कुछ देर बाद उसने गांड के छेद से अपना मुँह हटाया तो बोल जानु यह मेरी तरफ से तुम्हारी पहली और आखरी चुदाई है और मैं यह चाहता हूँ कि तुम यह चुदाई मरते दम तक याद रखो. मैं बोली इसे चोदना नहीं तड़पना कहते हैं, मेरी बात सुन कर वह बोला जानु अभी तो मैंने तुम्हें तड़पाना शुरू ही नहीं किया. मैंने पुछा क्या मतलब ??
मेरा सवाल सुन वह बोला अभी बताता हूँ. वह झट से दूर हट गया और टेबल के पास जा कर कुछ निकाल कर फिर मेरे पास आ गया. मैं उसके दूर जाने और फिर पास आने की आहट साफ़ सुन सकती थी.
वह फिर मेरी गांड की तरफ गया और मे्रे चूतड़ों को खोल कर छेद को चाटा मैं तो पहले ही मरी जा रही थी. उसने मेरी गुलाबी गांड के छेद पर बहुत सारा थूक लगा दिया, मैंने पुछा यह क्या कर रहे हो ??
वह बोला मेरी रंडी अभी बताता हूँ. बहुत शोक हैं तुझे चुदने का रंडी बनने का. आज मैँ तुम्हें ऐसे चोदुंगा की तू हमेशा के लिए रंडी बन कर रह जाएगी. और तुझे दुनिया का कोई और लण्ड नहीं भाएगा. तू हर वकत मे्रे लण्ड और मुझसे चुदाई के बारे मैं सोचेगी.
इतना कहते ही उसने मेरी कुंवारी गांड के गुलाबी छेद में कुछ झटके से ठोंक दिया. मेरी चीख निकाल गयी किउंकी मैंने तब तक चूत तो दो चार बार मरवाई थी पर मैंने कभी गांड में ऊँगली तक नहीं की थी लण्ड तो बहुत दूर की बात थी. उस दिन पहली बार मुझे बताया की इसे डिलडो कहते हैं. और यह तब काम में आता है जब आस पास में कोई लण्ड मौजूद न हो.
मैंने करहते हुए कहा निकालो इसे बहार मैं मर जाऊंगी. वह बोला जानेमन मुझसे चूत मरवाना कोई बच्चों का खेल नहीं और अभी तुमने इस डिलडो का कमल देखा ही कहाँ है. .इतना कहते ही उसने डिलडो का बटन दबा दिया. तब मैं समझी की यह तो वाइब्रेटर वाला डिलडो है.
फिर जो हुआ मैं बता नहीं सकती उसने जैसे ही हिलना शुरू किया मे्रे गांड के अंदर की चीटियां काट रही थी वह और भी ज़ोर ज़ोर से काटने लगी. मुझे इतना मजा आने लगा की मुझे लगा की मैं झर जाऊंगी.
जैसे ही मैं झरने को हुई उसने वाइब्रेटर की स्पीड कम कर दी. मैंने उसकी मिन्नतें करनी शरू कर दी की प्लीज अब तो मुझे झर जाने दो पर उसने मेरी एक न सुनी. और कहने लगा मेरी छिनाल बहुत जल्दी हा तुझे झरने की. मे्रे लण्ड से क्या तेरी माँ चुदेगी. यह जो इतनी देरसे फुंकार रहा है इसको कौन ठंडा करेगी “तेरी बहिन”. अगर चुदने का इतना शोक होता है तो थोड़ा सबर भी कर मेरी रखेल. लण्ड तो तुझे मिलेगा ही पर इस लण्ड की एक कीमत अदा करनी पड़ती है.
इतना कहते ही उसने पीछे से मेरी हाथ लाकर चूत में एक ऊँगली डाल दी, और मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लग गया. एक तो मेरी गांड में वाइब्रेटर का धीरे धीरे हिलना ऊपर से पेरी चूत के दाने की रगड़. मेरी तो पसीने से बुरी हालत हो गयी इतना मजा मैंने जिंदगी में कभी नहीं लिया था, अगर कोई कमी थी तो बस मेरी चूत की ठुकाई की, ता कि अब मैं झर जाऊं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत लब लब पानी से भर गयी है और किसी भी वकत यह बांध टूट सकता है. पर वह कमबकत इतना मंझा हुआ खिलाडी था कि मे्रे झरने के टाइम से बिलकुल पहले या तो मेरी गुलाबी गांड के वाइब्रेटर कि स्पीड कम कर देता था या रसभरी चूत के दाने को मसलना छोड़ देता था.
