मैं अब रोज स्नेहा भाभी को लड़की बन कर चोद रहा था। हमें ऐसा करते हुए 2 महीने तो हो ही गए थे। एक दिन मेरे घर वाले बाहर जाने वाले थे, किसी फंक्शन में 2 दिन के लिए। तो मैं भाभी के पास ही रुकने वाला था।
मैं शाम को 3 बजे जब घर पहुंचा, तो सभी घरवाले जा चुके थे। तो मैंने कपड़े चेंज किये और घर को लॉक करके सीधे भाभी के घर निकल गया। आज तो मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे कि भाभी को रात भर पेलूंगा। मैंने जाते ही भाभी के चूचे दबा दिए।
तो भाभी बोली: पहले खाना खा ले। आज तो पूरी रात है।
मैं: भाभी आज तो खाना अदिति बनके ही खाऊंगा।
अब मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और मेकअप करने की लत लग चुकी थी।
भाभी: ठीक है। पर आज लहंगा पहनना।
मैं: ओके भाभी।
मैंने रूम में जाकर लाल रंग का लहंगा और चोली पहन लिया। अंदर लाल रंग की ही ब्रा-पैंटी भी पहनी थी। इतने टाइम में अब मैं मेकअप करना भी सीख गया था। मैंने मेकअप किया और चूड़ियां और पायल पहन ली। मैंने चुन्नी नहीं ली, क्योंकि घर के अंदर उसकी जरूरत भी क्या ही थी। मैं आधे घंटे में अदिति बन कर तैयार हो गया।
फिर मैं बाहर आया तो भाभी ने मुझे खाना दिया और मैं खाना खाने लगा। भाभी ने भी लाल रंग का ही सूट पहन रखा था। खाने के बाद भाभी काम में लग गई और मैं भी उनके साथ हेल्प करने लगा। क्योंकि आज हमारे पास पूरी रात पड़ी थी।
हम अंदर हॉल में बैठे थे। तभी बाहर से कल्पना चाची ने स्नेहा भाभी को आवाज़ लगाई। कल्पना चाची 38 साल की सेक्सी औरत है।
भाभी ने आवाज सुनते ही कहा: चाची अंदर आ जाओ। दरवाजा खुला ही है।
मैं वहीं बैठा था। मेरी फट गई कि भाभी क्या कर रही थी। मैं यहां औरत बना बैठा हूं, और भाभी चाची को अंदर बुला रही थी। मैं अंदर कमरे में भागने लगा।
तो स्नेहा भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली: कहां भाग रही हो। यहीं रुको।
तभी कल्पना चाची अंदर आ गई। मैं खड़ा ही था। डर के मारे मेरी तो गांड फट रही थी। पर तभी कल्पना चाची की आवाज़ सुनाई पड़ी।
वो बोली: स्नेहा तू सही कह रही थी। अदिति तो बहुत सुंदर लग रही है। फ़ोटो देख कर मुझे यकीन नहीं हुआ था।
अब मैं समझ गया कि स्नेहा भाभी ने कल्पना चाची को सब बता दिया था, और उन्हें जान-बूझ कर यहां बुलाया था। अब जाकर मेरी सांस में सांस आई थी। पर मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था।
कल्पना चाची वहीं चेयर पर बैठ गई, और मुझे भी अपने पास आकर बैठने को बोला। मैं उनके पास जाकर बैठ गया। कल्पना चाची ने एक हरे रंग का सूट पहन रखा था। और क्या कहर ढा रही थी। चाची का शरीर भाभी से ज़्यादा भरा था और थोड़ी मोटी भी थी। चाची का फ़िगर 36-32-38 था। शाम के करीब 5 बज रहे थे। मैं अभी तक चुप ही बैठी थी।
कल्पना चाची बोली: अदिति! जरा लहंगा उठा कर अपना हथियार तो दिखा।
मैं: क्या चाची, आप भी।
तभी स्नेहा भाभी बोली: अरे चाची आप इसको अंदर कमरे में लेकर जाओ। यहां तो ये शर्माती ही रहेगी।
तो कल्पना चाची ने अपना बैग उठाया, और मुझे अंदर चलने को बोला। मैं उठ कर उनके साथ अंदर आ गया। कमरे में आते ही कल्पना चाची ने मुझे जोर से गले लगा लिया।
वो बोली: अदिति, आज तुझे मेरे साथ भी वही करना है तो तू स्नेहा के साथ करती है।
मैं: चाची, आपको भी ये सब पसन्द है?
