संदीप के झाड़ते ही मैंने चैन की सांस भी पूरी नहीं ली थी कि कुछ ही सेकंड में अब रौनक मेरी दोनों टांगो को चौड़ा कर बीच में आकर बैठ गया। मैं भी चाहती थी कि दो लोग करेंगे तो बच्चा होने की सम्भावना बढ़ जाएगी परन्तु थोड़ा ब्रेक तो मुझे भी चाहिए था।
उसने मेरा साइड में पड़ा गाउन उठाया और मेरी योनी पर लगा पानी साफ़ करने लगा जो संदीप छोड़ कर गया था। अब उसने अपना लंड पकड़ कर मेरे छेद में डालना शुरू किया।
थोड़ी देर पहले उसका मुँह में लेने से ही मुझे उसकी मोटाई का अंदाजा था। मुँह में बड़ी मुश्किल से समां रहा था तो नीचे के छोटे छेद में कैसे जायेगा ये सोच मैं घबरा गयी।
वैसा ही हुआ, दो इंच भी अंदर नहीं गया और अटक गया, मेरी तो हालत खराब हो गयी इतने में ही। उसने थोड़ा जोर लगाने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ, उल्टा मुझे दर्द हुआ और थोड़ी चीख निकल गयी।
संदीप ने पीछे से उसको बोला कि सारा लुब्रीकेंट तो तूने साफ़ कर दिया अब सूखे में कैसे जाएगा, पहले गीला कर।
उसने अपना लंड पूरा बाहर खींच लिया। मैंने चैन की सांस ली। अब उसने झुक कर अपने होठ मेरे योनी के होठों पर लगा दिए। थोड़ी देर चूमने के बाद अपनी जबान ऊपर से नीचे रगड़ने लगा चूत की दरार पर।
ऐसे ही वो अपनी खुरदरी गीली जुबान दरार में फेराता रहा तो मुझे मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में उसने अपनी जबान रोल की और अंदर छेद में डाल कर जीभ लपलपाने लगा। मेरी तो झुरझुरी छूट गयी। अंदर एक करंट दौड़ गया।
कुछ मिनटों तक ऐसे ही मुझे वो करंट लगाता रहा फिर सीधा बैठ गया। मेरे अंदर अच्छा खासा गीला हो गया था। थोड़ी देर पहले ही छूटी थी और अब उसने फिर मेरा मूड बना दिए था। अब उसने अपना लंड धीरे धीरे प्यार से अंदर घुसाना शुरू किया।
उसकी मोटाई इतनी ज्यादा थी कि मेरा छोटा छेद उसको सहन नहीं कर पा रहा। मुझे बहुत दर्द हुआ, ऐसे मोटे लंड का ये पहला अनुभव था।
मेरी जागरण वाली कहानी में मोहित के लंड से भी ये थोड़ा मोटा था। मुझे डर लगा कही मेरी चूत फट ही ना जाए।
अगले कुछ सेकंड में उसका लगभग 6 इंच से भी लम्बा रहा होगा लंड मेरे अंदर था। हालांकि वो बहुत प्यार से अंदर डाल रहा था पर मैं तो दर्द से एक बार फ़िर चीख रही थी। अब रौनक ने अपना लंड वैसे ही धीरे धीरे करते पूरा बाहर निकाल लिया।
बाहर निकालते ही एक बार फिर पहले की तरह पूरा अंदर घुसा दिया। ऐसे 8 -10 बार रौनक ने ऐसे पूरा बाहर और फिर पूरा अंदर डाला। पता नहीं कैसा खेल खेल रहा था वो।
पति क्लोसेट के पीछे छिपे थे, कही मेरा दर्द देख कर बाहर ना जाये। सारा भांडा फुट जायेगा ऐसे तो। पर सब देख सुन कर भी वो सहन करते रहे अंदर से।
अब रौनक मेरे पास आकर लेट गया। मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगा, उधर से संदीप ने मेरी टाँगे और कमर उठा कर मुझे धकेलते हुए रौनक पर सुला दिया। नीचे रौनक था और उसके ऊपर पीठ के बल मैं लेटी थी।
रौनक ने अपना हाथ नीचे ले जा कर अपना लंड एक बार फिर मेरे अंदर डालना शुरू किया। उसके पुरा अंदर जाने के बाद उसने अंदर बाहर धीरे धीरे झटका मारना शरू कर दिया।
संदीप मेरे पास आकर बैठ गया और मेरी नाभी और उसके आस पास चूमने लगा। मेरा बदन वहां से थर थर कापने लगा। संदीप ने अब अपनी एक ऊँगली मेरी चूत के थोड़ा ऊपर रख मलने लगा।
