This story is part of the Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan series
राज के साथ रानी अपने कपडे बदल कर सफ़ेद नाइट गाउन पहन कर आ रही थी। रानी का गाउन महिम कॉटन का था।
शायद राज ने भी रानी को अन्तर्वस्त्र (यानी पेंटी और ब्रा) पहनने से रोका था जिसके कारण हवा का एक झोंका और पीछे से आती प्रकाश की किरणें रानी के गाउन में से उसके कमसिन नंगे बदन की आकृति की साफ़ साफ़ झांकी दे रही थीं।
दोनों टांगो को एक दूसरे से दबाती हुई चलती रानी दो सुआकार जाँघों के बिच सिकुड़ी हुई अपनी खूबसूरत चूत को दूसरों की नजरों से छुपाने का नाकाम प्रयास कर रही थी।
बड़ी ही सहमी सहमी धीरी चाल से चलती हुई, रानी सफ़ेद परी के सामान दिख रही थी। रानी की चाल से थिरकते हुए उसके उन्नत उरोज और मटकती हुई उस की गाँड़ देखते ही बनती थी।
कुमुद ने देखा की बड़ी मुश्किल से उसके पति कमल ने अपनी नजर रानी के कमसिन बदन से हटाई।
कुमुद ने सोचा बेचारे उसके पति का क्या दोष? ऐसी खूबसूरत और सेक्सी स्त्री को देखकर कुमुद का खुद का मन भी तो रानी को बाहों में लेने को मचल रहा था।
कमल और कुमुद के पहुँचते ही राज ने कहा, “भैया, आज हम चारों मिलकर खुल्लम खुल्ला बाते करते हैं और सारी समस्यायों का समाधान करते हैं। इसलिए मेरा सुझाव है की आज की रात एक साथ गुजारेंगे। बल्कि हम दूसरा एक पलंग ले आते हैं और दोनों पलंग एक साथ कर देते हैं। फिर पूरी रात सोते रहेंगे, बाते करते रहेंगे। बोलो भैया ठीक है?”
कमल ने कहा, “राज दूसरे पलंग की क्या जरुरत है? हम चारों तो एक ही पलंग में भी समा सकते हैं।”
कुमुद और रानी एक दूसरे को चुपचाप देखते ही रहे। राज ने कमल को इशारा किया और कमल और राज दोनों ने मिलकर दूसरे बैडरूम में से एक पलंग उठाया और उसे लाकर राज और रानी के पलंग के साथ जोड़ दिया।
पलँगो के जुड़ते ही, राज ने जैसे सुहाग रात में पति पत्नी को अपनी शैय्या पर ले जाता है, ऐसे ही अपनी पत्नी रानी को बाहों में उठाकर अपने पलंग पर कोने में ले जा बैठा और रानी को अपनी गोद में बिठा दिया।
कुमुद सेहमी सी एक कोने में खड़ी बिना बोले दोनों मर्दों की करतूतें देख रही थी। कमल मूड़ा और अपनी पत्नी कुमुद को भी अपनी बाहों में ऊपर उठा कर दूसरे पलंग के पास जा पहुंचा।
जब राज और रानी ने कमल को अपनी पत्नी कुमुद को अपनी बाहों में उठाकर लाते हुए देखा तो राज बोल पड़ा, “आज कुमुद भाभी की खैर नहीं। लगता है कमल भैया बड़े मूड में हैं।”
कमल ने अपनी पत्नी कुमुद को धीरे से पलंग पर लिटाते हुए कहा, “देखो राज, सच तो यह है की मैं मेरी प्यारी कुमुद के बिना कई दिनों से अलग रहा। आज तुम्हारे कारण मुझे मेरी प्यारी के साथ सोने का मौक़ा मिला है तो मैं उसे खोना नहीं चाहता।”
कमल अपनी बात खतम करे उससे पहले ही राज बोल पड़ा, “सोने का मौक़ा या फिर कुछ और करने का मौक़ा? भैया साफ़ साफ़ क्यों नहीं बोलते?”
