पिछला भाग पढ़े:- टक्कर से फ़क कर तक-1
मेरी बात सुन कर फ़ौरन ही राजन स्विमिंग पूल से निकले, और पानी से टपकती गीली निक्कर पहने मेरे करीब आ कर खड़े हो गए। राजन की चौड़ी छाती और सुगठित पतली कमर एक सशक्त कसरती बदन की गवाही दे रही थी। उनकी छाती पर बिखरे हुए काले बाल उनकी मर्दानगी में चार चाँद लगा रहे थे। मेरी नजर उस समय उनकी जाँघों के बीच गयी। गीली निक्कर में भी उनका लंड उनकी जाँघों के बीच बड़ा सा तम्बू बना कर तन कर निक्कर में खड़ा हुआ दिख रहा था।
स्विमिंग करने की निक्कर ऐसी होती है कि गीले होने पर भी लंड नहीं दिखता। पर शायद राजन ने कॉस्च्यूम वाली नहीं पर एक साधारण सी निक्कर पहनी थी, और इसके कारण उसकी निक्कर में से भी राजन के लम्बे मोटे लंड का आकार साफ़-साफ़ दिख रहा था। शायद राजन ने चोरी से डाली हुई मेरी नजर को भाँप लिया और मुझे देख कर मुस्कुरा दिए। पकड़े जाने पर मैं कुछ खिसियानी सी लज्जित अपनी नजरें वहाँ से हटा कर इधर-उधर देखने लगी। पुष्पा दीदी से हमारी नज़रों की टक्कर छिपी नहीं रह पायी।
मैंने उस समय पतले कपड़े की हल्की नील रंग की घुटनों तक की फ्रॉक पहनी हुई थी। ऊपर गले का कट काफी नीचे तक था तो मेरे स्तनों का क्लीवेज (स्तनों से बीच की खाई) काफी उभरी हुई स्पष्ट दिख रही थी। राजन की नजर जब भी मौक़ा मिलता था तो वहीं गड़ जाती थी। पुष्पा दीदी ने मेरी और देखा और कुछ शरारत भरी नज़रों से बोली, “राजन जब इतने प्यार से बुला रहें है तो तुम क्यों नहीं स्विमिंग कर लेती?”
मैंने कुछ उधेड़-बुन में कहा, “दीदी, मैं जाना चाहूँ भी तो कैसे जाऊं? हमने थोड़े ही सोचा था कि यहां तैरने जाएंगे? मुझे तैरना नहीं आता। और मेरे पास कोई कॉस्च्यूम भी नहीं।“
राजन ने मेरे कहने से मेरे मन में चल रही उधेड़-बुन को भाँप लिया। वह समझ गए की मेरी ना में भी आधी हाँ छिपी हुई थी। राजन ने अपने गीले हाथ से मेरा एक हाथ थामा, मुझे खींच कर पूल में पानी के बिल्कुल किनारे ले गए और बोले, “यार, अब यह सब चक्कर छोड़ो। कॉस्च्यूम की क्या जरूरत है? यहां कोई देखने वाला नहीं है। ऊपर के कपड़े निकालो और पूल में कूद पड़ो। मैं हूँ ना? मेरे साथ आ जाओ, मैं तुम्हें डूबने नहीं दूंगा। मेरी बात मानो, ज्यादा सोचो मत, और आ जाओ। देखो पानी में कितना मजा आता है। तुम्हें भी बहुत मजा आएगा।”
मैं राजन की बात सुन कर हैरान रह गयी। थोड़ी ही देर की पहली या दूसरी मुलाक़ात में ही यह अनजान इंसान इतनी आसानी से मुझे, एक युवा महिला को, कह रहा था कि मैं ब्रा और पैंटी में उसके साथ पूल में कूद पडूँ और तैरने लगूं। यह मुझे अजीब तो लगा पर बहुत मनभावन भी लगा। उस बात पर तो उस युवक के प्रति कामुक भाव मेरे जहन में और भी ताकत से कूद फाँदने लगा।
अपनी बात कह कर मेरा हाथ छोड़ राजन पूल में कूद पड़े और पानी में जा कर अपना हाथ हिला कर मुझे अंदर आने के लिए बार-बार आग्रह करने लगे। मैं और पुष्पा दीदी अपनी चप्पलें निकाल कर पूल के बिल्कुल किनारे एक पानी की चैनल होती है, जिसके ऊपर जाली लगी होती है, उसके ऊपर खड़े हुए बातें कर रहे थे।
हम पूल के इतने करीब खड़े थे कि पूल में से ऊपर उभर कर निकलता हुआ पानी हमारे पाँव के नीचे से जाली में से बहता हुआ साफ़ होने के लिए मशीन रूम में लगे फ़िल्टर में जाता था।
वहाँ पूल के पानी में राजन हमारे क़दमों के पास आ आकर खड़े हो गए, और मेरी और पुष्पा दीदी की बातें सुनने लगे। पूल में वहाँ पानी कुछ ज्यादा ही गहरा था। मुझे शक था कि राजन वहाँ पानी में खड़े थे और मैं वहीं उनसे बिल्कुल ऊपर की तरफ पारी पर खड़ी हुई थी। वहाँ खड़े हुए नीचे पूल में से पारी पर खड़ी मेरी फ्रॉक के अंदर मेरी नंगी जांघें और मेरी पैंटी को वह भली भाँती देख रहे थे। राजन की इस हरकत को देख कर मैं रोमांच से तिलमिला उठी और मेरी चूत गीली होने लगी।
राजन ने मेरी और मुस्कुराते हुए देख कर कहा, “तैरने की कोई चिंता मत करो। तैरना मैं सीखा दूंगा।”
पुष्पा दीदी ने मेरी और देख कर मेरा हाथ थाम कर कहा, “यार चली जाओ ना? हमें वापस जाने की कोई जल्दी तो है नहीं। जहां तक कॉस्च्यूम का सवाल है, तो यहां कोई और देखने वाला नहीं है। तुम ऊपर के कपड़े निकाल कर मुझे दे दो और ब्रा और पैंटी में पूल में कूद पड़ो। बाद में बाहर निकल कर गीली ब्रा और पैंटी को कोई प्लास्टिक पन्नी में रख कर बिना ब्रा और पैंटी के तुम फ्रॉक पहन कर चले चलना। किसे पता लगेगा कि तुमने अंदर ब्रा और पैंटी पहनी है या नहीं?”