उधर रौनक लगातार झटके मार रहा था जबकि संदीप लगातार मेरे पेट पर चूमते हुए मेरी उत्तेजना बढ़ा रहा था। मुझे मजा तो बहुत आ रह था पर जल्दी से ये सब ख़त्म करना था क्यों कि दर्द सहन नहीं हो रहा था।
अब धीरे धीरे रौनक ने झटको की रफ़्तार बढ़ा दी, तब संदीप ने पेट चूमना बंद किया और मेरे वक्षो को मसलने लगा। एक हाथ से वक्ष तो दूसरे हाथ की ऊँगली से मेरी चूत के ऊपर की तरफ मालिश कर रहा था।
रौनक बहुत देर तक करता रहा पर उसक तो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था जबकि मेरा तो अच्छा ख़ासा पानी छूटने लगा था। इससे पहले कि मैं दोबारा छूट जाती रौनक ने लंड बाहर निकाल दिया। मुझे पता था कि उसका अभी हुआ नहीं हैं।
रौनक ने मुझे अपने ऊपर से उतार कर उल्टी लेटा दिया और मेरे दोनों पाँव पकड़ कर बिस्तर से नीचे लटका दिए जब की कमर के ऊपर का हिस्सा पलंग पर था। उसने मेरी एक टांग पकड़ कर शरीर टेढ़ा किया और एक टांग ऊपर 90 डिग्री पर खड़ी कर दी जब की दूसरी टांग नीचे जमीन पर।
मैंने अब टेडी होकर लेटी थी। मेरी दोनों टाँगे विपरीत दिशा में थी जिससे छेद पूरा खुल गया था। रौनक ने अपना एक पाँव मोड़ कर पलंग के किनारे पर टिकाते हुए अपना लंड मेरे अंदर एक बार फिर घुसा दिया।
उधर संदीप मेरे चेहरे के पास आया और मेरे गालो को दबा कर मुँह खोलते हुए अपना नरम चूसा पड़ा लंड मेरे मुँह में डाल दिया। इधर संदीप मेरे मुँह में नरम छोटा लंड अंदर बाहर कर रहा था तो नीचे के छेद में रौनक अपना मोटा लंड झटके मारते हुए दर्द के साथ आनंद दे रहा था।
नीचे अब मेरे पानी के रिसने के साथ ही रौनक का पानी भी आ मिला था और फचाक फचाक की आवाज़े कमरे में गूंजने लगी। इन सब के दौरान मेरी आँखें लगातार बंद थी और पलकों के नीचे झिर्री से थोड़ा बहुत देख रही थी।
संदीप ने अपना लंड मेरे मुँह में लगाए रखते हुए मेरे वक्षो को दबाना शुरु कर दिया। साथ ही बेरहमी से मेरे निपल दबा रहा था। ऊपर और नीचे दोनों तरफ बराबर दर्द हो रहा था।
रौनक के चरम के नजदीक पहुंचते हुए इतनी जोर के झटके मारे कि मेरी तो जान ही निकल गयी थी। उसके मोटे लंबे लंड में इतना पानी भरा था कि सब मेरे अंदर खाली होने लगा था। फिर उसने एक जोर की हुंकार भरी और उसका किला ढह गया।
रौनक ने काम ख़त्म कर कपडे पहनना शुरू कर दिया था पर संदीप अभी भी अपना नरम लंड मेरे मुँह में फिरा रहा था। रौनक ने उसको भी कपडे पहनने की हिदायत दी। फिर दोनों ने मिलकर मुझे मेरा गाउन फिर से पहना दिया और सीधा लेटा दिया।
संदीप ने बोला चल निकलते हैं, पर रौनक ने कहा बाहर से पानी का गिलास ले कर आ, इनको उठाना तो पड़ेगा। संदीप पानी ले आया और रौनक को दिया। उसने उंगलिया गीली कर हल्का हल्का पानी मरे मुँह पर दो बार छिड़का। मैंने अपनी आँखें मिचमिचाई और फिर बंद कर ली।
संदीप झल्लाया ला मुझे दे और अगले ही सेकंड मेरे मुँह पर बहुत सारा पानी आकर गिरा। उसने तो पूरा गिलास ही मुँह पर उंढेल दिया। थोड़ा पानी नाक में भी चला गया तो मेरी सांस रुक गयी और मैं तुरंत खांसते हुए बैठ गयी। अपना मुंह हाथों से पौंछते हुए उनकी तरफ आश्चर्य से देखा जैसे पहली बार देखा हो।
