This story is part of the Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan series
राज भी कुमुद को देखता ही रहा। कुमुद का सारा बदन एक सूरज की पहली किरण की तरह चमक रहा था। बड़ी मुश्किल से कुमुद के स्तनों पर से अपनी नजर हटा कर राज ने कमल के पैर छुए।
कमल ने राज को गले लगाया और रानी के बारे में पूछने लगा।
राज ने कहा की वह तो कभी से उन दोनों का इंतजार कर रही थी। कमल के बाल बिखरे हुए थे और दाढ़ी थोड़ी बढ़ी हुई थी पर शायद इसी वजह से वह हैंडसम और मरदाना लग रहा था। राज ने एक सूटकेस और एक बैग उठाया और सब पार्किंग के लिए चल दिए।
घर पहुँचते ही दरवाजे पर राज की बीबी रानी बड़ी ही सुन्दर साडी में सजधज कर तैयार खड़ी थी। रानी के भरे हुए स्तन और उस के कूल्हे एकदम लुभावने दिख रहे थे।
कमल का मन तो उन्हें अपने हाथों से मसलने और दबाने को मचल रहा था। पर वक्त की नजाकत देख कर उसने अपने आपको नियत्रण में रखा।
कमल को देखते ही रानी कमल के पांव छूने के लिए झुकी पर कमल ने जल्दी ही उसको अपनी बाहों में उठा लिया और कस के आलिंगन किया।
राज और कुमुद ने अपने ही जीवन साथी: कमल और रानी को इतना गाढ़ आलिंगन करते देखा और एक दूसरे से नजरें मिलाकर एक दूसरे के मन के विचार पढ़ ने की कोशिश करते रहे।
रानी ने कमल और कुमुद के लिए दूसरा बेड रूम सजा रखा था, जिसमें उनका सामान रख दिया गया।
दिन में कमल और कुमुद ने आराम किया। शाम को गरबा में जाने का प्रोग्राम तय था। जब राज अपने दफ्तर से लौटा तो उसने कहा की सबको गरबा में जाना है।
कमल गरबा में जाने के लिए बड़ा ही उत्सुक था, परन्तु उसकी बीबी कुमुद को गरबा में जाने में कोई रूचि नहीं थी। वह अहमदाबाद के रिवर फ्रंट पर जाना चाहती थी।
उसने सुना था की रात को साबरमती का किनारा अद्भुत नजारा पेश करता है और वह उसे देखना चाहती थी। राज की बीबी रानी गरबा करने लिए पागल थी। रानी ने तो गरबा में जाने के लिए सब के लिए बड़े आकर्षक ड्रेस भी बनवा रखे थे।
पर चूँकि कमल की पत्नी कुमुद गरबा में जाना नहीं चाहती थी, इसलिए राज ने कहा की उसे भी गरबा में जाने में ख़ास दिलचस्पी नहीं थी और वह कुमुद के साथ घूमने जाएगा।
आखिर यह तय हुआ की राज की बीबी रानी, कुमुद के पति कमल के साथ गरबा में जायेगी और रानी का पति राज कमल की बीबी कुमुद को लेकर रिवर फ्रंट जाएगा और दोनों कहीं न कहीं कुछ खा लेंगे।
इस तरह दोनों पति एक दूसरे की पत्नी के साथ अलग अलग जाने को राजी हो गए। जब रानी ने कुमुद से पूछा की वह कब तक बाहर घूमेंगे तब कुमुद ने कहा, “हम लोग करीब ११ बजे तक वापस आ जायेंगे।”
राज की पत्नी रानी ने बड़े चाव से गरबा के लिए ड्रेस की चार जोड़ी: दो औरत (रानी और कुमुद) के लिए और दो मर्दों (राज और कमल) के लिए नाप लेकर बनवायी थी।
रानी और कुमुद के लिए चणिया चोली और मर्दों के लिए छोटा कुर्ता और काठीयावाड़ी निचे से टाईट और ऊपर से ढीला ऐसा पजामा। जब रानी ने चणिया चोली पहनी तो दोनों मर्दों के जबड़े खुले के खुले ही रह गए।
चोली इतनी सेक्सी थी की रानी के फुले हुए मस्त स्तन थोड़े ऊपर से और थोड़े निचे से बाहर निकल रहे थे। अगर उस चोली को थोड़ा सा ऊपर या निचे की और खींचा जाए तो रानी के स्तन पुरे नंगे ही हो जाएँ।
कमल तो रानी के बदन को देखता ही रह गया। उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी।
रानी का घाघरा भी शरीर से चिपका हुआ रानी की मस्त जाँघें और उसकी सुआकार गाँड़ को भली भाँती उजागर कर रहा था। रानी ने घाघरे का नाडा कमर से इतना निचे कसा था की न सिर्फ उसकी नाभि लुभावनी नंगी दिख रही थी, बल्कि रानी के पेट का उभर भी दिखता था।
अगर नाडा थोड़ा निचे की तरफ खिसकाया जाये तो रानी की चूत के ऊपर के बाल भी नजर आने लगें।