मैंने दीदी की बात को नकारते हुए कहा, “दीदी आप कैसी बात कर रही हो? मैं ब्रा और पैंटी में राजन के देखते हुए पूल में कैसे जा सकती हूँ?”
पुष्पा दीदी ने कहा, “यार तुम नखरे बहुत कर रही हो। मैं तो तैर सकती हूँ पर फिर भी अगर मुझे राजन ने इतने प्यार से कहा होता तो मैं तो सारे कपड़े निकाल कर नंगी ही पूल में कूद पड़ती।”
यह कहते हुए अचानक ही दीदी शायद लड़खड़ा गयी और पूल के किनारे खड़ी मुझ पर लुढ़क पड़ी। उनके धक्के से मैं भी लड़खड़ा गयी और पानी में गिरने लगी। पर दीदी का हाथ मेरे हाथ में था, तो मैंने गिरने से बचने के लिए दीदी का हाथ ताकत से पकड़ा। पुष्पा दीदी भी लड़खड़ाती हुई मेरे साथ ही पूल में गिर पड़ी। उस जगह पानी गहरा था। मैं पहले पानी में नीचे चली गयी।
मेरी सांस रुंकने लगी। राजन ने मुझे बाहों से पकड़ कर ऊपर की और उठा लिया। मुझे पानी की सतह पर खींच कर राजन ने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया। या यूँ कहना बेहतर होगा कि राजन ने मुझे गहरे पानी में से डूबने से बचाने के लिए ऊपर उठाते ही मैं बिना कुछ सोचे समझे राजन से कस कर लिपट गयी।
मुझे उस समय कुछ भी होश नहीं था। मैं वैसे ही पानी से बच कर रहती थी। मुझे पानी से डर लगता था। मेरी दोनों बाहें राजन की गर्दन के इर्द-गिर्द और मेरे दोनों पाँव राजन की पतली कमर को कस कर जकड़े हुए आँखें बंद कर राजन से चिपक कर मैं बस सांस लेती रही।
कुछ देर बाद जब मैंने आँखें खोलीं तो देखा की पुष्पा दीदी पानी में जा कर फिर आराम से ऊपर आ गयी थी। उन्होंने मुझे राजन की बाँहों में देखा। अपना अंगूठा ऊपर कर ओके का इशारा कर एक के बाद एक उन्होंने अपने कपड़े पूल के बाहर किनारे पर निकाल फेंके और खुद ब्रा और पैंटी में आ गयी और पूल में तैरने लग गयी।
राजन ने मेरे और दीदी के बीच इशारे की अदला-बदली देखी तो बोले, “तुम्हारी दीदी के साथ अच्छी पटती लगता है।”
मैंने कहा, “वैसे तो वह मेरी कोई रिश्तेदार नहीं है, पर हम दोनों सहेलियां कम और सगी बहनों से भी कहीं करीब और ज्यादा हैं। हमारी कोई भी बात चाहे कितनी ही निजी और सीक्रेट क्यों ना हो, एक-दूसरे छिपी नहीं है। यह समझ लीजिये कि हम एक दूसरे की बैडरूम तक की दोस्त हैं।”
राजन मेरी आँखों में आँखें डाले हुए मुझे एकटक निहार रहे थे। मेरी बात सुन कर वह कुछ शरारत भरी मुस्कान देते हुए बोले, “अच्छा? दीदी तुम्हारी बैडरूम तक की करीबी दोस्त है? पर मैं तो नया-नया ही हूँ। आज ही मिला हूँ तुम्हें। तो क्या मुझे भी तुम अपने बैडरूम तक का करीबी दोस्त बनाओगी?”
