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Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat-9

हेलो दोस्तों जैसा कि आपने पार्ट 8 में पढा की सरपंचजी और मम्मी अब फोन पर बाते करने लगे थे। पापा के ऑफिस जाने के बाद मम्मी सरपंचजी के साथ बाते करती थी।

कभी कभी मम्मी बेडरुम का दरवाजा बंद करके बाते करती थी शायद दोनों फोन सेक्स करते थे। मम्मी शायद सरपंचजी को इमेजिन करके चुत में उंगली डालकर उनकी जवानी की आग को शांत करती थी।

ऐसे ही एक दो महीने गुजर गये। एक दिन हम सब डिनर कर रहे थे तो पापा मम्मी से बोले कि अगले हफ्ते ऑफिस की ट्रेनिंग के लिए वो दो-तीन दिन बाहर गांव जाने वाले है।

यह सुनकर मम्मी के चेहरे पर थोड़ी खुशी छा गयी क्योंकि अब मम्मी और सरपंचजी के मिलन का रास्ता खुलनेवाला था और दूसरे ही दिन मम्मीने सरपंचजी को यह खुशखबरी सुनायी और सरपंचजी भी यह खबर सुनकर खुश हुये होंगे।

फिर पापा ट्रेनिंग के लिए सुबह निकल गये और उसी दिन दोपहर को सरपंचजी हमारे घर आये। मैंने दरवाजा खोला और ऐसा रिएक्शन दिया कि मैं सरपंच को देखकर चौक गया हू लेकिन मुझे पहले से ही पता था कि सरपंचजी आने वाले है।

फिर मैंने मम्मी को बुलाया तो मम्मी भी किचन से आयी और चौकने का नाटक कर रही थी और बोली ” अरे सरपंचबाबू आप यहां कैसे??”

तो सरपंचजी बोले कि “मुझे यहां शहर में कुछ काम था। इसलिए आया था तो सोचा तुम लोगों से मिलकर चलू ”

मम्मी ने कहा “अच्छा किया आइये बैठिये” और किचन से पानी लेकर आयी सरपंचजी पानी पीते पीते मम्मी की जवानी को ताड़ रहे थे।

फिर मम्मी ने सरपंचजी से कहा की “आप फ्रेश हो जाइये खाना तैयार है” फिर सरपंचजी अंदर चले गये।

सरपंचजी बाथरूम में जाने की जगह किचन में गए और मम्मी के आंखे बंद कर दी और मम्मी को वो नेकलेस पहनाया जो उन्होंने मम्मी के लिये लिया था। मम्मी नेकलेस देखकर खुश हुयी।

सरपंचजी मम्मी को पीछे से पकड़कर उनकी गर्दन को चूम रहे थे मम्मी भी सरपंचजी के मर्दाना स्पर्श से चहक उठी और आंखे बंद करके मजे ले रही थी।

थोड़ी देर बाद मम्मी कहने लगी “अरे छोड़िए ना मनीष आ जाएगा”

तो सरपंचजी कहने लगे “आने दो उसे उसे भी पता चले कि मैं आज यहां उसकी मां चोदने आया हूं”

ये कहकर सरपंचजी ने मम्मी को अपनी बाहों में लिया और मम्मी का चेहरा उठाकर मम्मी के होठों पर अपने होठ रखे। दोनों बहुत पैशनेटली किस कर रहे थे और करे भी ना क्यों बहुत दिनों के बाद एकदूसरे की होठो की प्यास बुझा रहे थे।

फिर मम्मी ने कहा “बस करिये सरपंचबाबू अब बाकी का रात के लिए बचा के रखीये। जाइये आप जाइए फ्रेश होकर आइये”

फिर सरपंचजी बाथरूमसे फ्रेश होकर आये और बिना बनियान पहने ही सिर्फ लूंगीपर आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गये। मैं ये देखकर हैरान हो गया कि सरपंचजी बिना ऊपर कुछ पहने हमारे घर में घूम रहे थे और मम्मी उनसे कुछ नहीं कह रही थी।

मैं मम्मी और सरपंचजी खाना खा रहे थे। सरपंचजी मम्मी को देख रहे थे और मम्मी सरपंचजी के छाती के बालों को और सरपंचजी की बॉडी को देखकर गरम हो रही थी।

फिर सरपंचजीने कुछ देर आराम करने के बाद शॉपिंग को चलने के लिये कहा। सरपंचजीने नीचे धोती पहनी थी और उपर कुर्ता।

मम्मी ब्लैक कलर की ट्रांसपरेंट सारी उसपर लाल कलर का स्लीवलेस बलाउज सरपंचजी का दिया हुआ नेकलेस खुले रेशमी बाल ओठो पर लिपस्टिक की लाली और हाय हिल वाली सैंडल जिससे मम्मी की गांड उभरी हुयी बाहर आ रही थी। मतलब मम्मी एकदम मॉडर्न सेक्सी लेडी लग रही थी और सरपंचजी एक गाँव का गावठी मर्द।