रानी की नाभि, पेट और स्तन के निचे के हिस्से इतना सेक्सी नजारा दे रहे थे, की कमल और राज दोनों की आँखें रानी के बदन को ऐसी ताक रहीं थीं, जैसे वह रानी को वहीँ के वहीँ चोदने को तैयार हों।
रानी ने कमल को तीखी नजर से देखा, तो कमल ने बड़ी मुश्किल से अपनी नजर रानी के बदन से हटाई। राज ने यह सब देखा पर कुछ ना बोला।
राज और कुमुद तैयार होकर घर से निकले। कुमुद ने जीन्स और ऊपर एक लूज़ टॉप पहन रखा था। राज ने एक ऑटोरिक्षा बुलाया और कुमुद के साथ बैठ कर साबरमती के किनारे जाने के लिए निकल पड़े।
वहाँ पहुँचने पर नज़ारे की सुंदरता देख कुमुद स्तब्ध रह गयी। हमारे देश में इतना खूबसूरत नजारा कम ही देखने को मिलता है। दोनों एक बेंच पर बैठे और नदी को जोश से बहते हुए देखने लगे।
राज ने धीरे से कुमुद के हाथ पर अपना हाथ रखा। कुमुद मुड़कर राज की और थोड़ी देर तक देखती रही, पर कुछ बोली नहीं। अपने हाथ के उपर से राज का हाथ देखा पर उसे हटाया नहीं।
राज ने धीरे से पूछा “कुमुद आप इतने गंभीर क्यों हो? जब से आप आये हो तब से मैं देख रहा हूँ की आप कुछ बेचैन से हो। अगर आप मुझे अपना समझते हो तो आपके मन में जो भी बात हो आप मुझसे बेझिझक बात कर सकते हो।”
राज की इतनी प्रेम भरी और मीठी बात सुन कर कुमुद की आँखें भर आयी। राज ने कुमुद के कंधे पर हाथ रखा और धीरे धीरे वह कुमुद की पीठ को सांत्वना देते हुए सहलाने लगा।
कुमुद की आँखों में से अचानक अश्रुओं की धारा बहने लगी। उस ने राज के कन्धों पर अपना सर रख दिया और धीमी सी आवाज में सिसक कर रोने लगी।
राज ने कमल की बीबी को अपनी बाहों में ले लिया और बिना कुछ बोले कुमुद की पीठ को सहलाता रहा और उसे सांत्वना देने का प्रयास करता रहा।
कुछ देर बाद जब कुमुद थोड़ी शांत हुई, तब उसने कहा, “राज मैं बड़ी उलझन में हूँ। बात कुछ ज्यादा ही नाजुक है और पता नहीं मुझे तुमसे यह बात करनी चाहिए या नहीं।”
राज ने कहा, “कुमुद अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम बड़े इत्मीनान से मुझे अपना निजी मित्र मान कर मुझसे खुले दिल से बात कर सकती हो। तुम मेरे बड़े भाई की पत्नी हो और इस रिश्ते से तुम मेरी बड़ी भाभी हो। पर मैं तुम्हें बड़ी भाभी नहीं मेरी ख़ास करीबी दोस्त या यूँ कहो की मैं तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड मानता हूँ, और यह बात मैंने छाती ठोक कर कमल भैया से भी कही है। तुम्हें तो कोई एतराज नहीं है न?”
राज की बात सुन कर कुमुद रोते रोते ही बरबस हंस पड़ी और बोली, “राज तुम तो बातों बातों में काफी आगे बढ़ गए! तुमने तो मुझे बगैर पूछे अपनी गर्ल फ्रेंड बना डाला। खैर, जब तुम्हारे भैया को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्यों एतराज होगा? लड़की तो मैं हूँ ही और फिर तुम्हारी फ्रेंड भी तो हूँ। मेरी समझ में यह नहीं आता था की मेरे मन की बात मैं किस से करूँ? मैं तुम्हें अपना मानती हूँ और एक राज ही है जिसे मैं अपने मन के राज़ बता सकती हूँ। मैं खुले दिल से आज मेरे मन की उलझन तुम्हें बताना चाहती हूँ। यह बात कमल, मेरे और एक दूसरी स्त्री के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।“
राज ने धीरे से कहा, “ओह! तो यह बात है! कुमुद शायद तुम जो कहने जा रही हो वह बात जातीय संबंधों और सेक्स को लेकर है। अगर ऐसा है तो फिर हम दोनों के बिच में जो औपचारिकता की दिवार है वह ख़तम होनी चाहिए। क्यूंकि अगर तुम मुझे आप कहके बुलाओगी या फिर हम दोनों के बिच में खुल्लम खुल्ला बात नहीं होगी, तो ना तुम मुझे ठीक से बता पाओगी और ना मैं ठीक से समझ पाउँगा। इस लिए क्या हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकते?”
