मैं अपने पति अशोक के साथ रहने दूसरे शहर चली गयी। हमारी शादी को 2 साल हो चुके थे और ससुराल वाले और रिश्तेदारों ने दबाव डालना शुरू कर दिया कि बच्चा क्यों नहीं हो रहा। ऐसा नहीं था कि हम दोनों बच्चा नहीं चाहते थे, पर काफी कोशिशों के बाद भी कुछ हो नहीं पा रहा था।
हमने डॉक्टर से चेकअप करवाने का सोचा, उसके पहले हम दोनों ने वादा किया कि कमी दोनों में से किसी के भी निकले हम बाहर किसी को नहीं बताएँगे।
सारे टेस्ट के बाद डॉक्टर ने पति का स्पर्म काउंट कम बताया। पति ने इलाज शुरू करवा दिया और इस तरह एक दो साल और निकल गए। मेरी यह हिन्दी सेक्स कहानी इसी के बारे में है।
इस बीच लोगो ने मुझे ताने मारना शुरू कर दिया कि मैं बाँझ हूँ। मेरा तो जैसे जीना हराम हो गया था, पर वादे के अनुसार मैं किसी को बता नहीं सकती थी कि कमी पति में हैं।
हम दोनों ने बच्चा गोद लेने की भी सोची पर घर वालों से छिपा कर गोद लेना मुमकिन नहीं था। दूसरा विकल्प स्पर्म डोनेशन का था पर डर था कि पता नहीं किसका स्पर्म हो बच्चे की शक्ल या रंग पति से बिलकुल नहीं मिला तो लोगो को शक हो जायेगा। अब मैं तनावग्रस्त रहने लगी।
एक दिन सास ने फ़ोन पर बहुत खरी खोटी सुनाई और मैं रोने लगी। पति से मेरी हालत नहीं देखी गयी। मुझे सांत्वना देकर झिझकते हुए बोले कि मेरे पास एक उपाय हैं। हम किसी और व्यक्ति की मदद लेंगे तुम्हे प्रेग्नेंट करने के लिए।
मेरे मन में भी कुछ समय से ये विचार था पर पति के डर से बोलने की हिम्मत नहीं थी। फिर भी मैंने उनके प्रस्ताव पर ऐसे रिएक्ट किया जैसे कोई आघात लगा हो और मना कर दिया। पति ने यकीन दिलाया कि इस से बढ़िया उपाय नहीं हो सकता तो मैंने हां कर दी।
इस काम के लिए अगर हम किसी जान पहचान वाले को चुनते तो कल को वो हमे ब्लैकमेल कर सकता था या बच्चे पर हक़ जता सकता था। अगर अनजान को चुनते तो हो सकता हैं उसे कोई छीपी बीमारी हो। हमें ऐसा आदमी भी चुनना था जो दिखने में पति से बिलकुल विपरीत ना हो।
अंत में हमने निर्णय लिया कि किसी जान पहचान वाले को चुनेंगे जिसका मेडिकल बैकग्राउंड हमें अच्छे से पता हो। जहा तक ब्लैकमेल की बात हैं तो हमें कुछ ऐसा करना था जिससे उसको कभी ये पता नहीं चले कि होने वाला बच्चा उसका हैं और हमारा मकसद क्या हैं। वो भविष्य में मुझे मजबूर ना करे इसके लिए हमें कोई ऐसा जाल बुनना था कि सेक्स करने के बाद उसके मन में एक अपराधबोध रहे जिसकी वजह से वो इसका जिक्र किसी से न करे और इस काण्ड को भूल जाये।
हमने हमारी साजिश की रुपरेखा बना ली थी बस एक बकरे की तलाश थी। कुछ दिनों बाद मेरे पति शाम को घर पर बहुत ख़ुशी ख़ुशी लौटे और मुझे बताया की शिकार का इंतज़ाम हो गया हैं।
उनका कॉलेज का एक दोस्त नरेश जो दूसरे शहर में रहता हैं, वो हमारे शहर में कंपनी के काम से दो दिन बाद आने वाला हैं और उसका हमसे मिलने का भी प्लान हैं। पति ने उसको शाम के खाने पर भी बुला लिया हैं। उन्होंने उसका फोटो भी बताया, रंग रूप में मेरे पति से थोड़ा मिलता जुलता था।