कुछ देर बाद वह पीछे हटा और उसने मे्रे हाथ जो छत के साथ बांधे थे ढीले कर दिए. मैं खुश हो गयी कि अब मेरी चुदाई होने वाली है. पर तभी उसने मुझे घुटनो के बल बैठने को कहा. मैं सोच रही थी कि यह अब क्या करने वाला है क्या वह मुझे चोदेगा या वह बस मुझे तड़पाएगा.
तभी उसने मेरे बालों को कसके पकड़ा और मेरे मुंह में वह ऊँगली जो उसने मेरी चूत में डाली थी वह डाल दी. अपनी चूत के पानी का स्वाद पाकर मुझे बड़ा मजा आने लगा, मुझे नहीं पता था की मेरी चूत का पानी इतना स्वादिष्ट होगा. उसने मुझे मुँह और ज़ियादा खोलने को कहा.
वह मेरे इतने करीब था की उसके लण्ड की गर्मी और महक मुझे मदहोश कर रही थी. मुझे पता था की मेरी पहली इच्छा जो की उसका तगड़ा मूसल लण्ड अपने मुँह में लेने की थी वह अब पूरी होने जा रही थी.
मैंने सोच लिया था की मैं आज इस लण्ड को चूस चूस कर निचोड़ दूँगी, पर यह सब कुछ उसके ऊपर था की वह मुझसे लण्ड चुस्वाता है या नहीं. अभी मैं ऐसा सोच ही रही थी की उसने घप्प से मेरे मुँह में अपना मोटा लण्ड डाल दिया.
मैं हैरान थी कि मैंने जितना मोटा लण्ड सोचा था यह उससे कहीं जियादा बड़ा था. वह मूसल जैसा लण्ड इतना बड़ा था कि पूरा मुंह खोलने पर भी, मुँह में बड़ी मुश्किल से आ रहा था. तभी उसने मेरे कुछ सोचने से पहले अपनी कमर और मेरे मुंह आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
वह मेरे मुंह में लण्ड को इतनी अंदर तक ले जा रहा था कि मेरा सांस लेना मुश्किल हो रहा था, पर वह था कि मेरे मुंह को घपा-घप चोदे जा रहा था. कभी वह टेढ़ा होता तो मेरी गाल पर ठोकर लगती, अगर वह सीधा ठोकता तो मेरे गले के अंदर तक चोट लगती. मुझे लगा कि वह मेरे मुंह में ही झर जायेगा. लेकिन वह मेरे मुंह को लगातार चोदे जा रहा था.
करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे मुंह से लण्ड को निकाला और फिर उसने मुझे खड़ा होने को कहा. उसने रस्सी को फिर से कस दिया पर इस बार रस्सी थोड़ी ही कसी ताकि मै थोड़ा झुक सकूं. तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे मुंह कि कितनी जबदस्त चुदाई हुई है.
मेरा सारा जबड़ा दर्द कर रहा था. गाल भी दुख रहे थे. गाल और होंठ लोहे जैसे लण्ड कि ठोकरे खा खा कर सूज गए थे, मुझसे तो बोला भी नहीं जा रहा था, पर मेरे अंदर चुदाई कि इतनी भूख थी कि में सारे दर्द भूल गयी थी.
तभी उसने मेरे होठो को चूमा और मेरे पीछे कि तरफ चला गया. मेरी पीठ पर हाथ रखते हुए उसने मुझे झुकने को कहा. में रस्सी के सहारे आगे को झुक गयी जैसे कि कोई घोड़ी घोड़े से चुदवाने जा रही हो.
तभी उसने मेरी सूज चुकी गुलाबी गांड के छेद से वाइब्रेटर निकाल दिया मेरी गांड काफी देर तक वाइब्रेटर अंदर रखने के कारण धीरे धीरे बंद हो रही के तभी उसने झुक कर मेरी बंद होती गांड के छेद में अपने लप-लपाती जीभ कि ठोक दिया. और अपनी जीभ को ऊपर नीचे , दाएं बाएं नाचने लगा. मुझे उसकी जीभ ऐसे लग रही थी कि जैसे मेरी गाड़ में कोई बड़ा सा कीड़ा कुलबुला रहा हो. मैं मस्ती में मदहोश होने लगी.