कुमुद ने मुड़कर राज की और देखा और राज का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, “ठीक बात है राज। जब हम इतने करीब आ ही गए हैं तो बेहतर है की अपने मन की बात स्पष्ट रूप से कहें। और हाँ, बात सेक्स के बारे में ही है।”
राज ने कुमुद का हाथ अपने हाथों में दबाते हुए, कमल का रानी के साथ आजमाया हुआ पेंच कुमुद के साथ आजमाया और कहा, “जब बात सेक्स की ही है तो फिर हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए और जो बात हो वह खुल्लम खुल्ला स्पष्ट रूप में बोलनी चाहिए। तो फिर क्या इसके लिए तुम्हे सभ्य शब्दों का ही प्रयोग करना जरुरी है? मैं चाहूँगा की तुम मुझसे स्पष्ट बात करो। सेक्स या फिर साथ में सोना की जगह कहो चोदना, पुरुष लिंग की जगह बोलो लण्ड. स्त्री लिंग की जगह बोलो चूत। तब तो बात में कोई असमंजस नहीं रहेगा। क्यों की अगर ऐसे शब्द बोलने में तुम्हें हीचकीचाहट है तो फिर हम खुल्लम खुला बात कैसे कर सकते हैं? मैं कुछ गलत तो नहीं कह रहा?”
राज की बात सुनकर कुमुद एकदम चुप हो गयी और राज की और एक अजीबो गरीब नजर से देखने लगी। शायद कुमुद को राज की बात सुनकर एक झटका सा लगा।
राज मन ही मन अफ़सोस करने लगा। वह डर गया की उसकी बात सुनकर कमल की पत्नी जो इतनी रूढ़िवादी थी कहीं उठकर उसे तमाचा ही ना मार दे।
उसे लगा की उसने यह अश्लील माने जाने वाले शब्द बोलकर भयंकर भूल कर दी थी। कुमुद के चेहरे का रंग जैसे उड़ सा गया।
थोड़ी देर के लिए उसने राज की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। शायद कुमुद कोई गंभीर सोच में डूब गयी।
पर थोड़ी देर बाद कुछ हिचकिचाते हुए कुमुद थोड़ी मुस्कुराई और बड़ी ही दबी सी आवाज में बोली, “नहीं राज, तुमने ठीक ही कहा है। मैं और कमल, हम पति पत्नी जब सेक्स के बारे में बात करते हैं तो थोड़े ही सभ्य शब्दों का प्रयोग करते हैं? कमल तो खुल्लम खुल्ला ही नंगे शब्दों का ही उपयोग करता है और मुझसे भी वही शब्द बुलवाता है। पर पता नहीं तुम्हारे साथ ऐसे शब्द मैं बोल पाऊँगी या नहीं। पर हाँ कोशिश जरूर करुँगी। तो सुनो। यह बात कहते हुए मुझे डर हैं की कहीं तुम्हारा दिल टूट न जाए। पर खैर अब बात तो करनी ही पड़ेगी। तुम्हारा प्रिय दोस्त, यानी मेरा पति कमल जब मुझ से सेक्स करता है, सॉरी, मुझे चोदता है तो वह हकीकत में तुम्हारी बीबी यानी रानी के सपने देखता है। अपने मन में वह सोचता है की वह मुझसे नहीं रानी से सेक्स, सॉरी मुझ को नहीं रानी को चोद रहा है। यह मुझे तब पता चला जब वह मुझे चोदते एक बार अनजाने में ही ‘रानी डार्लिंग तुम्हारी चूत बड़ी गरम है।’ ऐसे ही कुछ बोलने लगा। मैं सोचती हूँ की कहीं ऐसा तो नहीं की मेरे पति और तुम्हारी बीबी के बिच में अवैध सम्बन्ध हों और हमें पता भी ना चले?”
कुमुद की बात सुनकर राज ने चैन की सांस ली। जरूर वह एक कदम आगे बढ़ चुका था और अब उसे कमल की चाणक्य निति की सफलता का पक्का विश्वास हो गया। जाने अनजाने कुमुद भी दोनों पुरुषों की जाल में फंस ने वाली लग रही थी।