खड़े लंड पर धोखा-5 (Khade Lund Par Dhokha-5)

पिछला भाग पढ़े:- खड़े लंड पर धोखा-4

दोस्तों मेरी बीवी की चुदाई कहानी जारी है-

मेरी बीवी की बात सुन कर हताशा में मैं अपना सिर पीटने लगा। उसे देख कर मुस्कुराती हुई दीपा बोली, “पहली बार तो कुछ ही देर में उनके वीर्य का फव्वारा फूट पड़ा था। जितना ज्यादा वीर्य पिचकारी जैसे उनके लंड में से निकल रहा था कि उसे देख मैं हैरान रह गयी। अगर ऐसे तगड़े गर्म वीर्य की एक बूंद भी कहीं मेरी चूत में जाती तो मैं तो गर्भवती जरूर हो जाती उसमें मुझे कोई शक नहीं था।

आप किसी से जिक्र मत करना, पर मां ने अपने आखरी वक्त में मुझे कहा था कि मेरी मां को कॉलेज में एक रईसजादा प्यार में धोखा दे कर गर्भवती बना कर भाग गया था। मां ने जो झेला था वह मैं झेलना नहीं चाहती थी। मैं उनसे चुदवाने के लिए साफ़ मना ही कर देती थी।“

मैं निराशा से मेरी बीली को देखता ही रहा। दीपा: “उनसे नहीं चुदवाने की एक वजह तो उनका वह महाकाय विशाल सा लंड भी था और दूसरा कि मैं कुंवारी थी। मेरी चूत का पर्दा फट कर खून निकलने का भी डर था। आखिर में वह अपना लंड हिलवा कर माल निकलवा लेते थे। मैं भी चुप-चाप उनका माल निकाल कर उनको शांत कर देती थी, ताकि वह चोदने के लिए ज़िद ना करें।

पर वह हर बार एक ही बात कहते थे कि प्यार करने वाले से चुदवाने में कोई बुराई नहीं है। सब लड़कियां बॉयफ्रेंड से चुदवाती हैं। कुमारी पटल एक ना एक बार तो फटेगा ही। थोड़ा खून भी निकलेगा। उसमें डरने की क्या बात है? नीरज तो मुझसे शादी करना चाहते थे। शादी के बाद तो मुझे उनसे हर रात ही चुदवाना पड़ेगा तो फिर मैं उनसे चुदवाने में इतनी हिचकिचाती क्यों थी?”

मेरी बीवी उसकी यह कहानी कहते हुए काफी उत्तेजित हो रही थी। मेरा लंड भी मेरे पाजामे में सख्ती से तन कर खड़ा हो गया। अब मेरी दीपा अपने पुराने प्यार की परतें खोलने लगी थी।

मैंने अपने आवाज में निराशा दिखाते हुए एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “इसका मतलब कि आखिर नीरज की तुम्हें चोदने की हिम्मत नहीं हुई। सही है ना?”

दीपा ने मुझे रोकते हुए कुछ तिरस्कार भरे लहजे में कटाक्ष भरी आवाज में कहा, “हिम्मत नहीं हुई? अरे पूरी कहानी सुन कर बताना। उन दिनों कॉलेज के पास एक घर में दो और लड़कियों, रेखा और ऋचा के साथ मैं रहती थी। दरअसल एक बार मैंने मेरी रूम पार्टनर रेखा को उसके बॉयफ्रेंड से चुदवाते हुए देखा था। रेखा का एक बॉयफ्रेंड रेखा को चोदने के लिए उसके पीछे पड़ा था।

जब ऋचा अपने घर गयी थी तब रेखा ने अपने बॉयफ्रेंड को एक रात को घर बुलाया। मेरे और रेखा के कमरे के बीच में एक किवाड़ था, जिसे हम कभी लॉक नहीं करते थे। रात को जब मैं पढ़ाई कर सोने ही लगी थी, तब रेखा के कमरे से रेखा की सिसकारियों की आवाज मुझे सुनाई दी।

मैंने दरवाजे की दरार में से देखा कि नंगी रेखा पलंग पर घोड़ी बनी हुई थी और उसका बॉयफ्रेंड रेखा के सर के बालों को अपने एक हाथ में पकड़ कर रेखा को पीछे से जोरदार धक्के मारता हुआ अपने तगड़े लंड से चोद रहा था। रेखा के मस्त करारे फूले हुए गुब्बारों जैसे सख्त स्तन नीचे झूल रहे थे।

लड़के के लंड के धक्के से नंगी घोड़ी बनी हुई रेखा पूरी जबरदस्त हिल रही थी, जिसके कारण रेखा के अल्लहड़ स्तन हवा में ऐसे उछल रहे थे जैसे समंदर में मौजे उछल रहीं हों।

रेखा और उसे चोद रहे लड़के की नंगी गांड मेरी तरफ थी और उसका और रेखा का मुंह मेरे से दूसरी दिशा में था। इसलिए वह मुझे देख नहीं पा रहे थे। चुदवाते हुए एक बार जब रेखा ने अपने बॉयफ्रेंड की तरफ पीछे मुड़ कर देखा, तब मैं भी उसे दिख गयी। रेखा ने लेकिन बिना कोई संकोच के मेरी तरफ देख मुस्कुरा कर आंख मटका कर चुप रहने का इशारा किया, और फिर से अपने बॉयफ्रेंड से मस्ती से चुदवाने लगी। मैंने उस रात रेखा का अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाने का जो जबरदस्त कामुक दृश्य देखा, तो मेरी पैंटी में से मेरे प्रेम रस की धार बहने लगी।