तभी उसने वाइब्रेटर जो कि उसके हाथ में था मेरी चिकनी गुलाबी चूत में पेल दिया और उसकी स्पीड बढ़ा दी. मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मैं जन्नत कि सैर कर रही हूँ. अब तक मेरे अंदर कि आग भड़क कर सो गुना हो चुकी थी. मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि मुझे सब कुछ गुलाबी नज़र आने लगा था.
जो चीटियां अब तक मेरी चूत और गांड मैं काट रही थी वह अब मेरे सारे बदन में काटने लगी थी. मुझे उसने इतनी मजबूर कर दिया था कि अगर उस समय मेरे सामने कुत्ता भी आ जाता तो मैं उससे भी चुदवा लेती.
अब तो मैं मन्नतें मांगने लग गयी थी कि अब तो वह मेरी जम के चुदाई कर दे. तभी उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद से निकाली और मेरी गांड पर ढेर सारा थूक लगा दिया और अपने गधे जैसे लण्ड के टोपे को मेरी गांड के गुलाबी छेद से लगाया. किउं कि मेरी गांड मैं पहले से वाइब्रेटर निकल चूका था मुझे यकीन था कि उसके लण्ड से मुझे जियादा दर्द नहीं होगा.
तभी उसने मुझे कहा चल मेरी चुद्दकड़ छिनाल तू भी क्या याद करेगी कि मैने तुझ पर तरस खाकर तेरी चुदाई जल्दी शुरू कर दी. इतना कहते ही उसने मेरी कमर को कसके पकड़ा और एक झटके में आधा लण्ड अंदर कर दिया. मुझे तो ऐसा लगा कि किसी ने मेरी कुंवारी गांड में गरम लोहे की सलाख डाल दी हो.
मै दर्द के मारे चीख उठी और छोड़ दो मुझे छोड़ दो मुझे चिल्लाने लगी. उसका लण्ड तो मेरी सोच से कहीं जियादा मोटा था. इससे पहले की मै समभ्ल पाती उसने एक और झटका मार कर सारे का सारा लण्ड मेरी गांड में डाल दिया. में तो बेहोश होते होते बची. तभी वह रुक और मेरी चूचियों को सहलाने लगा वह पीछे से घोड़े की तरह मेरी गर्दन और मेरी पीठ को चूमने लगा.
एक हाथ से वह मेरी चूत के वाइब्रेटर की स्पीड को कम जियादा कर रहा था और एक हाथ से चूचियों को मसल रहा था. मुझे अब दर्द काम होने लगा था और मेरी अंदर की हवस और भड़कने लगी थी.
उसने धीरे धीरे अपनी कमर को चलाना शरू कर दिया. मुझे उसका लंड नाभि तक पंहुचा हुआ लग रहा था. उसने झटके तेज कर दिए मुझे भी मजा आने लगा और में अपनी कमर पीछे हिलते हुए गांड मरवाने लगी. वह भी अब अपना लण्ड सुपाड़े तक बहार निकल कर दना दन चुदाई कर रहा था मेरी गांड का बैंड बज रहा था और मैं घोड़ी बनी अपनी बैंड बजने का मजा ले रही थी.
मेरी गांड अंदर से छिल चुकी थी पर मैंने भी सोच लिया था की आज मैं टॉप की रंडी बनकर दिखाऊंगी. मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी. मुझे ऐसे लग रहा थी की जैसे मैं किसी बेसबॉल बैट से चुद रही हूँ. पर इस चुदाई का भी अपना मजा था.
मे्रे शरीर का एक एक हिस्सा चुद रहा था. ऐसे तो कोई किसी रंडी को नहीं चोदता जैसे उस दिन मेरी चुदाई हुई और अभी तो खेल बाकी था. तभी मुझे लगा की मैं झर जाऊंगी मेरा जिस्म अकड़ने लगा था मैं झरने ही वाली थी उसने मेरी दना दन चुदती गांड से आपने लण्ड को झटके से खींच लिया और मेरी चूत के वाइब्रेटर को भी निकल लिया.
मैं उसकी इस हरकत से दंग रह गयी. मेरी चूत से मस्ती का फवारा छूटने ही वाला था की उसने ये हरकत कर दी मैं इतनी चुदास हो गयी थी की मैं उसकी मिन्नते करने लगी की प्लीज मुझे चोदते रहो. प्लीज मेरी चुदाई मत रोको मैं झरने वाली थी और वह मेरी चूत को प्यासा छोड़ कर मेरे सामने खड़ा हस रहा था.
