प्यार की दवा-1 (Pyaar Ki Dawa-1)

नेहा की शादी को पाँच साल हो चुके थे, लेकिन उसके रिश्ते में वो गर्माहट नहीं थी जिसकी उसने कल्पना की थी। उसका पति रवि अपने काम में इतना व्यस्त रहता, कि उसकी ज़रूरतों और भावनाओं को नज़रअंदाज़ कर देता। प्यार और स्पर्श की प्यास लिए नेहा अक्सर अकेलापन महसूस करती।

लेकिन उसकी ज़िंदगी ने एक नया मोड़ तब लिया, जब उसने अपने शहर के सबसे प्रतिष्ठित डॉक्टर, डॉ. अर्जुन से मुलाकात की।

अकेलापन और तलाश-

नेहा की तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी। हल्का बुखार और कमजोरी बनी हुई थी। रवि ने हमेशा की तरह उसे नज़रअंदाज़ कर दिया, और अपने ऑफिस के काम में डूबा रहा। आखिरकार, नेहा ने खुद ही डॉक्टर के पास जाने का फैसला किया।

वो अस्पताल पहुँची और रिसेप्शन पर उसका नाम लिखा गया। थोड़ी देर बाद उसे डॉक्टर अर्जुन के केबिन में बुलाया गया।

डॉ. अर्जुन करीब 35 साल के, लंबे, और आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे। उनकी आँखों में गहरी समझदारी और चेहरे पर एक सम्मोहक मुस्कान थी। नेहा को उनकी मौजूदगी में एक अजीब सा सुकून महसूस हुआ।

“बैठिए, मिसेज नेहा। आपको क्या परेशानी हो रही है?” अर्जुन ने नरम लहजे में पूछा।

नेहा ने अपनी समस्या बताई। अर्जुन ने उसकी नब्ज़ देखी, स्टेटोस्कोप लगाया और फिर मुस्कुरा कर बोले, “घबराने की कोई बात नहीं है। ये सिर्फ कमजोरी है। लेकिन मुझे लगता है कि असली परेशानी शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक है। आप बहुत थकी-थकी और तनाव में लग रही हैं।”

नेहा चौंक गई। पहली बार किसी ने उसके मन की बात पढ़ी थी।

“हाँ… शायद आप सही कह रहे हैं,” नेहा ने धीरे से कहा।

“आपको अपनी देखभाल करने की ज़रूरत है, नेहा। अगर आप चाहें तो मुझसे खुल कर बात कर सकती हैं,” अर्जुन ने उसे देखते हुए कहा। उनकी आँखों में एक अजीब सा आकर्षण था, जिससे नेहा खुद को रोक नहीं पाई।

नए एहसास की शुरुआत-

डॉ. अर्जुन की बातें और उनका स्नेह भरा व्यवहार नेहा को अच्छा लगा। उसने धीरे-धीरे अपनी भावनाओं के बारे में बताया, कि कैसे वो खुद को अकेला महसूस करती थी, कैसे रवि ने उसे कभी वो प्यार नहीं दिया जिसकी उसे जरूरत थी।

“आप बहुत स्ट्रॉन्ग हैं, नेहा,” अर्जुन ने कहा, “लेकिन हर इंसान को प्यार और अपनापन चाहिए। अगर आपको अपने रिश्ते में वो नहीं मिल रहा, तो आपको खुद को भी खुश रखना सीखना होगा।”

उस दिन के बाद नेहा ने अर्जुन से मिलना जारी रखा। वो उसकी काउंसलिंग भी करने लगे और धीरे-धीरे दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता बनने लगा।

नेहा अब खुद को पहले से ज्यादा खुश और जिंदा महसूस करने लगी थी। अर्जुन की मौजूदगी में उसे वो गर्माहट और अपनापन मिलता जो उसे अपने पति से कभी नहीं मिला था।

प्यार का एहसास-

एक दिन अर्जुन ने नेहा को एक कैफ़े में मिलने के लिए बुलाया।

“मैं चाहता हूं कि तुम अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जियो, नेहा,” अर्जुन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

नेहा को अहसास हुआ कि वो अर्जुन के प्रति गहरी भावनाएं महसूस करने लगी थी। उनके बीच एक नज़दीकी बढ़ चुकी थी जो अब शब्दों से परे थी।

