मैं दीप पंजाबी, पंजाब से दोस्तों आपके सामने एक और नया अनुभव लेकर हाज़िर हूँ। मेरी अब किराना की दुकान है।
ये कहानी थोड़ी पुरानी है। जब हमारे गांव में इतना मोबाइल का क्रेज़ नही था। मतलब जैसे आज हर परिवार में 3-4 मोबाइल होना आम बात है। तब ऐसा नही था। लोग फोन पे बात करने के लिए STD PCO बूथ पर ही जाते थे।
किराना स्टोर होने की वजह से लोग अक्सर मेरे पास आते थे, पर फोन करने उन्हें गाँव से बाहर दूसरे गांव जाना पड़ता था। लोगो की मुश्किल को देखते हुए मेने दुकान के साथ वाले कमरे में एक पीसीओ खोल लिया।
वैसे तो दोनों के गेट भी थे पर दोनों कमरो की सांझी दीवार में आने जाने के लिए एक खिड़की थी। जिसकी वजह से हमारा काम बनते बनते बिगड़ गया।
एक दिन की बात है हमारे पड़ोस में रहने वाली भाभी रजनी, जिसके बारे में बतादू, वो 2 बच्चों की माँ है, उसकी उम्र करीब 35 की होगी। रंग सांवला, शरीर भी इतना खास नही पर देखने में इतनी बुरी भी नही थी। उनसे दुकान की वजह से अक्सर ही मुलाकात होती रहती थी।
उनको कोई भी प्रॉब्लम हो तभी मुझे बोलती थी दीप ये काम है मदद करना प्लीज़, तो मैं भी उनकी मदद के लिए चला जाता था।
एक दिन मैं दुकान पे ही था तो उनका आना हुआ और बोली,”दीप घर पर आना आज डिश नही चल रही। मैंने उन्हें 20 मिनट बाद आने का बोलकर घर भेज दिया। करीब आधे घण्टे बाद अपना काम खत्म करके मैं उनके घर चला गया। दरवाजे पे नौक किया तो उसने ही खोला, घर पे उस वक़्त कोई नही था।
मैं – भाभी आज परिवार वाला कोई दिख नही रहा, किधर गए है सब लोग ?
वो – माजी (उसकी सास) तो सुबह से खांसी की दवा लेने क्लीनिक गयी है। बच्चे स्कूल और उनके पापा मज़दूरी करने गए है। इस लिए आज अकेली हूँ। घर पे बोर हो रही थी तो सोचा टीवी देखलू पर डिश न चलने की वजह से ये भी बन्द है। इस लिए आपको बुला लिया।
उस वक़्त उनके प्रति मेरे दिल में कोई गलत विचार न था।
मेने छत पे चढ़कर उनका डिश ठीक किया और जैसे ही अपने घर को आने लगा ।
भाभी – धन्यवाद दीप,आपका.. बैठो आपके लिए चाय लेके आती हूँ।
मैं- नही भाभी दुकान बन्द पड़ी है, माँ बापू को यदि पता चला तो बहुत डांट पड़ेगी, चाय फेर कभी सही। ज्यादा करते हो तो एक गिलास पानी पिलादो।
उसने पानी पिलाया और मैं दुकान पे आ गया। थोड़े दिन बाद मैंने नोटिस किया के भाभी मुझमे इंटरस्ट ले रही है। मैं पहले तो वहम मानकर इग्नोर करता रहा फेर सोचा देखा तो जाये माज़रा क्या है?
एक दिन फेर भाभी फेर दुकान पे आई के उनका गैस सलेंडर खत्म हो गया और नया स्लेंडर चूल्हे के साथ लगाना है, उनको नही आता लगाना, क्योंके एक तो नया गैस लेने की वजह से पूरी जानकारी नही है और दूसरा अभी डर भी लगता है कही गलती से फट न जाये।
मैं दुकान बन्द करके उसके साथ उनके घर गया और गैस स्लेंडर बदल कर आने लगा
तभी भाभी बोली,” आज आपको बिन चाय के नही जाने दूंगी। उस दिन भी माँ बापू का बहाना बना कर भाग गए थे। आज नही जाने दूंगी। उसके ऐसा बोलने में एक अपनापन सा झलकता था। आज आपका एक भी बहाना नही चलेगा। बैठो साथ आज कुछ पल साथ हमारे, बाते करेंगे वेसे भी घर पे अकेली बोर हो रही हूँ।
उसके इतना ज़ोर देने पे मुझे रुकना पड़ा। पता नही क्यों वो इतनी त्वज़्ज़ो दे रही थी । वो जल्दी से दो कप चाय ले आई और हम उनके टीवी वाले कमरे में बेड पर ही बैठे थे।
मैंने फेर नोट किया के भाभी जब भी अकेली होती है तब ही बुलाती है। दुसरे परिवारक सदस्यों के सामने क्यों नही बुलाती। जरूर कोई इसके मन में चल रहा है। चलो देखते है क्या होता है। इन्ही सोचो में डूबे हुए से मेरा हाथ भाभी के जांघ पर लग गया। जो के मैंने जान बुझ कर तो नही लगाया था बस गलती से लग गया था। उसने इस बात को बहुत महसूस किया और मेरी तरफ देखने लगी।