फिर मैं मम्मी और सरपंचजी तीनों सरपंचजी के कार में बैठकर शॉपिंग के लिए मॉल गये। वहां सरपंचजी और मम्मी दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डालकर चल रहे थे ऐसा लग रहा था कि वह दोनों पति पत्नी है और मैं उनका बच्चा।

लोग मम्मी और सरपंचजी को साथ मे देखकर चौक रहे थे कि सरपंचजी जैसे गाँववाले धोती पहने हुये आदमी के साथ इतनी सेक्सी मॉडर्न औरत कैसे हो सकती है। पर लोगो को क्या पता था कि ये औरत सरपंचजी के निचे सोकर खुश हुयी थी इसको सरपंचजी के पहनावे से कुछ लेना देना नही था।

फिर हम मेन्स के शॉप में गये वहां सरपंचजी के लिए मम्मी ने एक टी-शर्ट और जींस ली अब सरपंचजी धोती से जीन्स पर आये थे। टीशर्ट और जीन्स पर सरपंचजी एकदम फिट और हैंडसम लग रहे थे। टाइट टीशर्ट से उनका मर्दाना शरीर और भी आकर्षक लग रहा था फिर सरपंचजीने मेरे लिए भी कुछ लेने को कहा तो मम्मी ने मेरे लिए भी टी शर्ट और जींस ली।

फिर सरपंचजी मम्मी को लेडीज शॉपपर ले गये और वहां मम्मी के लिए एक सेक्सी रेड कलर की नाइटी ली फिर सेल्सगर्लने कहा सर इनरवियर का भी नया कलेक्शन आया है।

वो मम्मी और सरपंचजी को पति पत्नी समझ रही थी फिर सरपंचजीने सेल्सगर्ल को दिखाने को कहा सरपंचजी और मम्मी ब्रा और पैंटी देखने लगे। फिर सरपंचजी ने मम्मी के लिये एक ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी चूस की और कहने लगे कि ये तुमपर बहोत अच्छा लगेगा इसमे तुम और भी हसीन लगोगी रज्जो डार्लिंग ये सुनकर मम्मी शरमा रही थी क्योंकि सरपंचजी मेरे सामने ये सब बाते कर रहे थे।

फिर हम लोगोंने बाहर ही डिनर कर लिया और रात को घर आ गये फिर सरपंचजी नाटक करते हुये कहने लगे “अच्छा तो चलो मैं निकलता हूं गांव की ओर ”

मम्मी कहने लगी “रुकिये ना इतनी रात को कहां जायेंगे ? आज रात यही रुक जाइये”

तो सरपंचजी ने मेरी ओर देखकर कहा “नही जाता हूं । खामखा आप लोगो को तकलीफ?”

मम्मी ने कहा “कोई तकलीफ वकलिफ़ नही। आप आज रुक जाइये कल सुबह जाइयेगा। है ना मनीष??”

तो मैंने भी कहा “हां सरपंचजी रुक जाइये आज यहां। आपने हमारी गाव में कितनी अच्छी मेहमाननवाजी की आज मम्मी को भी आपकी मेहमाननवाजी करने दीजिये” ये सुनकर दोनों हसने लगे और सरपंचजी ने कहा ठीक है आप दोनों इतना कह रहे हो तो रुक जाता हूं।

फिर हम तीनों टीवी देख रहे थे सरपंचजी और मम्मी पास में सोफे पर बैठे थे सरपंचजी का मम्मी के बदन पर इधर उधर हाथ मारना चालु ही था।

फिर मैंने नाटक करते हुऐ कहा ” मम्मी मुझे नींद आ रही है मैं सोने जा रहा हुं ” और अंदर अपने कमरे में चला गया मैंने देखा मेरे जाने के बाद सरपंचजी मम्मी को चिपक कर बैठे और मम्मी के बूब्स दबा रहे थे मम्मी सरपंचजी के सीने पर हाथ घूमा रही थी।

फिर सरपंचजी ने कहा “अब रहा नही जाता रज्जो डार्लिंग जल्दी से आ जाओ दूसरे कमरे में मनीष को सुलाकर। मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। ”

ये कहकर सरपंचजी पापा के बेडरूम में गये। फिर मम्मी मेरे पास आकर लेट गयी और चेक कर रही थी मैं सोया हूं या नही मैं सोने का नाटक कर रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा मेरे बेडरूम का दरवाजा आवाज किया मम्मी बाहर गयी थी और दरवाजा बाहर से बंद कर लिया ।

अब आगे क्या होता है ये जानने के लिये अगला पार्ट पढिये अगर कहानी अच्छी लगे तो like कीजिये कमेंट कीजिये और फीडबैक देने के लिये mail या hangout पर मेसेज कीजिये

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