पर फिर मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो जाओ।”

    सुनीलजी ने अपना खड़ा लण्ड अपनी बीबी के हाथों में देते हुए कहा, “मैं तो कब का तैयार हूँ यह देखो।”

    सुनीता ने अपने पति का लण्ड सहलाते हुए कहा, “हाँ भाई, यह तो बिलकुल लोहे की छड़ की तरह खड़ा है! और अपना रस भी खूब निकाल रहा है!” फिर थोड़ी धीमी आवाज में सुनीता ने अपने पति के कानों में अपना मुंह डाल कर फुफुसाते हुए पूछा, “सच सच बताना, क्या ज्योति दीदी ने आज नहाते हुए अंगूठा दिखा क्या? उन्हें चोदने का मौक़ा नहीं मिला क्या?”

    अपनी बीबी सुनीता की बात सुन कर सुनीलजी थोड़ा सा झेंप गए और बोले, “देखो डार्लिंग! सच कहूं? आज अगर मैं दस बार भी चोदुँगा ना? तो भी मेरा लण्ड ऐसा ही खड़ा रहेगा क्यूंकि चुदाई का मौसम है। मैं तो इस कैंप में आने के लिए इसी लिए तैयार हुआ था की यहां आते ही हम सब मिलकर खूब चुदाई करेंगे। शायद जस्सूजी के मन में यह बात नहीं हो तो कह नहीं सकता। पर उन दोनों को अभी चुदाई की तैयारी करते हुए देख कर ऐसा तो नहीं लगता। और तुम यह मत कहना की तुम्हें पता नहीं था।”

    सुनीता समझ गयी की उसके पति ने भले ही सीधासाधा ना माना हो की उन्होंने ज्योतिजी को चोदा था। पर इधर उधर बात घुमाते हुए यह कबूल कर ही लिया की उन्होंने ज्योतिजी की चुदाई उस वाटर फॉल के निचे जरूर ही की थी। पर बीबी जो थी! पति ने अगर ज्योतिजी की चुदाई की तो वह जरूर उनसे कबूल करवाना चाहेगी।

    सुनीता ने कहा, “तो फिर तुम भी खुल्लमखुल्ला यह क्यों कबूल नहीं कर लेते हो की तुमने उस वाटर फॉल के निचे दीदी को अच्छी तरह से चोदा था?”

    सुनीलजी की बोलती बंद हो गयी। अब वह झूठ तो बोल नहीं सकते थे। उनकी उलझन देख कर सुनीता मुस्कराई और बोली, “चलो, छोडो भी, मुझे झूठ सुनना अच्छा नहीं लगेगा और सच बोलने की आपमें हिम्मत नहीं है। तो मैं कह देती हूँ की आज तुमने उस वाटर फॉल के निचे दीदी को खूब अच्छी तरह से चोदा था। अगर मेरी बात सही है तो तुम्हें कुछ बोलने की जरुरत नहीं है। और अगर मेरी बात गलत है तो तुम मना करो।”

    सुनीलजी के चेहरे पर यह सुनकर हवाइयाँ उड़ने लगीं। वह चुप रहे। तब सुनीता ने मुस्कराते हुए कहा, “आपका स्टैमिना मानना पडेगा मेरे पतिदेव! ज्योतिजी को आज ही चंद घंटों पहले इतना चोदने के बाद भी अगर तुम्हारा लण्ड ऐसा तैयार है तो भाई मेरे खसम का जवाब नहीं।” फिर अपने पति का लण्ड हिलाते हुए सुनीता ने अंग्रेजी झाड़ते हुए कहा, आई एम् प्राउड ऑफ़ यू डिअर हस्बैंड!”

    सुनीलजी धीरे धीरे बीबी की बात सुनकर थोड़ा सम्हले और चद्दर से अपने आपको ढकने की परवाह ना करते हुए वह सुनीता के ऊपर चढ़ कर सुनीता को अपनी बाँहों में लेकर अपना मुंह सुनीता के मुंह से सटाकर अपनी बीबी को गहरा चुम्बन करने लगे।

    दोनों हाथों से सुनीता की मदमस्त चूँचियों को कुछ देर तक मसलते रहे और फिर बोले, “देखो डार्लिंग! अब हम दोनों कपल मित्रता से कहीं आगे बढ़ चुके हैं। क्या यह सब हमने जानबूझ कर नहीं किया है? तुम क्या यह मानती हो की नहीं?