“क्या तुमने कभी सोचा कि प्यार कैसा होना चाहिए?” नेहा ने अर्जुन से पूछा।

अर्जुन मुस्कुराए, “प्यार… प्यार वो एहसास है जो बिना कहे भी सब कुछ कह जाता है। जब तुम किसी के बिना अधूरे महसूस करो, वही सच्चा प्यार है।”

नेहा की आँखें नम हो गईं।

अर्जुन ने धीरे से उसका हाथ थाम लिया। “अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें वो प्यार दे सकता हूं जिसकी तुम्हें तलाश है…”

नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया, बस उसकी आँखों में झांकती रही। उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी।

एक नई शुरुआत-

उस रात नेहा ने पहली बार खुद को जिंदा महसूस किया। अर्जुन का प्यार और अपनापन उसे वो सब दे रहा था जिसकी उसे सालों से तलाश थी। वो जानती थी कि समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन उसने अपने दिल की सुनी। वो अब और अकेली नहीं रहना चाहती थी।

कुछ दिनों बाद, नेहा ने रवि से अलग होने का फैसला कर लिया। “मैं अब और इस रिश्ते में घुट नहीं सकती, रवि,” उसने साफ शब्दों में कहा।

रवि को शायद अहसास ही नहीं था कि उसने कब और कैसे नेहा को खो दिया। एक शाम, हल्की बारिश हो रही थी। नेहा और अर्जुन कॉफ़ी शॉप से बाहर निकले तो ठंडी हवा के झोंकों ने माहौल को और भी रोमांटिक बना दिया। सड़क किनारे खड़े होकर दोनों बारिश की हल्की फुहारों को महसूस कर रहे थे। नेहा ने अपनी भीगी ज़ुल्फों को पीछे किया, और अर्जुन बस उसे देखता ही रह गया।

“क्या हुआ?” नेहा मुस्कुराकर बोली।

“तुम्हें देख रहा हूं… इतना खूबसूरत पल शायद ही पहले महसूस किया हो,” अर्जुन ने धीरे से कहा।

नेहा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। अर्जुन की गहरी आँखों में एक अजीब सा खिंचाव था। उसने खुद को उसके और करीब पाया। बारिश की ठंडी बूंदों के बीच, दोनों के बीच की गर्माहट बढ़ रही थी।

अर्जुन ने धीरे से नेहा का हाथ थाम लिया, उसकी नर्म हथेलियों को अपने हाथों में महसूस किया और धीरे-धीरे उसे अपनी ओर खींच लिया। अब दोनों के बीच बस कुछ ही इंच का फासला था। नेहा की सांसें तेज़ हो गईं।

“क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूं?” अर्जुन ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

नेहा ने बिना कुछ कहे अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे खुद को अर्जुन के हवाले कर दिया हो। अर्जुन ने धीरे से उसका चेहरा अपने हाथों में लिया, उसकी भीगी हुई ज़ुल्फ़ों को पीछे किया, और अपने होंठ उसके माथे पर रख दिए। नेहा के शरीर में एक मीठी सी सिहरन दौड़ गई।

फिर अर्जुन ने धीरे-धीरे अपना चेहरा नीचे लाया और उसके होंठों को हल्के से छुआ। वो स्पर्श इतना कोमल था कि नेहा ने अपनी सांसें थाम ली। कुछ सेकंड बाद, अर्जुन ने उसे और गहराई से महसूस किया। उसकी उंगलियां नेहा की कमर पर कस गईं, और नेहा खुद को पूरी तरह उसके आगोश में महसूस करने लगी।

बरसाती बारिश के बीच, दोनों का यह पहला चुंबन था- गर्म, भीगा हुआ, और प्यार से भरा। नेहा ने अपनी उंगलियां अर्जुन के बालों में फंसा दी, और अर्जुन ने उसे और करीब कर लिया। उनकी सांसें एक-दूसरे में घुलने लगी, और समय जैसे थम सा गया।

जब दोनों अलग हुए, तो नेहा की आँखें झुकी हुई थी, गाल लाल हो गए थे, और उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान थी। “ये पल कभी नहीं भूलूंगी,” नेहा ने धीमे से कहा।

“और मैं तुम्हें,” अर्जुन ने उसे और करीब खींचते हुए कहा।

उस रात के बाद, नेहा को एहसास हुआ कि प्यार सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि उन अहसासों से भी बयां किया जाता है जो किसी की नज़दीकियों में महसूस होते हैं।

आगे की हिंदी अन्तर्वासना कहानी, अगले पार्ट में।