हम दोनों अपना प्लान डिटेल में बनाने लगे। क्या कपडे पहनने हैं से लेकर क्या डायलॉग बोलने हैं तक सब सोच लिया था। इन दो दिनों में कई बार रिहर्सल भी कर के देख ली थी। प्लान A के अलावा प्लान B और C भी तैयार रखा था।
आखिर वो निर्णायक शाम भी आयी। मैंने खाना तैयार कर लिया था और अच्छे से मेक अप लगा लिया उसको रिझाने के लिए। हलके रंग की पारदर्शी साडी के अंदर स्लीवलेस डीप नैक ब्लाउज पहना, बिना ब्रा के। उस ब्लाउज को बांधने के लिए सिर्फ दो डोरिया थी, एक पीछे गर्दन के नीचे और दूसरा कमर पर। पूरी पीठ और कमर नंगी थी जिससे मेरा पूरा ऊपरी फिगर दिख रहा था।
दरवाज़े की घंटी बजी पति ने की-होल से देखा नरेश ही था। वो वापस अंदर सोफे पर आकर बैठ गए और प्लान के अनुसार मैंने दरवाज़ा खोला। मुझ हसीन को देखते ही नरेश की आँखें फटी रह गयी।
हाय हेलो हुआ। पर उसकी नज़रे मेरे सीने पर जा टिकी, पारदर्शी साडी में क्लीवेज दिख रहा था जिसे वो घूर रहा था। उसको अंदर लिया और गैलरी से होते हुए हम हॉल की तरफ बढे। वो मेरे पीछे चल रहा था जिससे मेरी नंगी पीठ और कमर को देख पाए।
पति और नरेश आपस में बातें करने लगे और मैं खाना लगाने चली गयी। हमने साथ में बैठ कर खाना गया और फिर वापिस आकर तीनो हॉल में बातें करने लगे। मुझसे बात करते वक़्त उसकी नज़रे लगातार मेरे शरीर को स्कैन कर रही थी।
रात 9:30 के करीब पति ने नरेश को बोला कि इतनी लेट तुम कहाँ दूर होटल में वापिस जाओगे, आज रात यही रुक जाओ। वो भी रुकना तो चाहता था पर कहा कि तुम दोनों को तकलीफ होगी। हम दोनों ने उसको कन्विंस कर लिया रात रुकने के लिए।
पति ने उसको अपना एक पाजामा और टीशर्ट दे दिया रात को पहनने के लिए और दोनों हॉल में फिर बातें करने लगे। रात के दस बजे मैंने बैडरूम से पति को फ़ोन किया। उन्होंने ऑफिस में किसी से बात कर रहे हो ऐसा नाटक किया।
फ़ोन रखने के बाद मैं हॉल में आयी। पति ने प्लान के अनुसार बहाना बनाया कि ऑफिस में कोई अर्जेंट इस्यु आया हैं और उनको जाना पड़ेगा। नरेश मन ही मन बहुत खुश हुआ पर ऊपर से बोला कि अशोक तुम जा रहे हो तो मैं भी निकलता हूँ।
पति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी को रात को घर पर अकेला नहीं छोड़ता सेफ्टी के लिए पर अच्छा हुआ आज तुम घर पर हो तो मुझे टेंशन नहीं। मैं तुम्हारे भरोसे जा सकता हूँ। वह खुश हो गया, बिल्ली को दूध की रखवाली करने को मिल गयी थी।
मेरे पति थोड़ी देर में तैयार होकर निकलने लगे और बोल गए, नरेश मैं सुबह वापिस ना आउ तब तक जाना मत। उन्होंने पहले से ही प्लान के मुताबिक हमारी बिल्डिंग से थोड़ी ही दूर उनके अपने ऑफिस के बैचलर लड़को के फ्लैट में रहने चले गए और वहां बहाना मार दिया कि वाइफ मायके गयी हैं और मेरी चाबी फ्लैट में अंदर रह गयी, रात को चाबी बनाने वाला नहीं मिलेगा तो रात वही रुकेंगे।
मैं और नरेश अब बातें करने लगे। इस बीच वो मुझे प्यासी निगाहों से घूरता रहा। उसकी नज़रे जैसे मेरे कपड़ो के अंदर झांक रही थी।