मैंने भी राजन की आँखों से आँखें मिलाते हुए उन्हें शरारत भरी नज़रों से देखा, और कुछ मुस्कुराती हुई बोल पड़ी, “अब देखो इस स्विमिंग पूल में इस तरह के कपड़ों में कूद कर मैं तुम्हारी बाँहों में आ कर तुम्हारी एक-दम करीबी दोस्त तो बन ही चुकी हूँ। बाकी जहां तक बैडरूम का सवाल है तो देखते हैं। आगे-आगे देखिये होगा क्या।”
मेरी आँखें उनकी आँखों के बिल्कुल सामने मेरी नाक उनकी नाक से छू रही थी और मेरे होंठ उनके होंठों से छूने वाले ही थे। मुझे उस समय किसी तरह का होश नहीं था। मेरी चूत पानी में तो गीली थी ही, पर उसमें से मेरा काम रस भी रिस रहा था। बिना कुछ सोचे समझे बरबस ही मेरा मुंह अपने आप ही खुल गया और अनजाने में ही मेरी जीभ बाहर निकल गयी।
मेरी नशीली नजरें शायद राजन को मेरे मन की बात बता गयी। राजन ने मौक़ा पाते ही अपना मुंह आगे किया, और मेरे होंठों को उनके होंठों से मिला दिया। उन्होंने मेरी जीभ अपने मुंह में ले कर उसे चूसना शुरू कर दिया। बस और क्या था? जो आग हम दोनों के ज़हन में चिंगारी के रूप में थी, वह अचानक ही भड़क उठी।
राजन ने अपनी बाहों में मुझे और कस कर जकड़ लिया और मेरे मुंह और होंठों को बेतहाशा चूमने लगे। मैंने कभी इतना नशीला चुम्बन किसी पुरुष से नहीं किया। राजन इतनी कामुकता और शिद्द्त से मेरे होंठ, मेरा मुंह और मेरी जीभ चूसते और चूमते थे कि उसे महसूस करते हुए ही मैं राजन की बांहों में ही एक बार झड़ गयी। ऊपर से मेरी चूत को राजन का तगड़ा लंड उसके जांघिये में से कुरेद रहा था।
क्यूंकि मेरी जाँघें राजन की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लिपटी हुई थी, तो मेरा फ्रॉक भी मेरी कमर से ऊपर तक चढ़ा हुआ था, और राजन का लंड सीधा ही मेरी पैंटी में छिपी मेरी चूत को कोंच रहा था। उस लंड के दबाव से मुझे राजन के लंड की लम्बाई और मोटाई का काफी कुछ अंदाज हो रहा था।
मैं जब राजन को चूम रही थी, तभी दीदी वहां पहुँच गयी। एक-दम मेरी पीठ पर पुष्पा दीदी ने अपना हाथ फेरते हुए कहा, “रोमा, यह तो पहली नजर में ही प्यार हो गया यार। मैंने आज तक सुना ही था। कभी देखा नहीं था। आज देखने का मौक़ा भी मिल गया।”
दीदी की आवाज सुन कर मैं रोमांटिक बादलों में खोयी हुई तंद्रा में एक झटके के साथ से वास्तविकता की धरती पर लौट आयी। मैं राजन की कमर को छोड़ कर पानी में खड़ी होने की कोशिश करने लगी कि नीचे सरक कर राजन के पाँव के पास पहुँच गयी।
जैसा मैंने पहले बताया वहां पानी गहरा था। मैं खड़ी नहीं हो सकती थी। मेरा बदन पानी में डूबा हुआ था। पर राजन ने मुझे नहीं छोड़ा था। राजन ने झुक कर मुझे अपनी बाँहों में फिर से उठा लिया और तैरते हुए मुझे कम गहरे पानी में ले आये जहां मैं खड़ी हो सकूँ।
मेरे पीछे-पीछे आ कर खड़ी दीदी ने कहा, “अब जब पानी में उतर ही गयी हो और सारे कपड़े गीले हो ही गए हैं तो यह फ्रॉक निकाल दो और कुछ देर पानी में आराम से राजन के साथ तैरो और एन्जॉय करो।” यह कह कर दीदी ने पीछे से मेरे फ्रॉक की ज़िप नीचे की तरफ खींच कर पूरी खोल दी। गीली होने के कारण भारी हो चुकी मेरी फ्रॉक मेरे कंधे के दोनों और लुढ़क पड़ी।
मेरे हाथ हिलाते ही फ्रॉक मेरे नीचे सरक कर मेरी कमर तक आ गयी, और मेरी कमर के इर्द-गिर्द मेरी जाँघों को ढकते हुए पानी की सतह पर तैरने लगी। मैंने फ्रॉक पहना था, कोई ब्लाउज तो था नहीं। मैं कमर तक के पानी में पूल की फर्श के ऊपर मेरी ब्रा और पैंटी में ही खड़ी हो गयी।
अपनी ब्रा और पैंटी में दीदी पानी में तैरने लगी और गहरे पानी में चली गयी। दीदी मोटी तो बिल्कुल नहीं थी, पर दीदी का बदन मुझसे थोड़ा ज्यादा भारी था। उनकी जाँघें, थोड़ा उभरा हुआ पेट, बड़े दिग्गज स्तन मंडल और मोटे कूल्हे के बावजूद दीदी पानी में आसानी से तैर रही थी।
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