तो कमल राज की और खिसियानी नजर से देख कर बोला, “हाँ भाई। मैं जानता हूँ तू क्या कहना चाहता है। अब हमें खुल्लम खुल्ला शब्दों में बात करनी है, तू यही कहना चाहता है ना? तेरी बात भी ठीक है। चल तो मैं कह ही देता हूँ की आज मैं मेरी बीबी को चोदने का मौक़ा खोना नहीं चाहता। बस? अब तो खुश?”
कमल की बात सुन कर रानी और कुमुद एक दूसरे को देखने लगे। कुछ दिन पहले तक अपने पति को छोड़ कभी भी रानी ने ऐसे शब्द और किसी से नहीं सुने थे।
हाँ, यह सही था की रानी कमल से ‘चोदना’ शब्द पहले सुन चुकी थी पर वह उन दोनों के बिच की टेलीफोन पर हुई एक निजी बात थी। पर अब तो कमल सबके सामने खुल्लम खुल्ला “चोदना” शब्द का प्रयोग कर रहा था।
कमल से सब के सामने “चोदना” शब्द सुन कर शर्म के मारे रानी के गाल लाल होगये।
कुमुद ने अपने पति के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, “यह क्या बक रहे हो? चुप करो। अरे तुम लोग शर्म करो। देखो मेरी छोटी बहन रानी कितना शर्मा रही है? वैसे अब सोने का टाइम भी हो गया है। चलो बत्ती बुझा लो और सब सो जाओ।”
राज ने कहा, “कुमुद सोने की इतनी जल्दी क्यों है? अभी तो रात जवान है। हमें बहुत बातें करनी है।”
कुमुद: “बातें करने के लिए कौन मना कर रहा है? पर भाई आप लोग थोड़ी सी शर्म भी तो रखो। यहां देखो मेरी बहन रानी के गाल शर्म के मारे कैसे लाल हो रहे हैं?”
सब ने रानी की और देखा की वाकई रानी शर्म के मारे तारतार हो रही थी की अपने पति के सामने यह सब खुल्लम खुल्ला सब कुछ बोल रहे थे।
राज रानी की छाती पर हाथ रख कर उसके स्तनों को हलके से गाउन के उपरसे ही मसलने लगा, तो कुमुद ने पलंग के एक कोने में पड़ी चद्दर उठाकर रानी और राज को ढकते हुए कहा, “राज मैं कह रही हूँ और तुम सुन नहीं रहे हो। ज़रा शर्म तो करो।“
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राज ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे भाई, अब हमने सब की सहमति से तय किया है की हम एक दूसरे से कतई पर्दा नहीं रखेंगे। ना बोलने में, ना कुछ करने में तो फिर शर्म काहे? और जहां तक रानी का सवाल है तो भाई बड़ी बहन नहीं बचेगी तो छोटी बहन थोड़े ही छूटने वाली है? जब भैया भाभी लग पड़ेंगे तो मैं क्या मेरी बीबी को ऐसे ही छोड़ दूंगा?”
रानी शर्म के मारे अपने बदन पर चद्दर ओढ़कर अपनी नजर जमीन पर गाड़े चुप बैठ कर सब की बातें सुन रही थी।
कमल ने कुमुद को अपनी बाँहों में लेकर कुमुद के होठों पर अपने होंठ रख कर एक जोशीली फ्रेंच किस करने लगा, तो कुमुद ने अपने पति को रोकते हुए कहा, “अरे यह क्या? तुम तो आते ही शुरू हो गए! ज़रा रुको तो! कमल, चुप रहो। मेरी बात तो सुनो। थोड़ी धीरज रखो। धीरज का फल मीठा होता है।”
पर कमल कहाँ सुनने वाला था। उसने कहा, “मैंने महीनों तक धीरज ही तो रखी थी। अब तो फल खाने का समय आ गया है। डार्लिंग, अब मैं सिर्फ बातों से मानने वाला नहीं हूँ। तुम मुझे काफी समय के बाद मिली हो। भाई आज की रात मेरे लिए कोई सुहाग रात से कम नहीं है। आज रात मुझे कोई मत रोकना।”
कुमुद ने कहा, “तुम्हें कोई नहीं रोकेगा। वैसे भी तुम हम से रुकने वाले कहाँ हो?”