मेरी चुदाई की मिन्नतें सुन कर उसे बड़ा मजा आ रहा था. मेरे हाथ और मेरी आँखे बंधी होने के कारण मैं तो अपनी चूत की प्यास अपनी ऊँगली से भी नहीं बुझा सकती थी. तभी शायद उसको मुझ पर तरस आ गया और उसने मेरी चूत से निकाला हुआ वाइब्रेटर मेरी गांड में धकेल दिया और फुल स्पीड पर छोड़ दिया. मैं फिर से जन्नत की सैर पर निकल पड़ी.
मैं तो इस बात से हैरान थी की उसका कितना कंट्रोल था खुदपर. अगर वह चाहता तो मुझे पांच बार झड़ सकता था और खुद भी झर सकता था. पर उसे तो खेल खेलना था मुझे रंडी होने का एहसास करवाना था. मुझे उस दिन पता चला की चुदाई की चीटियां जब काटती है तो कोई भी औरत रंडी बनने को भी तैयार हो सकती है.
मैं सोच में थी तभी उसने मुझे मेरी जांघों से उठा लिया. वाइब्रेटर अभी भी मेरी गांड मैं फुल स्पीड पर चल रहा था. इसने मेरी दोनों जांघों को अपनी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया और मेरी गांड को पकड़ कर मुझे उप्पर को उठाया. उसके जबरदस्त लण्ड का गरम अंगारे जैसा सुपाड़ा मेरी गुलाबी प्यासी चूत के मुंह से टकराने लगा.
उसके सुपाड़े ही गर्मी से मेरी चूत ने अपना मुँह खोल दिया. उसने कुछ देर मेरी चूत के दाने को रगड़ा और फिर मेरी चूत की पत्तियों को फैलाकर मुझे अपने लोहे जैसे लण्ड पर दबा दिया. उसके लण्ड मेरी गुलाबो जैसी कोमल चूत को चीरता हुआ आधा धस गया.
जैसे ही मेरी चूत मैं लण्ड घुसा मेरी नस नस मैं बिजलियाँ कौंध गई. दर्द को सहते हुए मैं चिल्लाई. हाँ मैं तेरी रंडी हूँ.. हरामज़ादे.. मैं छिनाल भी हूँ और.. मैं तेरे लण्ड की भूखी भी हूँ.. चोद साले चोद मुझे. फाड़ डाल मेरी चूत को जैसे तूने मेरी गांड को चोदा है वैसे ही मेरी गुलाबी चूत की भी धज्जियाँ उड़ादे.
इतना सुनते ही वह भी जोश मैं आ गया और झटके से आठ इंच का मूसल जैसा लण्ड मेरी चूत मैं उतार दिया और मुझे दिन मैं ही तारे नजर आ गये दर्द के मारे मैं हाथ पैर मारने लगी. और हाय हाय करने लगी पर वह कहाँ सुनने वाला था उसने दना दन मुझे चोदना शुरू किया.
उसकी ताकत देखके मैं हैरान थी वह खड़ा खड़ा मुझे गोदी में पकड़ कर ऐसे चुदाई कर रहा था जैसे मैं कोई गुड़िया हूँ. वह सुपाड़े तक लण्ड निकालता और घप से लण्ड जड़ तक पेल देता और उसके लण्ड की ठोकर से मेरी बच्चेदानी हिल जाती.
लगभग पांच मिनट के बाद उसने मेरी हाथ जो की ऊपर बंधे हुए थे खोल दिए. और मुझे गोदी में ही चोदते हुए बेड पर ले गया. मैंने आँखों की पट्टी उतारनी चाही पर उसने उतरने नहीं दी. तभी उसने मुझे बेड पर चित्त लेता दिया और मेरी दोनों टांगो को अपने कंधे पर रख लिया.
फिर वह मेरे ऊपर झुक गया मेरी टाँगे मेरी चूचियों से लगने लगी. फिर उसने ताबड़ तोड़ चुदाई शुरू की. सारे कमरे में ठप ठप की आवाजे गूंजने लगी. उसका लण्ड इस तरह चोद रहा था की जैसे कोई मशीन मुझे चोद रही हो मेरा अंग अंग टूट चूका था पर में फिर भी झरना छह रही थी.