चाची: तुझे तो पता ही है हम दोनों के पति ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं। इसलिए हम दोनों को लेस्बियन सेक्स की आदत पड़ गई है।
मैं: अच्छा, पर इतना टाइम हो गया, भाभी ने मुझे बताया नहीं।
चाची: हां, वो हम दोनों ने सोच समझ कर किया तांकि तू नाराज ना हो जाए। और आज तुझे ये लहंगा पहनाने को भी मैंने ही बोला था।
फिर चाची और मैं एक-दूसरे के लिप्स चूसने लगे। फिर थोड़ी देर बाद चाची ने अपने बैग में से एक रबड़ का लंड (डिल्डो) निकाला। जो मेरे लंड से थोड़ा छोटा था करीब 6 इंच का, और एक दम असली लंड जैसा लग रहा था। फिर चाची ने डिल्डो को बेल्ट में फंसाया और अपनी सलवार उतार कर बेल्ट बांध ली।
मुझे लगा अब चाची मेरी गांड मारेगी। तो मैं डर के मारे बोल पड़ा: चाची नहीं। ये मैं नहीं करूंगी। (क्योंकि मैं अदिति बन कर चाची के साथ था। इसलिए लड़की की तरह बोल रहा था)
चाची: अरे बाबा। तेरी गांड में नहीं डालूंगी। बस चुसवाने के लिए लगा रही हूं। इसके बिना मज़ा नहीं आता अब।
तो मेरी जान में जान आई।
फिर चाची ने मुझे झुका कर उनका लंड यानी डिल्डो चूसने के लिए बोला। तो मैंने घुटनों के बल बैठ कर डिल्डो मुंह में ले लिया।
क्योंकि मुझे पता था ये नकली था, शायद इसलिए मैंने बिना कुछ कहे उसे मुंह में ले लिया। अगर उसकी जगह कोई असली मर्द का लंड होता, तो शायद मैं ऐसा नहीं कर पाता।
अब इसमें कोई टेस्ट और स्मेल तो थी नहीं, इसलिए मैं उसे चूसने लगा। चाची मेरा सिर पकड़ कर डिल्डो पर दबा रही थी। करीब 5 मिनट उन्होंने मुझसे अपना नकली लंड चुसवाया।
फिर मुझे लहंगा ऊपर उठा कर खड़ा होने को कहा। मैं लहंगा ऊपर उठा कर खड़ा हो गया। अब चाची घुटनों के बल बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी। उफ्फ क्या मज़ा आ रहा था। फिर चाची खड़ी हुई। अपनी कमर से डिल्डो वाली बेल्ट निकाली, और मुझे लंड चूत में डालने को बोला।
मुझे लहंगे के साथ प्रॉब्लम हो रही थी। लहंगा उठाना पड़ रहा था। मैंने चाची से लहंगा उतारने को पूछा। तो चाची ने मना कर दिया।
वो बोली: ये कपड़े उतारने का शौक तेरी भाभी को है। मुझे तो कपड़ो में ही मज़ा आता है।
मैं: पर चाची मुझे लहंगा पकड़ने में प्रॉब्लम हो रही।
चाची: तू अपना लहंगा पकड़। बाकी काम मैं करती हूं।
मैं लहंगा पकड़ कर खड़ा हो गया। चाची मेरे लंड के आगे घोड़ी बन गई और अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया। मुझे धक्का मारने की जरूरत भी नहीं पड़ी। चाची ने खुद ही पीछे को धक्का मार दिया।
चाची की चूत गीली हो चुकी थी। तो लंड का सुपाड़ा आसानी से अंदर घुस गया। अब मैंने एक झटका मार कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया। चाची ने बिना दर्द के पूरा लंड अपने अंदर ले लिया। अब लंड पूरा अंदर घुस चुका था। अब मैं माल निकलने के बाद ही बाहर निकालने वाला था।इसलिए मैंने लहंगा छोड़ दिया और चाची को कमर से पकड़ कर पेलने लगा। मैंने करीब 20 मिनट तक वैसे ही घोड़ी बना कर चाची को पेला। अब मैं झड़ने वाला था।
मैंने चाची को पूछा: अंदर ही झड़ जाऊं।
चाची: नहीं, बाहर निकाल।
मैंने लंड बाहर निकाल लिया।
फिर चाची ने लंड मुंह में ले लिया और मैं उनके मुंह में ही झड़ गया। चाची ने पूरा माल पी लिया, और लंड चूस-चूस कर साफ कर दिया।फिर हम दोनों ने थोड़ी देर आराम किया। फिर चाची ने अपनी सलवार और पैंटी पहनी। मैंने भी अपनी पैंटी ठीक की। फिर हम बाहर आ गए।
भाभी ने पूछा: क्यों मज़ा आया?
चाची: तूने अदिति को ट्रेंड ही ऐसे किया है, मज़ा क्यों नहीं आएगा।
(हम तीनों हंसने लगे)
फिर थोड़ी देर बाद कल्पना चाची अपने घर चली गई। मैं और भाभी रह गए। फिर रात को हम दोनों ने खूब इंजॉय किया। चाची अपना डिल्डो यहीं छोड़ गई थी। रात को भाभी ने उससे मेरी गांड भी मारी। मैंने पहली बार उस रात अपनी गांड में कुछ लिया था। ये मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा। ईमेल आईडी: [email protected]