रानी से यह सब सुन कर रहा नहीं गया और वह बोल उठी, “मैं आप सब से छोटी हूँ। अगर आप सब इजाजत दें तो मेरा एक सवाल है।” सब चुप हो कर रानी की और आश्चर्य से देखने लगे और अपना सर हिला कर सम्मति दी।
रानी ने कहा, “मैं मानती हूँ की हमें एक दूसरे से चीटिंग यानी धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, पर हम भारतीय नारियाँ ऐसे संस्कार में पली हैं की आसानी से अपने बदन का प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकतीं। हमें शर्म आती है। हम अपने पति के साथ भी एकदम बिंदास होकर सेक्स नहीं कर सकतीं, कपडे नहीं उतार सकतीं, तो दूसरों के सामने की तो बात ही क्या? मेरी आप लोगों से बिनती है की हमारी मज़बूरी को भी समझियेगा। आप लोगों को हमें कुछ तो ढील देनी चाहिए।”
सब भौंचक्के हो कर एक दूसरे को देखते रहे। तब राज ने कहा, “रानी ठीक कहती है। देखिये, मैं एक बात मानता हूँ। हम सब कभी कभी थोड़ा झूठ बोल लेते हैं। हम सब कभी कभी थोड़ी सी बेईमानी भी तो करते ही हैं। जब हम स्कूल में गुल्ली मारते थे तब, घर में पिक्चर देखने या गर्ल फ्रेंड से मिलने जाना होता था तब, ताश खेलते हुए, बच्चे थे तब एडल्ट फिल्म देखने के लिए माँ बाप से , कोई ख़ास काम हो तो ऑफिस में भी झूठ बोलते थे और बोलते है। तो अगर कभी कभी हम सेक्स में भी थोड़ा झूठ बोलें तो हमें बुरा नहीं मानना चाहिए। बल्कि थोड़ी चोरी हो तो सेक्स में कुछ ज्यादा ही रोमांच आता है। हम पति पत्नी कभी थोड़ा सा भटक जाएँ या फिर थोडासा फिसल जाएँ तो हमें बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। ‘थोड़ी सी बेवफाई’ तो चलती है यार। हम अगर एक दूसरे से छिपकर थोड़ा इधर उधर कुछ कर लेते हैं, एक दूसरे की बीबी से चोरी छुपी से थोड़ी ज्यादा छूट भी ले लेते हैं, तो जानते हुए भी अनजान बनने में कोई बुराई नहीं है। इसका मजा लेना चाहिए। इतना विश्वास तो हमें अपने पति या पत्नी पर रखना होगा और इतनी छूट तो हमें एक दूसरे को देनी होगी। आज कल यह सब चलता है।”
सब राज की बात को ध्यान से सुन रहे थे। राज ने कहा, “पर हाँ, हमारी वचन बद्धता हमारे पति या पत्नी में ही होनी चाहिए। अगर हमने ‘थोड़ी सी बेवफाई’ कर ली तो क्या हो गया? हमारे पति या पत्नी हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा होना चाहिए, क्यूंकि हमारे भाई बहन, माँ बाप, बच्चे सब इसी सम्बन्ध पर टिके हुए हैं। इस लिए यह इमारत को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।”