मेरी चूत का छेद एक दम चौड़ा हो गया था जब वह लण्ड को सुपाड़े तक खींचता तो ऐसा लगता की मेरी बच्चेदानी बहार आ जाएगी. और जब वह लण्ड को जड़ तक पेलता तो ऐसा लगता वह मेरी रस भरी चूत को बीच में से चीर देगा. उसने आधा घंटा मुझे उसी तरह चोदा.
मैं अब झरने वाली थी तभी वह बोला की इस बार मैं रुकूंगा नहीं तैयार हो जायो मेरे लण्ड का अमृत अपनी चूत को पिलाने को मैं भी सम्भल गयी तभी उसने इतनी जोर से चुदाई शुरू कि के सारा बेड हिलने लगा जैसे भूचाल आता है उसके लण्ड कि चोट से मेरा सारा बदन हिलने लगा.
मैं भी चिल्लाने लगी चोद मेरे गांडू चोद दे. बर्बाद कर दे मेरी चूत को भरदे अपने मूसल जैसे लण्ड के पानी से इसे, मैं तेरे लण्ड कि दासी बन के रहूंगी चोद डाल चोद डाल. और यह कहते कहते मैं झर गयी. मेरी चूत से मेरे रस कि नदियां बह गयी इतना पानी तो मेरी गुलाबो ने कभी नहीं छोडा था. मेरा सारा शरीर कांप रहा था. मेरी चूत रुक रुक के पानी छोड रही थी.
तभी वह बोला ले मेरी रंडी पी ले मेरे लण्ड के पानी को जी भर के पी और वह भी झर गया. उसके लण्ड ने भी ऐसा गरम फवारा छोडा कि मेरी चूत को पूरा भर दिया. वह धीरे धीरे झटके मारता रहा जब तक की उसके लण्ड के मस्त पानी की एक एक बूँद न टपक गयी.
वह मेरे ऊपर ही निढाल हो कर पड़ा रहा. मैंने अपनी आँखों कि पट्टी हटानी चाही पर उसने ऐसा न करने दिया. मैंने भी ज़ोर नहीं डाला किउं कि मुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि मैं उससे कोई बहस करती.
मेरी चूत अब भी झटके मर रही थी वह थोड़ा सा हिला और उसने अपना लण्ड मेरी सूज चुकी चूत से बाहर निकाला जैसे ही लण्ड बाहर निकला एक चीस सी उठी मेरी चूत में. मेरी चूत से उसके माल और मेरी रस कि नदी सी बहती हुई मेरी गांड के छेद को भिगोने लगी. वह मेरे ऊपर से उठ चूका था.
मेरी चुदाई के बाद ऐसी हालत हो गयी कि मुझे पता ही नहीं चला कि मुझे कब नींद आ गयी. मैं जब सुबह को उठी तो वह जा चूका था मैं हैरान थी कि उसने मुझे जाते वक़्त बताया तक नहीं. उस चुदाई के पांच दिन बाद तक भी मेरी चूत दरद करती रही और आज आठ साल बाद भी जब मैं उस रात कि ज़बरदस्त चुदाई के बारे मैं सोचती हूँ कि काश वह चुदाई एक बार फिर हो जाये.
वो सच ही कहता था कि अगर मैंने तुम्हें एक बार चोद दिया तो तुम जिंदगी भर मुझे भुला नहीं पाओगी. और आज तक मुझे कोई भी उस तरह से चोद नहीं पाया. इतना कहते ही रजनी खामोश हो कर अपनी चुदाई के ख्यालों में खो गयी और फिर सोचने लगी की वह कौन था जिसने उसे इतना जबरदस्त चोदा था.
मैं उसके सामने बैठा मन ही मन में अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रहा था किउं की उसे उस रात जमकर चोदने वाला कोई और नहीं मैं ही था.. उसे चोदने के एक साल बाद मैंने उससे दोस्ती कर ली थी और यही कारण था की में उसे दोबारा नहीं चोदना चाहता था किउं की उसको दोबारा चोदने से मेरा सारा भेद खुल सकता था.
कैसी लगी आपको यह कहानी. किसने किसने मेरी कहानी सुन कर मूठ मारी और किसने यह कहानी सुनकर यह तमन्ना की के उसकी चुदाई भी इस कहानी जैसी हो मुझे मेल करिये और बताइए मेरा ईमेल है “competentdomains@gmail.com” मैं फिर नयी कहानी ले कर हाज़िर होऊंगा, धन्यवाद्..