मेने डरकर अपना हाथ पीछे खिंच लिया और ज़ल्दी से चाय खत्म करके, सॉरी बोलकर अपने दुकान पे आ गया। कुछ देर बाद भाभी दुकान पे कोई सामान लेने आई और उसी बात को लेकर हसने लगी।
मेने एक बार फेर माफ़ी मांगी। इसपे भाभी बोली कोई बात नही दीप अक्सर होता है ऐसा इस उम्र में आकर, टेंसन न लो ओर मुझे कोई गुस्सा भी नही है। उसकी यह बात सुनकर मेरी जान में जान आई।
कुछ दिनों बाद उनको अपने घर एक पूजा करवानी थी। तो उसके लिए मेरे पास आई और बोली,” दीप पूजा के सामान की लिस्ट बनादो (क्योंके उनके परिवार में कोई भी पढ़ा लिखा नही था, बच्चे अभी छोटे थे)। सो मेने लिस्ट बनादी फेर थोड़े दिनों तक मुझे यह एहसास हुआ के वो आने बहाने नज़दीकियां बढ़ा रही है। मैं लड़का होकर शर्मा रहा था जबके वह लड़की होकर पहल करने का ग्रीन सिग्नल दे रही थी।
आखिर पूजा वाला दिन भी आ ही गया और जब भाभी मेरे पास आई तो मैं उस वक़्त पीसीओ पे एक ग्राहक को अटेंड कर रहा था। दुकान भी खुली थी, भाभी दुकान् में मुझे न पाकर सांझी खिड़की से ही पीसीओ में आकर सामने पड़ी कुर्सी पे आकर बैठ गयी और जब वो ग्राहक चला गया तब बोली,” दीप एक फ़ोन करना है अपने मायके में, क्योंके जो पण्डित पूजा करने वाला आ रहा है वो उनके गांव का ही है। उसको बोलना है के जल्दी से आ जाओ सब तैयारिया हो चुकी है।
मैंने उसका दिया नम्बर डायल कर दिया और बात करने लगी। वो फोन नम्बर पण्डित जी के पड़ोस का था। वो बोले 5 मिनट बाद फोन लगाना हम उनको बुलाकर लाते हैं।भाभी ने फोन काट दिया और मुझे कहा के दीप पीसीओ का दरवाज़ा बन्द करदो क्योंके रोड पे होने की वजह से यातायात की आवाज़ से फोन सुनने में दिक्कत हो रही है।
मेने उठ कर दरवाजा अंदर से ही लोक कर लिया। जिस से कमरे में अँधेरा हो गया। मेने जेसे ही बल्ब जगाया भाभी बोली, बन्द ही रहने दो दीप, अँधेरा ही ठीक है। मैं उनकी बात मानकर उसके साथ वाली कुर्सी पे आकर बैठ गया।
करीब 5 मिनट बाद भाभी बोली दीप अब फोन लगादो आ गए होंगे पण्डित जी।
मेने वही नम्बर रिडायल कर दिया और भाभी बात करने लगी। इतने में मेने डरते डरते अपना दायना हाथ भाभी की जांघ पर रख दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे सहलने लगा और सोचने लगा आज जो भी होगा देखा जायेगा।
सहलाने के 5 मिनट तक भाभी ने कोई विरोध नही किया और मेरी तरफ देखकर दुबारा फोन पे बात करने लगी और फेर फोन काट दिया। मुझे लगा शयद अब मुझपे गुस्सा करेगी पर ऐसा कुछ भी नही हुआ वो चुप चाप बैठी रही जिस से मेरी हिम्मत और बढ गयी और मैं फेर उसकी जांघ सहलाने लगा।
अँधेरे में पीसीओ मनिटर की लाइट में जितना भी दिखा मेने देखा के भाभी की आँखे बन्द है और मुंह से आआआह्ह्ह्ह्ह, सीईईईईईइ की कामुक आवाज़ निकल रही थी।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मेने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े लण्ड पे रख लिया और वह उसे सहलाने लगी। जिस से मुझे भी मज़ा आने लगा। मेने उसकी सलवार में आगे से हाथ डाला तो महसूस किया भाभी की चूत पानी छोड़ रही थी। जेसे ही नज़दीक होकर भाभी को चूमने के लिए आगे बड़ा।
दुकान की खिड़की से भाभी की बड़ी बेटी अपनी माँ को ढूंढते हुए आ गयी। हम दोनों के तो जैसे फ्यूज़ ही उड़ गए। पर अँधेरे की वजह से उसे कुछ दिखा नही। हमने जल्द से अपने कपड़े ठीक किऐ और बाहर आ गए। इतना अच्छा मौका हाथ से निकल जाने से अब हम दोनों पछता रहे थे।
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