कुमुद बोल पड़ी, “राज हमें सब कुछ खुल्लम खुल्ला बोलने की जरुरत नहीं है। पर अगर हम प्यार से खुल्लम खुल्ला बोलते हैं तो कोई हर्ज भी नहीं है। हमें जो कुछ करना है, वह खुल्लम खुल्ला करें या फिर थोड़ा छुपा कर, हमें एक दूसरे की नाजुकता और संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए। हम सब अलग अलग व्यक्तित्व रखते हैं तो स्वाभाविक है की हम सब अलग अलग तरीके से बात करेंगे, सेक्स भी अलग अलग तरीके से करेंगे। वाकई मझा तो उसी में है। थोड़ी सी बेवफाई में भी तो मज़ा आता है। याद करो, हम सब ने स्कूल या कॉलेज में किसी लड़के या लड़की से चोरी छुपके मिलना, सब की नज़रों से बच कर किस करना, नजर चुरा के चूँचियों को दबाना, मौक़ा मिलने पर कोई कोने में दो पैरों के बिच में उंगली डाल देना और कभी कभी तो और भी आगे बढ़कर सेक्स भी कर लेना, कुछ न कुछ तो किया था न? कितना मजा आता था न? पर क्या हुआ? अब हम पति पत्नी बन कर अपना अपना धर्म तो निभा रहे है न? तो चोरी छुपी हो या खुल्लम खुल्ला; जो करना है, जैसे करना है, करें; पर सोच समझ कर करें।”
कमल ने कहा, “भाई मैं भी तो यही कह रहा हूँ। विशेषता में ही एकता है। हम सब विशेषता चाहते हैं, विविधता चाहते हैं, नयी नयी चीझें आजमाना चाहते हैं। तो चलो चाहे छुप कर या फिर खुल्लम खुल्ला, चलो हम आज प्यार की नयी रीत अपनाते हैं।”
कमल की बात सुन कर रानी ने चौँक कर पूछा, “क्या मतलब है तुम्हारा कमल?”
कमल ने कहा, “बूझो तो जानूं। बस इतना कहना ही काफी है।”
तब कुमुद ने कहा, “बस बहुत हो गया। अब और कोई सीरियस बात नहीं करनीं। चलो हम कोई खेल खेलते हैं।” खेल का नाम सुनकर रानी की आँखें चमक उठीं। वह एकदम बैठ गयी और उत्सुकता से सुनने लगी की कुमुद कौनसा खेल खेलने के लिए कह रही थीं। वह समझ गयी की जो भी खेल होगा, कुछ न कुछ नया रंग लाएगा जरूर।
कमल ने कहा, “खेल क्यों? क्या खेल खेलेंगे?”
राज ने कहा, “हम एक दूसरे को हिंदी पिक्चर के बारे में एक सवाल पूछेंगे। सवाल सरल होना चाहिए। जो जवाब दे देगा वह पास। फिर सवाल पूछने की बारी उसीकी होगी। अगर जवाब नहीं दे पाया तो फिर पूछने वाला जो सजा देगा उसे मानी पड़ेगी। बोलो मंजूर है?”
कुमुद ने आँखें नचाते हुए कहा, “मंजूर है। मगर सजा ऐसी ना हो की हम कर ना पाएं। ठीक है?
राज ने कहा, “ठीक है।” राज ने कमल, रानी और कुमुद की और देखा। सब ने मुंडी हिला कर हामी भरी।
राज ने कहा, “सबसे पहले मैं कमल भैया से पूछूंगा की शोले पिक्चर की हेरोइन का नाम क्या था?”
कमल ने कहा, “रे यह तो सब को मालूम है। हीरोइन थी हेमामालिनी।”
राज ने कहा, “अब सवाल पूछने की बारी कमल की हुई। ”
कमल ने रानी से पूछा, “बताओ, शोले पिक्चर में संगीत किसने दिया था?”
रानी सोचने लगी। उसे नहीं पता था। उसने कहा, “मुझे नहीं मालूम। ”
सब ने तालियां बजायीं और कमल ने कहा, “संगीत एस डी बर्मन का था। रानी अब तुम्हें सजा मिलेगी। जाओ राज की गोद मैं बैठकर उसे करारा चुम्बन दो।”
रानी उलझन में देखती रही की राज ने रानी को अपनी बाहों में जकड लिया और बोला, “चलो भाई अब मैं ही तुम्हारा काम पूरा कर देता हूँ।” और राज और रानी एक दूसरे के बाहुपाश में बंध गए और होँठों से होँठ मिलाकर एक दूसरे को प्रगाढ़ चुम्बन करने में जुट गए।