पहले वो हॉल में सोफे पर सोने वाला था अब मैंने उसको कहा की मेरा बेड किंग साइज हैं और पति नहीं हैं तो बिस्तर आधा खाली पड़ा हैं, तो वो अंदर सो सकता हैं, सोफे के मुकाबले आरामदायक रहेगा।
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें। पर अपने आप को शरीफ बताने के लिए उसने बोला अशोक को बुरा न लग जाए। मैंने सांत्वना दी की अशोक भी यही कहते सो चिंता मत करो। उसने कहा आपको प्रॉब्लम नहीं हैं तो चलेगा और हम दोनों बैडरूम में आ गए।
नाईट लैंप लगा दिया और हम दोनों एक दूसरे की आमने सामने करवट लेकर बातें करने लगे। जैसा कि हम रिहर्सल कर चुके थे, लेटने से मेरे वक्षो पर दबाव पढ़ा और वो डीप कट ब्लाउज से आधे बाहर झांकने लगे। उसकी निगाहें दो सेकंड मेरे चेहरे पर तो दस सेकंड सीने पर टिक रही थी।
मैंने अब गुड नाईट बोल कर दूसरी तरफ करवट ली। मेरी नंगी पीठ उसकी तरफ थी जिस पर सिर्फ ब्लाउज की दो डोरियों की गांठे थी। थोड़ी ही देर में मैंने हलके नकली खर्राटों की आवाज़े निकाली ताकि उसको अहसास हो कि मैं सो चुकी हूँ।
अब वो खिसक कर मेरे इतने करीब आ गया कि उसकी गर्म सांसें मैं अपने पीठ और गर्दन पर महसूस कर पा रही थी। बीच बीच में उसकी उंगलिया जरा सी मेरे बदन को छू रही थी।
इतनी देर से कण्ट्रोल किये हुए उसने अब एक एक करके मेरी ब्लाउज की डोरियों की दोनों गांठे खोल दी। मेरा ब्लाउज ढीला हो कर वक्षो से थोड़ा दूर हो गया। उसने पीठ और कमर पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया। मैं गरम होने लगी।
अब उसने ऊपर की डोरी को आगे की तरफ लाकर नीचे की तरफ खिंचा जिससे मेरा ब्लाउज मेरे वक्षो से दूर हो गया और ऊपर की तरफ से निप्पल दिखने लगे। मेरे वक्ष कड़क थे और निप्पल तने हुए थे। ये देख कर उसकी हालत खराब हो गयी।
उसने तुरंत एक हाथ कमर पर रखा और धीरे धीरे ऊपर लाते हुए ढीले ब्लाउज के अंदर ले गया। उसकी उंगलिया मेरे उभरे वक्षो को छु गयी। उससे कण्ट्रोल नहीं हुआ और उसने मेरा ऊपर वाला वक्ष पूरा हाथ में भर कर दबा लिया।
थोड़ी देर वो ऐसे ही उनको मलता रहा। अब बात आगे बढ़ाने के लिए मैंने आलस भरी आवाज़ में कहा अशोक छोडो न सो जाओ। ताकि उसको ये लगे कि मैं आधी नींद मैं हूँ और उसको अपना पति समझ रही हूँ।
उसके हौसले बढ़ गए और मेरे बदन पर हाथ फेरता रहा और पीछे से चिपक गया, जिससे मैं गीला होने लगी। उसने मेरे आधे खुले ब्लाउज के साथ ही नीचे के बाकी सारे कपडे भी एक एक करके निकाल दिए।
मेरा पूरा नंगा बदन देख कर उसकी हालत ख़राब हो गयी। वो अपना लिंग मेरे पिछवाड़े पर रगड़ने लगा और रगड़ते रगड़ते अचानक मेरे आगे के छेद में अंदर घुसा दिया। उसके मुँह से एक चैन की आह निकली।
मेरे मुँह से भी आह निकली और कहा अशोक क्या कर रहे हो सोने दो न। पर उस पर तो नशा चढ़ गया था। ऊपर से सांत्वना थी कि मैं उसको अपना पति समझ रही थी नींद में।
अब तो उसने बिना रुके मुझे पीछे से झटके पे झटके मारना शुरू कर दिया। हमारा आधा प्लान कामयाब हो चूका था। मैंने भी उसको उकसाने के लिए बोलना शुरू कर दिया अशोक जोर से मारो। नरेश अपने आप को अशोक के भेष में महसूस करके ओर जोर से चोदने लगा।