मैं जिस हड़बड़ाहट से उठी दोनों झेंप गए। तुरंत अपनी सफाई देने लगे कि मैं वहां बाहर नशे में पड़ी थी तो वो लोग मुझे अंदर ले आये और पानी छिड़क कर उठाने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने दोनों को अविश्वास की नजरो से देखा। रौनक ने बोला कि अशोक का फ़ोन आया था आप फ़ोन नहीं उठा नहीं थी तो मुझे देखने के लिए भेजा था। वो बोले अब हम चलते हैं आप आराम करो।
अब नाटक के दूसरे भाग की बारी थी। मैंने अपने हाथ से अपना पेट पकड़ा, बदन में दर्द तो वैसे भी थोड़ा हो ही रहा था तो ओर दर्द के भाव लाते हुए उनसे कहा एक मिनट रुको, तुमने क्या किया यहाँ। वो घबरा गए। हकलाते हुए बोले कुछ नहीं बस आपको लेटाया और पानी छिड़का।
मैं आवाज़ में दर्द लाते हुए उन पर चिल्लाने लगी, मुझे बेवक़ूफ़ मत बनाओ, तुमने मेरे साथ कुछ तो गलत किया हैं। चारो तरफ नज़रे फेराते हुए एक दो जो भी हलकी फुलकी गाली आती थी देते हुए कहा तुम लोगो ने मेरे अंदर कोई तो डंडा या ऐसी कोई चीज़ डाली हैं।
दोनों की सिट्टी पिट्टी घूम हो गयी। मैंने चिल्लाना जारी रखा, सच सच बोलो क्या किया तुम लोगो ने, मैं अभी सबको इकठ्ठा करती हूँ। दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगते हुए बोले डंडा नहीं डाला,, वो हमने,, हमने खुद ही सेक्स किया था आपको ऐसी हालत में देख कर बहक गए थे। पर आप हमको माफ़ कर दो हमारा करियर जस्ट शुरू ही हुआ हैं सब बर्बाद हो जायेगा।
मैंने उनको डराना जारी रखा, तुम लोगो ने मेरी ऐसी वैसी फोटो वीडियो निकाली हैं न, ताकि बाद में मुझे बदनाम कर सको। दोनों गिड़गिड़ाने लगे, फ़ोन मेरी तरफ बढ़ा कर बोले आप हमारा फ़ोन चेक कर लो कुछ नहीं हैं। मैंने दोनों के फ़ोन लिए और चेक करने लगी, हालांकि मुझे पता था की कुछ फोटो वीडियो नहीं लिया हैं।
मैंने फोन लौटाते हुए कहा अकेली देख कर जबरदस्ती कर रहे थे। मेरे पति को पता चल गया तो तुम्हारा खैर नहीं। तुम्हारे खिलाफ केस चलेगा। मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हो तुम दोनों।
दोनों घुटनो के बल बैठ गए, और हाथ जोड़ कर बोले ऐसा कुछ नहीं हैं। हम किसी को कुछ नहीं कहेंगे। हम तो वैसे भी अपने होम टाउन के पास ट्रांसफर लेने वाले हैं। अपना छोटा भाई समझ कर माफ़ कर दो दीदी।
मैंने कहा दीदी बोल के ऐसा काम करते हो। मैं ये कपडे संभल कर रखने वाली हूँ जिसमे तुम्हारा सीमेन लगा हैं, अगर मैं कभी मुसीबत में फंसी तुम्हारी वजह से तो ये सबूत हैं तुमको नहीं छोडूंगी। फिर एक दो गाली देकर कहा दोनों यहाँ से जल्दी से फुट लो और कभी मेरे सामने मत आना।
दोनों फिर दुम दबा कर भाग गए। मैंने बाहर जाकर चेक किया वो जा चुके थे। मैं बैडरूम में आयी और पति को कहा कि बाहर आ जाओ रास्ता साफ़ हैं।
पति बाहर आये और मेरी तारीफ़ करने लगे सब गड़बड़ हो जाती अगर तुम संभालती नहीं तो। हमने सोचा ही नहीं कि दोनों दोस्त आ जायेंगे।
खैर हमने तो एक बार में एक को फंसाने का प्लान किया था पर एक साथ दो मुर्गे फंस गए, हालांकि मेरी हालत बहुत खराब हुई थी। दो तीन दिन तक शरीर में बहुत दर्द रहा। इस तरह हमारी साजिश का दुसरा पड़ाव पूरा हुआ।
मेरी सेक्स कहानी अगर आपको अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट्स में मुझे अवश्य बताइए।