मैं यह देख कर इतनी ज्यादा चुदास हो रही थी कि मैंने मन ही मन तय कर लिया कि अगर नीरज अगली बार मुझे चुदवाने के लिए कहेंगे, तो मैं उनको नहीं रोकूंगी, और उनसे जरूर चुदवा लूंगी। बस डर था तो उनके लंड से कि मैं उसे कैसे मेरी चूत में ले पाउंगी?“

मैं मेरी बीवी दीपा की इस तरह खुल्लम-खुल्ला बातें सुन कर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। मुझे मज़बूरी में मेरा लंड सहलाना पड़ रहा था। वहां बिमला भी अपनी जांघों के बीच में उंगली डाल कर अपनी चूत को खुजला रही थी। पर मेरी बीवी इन सब से बेखबर अपनी ही धुन में बोले जा रही थी।

दीपा: “इस वाकये के कुछ दिन बाद एक छुट्टी के दिन सुबह जब मैं नहाने गयी हुई थी, तब रेखा और ऋचा दोनों नजदीक के मार्किट में घर का दरवाजा खाली बंद कर कुछ सामान खरीदने निकली। नीरज ठीक उसी समय कुछ काम से मुझे मिलने आये थे। दरवाजा लोक नहीं था यह देख वह अंदर आ गए।

बाथरूम में से मेरी नहाने की आवाज सुन कर वह वहीं बैठ कर मेरा इंतजार कर रहे थे। मैं जब एक छोटा सा तौलिया लपेटे, बालों को झटकते हुए बाथरूम से बाहर निकली, और बैडरूम से होते हुए ड्राइंगरूम में आयी, तब मैंने नीरज को देखा तो मेरी तो हवा ही निकल गयी।

मेरा आधा नंगा बदन उस तौलिये के बाहर दिख रहा था। मैं वापस बाथरूम की ओर भागी।

रास्ते में पायदान में मेरा पांव फंसने से मैं गिर पड़ी और लिपटा हुआ तौलिया खुल कर निकल कर दूर जा गिरा। मैं नीरज के सामने नंगी हो गयी। गिरने से मेरा एक घुटना छिल गया, और घाव में से थोड़ा खून रिसने लगा। मैं अपने हाथ और पांव से अपनी नग्नता छिपाने की कोशिश करने लगी। चोटिल होने के कारण खड़ी हो नहीं पा रही थी, या फिर उस डर के मारे कि अगर मैं खड़ी हो गयी तो नीरज को बिलकुल नंगी दिखूंगी, इसी लिये फर्श पर ही पड़ी रही।

नीरज ने खून देखा तो कहीं मुझे ज्यादा चोट तो नहीं आयी, यह सोच कर वह भाग कर आये, और मुझे अपनी बाहों में उठा लिया, और मुझे पलंग पर लिटा दिया। नीरज खुद पलंग के पास खड़े हुए। नंगी अपनी चूत और स्तनों को छिपाने की नाकाम कोशिश करती पलंग पर लेटी हुई मुझे कामुकता, वासना, और प्यार भरी नज़रों से देखने लगे।”

मेरी पत्नी अब चुदने वाली ही थी, यह सुन कर पता नहीं क्यों मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। बिमला वहीं हमारे एक-दम करीब होने के कारण मैं कपड़े निकाल कर मेरी बीवी को चोद नहीं सकता था। बिमला भी उसकी दीदी की चुदाई की कहानी सुन कर काफी उत्तेजित हो रही थी। बिमला कभी अपने बूब्स तो कभी अपनी चूत को दबाये जा रही थी।

मैंने सब शर्म छोड़ कर दीपा को बाहों में भर लिया, और उसके होंठों पर होंठ चिपका कर दीपा के स्तनों को मसलते हुए बोला, “बेबी, फिर तो तुम्हारी चुदाई हो ही गयी, आखिर में?”

दीपा ने हताशा में अपना सर पकड़ कर कहा, “हे पति देव, मेरी चुदाई की बात सुन कर आप क्यों इतने ज्यादा उत्तेजित हो रहे हो? सुनो तो सही? मेरे घुटने थोड़े छिल गए थे। नीरज ने फ़ौरन वहां पड़ी मेरी एक चुन्नी फाड़ी और खून पोंछा। घाव ख़ास नहीं था। नंगी नीरज के सामने लेटी हुई मैं एक हाथ से मेरे स्तनों को, और दूसरे हाथ से मेरी चूत को छिपाते हुए शर्म से मरी जा रही थी। मैंने नीरज की आंखों में झांक कर देखा तो उनकी आंखों में वासना, प्यार और मुझे पाने की प्यास की जबरदस्त झलक देखि।

डरी हुई शर्म की मारी आंखें बंद करके मैं बैठ गयी, और पास में ही खड़े हुए नीरज के गले में अपनी बांहें डाल उनकी कमर को मेरी टांगों में जकड़ कर मैं नंगी उनसे चिपक कर लिपट गयी, ताकि मुझे कुछ छिपाना ना पड़े।

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