    आज स्विमिंग करते हुए जो हुआ वह तो होना ही था। मैं तो कहता हूँ, तुम भी क्यों बेचारे जस्सूजी को तड़पा रही हो? क्या फरक पड़ता है? मैं जानता हूँ और तुम भी जानती हो की वह तुम्हें चोदने के लिए कितने बेताब हैं। हमें कौन देखेगा की हमने क्या किया?

    अगर तुम यह सोच रही हो की कहीं आगे चलकर कभी हम दोनों के बिच कोई रंजिश हो जाए तो कहीं मैं तुमपर तुम्हें जस्सूजी से चुदवाने के बारे में ताना मारूंगा तो भरोसा रखो की ऐसा कभी भी नहीं होगा। इस बात का मुझ पर पूरा भरोसा रखो। मैं कभी भी यह ताना नहीं मारूंगा। बोलो क्या इसी लिए तुम अड़ी हुई हो?”

    सुनीता ने अपना सर हिलाते हुए कहा, “डार्लिंग! तुमतो बात का बतंगड़ बना रहे हो। ना भाई ना, ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे मेरे लम्पट पति पर पूरा भरोसा है। मैं जानती हूँ की तुम ऐसा कुछ भी बोलोगे नहीं। तुम बोल कैसे सकते हो? जब तुम खुद ही मेरे सामने किसी और की बीबी को चोदते हो तब? और अगर तुमने कहीं गलती से भी ऐसा उल्टापुल्टा बोल दिया ना? तो मैं उसी वक्त तुम्हारा घर छोड़ कर चली जाउंगी। बात वह नहीं है।”

    सुनीलजी ने पूछा, “तब बात क्या है डार्लिंग? बोलो ना? क्या तुम माँ के दिए हुए वचन से चिंतित हो? तो फिर माफ़ करना, पर तुम्हारी माँ कहाँ यहां आकर देखने वाली है की तुमने उसका वचन रखा या तोड़ा?”

    अपने पति की बात सुनकर सुनीता अपने पति से एकदम अलग हो गयी। और कुछ रंजिश और कुछ गुस्से में बोली, “देखो डार्लिंग! मैं एक बात साफ़ कर देती हूँ। आपने और जस्सूजी ने अगर मिलकर बीबी बदल कर चोदने की बात को अगर एग्री किया है तो बोलो। तुमने मुझे पहले से ही कहा था की ऐसी बात नहीं है…

    मैंने भी आपको पहले से ही कहा था की मैं कोई नैतिकता की देवी नहीं हूँ। शादी से पहले मैंने चुदवाया तो नहीं था पर जवानी के जोश में दो लड़कों का लंड जरूर हिलाया था और उनका माल निकाला भी था। मैं तुम्हें इसके बारे में बता चुकी हूँ। मैंने तुम्हें यह भी बताया था की जस्सूजीने उस सिनेमा हॉल में अपना लण्ड मुझसे छुवाया था और उन्होंने मेरी ब्रेअस्ट्स दबायी भी थीं…

    आज झरने में स्विमिंग सीखते हुए जब मैं डूबने लगी थी तब अफरातफरी में आज फिर उनका लण्ड मेरे हाथों में आ गया था। उन्होंने जाने अनजाने में मेरी ब्रेअस्ट्स भी दबायी थीं। बल्कि कुछ पल के लिए तो मैं भी अपना होशो हवास खो बैठी थी पर उन्होंने मुझे सम्हाला और कहा की वह मेरी माँ का दिया हुआ वचन मुझे तोड़ने नहीं देंगे। वह एक सच्चे दिलके मालिक है और मैं भी एक राजपूतानी हूँ। मैंने तुम्हें साफ़ कर बता दिया है और अब हम इस के बारे में बात ना करें तो ही अच्छा है।”

    कहानी आगे जारी रहेगी..!

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