हम दोनों ही भरे बैठे थे, हालांकि मकसद अलग अलग था पर फीलिंग्स तो एक जैसी हो रही थी। मैं तो चाहती थी की मेरे अंदर आज दो चार अंडे एक साथ बन जाये।
उसका हाथ कभी मेरी निप्पलों को दबाता तो कभी आगे के छेद के ऊपर रगड़ता। जिससे मेरी और भी जोर से सिसकी निकलती और उसको मजा आता। उसने अब मेरी ऊपर की एक टांग अपने हाथ से हवा में उठा ली और अपना लिंग ओर भी अंदर गाड़ दिया।
मैं चाहती थी कि उसका सारा पानी मेरे अंदर खाली हो जाये, इसके लिए मैं अपना हाथ नीचे ले गयी और उसके लिंग के नीचे की थैलियों पर रख दिया। उसके आगे पीछे के झटको के साथ मेरा हाथ उसकी थैलियों को रगड़ रहा था। उसको दुगुना मजा आने लगा।
बहुत देर तक करने के बाद उसका बूंद बूंद पानी रिसने लगा और आखिर मेरे पानी का उसके गरम पानी से मिलन हुआ और कमरा अंदर की तरह तरह की आवाज़ों से गूंज उठा और उस बीच मेरी आ ऊ की रट।
आखिरी कुछ क्षणों में उसने अपना गला फाड़ते हुए चीखते हुए अपनी पिचकारी को मेरे अंदर पूरा खाली कर दिया। अगले कुछ झटके उसने बहुत जोर से मारे कि मेरी तो अंदर से जैसे फट ही गयी थी और मैं पागलो के जैसे दर्द के मारे चीखने लगी। और वो मेरा नाम लेकर जोश जोश में गंदी गंदी गालियाँ निकालने लगा।
उसके काम ख़त्म करते ही अब बारी थी प्लान के दूसरे भाग की। मैं तेजी से पलटी और आश्चर्य से कहा तुम! मुझे लगा अशोक हैं। तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया।
मैं रोनी सूरत बना कर रोते रोते कहा तुमने मेरे साथ ज़बरदस्ती की हैं और धोखा दिया हैं और ये कहते हुए अपने तन को पास पड़े कपड़ो से ढकने लगी।
उसका काम ख़त्म हो चूका था तो नशा भी उतर चूका था। अब उसको अहसास था कि जोश जोश में उसने क्या कर दिया हैं। वो बुरी तरह से डर गया और कपडे पहनते हुए मुझे माफ़ी मांगने लगा।
मैंने उसको पुलिस में ले जाने की भी धमकी दी जिससे उसकी हालत पतली हो गयी और मेरे पैर पड़ने लगा कि उसकी बदनामी हो जाएगी।
तो मैंने उसको कहा कि बदनामी तो मेरी भी होगी। मैं एक ही शर्त पर माफ़ करुँगी कि वो ये बात किसी से ना कहे क्यों कि इससे मेरी भी बदनामी होगी और अगर मेरी बदनामी हुई तो मैं उसको जेल पहुचा के ही रहूंगी।
वो तुरंत मान गया और वादा किया कि कभी किसी को नहीं बताएगा और आज के बाद मेरे सामने भी नहीं आएगा।
तभी वो बाहर जाकर सो गया। मुझे यकिन था कि वो डर गया हैं और मेरा प्लान कामयाब रहा। सुबह पति के घर आने के बाद बिना नज़रे मिलाये हुए ही जल्दी में वह बाय बोलकर एक अपराधी की तरह तेजी से भाग निकला।
हमारी फ़साने की चाल तो कामयाब रही पर परिणाम जैसा चाहा वैसा नहीं मिला। एक बार की चुदाई से मैं माँ नहीं बन पायी, शायद एक दो बार और करवाने से काम हो जाता। पर अब हमें पता था कि काम कैसे निकलवाना हैं।
इसके बाद हमने यही पैतरा तीन ओर मर्दो पर आजमाया ताकि बच्चा होने की सम्भावना बढ़ जाए। मैं आगे की हिन्दी सेक्स कहानी में बताउंगी कि ओर किसको और कैसे फांसा।
तब तक के लिए आपको अब तक की हिन्दी सेक्स हिन्दी सेक्स कहानी कैसी लगी? मुझे निचे कमेंट लिख कर जरुर बताइए।